'तन्वी-अनुगम' परिणय पर्व पर शुभाशीष
आत्मजा कल्पना-प्रमोद भट्ट आत्मज आभा-प्रभाकर गोस्वामी
*
श्री गणेश-कुलदेवता, मंगल करिये आज
संग द्वारकाधीश आ, पूर्ण कीजिये काज
*
गुंजित 'मानस भवन' में, मधुर गीत-संगीत
संस्कार-संबंध शुभ, हर मन पलती प्रीत
*
शाम 'श्यामला हिल्स' पर, प्रीति-भोज लख मुग्ध
'अभिजीत' पल में हो गयी, हर भव-बाधा दग्ध
*
'तन्वी' से भुज-हार ले,'अनुगम' दे गल-हार
'रत्नाक'र की 'प्रभा' लख, दिल बैठे दिल हार
*
'बल्लभ रसिक' पधारकर, नेह 'निर्मला' गंग
बहा रहे पल-पल मुदित, प्रवहित प्रेम-तरंग
*
'सुमन-नागभूषण' विहँस, दें आशीष बिखेर
पा 'प्रमोद' को 'प्रभाकर', गले मिलें बिन देर
*
'आभा' को भर बाँह में, हुई 'कल्पना' मौन
जीवन-निधि सौंपी पुलक, सुख-दुःख जाने कौन?
*
'पूजा' कर 'श्रीनाथ' की, 'अतुल' 'सुयश' पा धन्य
'किरण' 'अनुपमा' 'पूर्णिमा', 'चित्रा' मुदित अनन्य
*
'स्तुति' 'सार्थक' 'अमृत'मयी, 'रचना' करें 'बृजेश'
'शुभ्रा'-'आकांक्षा' करें, पूरी श्री मथुरेश
*
कण-कण 'कृष्ण अनंत' लख, 'संजय' 'अंशुल' संग
'पीहू' 'पूर्वा' को लिए, नाचें दुनिया दंग
*
'गौतम' 'आरोही' मगन, 'गौरव' अनुपम देख
पुलक 'अनुष्का' डालती, द्वार अल्पना-रेख
*
बुध-जन का आशीश ही. हो निश्चय ताम्बूल
सगा सगाई बना दे, दे अद्वैत के फूल
*
सत्यम् स्वागत, 'शिवम्' है, पाणिग्रहण संबंध
विदा सुंदरम् रॉयली, प्रिय अटूट अनुबंध
*
शहनाई की गूँज में, हो तन-मन से एक
'तन्वी-अनुगम' सुखी हों, कार्य करें मिल नेक
*
'सलिल'-'साधना' स्नेह की, कर होना 'संजीव'
नेह-नर्मदा में खिलें, मुकुलित मन-राजीव
*****
1 टिप्पणी:
आत्मजा कल्पना-प्रमोद भट्ट आत्मज आभा-प्रभाकर गोस्वामी को हार्दिक बधाई!
अद्भुत रचना ...
एक टिप्पणी भेजें