प्रतिभा खुद में वन्दनीय है...
संजीव 'सलिल'
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प्रतिभा खुद में वन्दनीय है...
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प्रतिभा मेघा दीप्ति उजाला
शुभ या अशुभ नहीं होता है.
वैसा फल पाता है साधक-
जैसा बीज रहा बोता है.
शिव को भजते राम और
रावण दोनों पर भाव भिन्न है.
एक शिविर में नव जीवन है
दूजे का अस्तित्व छिन्न है.
शिवता हो या भाव-भक्ति हो
सबको अब तक प्रार्थनीय है.
प्रतिभा खुद में वन्दनीय है.....
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अन्न एक ही खाकर पलते
सुर नर असुर संत पशु-पक्षी.
कोई अशुभ का वाहक होता
नहीं किसी सा है शुभ-पक्षी.
हो अखंड या खंड किन्तु
राकेश तिमिर को हरता ही है.
पूनम और अमावस दोनों
संगिनीयों को वरता भी है
भू की उर्वरता-वत्सलता
'सलिल' सभी को अर्चनीय है.
प्रतिभा खुद में वन्दनीय है.
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कौन पुरातन और नया क्या?
क्या लाये थे?, साथ गया क्या?
राग-विराग सभी के अन्दर-
क्या बेशर्मी और हया क्या?
अतिभोगी ना अतिवैरागी.
सदा जले अंतर में आगी.
नाश और निर्माण संग हो-
बने विरागी ही अनुरागी.
प्रभु-अर्पित निष्काम भाव से
'सलिल'-साधना साधनीय है.
प्रतिभा खुद में वन्दनीय है.
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http://divyanarmada.blogspot.
7 टिप्पणियां:
संगीता स्वरुप :
बहुत खूबसूरत ....
bahut sundar bhaav abhivyaki ,shbd chayan ,sandesh ,sabhi bahut bahut pyraa ,manuhaaraa ,rasdhaaraa .
veerubhai1947.blogspot.com
09350986685
4C,Anuradha ,Nepiar Rd. ,NOFRA ,colaba,mumbai -400-oo5
great
क्या लाये थे?, साथ गया क्या?
एकदम अनुभव की बात बताई आपने माननीय सलिल जी!
शिव को भजते राम और
रावण दोनों पर भाव भिन्न है.
एक शिविर में नव जीवन है
दूजे का अस्तित्व छिन्न है.
श्राध्येय आचार्य जी चरण वंदन, बहुत ही सुंदर रचना और ससक्त अभिव्यक्ति, बधाई हो इस प्रस्तुति के लिये,
ana ...
प्रतिभा मेघा दीप्ति उजाला
शुभ या अशुभ नहीं होता है.
वैसा फल पाता है साधक-
जैसा बीज रहा बोता है.
bilkul sahi kahaa aapne.
waah salil ji sir bahut khoob ye bhin bhin fool bhin bhin mahk se bhawon ki bagiya mhka rahe hain .. bahut sundar
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