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बुधवार, 28 जुलाई 2010

" हाइकु " ---कुसुम ठाकुर

" हाइकु " 
कुसुम ठाकुर 
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सुख औ दुःख 
जीवन के दो पाट 
तो गम कैसा 

चलते रहो 
हौसला ना हो कम 
दुरियाँ क्या है 

लक्ष्य जो करो 
ज्यों ध्यान तुम धरो 
मिलता फल 

हार ना मानो 
ज्यों सतत प्रयास 
मंजिल पाओ 

कर्म ही पूजा 
उस सम ना दूजा 
कहो उल्लास 

ध्यान धरो 
बस मौन ही रहो 
पाओ उल्लास 

- कुसुम ठाकुर -

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