भोजपुरी हाइकु
संजीव वर्मा 'सलिल'
*
*
पावन भूमि
भारत देसवा के
प्रेरण-स्रोत.
*
भुला दिहिल
बटोहिया गीत के
हम कृतघ्न.
*
देश-उत्थान?
आपन अवदान?
खुद से पूछ.
*
अंगरेजी के
गुलामी के जंजीर
साँच साबित.
*
सुख के धूप
सँग-सँग मिलल
दुःख के छाँव.
*
नेह अबीर
जे के मस्तक पर
वही अमीर.
*
अँखिया खोली
हो गइल अंजोर
माथे बिंदिया.
*
भोर चिरैया
कानन में मिसरी
घोल गइल.
*
काहे उदास?
हिम्मत मत हार
करल प्रयास.
*
दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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रविवार, 11 जुलाई 2010
भोजपुरी हाइकु सलिला: संजीव वर्मा 'सलिल'
चिप्पियाँ Labels:
-acharya sanjiv 'salil',
/samyik hindi kavya,
bhojpuree,
Contemporary Hindi Poetry,
haiku
करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
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3 टिप्पणियां:
प्रणाम आ जय भोजपुरी सलिल जी
बहुत दिन के बाद लेकिन बेजोड बा राउर ई हाईकु स्टाईल के रचना ..
बेहतरीन , लाजवाब ।
धन्यवाद आ जय भोजपुरी
gajab ke Raura likhale bani .........Bahut kamal ke raura likhila......
Jai Bhojpuri...............
प्रणाम आ जय भोजपुरी,
राउर लेखनी के हम कायल बानी. हमेशा कुछ नया सीखे के मिलेला...
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