मुक्तिका
*
मैं समय हूँ, सत्य बोलूँगा.
जो छिपा है राज खोलूँगा.
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अनतुले अब तक रहे हैं जो
बिना हिचके उन्हें तोलूँगा.
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कालिया है नाग काला धन
नाच फन पर नहीं डोलूँगा.
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रूपए नकली हैं गरल उसको
मिटा, अमृत आज घोलूँगा
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कमीशनखोरी न बच पाए
मिटाकर मैं हाथ धो लूँगा
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क्यों अकेली रहे सच्चाई?
सत्य के मैं साथ हो लूँगा
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ध्वजा भारत की उठाये मैं
हिन्द की जय 'सलिल' बोलूँगा
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