समाचार:
लघुकथा जीवन का दर्पण- प्रदीप शशांक
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जबलपुर, ११-१२-२०१६. स्थानीय भँवरताल उद्यान में विश्व वाणी हिंदी संस्थान जबलपुर तथा अभियान जबलपुर के तत्वावधान में नवलेखन संगोष्ठी के अंतर्गत मुख्य वक्ता वरिष्ठ लघुकथाकार श्री प्रदीप शशांक ने 'लघुकथा के उद्भव और विकास' विषय पर सारगर्भित वक्तव्य में लघु कथा को जीवन का दर्पण निरूपित किया. पुरातन बोध कथाओं, दृष्टांत कथाओं, जातक कथाओं आदि को आधुनिक लघुकथा का मूल निरूपित करते हुए वक्ता ने लघुकथा के मानकों, शिल्प, तत्वों तथा तकनीक कि जानकारी दी. आरम्भ में लघुकथा को स्वतंत्र विधा स्वीकार न किये जाने, चुटकुला कहे जाने और पूरक कहे जाने का उल्लेख करते हुए 'फिलर' से 'पिलर' के रूप में लघुकथा के विकास पर संतोष करते हुए शशांक जी ने यह अवसर उपलब्ध करने के लिए अपने ४ दशक पुराने सहरचनाकार साथ और इस अनुष्ठान के संयोजक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' के अवदान को महत्वपूर्ण बताते हुए नवांकुर पल्लवित करने के इस प्रयास को महत्वपूर्ण माना.
श्रीमती मंजरी शर्मा कि अध्यक्षता में संपन्न कार्यक्रम में आचार्य संजीव 'सलिल' ने लघुकथा के विविध आयामों तथा तकनीक से संबंधित प्रश्नोत्तर के माध्यम से नव लघुकथाकारों की शंकाओं का समाधान करते हुए मार्गदर्शन किया. उन्होंने लघुकथा, कहानी और निबंध में अंतर, लघुकथा के अपरिहार्य तत्व, तत्वों के लक्षण तथा शैली और शिल्प आदि पर प्रकाश डाला.
डॉ. मीना तिवारी, श्रीमती मिथलेश बड़गैयां, श्रीमती मधु जैन, श्री बसंत शर्मा, श्री पवन जैन, श्री कामता तिवारी, संजीव 'सलिल', प्रदीप शशांक आदि ने काला धन, सद्भाव विषयों पर तथा अन्य लघुकथाओं वाचन किया. गोष्ठी का वैशिष्ट्य भोपाल से श्रीमती कांता रॉय तथा कानपूर से श्रीमती प्रेरणा गुप्ता द्वारा वाट्स एप के माध्यम से भेजी गयी लघुकथाओं का वाचन रहा. प्रेरणा जी की लघुकथा में हिंदी के देशज रूप मिर्जापुरी का रसास्वादन कर श्रोता आनंदित हुए. श्री सलिल ने समन्वय प्रकाशन अभियान द्वारा शीघ्र प्रकाश्य सामूहिक लघुकथा संकलन प्रकाशन योजना की जानकारी दी.
आभार प्रदर्शन मिथलेश जी ने किया.
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