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रविवार, 11 जुलाई 2010

भोजपुरी हाइकु सलिला: संजीव वर्मा 'सलिल'

भोजपुरी  हाइकु
संजीव वर्मा 'सलिल'
*










*
पावन भूमि
भारत देसवा के
प्रेरण-स्रोत.
*
भुला दिहिल
बटोहिया गीत के
हम कृतघ्न.
*
देश-उत्थान?
आपन अवदान?
खुद से पूछ.
*
अंगरेजी के
गुलामी के जंजीर
साँच साबित.
*
सुख के धूप
सँग-सँग मिलल
दुःख के छाँव.
*
नेह अबीर
जे के मस्तक पर
वही अमीर.
*
अँखिया खोली
हो गइल अंजोर
माथे बिंदिया.
*
भोर चिरैया
कानन में मिसरी
घोल गइल.
*
काहे उदास?
हिम्मत मत हार
करल प्रयास.
*
दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम

3 टिप्‍पणियां:

navin bhojpuriya. ने कहा…

प्रणाम आ जय भोजपुरी सलिल जी

बहुत दिन के बाद लेकिन बेजोड बा राउर ई हाईकु स्टाईल के रचना ..

बेहतरीन , लाजवाब ।


धन्यवाद आ जय भोजपुरी

rajneesh kumar singh ने कहा…

gajab ke Raura likhale bani .........Bahut kamal ke raura likhila......

Jai Bhojpuri...............

shashi ranjan mishra ने कहा…

प्रणाम आ जय भोजपुरी,

राउर लेखनी के हम कायल बानी. हमेशा कुछ नया सीखे के मिलेला...