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बुधवार, 6 जुलाई 2016

laghukatha

लघुकथा 
लक्ष्य के लिए 
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वृद्ध किसान को सड़क किनारे पौधे रोपते देख पोते ने पूछा- 'इनके बड़े होने तक आप इतने स्वस्थ्य रहेंगे की यहाँ तक आकर देखभाल कर सकें, या इनकी छाँह में सुस्ता सकें? 

नहीं, तब तक तो मैं जीवित ही नहीं रहूँगा।  

फिर इन्हें क्यों लगा रहे हैं?घर पर विश्राम करें, व्यर्थ श्रम करने से लाभ?

हम आपने राष्ट्र गीत में 'सुजलाम सुफलाम्' कहकर इसके हरा-भरा करने की कामना करते हैं।  इसलिए हम किसी भी धर्म, पंथ, सम्प्रदाय, भाषा, भूषा, लिंग, जाति या क्षेत्र के हों हमें वर्ष आते ही अपने आस-पास जहाँ भी संभव हो अधिक से अधिक पौधे रोप कर, उनकी रक्षा कर हरियाली बढ़ाने में योगदान देना चाहिए।  कितना भी श्रम करना पड़े, करना ही चाहिए अपने लक्ष्य के लिए। वृद्ध किसान बोला।
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