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मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

muktika

मुक्तिका
*
मैं समय हूँ, सत्य बोलूँगा.
जो छिपा है राज खोलूँगा.
*
अनतुले अब तक रहे हैं जो
बिना हिचके उन्हें तोलूँगा.
*
कालिया है नाग काला धन
नाच फन पर नहीं डोलूँगा.
*
रूपए नकली हैं गरल उसको
मिटा, अमृत आज घोलूँगा
*
कमीशनखोरी न बच पाए
मिटाकर मैं हाथ धो लूँगा
*
क्यों अकेली रहे सच्चाई?
सत्य के मैं साथ हो लूँगा
*
ध्वजा भारत की उठाये मैं
हिन्द की जय 'सलिल' बोलूँगा


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