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सोमवार, 5 नवंबर 2012

पौराणिक आर्य युग रंजीत सिन्हा, कटिहार



पौराणिक आर्य युग 
रंजीत सिन्हा, कटिहार
सतयुग / ऋग्वैदिक काल --प्रारंभ वैशाख शुक्ल तृतीया, देव गंगा स्नान कर अन्य पुण्य कार्य करते हैं।

त्रेता / यजुर्वेदिक काल--प्रारंभ कार्तिक शुक्ल नवमी।

द्वापर / यजुदिक  / साम दिक काल--भद्र कृष्ण त्रयोदशी।

कलियुग / लौह युग --माघ पूर्णिमा, गंगा स्नान।
                                                                          
                                                                      अक्षय वट  
मनोकामना पूर्ण करने की क्षमताधारी पवित्र वृक्ष: 1. प्रयाग की किले में, 2. गया में।  पुरानों के अनुसार इनका अंत प्रलय काल में भी महीन होता।  पूजन से अमरत्व प्राप्ति। 
द्वादशाक्षर मन्त्र 
 "ओं नमो भगवते वासुदेवाय "--मूलतः वैश्वानर (अग्नि) को तथा कालांतर में विष्णु को समर्पित। 
                                                                     गन्धर्व-किन्नर 
ये देव-योनी में परिगणित होते हैं। ये गायन तथा नृत्य विधा में निपुण तथा राज्य-पालित होते रहे। किन्नर अलिंग (न पुरुष, न स्त्री) हैं इसलिए नवजात शिशु को लेकर नृत्य करते हैं  तथा कयानी-ध्यानी होने का आशीष देते हैं।

ha...ha...ha... vijay kaushal

ha...ha...ha...
Why did the chicken cross the road ? 
If asked what would be the Answers of 
famous personalities !!!

vijay kaushal 

















रविवार, 4 नवंबर 2012

POEM: A Simple Hug DR.G. M. SINGH

A Simple Hug

 
There's something in a simple hug

That always warms the heart,

It welcomes us back home

And makes it easier to part.

A hug is a way to share the joy

And sad times we go through,

Or just a way for friends to say

They like you 'cause you're you.


Hugs are meant for anyone

For whom we really care,

From your grandma to your neighbor,

Or a cuddly teddy bear.

A hug is an amazing thing

It's just the perfect way

To show the love we're feeling

But can't find the words to say.


It's funny how a little hug

Makes everyone feel good;

In every place and language,

It's always understood.

And hugs don't need new equipment,

Special batteries or parts -

Just open up your arms

And open up your hearts.

DR.G. M. SINGH GENERAL MEDICAL SERVICE 3/5 WEST PATEL NAGAR NEW DELHI-110008 INDIA 01142488406;9891635088

शनिवार, 3 नवंबर 2012

गीत: उत्तर, खोज रहे... संजीव 'सलिल'

गीत:
उत्तर, खोज रहे...
संजीव 'सलिल'

*
उत्तर, खोज रहे प्रश्नों को, हाथ न आते।
मृग मरीचिकावत दिखते, पल में खो जाते।
*
कैसा विभ्रम राजनीति, पद-नीति हो गयी।
लोकतन्त्र में लोभतन्त्र, विष-बेल बो गयी।।
नेता-अफसर-व्यापारी, जन-हित मिल खाते...
*
नाग-साँप-बिच्छू, विषधर उम्मीदवार हैं।
भ्रष्टों से डर मतदाता करता गुहार है।।
दलदल-मरुथल शिखरों को बौना बतलाते...
*
एक हाथ से दे, दूजे से ले लेता है।
संविधान बिन पेंदी नैया खे लेता है।।
अँधा न्याय, प्रशासन बहरा मिल भरमाते...
*
लोकनीति हो दलविमुक्त, संसद जागृत हो।
अंध विरोध न साध्य, समन्वय शुचि अमृत हो।।
'सलिल' खिलें सद्भाव-सुमन शत सुरभि लुटाते... 
*
जो मन भाये- चुनें,  नहीं उम्मीदवार हो।
ना प्रचार ना चंदा, ना बैठक उधार हो।।
प्रशासनिक ढाँचे रक्षा का खर्च बचाते...
*
जन प्रतिनिधि निस्वार्थ रहें, सरकार बनायें।
सत्ता और समर्थक, मिलकर सदन चलायें।।
देश पड़ोसी देख एकता शीश झुकाते...
*
रोग हुई दलनीति, उखाड़ो इसको जड़ से।
लोकनीति हो सबल, मुक्त रिश्वत-झंखड़ से।।
दर्पण देख न 'सलिल', किसी से आँख चुराते...
*

गीत: सागर में गिरकर... सीमा अग्रवाल

गीत:

सागर में गिरकर...



सीमा अग्रवाल 
*
सागर में गिर कर हर सरिता बस सागर ही हो जाती है 
लहरें बन व्याकुल हो हो फिर तटबंधों से टकराती है 

अस्तित्व स्वयं का तज बोलो 
किसने अब तक पाया है सुख 
गिरवी स्वप्नों की रजनी का 
चमकीला हो कैसे आमुख 

खोती प्रभास दीपक की लौ, जब सविता में घुल जाती है 
लहरें बन ..........

हो विलय ताम्र कंचन के संग 
खो जाता कंचन हो जाता 

कर सुद्रढ़ सुकोमल स्वर्ण गात 
निजता पर प्रमुख बना जाता

तज स्वत्व हेम हित ताम्र ज्योति बन हेम स्वयं मुसकाती है 
लहरें बन ..........

खो कर भी निज सत्ता खुद का 
अभिज्ञान सतत रखना संचित 

माधुर्यहीन,हो क्यों नदीश में 
सलिला सम रहना किंचित 

तांबा सोने में मुस्काता ,तरणी क्षारित कहलाती हैं 
लहरें बन व्याकुल ............

गीत: समाधित रहो .... संजीव 'सलिल'

गीत:
समाधित रहो ....







संजीव 'सलिल'
+
चाँद ने जब किया चाँदनी दे नमन,
कब कहा है उसी का क्षितिज भू गगन।
दे रहा झूमकर सृष्टि को रूप नव-
कह रहा देव की भेंट ले अंजुमन।।

जो जताते हैं हक वे न सच जानते,
जानते भी अगर तो नहीं मानते।
'स्व' करें 'सर्व' को चाह जिनमें पली-
रार सच से सदा वे रहे ठानते।।

दिन दिनेशी कहें, जल मगर सर्वहित,
मौन राकेश दे, शांति सबको अमित।
राहु-केतु ग्रसें, पंथ फिर भी न तज-
बाँटता रौशनी, दीप होता अजित।।

जोड़ता जो रहा, रीतता वह रहा,
भोगता सुर-असुर, छीजता ही रहा।
बाँट-पाता मनुज, ज़िन्दगी की ख़ुशी-
प्यास ले तृप्ति दे, नर्मदा सा बहा।।

कौन क्या कह रहा?, कौन क्या गह रहा?
किसकी चादर मलिन, कौन स्वच्छ तह रहा?
तुम न देखो इसे, तुम न लेखो इसे-
नित नया बन रहा, नित पुरा ढह रहा।।

नित निनादित रहो, नित प्रवाहित रहो।
सर्व-सुख में 'सलिल', चुप समाहित रहो।
शब्द-रस-भावमय छन्द अर्पित करो-
शारदी-साधना में समाधित रहो।।

***

पैरोडी: मैया मोरी... सतीश चौपड़ा


पैरोडी: मैया मोरी...

सूरदास से क्षमा प्रार्थना सहित-

सतीश चौपड़ा 
From: satish chopra <satishchopra@rediffmail.com>


शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

गूगल IME - हिन्दी में टाइप करने का सरलतम साधन --शैलेश भारतवासी

गूगल IME - हिन्दी में टाइप करने का सरलतम साधन

 

आज से लगभग दो वर्ष पहले जब मैं लोगों को ऑनलाइन हिन्दी टाइपिंग टूल के बारे में बताता था तो सबसे पहले गूगल का ट्रांसलिटरेशन (लिप्यंतरण) टूल के बारे में बताता था। और ऐसे लोगों को जो कि पहली बार हिन्दी में टाइप कर रहे होते थे, उन्हें सबसे अधिक यही टूल पसंद भी आता था।

लेकिन इस टूल की अपनी सीमाएँ हैं-
1) इंटरनेट कनैक्शन के लगातार बने रहने पर ही यह काम करता है।
2) इंटरनेट कनैक्शन सतत नहीं है, या आप डायल-अप कनैक्शन के उपभोक्ता हैं तो बहुत सम्भव है कि कई शब्द रोमन से देवनागरी में बदले ही ना।
3) और जबसे गूगल ने गूगल ट्रांसलिटरेशन बुकमार्कलेट ज़ारी किया तब से इनका अजाक्स फीचर और भी दुखदायी हो गया है।

मुझे याद है यूनिप्रशिक्षण के दौरान कम से कम 500 प्रशिक्षुओं ने मुझसे पूछा होगा कि गूगल की यह सुविधा ऑफलाइन इस्तेमाल के लिए नहीं मिल सकती? मैं कहता कि मैं तो इन सुविधाओं का प्रचारक हूँ, बनाने वाला होता तो ज़रूर बना चुका होता। इस संदर्भ मैंने गूगल-दरबार में 1-2 बार गुहार भी लगाई। खैर उन गुहारों का असर तो नहीं हुआ लेकिन बाज़ार का असर हुआ। माइक्रोसाफ्ट द्वारा हिन्दी के अतिरिक्त कई अन्य भारतीय भाषाओं में आईएमई(इनपुट मेथड एडीटर) ज़ारी किये जाने के बाद शायद प्रतिस्पर्धा का ही परिणाम था कि गूगल ने अपना आईएमई टूल जारी कर दिया।

हाँ, तो मैं इस खुशख़बरी के साथ हाज़िर हूँ कि यदि आप गूगल के ट्रांसलिटरेशन टूल के साथ बने रहना चाहते हैं लेकिन किसी ऑनलाइन बाक्स, ऑरकुट, जीमेल में टाइप करने के ताम-झाम से बचना चाहते हैं तो गूगल ने अपना ट्रांसलिटरेशन आईएमई टूल ज़ारी कर दिया है। गूगल ने यह टूल एक साथ 14 भाषाओं (अरबी, फ़ारसी (पर्सियन), ग्रीक, बंगाली, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, तमिल, तेलगू और ऊर्दू) में टाइप करने के लिए ज़ारी किया है। मैं यह ट्यूटोरियल हिन्दी के IME टूल के लिए तैयार कर रहा हूँ।

क्या खा़स है इस टूल में-

1) इंटरनेट कनैक्शन की कोई आवश्यकता नहीं- आप एक बार इंस्टॉल कर लें, फिर आपके पास इंटरनेट कनैक्शन हो या न हो, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
2) आसान कीबोर्ड- गूगल के इस टूल से लोगों की यह भी शिकायत रहती थीं कि वे हिन्दी के चालू शब्द तो टाइप कर लेते थे, लेकिन कई संस्कृतनिष्ठ शब्द नहीं टाइप हो पाते थे। जैसे बहुत कोशिशों के बाद भी 'हृदय' लिखना मुश्किल होता था, 'ह्रदय' से ही काम चलाना पड़ता था। जो लोग इस टूल का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इस टूल की सीमाओं का पता है। अब नये IME में गूगल ने एक कीबोर्ड दिया है, जिसकी मदद से आप दुर्लभ और जटिल शब्द भी टाइप कर सकते हैं।
3) शब्दों की पूर्ति- इसमें शब्दकोश आधारित शब्द पूर्ति पद्धति सक्रिय है। इसकी मदद से टाइप करने वाले को यह आसानी होती है कि जैसे ही वह किसी शब्द के 2-3 अक्षर टाइप करता है, गूगल का यह सिस्टम इससे बन सकने वाले शब्दों का सुझाव देने लगता है। जैसे- 'हिन्दी' लिखना है, hi टाइप करते ही 'हिन्दी' का विकल्प प्रदर्शित हो जाता है।
4) खोज का विकल्प- इस टूल के साथ हर शब्द, शब्द-युग्म और सम्भावित शब्द के नीचे एक तीरनुमा आकृति बनी है, जिसपर क्लिक करने से Search (खोज) का विकल्प आता है, उसपर क्लिक करते ही गूगल उस शब्द से संबंधित खोज परिणाम प्रदर्शित करने लगता है। टाइपिंग पट्टी के ऊपरी दायें कोने में भी गूगल का ऑइकॉन है, जिसपर क्लिक करके गूगल-सर्च किया जा सकता है। इस विकल्प के जुड़े रहने से देवनागरी-सर्च को भी बढ़ावा मिलेगा।
5) वैयक्तिक चयन- गूगल का यह टूल आप द्वारा किये गये संशोधनों को भी अपने ध्यान में रखता है और अगली बार आपके रोमन अक्षरयुग्मों से उन्हीं शब्दों का सुझाव देता है जो आप द्वारा वांछित है। जैसे आप 'kam' से 'काम' की जगह 'कम' लिखना चाहते हैं तो अगली बार से यह आपकी पसंद का ख्याल रखता है।
6) सुखद अनुकूलन- गूगल इस टूल में फॉन्ट चयन, साइच चयन का विकल्प भी प्रदान करता है, जिससे आप अपनी पसंद के स्टाइल में टाइपिंग कर सकें।

अब इतना जान लेने के बाद आप यह ज़रूर जानना चाहेंगे कि इसे आप अपने सिस्टम में संस्थापित (इंस्टॉल) कैसे करें।

1) यहाँ क्लिक करके इसका सेट-अप डाउनलोड करें (आप चाहें तो इस टूल के अधिकारिक पृष्ठ पर जाकर भी सेट-अप डाउनलोड कर सकते है)।
2) एक ही क्लाइंट मशीन पर एक से अधिक भाषाओं का IME सेट-अप चलाया जा सकता है।
3) यह टूल Windows 7/Vista/XP 32-bit ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ काम करता है।
4) जब इंस्टॉलर डाउनलोड हो जाये तो उसे चलायें। यह कुछ डाउनलोड करने की शुरूआत करेगा।
5) नियम व शर्तों को स्वीकार करें-

6) गूगल इनपुट सेट-अप इंस्टॉल हो रहा है-

7) फिनिश बटन पर क्लिक करके इंस्टॉलेशन विज़ार्ड से बाहर आयें-

विन्यास (कन्फिगरेशन)

आप यदि इस टूल को चलाना चाहते हैं तो पहले तो आपके सिस्टम में यूनिकोड का सपोर्ट इंस्टॉल होना चाहिए। इसके लिए आप Control Panel -> Regional and Language Options -> Languages tab -> Install files for complex scripts and right to left languages और Install files for East Asian languages दोनों को चेक्ड करके इंस्टॉलर सीडी द्वारा इंस्टॉल करें। इसके बाद आपके टूलबार में भाषा का विकल्प दिखने लगेगा। भाषा के इस विकल्प को लैंग्वेज बार भी कहते हैं।

यदि लैंग्वेज-बार न दिखे तो।
डेस्कटॉप पर राइट क्लिक करें (दायाँ क्लिक करें) और टूलबार में जायें और निम्नलिखित चित्र की भाँति लैंग्वेज़ बार इनेबल करें।

यदि फिर भी लैंग्वेज बार नहीं दिखता तो निम्नलिखित तरीके से लैंग्वेज बार दिखायें-
Windows 7/Vista
  1. Control Panel -> Regional and Language Options -> Keyboard and Languages tab
  2. Text services and input languages dialog खोलने के लिए Change keyboards पर क्लिक करें।
  3. Language Bar tab पर क्लिक करें
  4. लैंग्वेज़ बार वर्ग से Docked in the taskbar रेडियो बटन को इनेबल (सक्रिय) करें।
  5. उपर्युक्त सभी सेटिंग को इप्लाई करें और देखने की कोशिश करें कि आपके टूलबार में लैंग्वेज बार देखें।
Windows XP
  1. जायें-Control Panel -> Regional and Language Options -> Languages tab -> Text services and input languages (Details) -> Advanced Tab
  2. यह सुनिश्चित कीजिए कि System configuration विकल्प के अंतर्गत Turn off advanced text services चेक्ड नहीं है।
  3. जायें- Control Panel -> Regional and Language Options -> Languages tab -> Text services and input languages (Details) -> Settings Tab
  4. Language Bar पर क्लिक करें
  5. Show the Language bar on the desktop चुनें और OK पर क्लिक करें।
IME का Shortcut कैसे सक्रिय करें-

हालाँकि आप लैंग्वेज बार से अंग्रेजी और हिन्दी को बारी-बारी से चुनकर दोनों भाषाओं के बीच टॉगल कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने कीबर्ड से कोई शार्टकर्ट का इस्तेमाल करके किसी भी अनुप्रयोग में इसे चलाना चाहते हैं तो निम्नलिखित तरीके से कर सकते हैं-

Windows 7/Vista
  1. Control Panel -> Regional and Language Options -> Keyboard and Languages tab

  2. Text services and input languages dialog खोलने के लिए Change keyboards... बटन पर क्लिक करें।

  3. Advanced Key Settings tab खोजें और इसपर क्लिक करें।

  4. यदि Google Input उस लिस्ट में नहीं है तो Add पर क्लिक करें। Add Input language dialog box में भाषा विकल्प में हिन्दी और कीबोर्ड में Google Input चुनें।

  5. Hot keys for input languages वर्ग में - Google Input पर जायें।

  6. Change Key Sequence दबायें

  7. Enable Key Sequence चुनें

  8. Left ALT + SHIFT + Key 1 जैसा कोई विकल्प चुनें।

  9. ऊपर्युक्त सभी सेटिंग को एप्लाई करें।

  10. अब नोटपैड, वर्डपैड जैसे किसी अनुप्रयोग को खोलकर यह चेक करें कि शॉर्टकर्ट काम कर रहा है या नहीं। Left ALT + SHIFT + Key 1 दबायें और देखें कि हिन्दी में लिख पा रहे हैं या नहीं।
Windows XP

  1. Control Panel -> Regional and Language Options -> Languages tab -> Text services and input languages (Details) -> Settings Tab
  2. यदि या Google Installed Services बॉक्स में भाषा के रूप में नहीं जुड़ा है, तो Add पर क्लिक करके Add Input language dialog box खोलें Input language में जोड़े और Keyboard layout/IME में Google Input चुनें। OK पर क्लिक करें।
  3. Key Settings पर क्लिक करें।
  4. Hot keys for input languages में Switch to -Google Input चुनें
  5. Change Key Sequence पर क्लिक करें
  6. Enable Key Sequence चुनें
  7. Left ALT + SHIFT + Key 1 जैसा कोई विकल्प चुनें।
  8. ऊपर्युक्त सभी सेटिंग को एप्लाई करें।
  9. अब नोटपैड, वर्डपैड जैसे किसी अनुप्रयोग को खोलकर यह चेक करें कि शॉर्टकर्ट काम कर रहा है या नहीं। Left ALT + SHIFT + Key 1 दबायें और देखें कि हिन्दी में लिख पा रहे हैं या नहीं।


फीचर-

मैं इसके बहुत से फीचरों के बारे में पहले ही बता चुका हूँ। एक बार चित्र के मध्यम से देखते हैं-

स्टेटस विंडो-

जब आप लैंग्वेज बार सक्रिय कर लेंगे और गूगल का विकल्प जोड़ लेंगे तो IME सक्रिय करने का शॉर्टकर्ट चलाते ही आपके स्क्रीन पर इस टूल का स्टेटस दिखाई देगा।

संपादन खिड़की-

स्क्रीन पर गूगल IME का विंडो दिखते ही आप नोटपैड सरीखे किसी अनुप्रयोग को खोलें और टाइप करना शुरू करें। जब आप 'googl' टाइप करेंगे तो निम्नलिखित तरीके से विकल्प दिखेंगे-

नेविगेशन और चयन-

बाय-डिफाल्ट सबसे बायाँ विकल्प आपका सक्रिय चयन है। आप अपना चयना BOTTOM-ARROW या TAB बटन द्वारा बदल सकते हैं। विकल्पों पर आगे बढ़ जाने के बाद पीछे के विकल्प/विकल्पों पर लौटने के लिए UP-ARROW या SHIFT+TAB बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मुश्किल लगे तो माउस राजा तो है हीं। Enter बटन को दबाकर वांछित शब्द इमसर्ट कर सकते हैं। SPACE या कोई PUNCTUATION CHARACTER (विराह चिह्न) आदि बटनों का प्रयोग करके भी शब्द को पूरा टाइप किया जा सकता है। CTRL+ के शॉर्टकर्ट से भी आप प्रदर्शित विकल्पों में से वांछित विकल्प चुन सकते हैं। जैसे दूसरा विकल्प चुनने के लिए CTRL+2 -

शब्द-पूर्ति-

जब आप इस संपादित्र (एडीटर) के माध्यम से कोई शब्द टाइप करते हैं तो यह सारे संभावित शब्द युग्मों को काले और नीले रंगों में दिखाता है। काले रंग के बैकग्राउंड में प्रदर्शित हो रहे शब्द आपके द्वारा टंकित रोमन अक्षरों से सम्भावित शब्द है और नीले रंग के बैकग्राउंड में प्रदर्शित होने वाले शब्द शब्दकोश के शब्द हैं।

पेजिंग-

हमने जिस सेटिंग पर चर्चा की, उसमें 1 बार में 5 शब्द प्रदर्शित होते हैं। सेटिंग से आप इसे 6 तक बढ़ा सकते हैं। लेकिन मान लें कि इस टूल के पास आप द्वारा टंकित अक्षरयुग्मों के लिए 5 या 6 से अधिक सुझाव हैं तो यह 1 से अधिक पृष्ठों में सभी शब्द प्रदर्शित करेगा। आप देखेंगे कि ऊपर और नीचे जाने का Arrow नेविगेशन चमकने लगेगा। आप PAGEUP, PAGEDOWN बटन से भी इन विकल्पों के बीच दौड़ सकते हैं।

खोज-

किसी भी समय जब आप इस संपादित्र में टाइप कर रहे हों, दायें कोने में गूगल के ऑइकॉन पर क्लिक करके उस शब्द (हाइलाइटेड) से संबंधित गूगल खोज कर सकते हैं। गैरसक्रिय विकल्पों पर बने डाउनएरो(DownArrow) के निशान पर क्लिक करके उस विशेष विकल्प से संबंधित गूगल खोज कर सकते हैं।

प्रयोक्ता कैशे (USER CACHE)-

कम्प्यूटर के लिए कैशे एक अस्थाई स्मृति होती है जो कभी पहले इस्तेमाल किये गये डाटा के रूप में संग्रहणित होती है। कई दफ़ा स्मृति आधारित बहुत से कम्प्यूटर अनुप्रयोग अपनी इसी स्मृति की मदद से बहुत तेज़ काम करते हैं, तेज़ परिणाम देते हैं।

गूगल का यह आईएमई टूल भी प्रयोक्ता द्वारा सुझाये गये विकल्पों को अपने कैशे मेमोरी में संचित करके रखता है और अगली दफ़ा आपको वांछित परिणाम देता है। उदाहरण के लिए- मान लें कि आपने इस संपादित्र की मदद से रोमन में 'program' टाइप किया। यह टूल पहले आउटपुट के रूप में 'प्रोग्राम' दिखाया, लेकिन आपको दूसरा विकल्प 'प्रोगराम' वांछित था। आपने उसे एरो बटन या माउस द्वारा चुना।

जब आप अगली बार ''program' टाइप करेंगे तो गूगल का यह IME टूल आपके सुझाव और आपकी चाहत को ध्यान में रखेगा और पहले विकल्प के रूप 'प्रोग्रराम' दिखायेगा। नीचे दिखाये गये चित्र की तरह-




दो भाषाओं को आपस में बदलना-

आप इस टूल की मदद से पहले की तरह अंग्रेज़ी और हिन्दी भाषा दोनों के शब्द अपने एक ही कीबोर्ड से लिख सकते हैं। जब आईएमई सक्रिय हो, आप F12 या Ctrl+G की मदद से रोमन और देवनागरी को आपस में बदल सकते हैं।



आप चाहें तो आपके कम्प्यूटर स्क्रीन पर बने ऑइकॉन की मदद से 'अ' पर क्लिक करके 'A' और 'A' पर क्लिक करके 'अ' कर सकते हैं। 'अ' इस बात का सूचक है कि टाइपिंग-आउटपुट देवनागरी में होगा और 'A' इस बात का सूचक है कि टाइपिंग-आउटपुट रोमन में होगा।

कीबोर्ड-

गूगल ने इस बार एक इनस्क्रिप्ट कीबोर्ड का विकल्प भी दिया है, जिसमें हिन्दी के सभी स्वर, व्यंजन, विराम चिह्न इत्यादि एक क्रम में सजे हुए हैं। इस कीबोर्ड की मदद से आप बहुत से जटिल और दुर्लभ शब्द या अपनी मर्ज़ी के सार्थक-निरर्थक शब्द अपने आलेख में जोड़ सकते हैं। जैसे यदि आप कीबोर्ड की मदद से 'यक्ष' लिखना चाहें तो कीबोर्ड से 'य' और 'क्ष' का बटन दबायें आपका काम हो जायेगा।

यह कीबोर्ड स्टेटस विंडों (कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखने वाला IME का ऑइकॉन) पर बने कीबोर्ड के ऑइकॉन पर क्लिक करके खोला जा सकता है या कीबोर्ड शॉर्टकर्ट Ctrl+K द्वारा खोला जा सकता है। माउस द्वारा वांछित अक्षर का चुनाव कर सकते हैं। माउस से स्टेटस विंडो पर बने कीबोर्ड के ऑइकॉन पर दुबारा क्लिक करके, या Ctrl+K दबाकर या Esc का बटन दबाकर इसे बंद किया जा सकता है।

गूगल ने पहली बार ZWJ और ZWNJ का विकल्प भी इस कीबोर्ड में दिया है। मैं यूनिप्रशिक्षण के दौरान कई बार इन दोनों के महत्व का उल्लेख कर चुका हूँ। आज संक्षेप में दुबारा लिखता हूँ-

ZWJ- Zero Width Joiner (शून्य चौड़ाई वाला योजक)- मतलब दो व्यंजनों को जोड़ने वाला ऐसा योजक जिसकी चौड़ाई शून्य हो। जैसे जब हम सामान्य तरीके से एक आधा व्यंजन और उसके बाद पूरा व्यंजन लिखते हैं तो दोनों मिलकर कई बार बहुत अजीब सा (अवांछित) रूप धर लेते हैं। जैसे जबकि हम 'रक्‍त' लिखना चाहते हैं, लेकिन इसका रूप 'रक्त' जैसा हो जाता है। असल में हम 'रक्‍त' इसी ZWJ की मदद से लिखते हैं। मतलब यह जोड़ भी देता है और कोई स्थान भी नहीं घेरता।
रक्त= र+क्+त
रक्‍त=र+क्+ZWJ+त

या मान लें आपको को 'क्‍', 'ख्‍', 'ग्‍'.....'च्‍', 'छ्‍'.....'त्‍', 'थ्‍' इत्यादि लिखना है तो ZWJ का इस्तेमाल करना होगा।
जैसे ग्‍= ग्+ZWJ

ZWNJ- Zero Width Non Joiner (शून्य चौड़ाई वाला अ-योजक)- मतलब दो व्यंजनों को पारस्परिक अलग-अलग दिखाने का उपाय जिससे हम व्यंजन के पूर्ण शुद्ध रूप को निरूपित कर सकते हैं, भले ही उसके बाद कोई व्यंजन ही आये। अमूमन हिन्दी में किसी पूर्ण शुद्ध व्यंजन के बाद कोई व्यंजन जुड़ते ही उसके आकार में कुछ विकार आ जाता है, लेकिन कई बार हम उसे अलग करके दिखाना चाहते हैं, जिसके लिए ZWNJ का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे मान लें कि 'रक्त' आप ना तो 'रक्त' की तरह और ना ही 'रक्‍त' की तरह दिखाना चाहते हैं बल्कि आप 'रक्‌त' की तरह दिखाना चाहते हैं तब आप ZWNJ का इस्तेमाल करेंगे।
रक्‌त= र+क्+ZWNJ+त




अनुकूलन-

इस टूल में अपने हिसाब से अनुकूलन करने का विकल्प भी मौज़ूद है। आप स्टेट्स विंडों में सेटिंग के ऑइकॉन पर क्लिक करके 'Suggestion Font' से यूनिकोड का फॉन्ट, साइज़ और बोल्ड, इटैलिक, अंडरलाइंड इत्यादि जैसे कस्टोमाइजेशन कर सकते हैं। आप मंगल और Arial Unicode MS के अलावा भी जैसे गार्गी, जयपुर यूनिकोड, जनहिन्दी इत्यादि जैसे यूनिकोड फॉन्ट (यदि आपने इसे अपने सिस्टम में अलग से डाल रखा है तो) जैसा कोई और फॉन्ट चुन सकते हैं।

अंग्रेज़ी के शब्दों के लिए फॉन्ट कस्टोमाइजेशन कर सकते हैं। पेज़ साइज़ बदल सकते हैं (एक पेज़ में कितने विकल्प दिखाने हैं)।

जिस प्रयोक्ता कैशे का उल्लेख मैंने ऊपर किया आप चाहें तो उसे निष्क्रिय भी कर सकते हैं, क्योंकि कई बार आप बहुत अजीब या कम प्रयोग में आने वाला शब्द टाइप करते हैं और आप नहीं चाहते कि चालू शब्द पहले नं॰ पर आना बंद हो।

मैंने गूगल के अंग्रेज़ी ट्यूटोरियल की मदद से, खुद से प्रयोग करके और कुछ पुराने अनुभवों के माध्यम से इस टूल के बारे में बताने की कोशिश की है। फिर भी यदि आपको कोई परेशानी आये तो लिखें।

यदि प्रयोक्ताओं को इस ट्यूटोरियल से बात समझ में नहीं आ पाती तो मैं वीडियो ट्यूटोरियल लेकर उपलब्ध होऊँगा।
divyanarmada.blogspot.com

दोहा सलिला: विवाह- एक दृष्टि द्वैत मिटा अद्वैत वर... संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:
विवाह- एक दृष्टि

द्वैत मिटा अद्वैत वर...
संजीव 'सलिल'

*
रक्त-शुद्धि सिद्धांत है, त्याज्य- कहे विज्ञान।
रोग आनुवंशिक बढ़ें, जिनका नहीं निदान।।

पितृ-वंश में पीढ़ियाँ, सात मानिये त्याज्य।
मातृ-वंश में पीढ़ियाँ, पाँच नहीं अनुराग्य।।

नीति:पिताक्षर-मिताक्षर, वैज्ञानिक सिद्धांत।
नहीं मानकर मिट रहे, असमय ही दिग्भ्रांत।।

सहपाठी गुरु-बहिन या, गुरु-भाई भी वर्ज्य।
समस्थान संबंध से, कम होता सुख-सर्ज्य।।

अल्ल गोत्र कुल आँकना, सुविचारित मर्याद।
तोड़ें पायें पीर हों, त्रस्त करें फ़रियाद।।

क्रॉस-ब्रीड सिद्धांत है, वैज्ञानिक चिर सत्य।
वर्ण-संकरी भ्रांत मत, तजिए- समझ असत्य।।

किसी वृक्ष पर उसी की, कलम लगाये कौन?
नहीं सामने आ रहा, कोई सब हैं मौन।।

आपद्स्थिति में तजे, तोड़े नियम अनेक।
समझें फिर पालन करें, आगे बढ़ सविवेक।।

भिन्न विधाएँ, वंश, कुल, भाषा, भूषा, जात।
मिल- संतति देते सबल, जैसे नवल प्रभात।।

एक्य समझदारी बढ़े, बने सहिष्णु समाज।
विश्व-नीड़ परिकल्पना, हो साकारित आज।।

'सलिल' ब्याह की रीति से, दो अपूर्ण हों पूर्ण।
द्वैत मिटा अद्वैत वर, रचें पूर्ण से पूर्ण।।

Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद कार्यकारिणी बैठक दिनांक 28-10-2012


राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद

(कायस्थ सभाओं / संस्थाओं / मंदिरों / धर्मशालाओं / शिक्षा संस्थाओं / पत्र पत्रिकाओं का परिसंघ )
: कार्यालय :
राष्ट्रीय अध्यक्ष: जे. ऍफ़. १/७१, ब्लोक ६, मार्ग १० राजेन्द्र नगर पटना ८०००१६ बिहार
वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष: २०४ , विजय अपार्टमेन्ट, नेपियर टाउन, जबलपुर, ४८२००१ मध्य प्रदेश
महामंत्री: २०९-२१० आयकर कॉलोनी, विनायकपुर, कानपुर २०८०२५ उत्तर प्रदेश

प्रति:
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जयपुर दिनांक 28-10-2012। राष्ट्रीय चित्रगुप्त महापरिषद की केन्द्रीय कार्यकारिणी बैठक  राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री त्रिलोकी प्रसाद वर्मा मुजफ्फरपुर की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में 6 राज्यों से पधारे 35 पदाधिकारी प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। महामंत्री चित्रांश डॉ. यू. सी. श्रीवास्तव कानपूर ने बैठक का सञ्चालन करते हुए सनातनधर्मियों के हितों पर कुठाराघात करने और अन्य धर्मावलम्बियों की हित रक्षा की नीति की आलोचना की। समग्र क्रांति आन्दोलन में जे.पी. के अनुयायी रहे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुमार अनुपम ने बिहार में कायस्थ नव जागरण आन्दोलन की चर्चा की। राजस्थान प्रदेश के संयोजक श्री सचिन खरे तथा उपाध्यक्ष अरुण माथुर ने जातिवादी व्यवस्था को समाज के लिए घातक निरूपित किया। दुर्ग छतीसगढ़ से पधारे राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री अरुण श्रीवास्तव 'विनीत' ने वर्तमान दलीय राजनैतिक प्रणाली से उत्पन्न भ्रष्टाचार को घातक बताया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश श्री कमलकांत वर्मा ने अन्ना हजारे तथा केजरीवाल के आंदोलनों में समाज के समर्थन के प्रति आभार व्यक्त किया।

राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष चित्रांश संजीव वर्मा 'सलिल' जबलपुर ने देव चित्रगुप्त तथा कायस्थ धर्म की व्याख्या वैदिक-पौराणिक प्रसंगों द्वारा करते हुए निम्न प्रस्ताव प्रस्तुत किये जो सर्व सम्मति से पारित किये गए।

सामाजिक प्रस्ताव:

1. निराकार परात्पर परब्रम्ह अंश रूप में कायाओं में व्यापकर कायस्थ होते हैं। ऐसे सभी व्यक्ति जो इस सत्य को जानते और मानते हैं कायस्थ महावंश के अंग हैं। वर्ण, जाति, धर्म, पंथ, भाषा, भूषा, क्षेत्र या अन्य किसी भी आधार पर उनमें भेद स्वीकार्य नहीं हैं। महापरिषद में अहिन्दीभाषी सदस्य व पदाधिकारी बनाये जाएँ।

2. अन्य किसी भी पंथ / धर्म / मत के अनुयायी उक्त सूत्र को स्वीकार कर जड़-चेतन के प्रति समता-समानता-सद्भाव भाव धारणकर सनातन धर्म के कायस्थ महावंश में सम्मिलित हो सकते हैं। इस हेतु उन्हें निर्धारित प्रक्रिया का पालनकर अपने आचार-विचार को संयमित रखने, अन्य जनों की स्वतंत्रता की रक्षा करने तथा सबसे समतापरक व्यवहार करने का वचनपत्र देना होगा।

3. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तथा लाल बहादुर शास्त्री जी के निधन संबंधी नस्तियां एवं कागजात सार्वजनिक किये जाएँ। नेताजी  का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाए अथवा उनके अज्ञातवास की खोज की जाए तथा जिलाधिकारी फैजाबाद के नाजरात में रखे गुमनामी बाबा के सामान की जाँचकर सूची सार्वजानिक की जाए।

4. सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ़ शंखनाद करते हुई कायस्थ समाज हर क्षेत्र में स्वच्छ छवि के उम्मीदवारों का समर्थन तथा मलिन छवि के उमीदवारों का सक्रिय विरोध करेगा।

राजनैतिक प्रस्ताव:

5. केन्द्रीय मंत्रिमंडल से एक मात्र कायस्थमंत्री को उनके विरुद्ध गंभीर आरोप न होते हुए हटाने तथा गंभीर आरोपों से घिरे मंत्रियों को बनाये रखने का विरोध करते हुए कोंग्रेस अध्यक्ष को लिखा जाए।

6. आरक्षण समाप्त किया जाए तथा सभी को योग्यतानुसार समान अवसर प्राप्ति सुनिश्चित की जाए अथवा सवर्णों के लिए आरक्षण सुनिश्चित कर कायस्थ, ब्राम्हण, क्षत्रिय तथा वैश्य को समान प्रतिशत दिया जाए।

7. आगामी चुनावों को देखते हुए चुनाव क्षेत्रवार कायस्थ मतदाता संख्या, उपयुक्त उम्मीदवार तथा समर्थित उम्मीदवार का चयन किया जाए। टिकिट प्राप्ति पश्चात् सामाजिक समीकरणों का विवेचन कर नीति निर्धारण हेतु समिति का निर्माण किया जाए।

धार्मिक प्रस्ताव:

8. श्री चित्रगुप्त मंदिर उज्जैन, खजुराहो, अयोध्या, पटना तथा कांची के उन्नयन हेतु विशेष योजना बनाई जाए। डाक टिकिट जारी किया जाए।

9. समकालिक कायस्थ महर्षियों महर्षि महेश योगी, सत्य साईं बाबा तथा सहजयोग प्रवर्तिका निर्मला देवी श्रीवास्तव पर डाक टिकिट जारी किया जाए।

10. सनातन धर्मियों हेतु निर्धारित 16 संस्कारों की सामयिकता पर विचार के समय तथा प्रक्रिया का पुनर्निर्धारण किया जाए।

11. विक्रम संवत अनुसार वर्ष भर के तीज-त्योहारों के औचित्य,  पूजन-विधान आदि का निर्धारण कर पत्रक जारी किया जाए ताकि युवा पीढ़ी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा से अवगत हो सके।

12. कायस्थों तथा श्री चित्रगुप्त के उद्भव एवम योगदान पर शोधकर प्रामाणिक सामग्री प्रकाशित की जाए।

अन्य:

14. गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे कायस्थों का सर्वेक्षण कर उन्हें आय वृद्धि के साधन तथा अवसर प्रदान किये जाएँ।

14. निर्धन छात्रों को अध्ययन हेतु शिक्षण शुल्क तथा पुस्तकें प्रदान करने हेतु समर्थ कायस्थ जनों से संपर्क कर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।

15. विधवा / विधुर विवाह, कन्या भ्रूण संरक्षण / बाल विवाह निषेध, कन्या-शिक्षा, पुत्र-पुत्री समानता, पौधारोपण, जल संरक्षण, पर्यावरण शुद्धिकरण, खुले स्थान पर शौच-निषेध, पुस्तकालय / वाचनालय स्थापना आदि कार्यक्रम इकाई  स्तर पर अपनाएं जाएं।

इस सम्बन्ध में मार्गदर्शन हेतु संपर्क सूत्र: 
0761-2411131 / 094251 83244.

सामयिक रचना: सेन्डी की बदगुमानी मैत्रेयी अनुरूपा


सामयिक रचना: 
अमरीका में आए तूफ़ान सैंडी पर: 
सेन्डी की बदगुमानी

मैत्रेयी अनुरूपा
 
तूफ़ान की हदों से गुजरी है ज़िन्दगानी
लेकिन न हार फिर भी लम्हे के लिये मानी
 
दो फ़ुट बरफ़ की चादर ओढ़े हुये कहा है
ए अब्र जरा बरसा कुछ और अभी पानी
 
रफ़्तार मील सत्तर चलती रहें हवायें
हमने भी नशेमन की कुव्वत है आजमानी
 
लेकर उठा है करवट फ़िर खंडहर से कोई
दरिया की आदतें ये अब हो चुकी पुरानी
 
अनुरूपा गिन न पाये जो पेड़ गिर गये हैं
गिनती है सिर्फ़ पौधें जो फिर नई लगानी
***
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गुरुवार, 1 नवंबर 2012

गीत: गीत तेरे होंठ पर गीतकार

गीत:
गीत तेरे होंठ पर
गीतकार 
  *
गीत तेरे होंठ पर खुद ही मचलने लग पड़ें आ
इसलिये हर भाष्य को व्यवहार मैं देने लगा हूँ
देव पूजा की सलौनी छाँह के नग्मे सजाकर
काँपती खुशबू किसी के नर्म ख्यालों से चुराकर
मैं हूँ कॄत संकल्प छूने को नई संभावनायें
शब्द का शॄंगार करता जा रहा हूँ गुनगुनाकर
अब नयन के अक्षरों में ढल सके भाषा हॄदय की
इसलिये स्वर को नया आकार मैं देने लगा हूँ
रूप हो जो आ नयन में खुद-ब-खुद ही झिलमिलाये
प्रीत हो, मन के समंदर ज्वार आ प्रतिपल उठाये
बात जो संप्रेषणा का कोई भी माध्यम न माँगे
और आशा रात को जो दीप बन कर जगमगाये
भावना के निर्झरों पर बाँध कोई लग न पाये
इसलिये हर भाव को इज़हार मैं देने लगा हूँ
मंदिरों की आरती को कंठ में अपने बसाकर
ज्योति के दीपक सरीखा मैं हॄदय अपना जला कर
मन्नतों की चादरों में आस्था अपनी लपेटे
घूमता हूँ ज़िन्दगी के बाग में कलियाँ खिलाकर
मंज़िलों की राह में भटके नहीं कोई मुसाफ़िर
इसलियी हर राह को विस्तार मैं देने लगा हूँ
geetkar@yahoo.com 

संस्मरण: मधु गुप्ता

संस्मरण:
           मधु गुप्ता 
 
प्रिय जनों ,
एक वाकया सुनाने का मन हो रहा है सो सुना रही हूँ ,
मेरे पति जो आर्मी में डाक्टर थे और लगभग  पच्चीस साल पहले उनकी पोस्टिंग जम्मू से आगे पूंछ पाकिस्तान बोर्डर के पास एक छोटा सा गाँव था सूरनकोट वहाँ के अस्पताल को कमांड कर रहे थे. वो फील्ड पोस्टिंग थी और परिवार नहीं जा सकते थे, अलबत्ता गरमी की छुट्टियों में हम दो महीने के लिए चले जाते थे, और पहाड़ी वादियों का भरपूर लुत्फ़ उठाते थे,  अन्य और भी परिवार आ जाते थे अच्छा खासा रिसोर्ट बन जाता था,वहाँ के स्थानीय कश्मीरी लोगों को भी कुछ नौकरी मिल जाती थी. रशीद नाम का एक सफाई कर्मचारी था जो हमारे कमरे आदि साफ़ करता था, बड़ा ही भला मानुस था. वो कई बार कहता था कि 'उसकी घरवाली अफ़सरान साहेब की मेमसाहब लोगों से मिलना चाहती हैं, मैंने कहा: "ले आओ किसी दिन भी "
एक दिन दोपहर में, हम बरामदे के बाहर कुर्सियों पर बैठे धूप खा रहे थे  कि  हमने देखा साफ़ सुथरे कपड़े पहने उसकी पत्नी, दो बेटियाँ व एक बेटा वहाँ आए, और ठिठकते हुए कुछ दूरी पर खड़े हो गए, स्नेहपूर्वक हमने उन्हें अपने पास बुलाया, कुर्सी की और इशारा किया बठने का, परन्तु वो लोग कुर्सी पर नहीं बैठे, बरामदे की सीढ़ियों पर बैठ गए. खाने-पीने के लिए मेस से कुछ ऑर्डर करना चाहा तो उन्होंने इनकार कर दिया, कहा 'रोज़े' चल रहे हैं, बच्चे  भी' रोजा' रखे थे.( रोजा रखने या न रखने से क्या फरक पड़ता है वैसे भी उनके घरों में कुछ खाने को नहीं होता था, हमने उनका जीवन बहुत नजदीक से देखा था) कुछ देर बाद उन्होंने सफ़ेद रूमाल की पोटली हमारे सामने खोली उसमें ताज़े भुने हुए मकई क दाने थे, और हमारे मुँह की ओर ताकते हुए कहा- "आपके वास्ते "
मेरा मुँह कलेजे में आ गया, घुटन महसूस हुई और दम घुटने लगा. अनायास ही महादेवी वर्मा जी की कहानी  "सिस्तर के वास्ते " याद हो आ . थोड़ी देर बाद 'उन्होंने पूछा बच्चे कहाँ है?'
मैंने दूर खेल रहे बच्चों की और इशारा किया कि, वो वहाँ खेल रहें हैं , कुछ बच्चे बैडमिंटन  खेल रहे थे,  कुछ क्रोके और कुछ यूँ ही भाग दौड़ कर कर रहे थे , मैंने अपनी दोनों बेटियों को आवाज़ दी , और उनसे मिलवाया, मिलने के तुरंत बाद उन्होंने फिर पूछा: "बच्चे कहाँ हैं ?" 
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, सोचा अभी तो इन्हें मिलवाया था, मैंने कहा: "ये ही तो हैं हमारे बच्चे "भोली-भोली सी बड़ी-बड़ी आँखों से मेरी ओर देखकर उन्होंने अपना प्रश्न फिर दोहराया: "बच्चे कहाँ है?"
मैंने पुनः बेटियों की ओर इशारा किया, वो बोलीं: "ये तो लड़कियाँ हैं, साहब का बच्चा नहीं है ?" 
बाद में हमारी पोस्टिंग दिल्ली हों गई थी। रशीद एक दिन अचानक अपने बेटे के साथ वहाँ पहुँच गया, मेरे पति की यूनिट में आया  उसने बताया उसका एकलौता बेटा बीमार रहता है , मिलिटरी अस्पताल में मानवता के नाते उसकी जाँच करवाई, पता चला उसकी दोनों किडनी खराब हो गयी थी मात्र दस बरस का था।  उसके इलाज के लिए पैसा कहाँ से लाता, दिल्ली में कहाँ ठहरता? जो मदद हम कर सकते थे की, फिर उसे वापसी का किराया दे कर भेज दिया, बाद में पता चला वो बच नहीं पाया था। अब बस करतीं हूँ आज भी दिल डूबता है , .---.
Madhu Gupta <madhuvmsd@gmail.com>

बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

विशेष गीत : हम अभियंता अभियंता संजीव 'सलिल'

विशेष गीत :
हम अभियंता 

अभियंता संजीव 'सलिल'
*
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
माटी से मूरत गढ़ते हैं,
कंकर को शंकर करते हैं।
वामन से संकल्पित पग धर-
हिमगिरि को बौना करते हैं।
नियति-नटी के शिलालेख पर
अदिख लिखा जो वह पढ़ते हैं।
असफलता का फ्रेम बनाकर
चित्र सफलता का मढ़ते हैं।
श्रम-कोशिश दो हाथ हमारे
फिर भविष्य की क्यों हो चिंता?
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
अनिल, अनल, भू, 'सलिल', गगन हम
पंचतत्व औजार हमारे।
विश्व, राष्ट्र, मानव उन्नति हित
तन-मन-समय-शक्ति-धन वारे।
वर्तमान, गत-आगत नत हैं
तकनीकों ने रूप सँवारे।
निराकार साकार हो रहे
अपने सपने सतत निखारे।
साथ हमारे रहना चाहे
भू पर उतर स्वयं भगवंता।
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
भवन, सड़क, पुल, यंत्र बनाते
ऊसर में फसलें लहराते।
हमीं विश्वकर्मा विधि-वंशज
मंगल पर पद-चिन्ह बनाते।
प्रकृति-पुत्र हैं, नियति नटी की
आँखों से हम आँख मिलाते।
हरि सम हर हर आपद-विपदा
गरल पचा अमृत बरसाते।
'सलिल'-स्नेह नर्मदा निनादित
ऊर्जा-पुंज अनादि अनंता। 
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in.divyanarmada
94251 83244 / 0761 - 2411131 

यातायात अनुज्ञप्ति प्रणाली और अभियंता:

अभियंता बंधु हेतु विशेष आलेख:
थल-यातायात की अनुज्ञप्ति प्रणाली और अभियंता
अभियंता संजीव वर्मा 'सलिल' तथा अभियंता राकेश राठौड़ 
*
प्रारंभ:
मानव सभ्यता का इतिहास परोक्षतः यातायात संसाधनों के उद्भव तथा प्रबंधन के विकास का इतिहास है। आदि मानव जल, भोजन, साथी, आवास तथा सुरक्षा की तलाश में जिन स्थानों पर बार-बार आया-गया, वहाँ उसके पद-चिन्ह पेड़ की टहनी के आकार में अंकित हो गये जिन्हें पग-दण्डी कहा गया। यह पग-डंडी ही वर्तमान भूतलीय पथों, मार्गों, राजमार्गों, महामार्गों की जननी है। पग-डंडियों का स्वयं तथा अपने समूह के सदस्यों के लिए सतत-सुरक्षित रहकर उपयोग करना, क्षति होने पर पुनः सुरक्षित आवागमन के योग्य बनाना, अन्य समूहों अथवा पशुओं को उन पर आधिपत्य करने से रोकना तथा वर्षाकाल में पग-डंडी मिट जाने पर दुबारा खोजना ही आज के यातायात प्रबंधन एवं यातायात अभियांत्रिकी की शुरुआत थी।
अतीत:
ऋग्वेद-काल (ई.पू. 5000) तक यह नन्हीं शुरुआत पग-डंडी, डगर, पथ, राह, लीक, पंथ, सडक, मार्ग, आदि अनेक नाम धारणकर विशाल वट वृक्ष की तरह जड़ें जमा चुकी थी। हर देश-काल में मनुष्यों-पशुओं का आवागमन तथा सामान का सुरक्षित परिवहन राज्य सत्ता, श्रेष्ठि वर्ग तथा जन सामान्य सभी के लिए साध्य तथा शांतिपूर्ण स्थायित्व हेतु साधन भी रहा। यातायात, आवागमन अथवा परिवन पर स्वामित्व व् नियंत्रण सत्ताधिकार, विकास तथा उन्नति का पर्याय हो गया और आज तक है। इतिहास के पृष्ठ पलटें तो पाएंगे कि श्रेष्ठ यातायात-प्रबंधन के काल को स्वर्ण काल तथा उस काल के शासक को आदर्श शासक कहा गया है। वैदिक, मोहनजोदाड़ो, हड़प्पा, रोम, चीन, ग्रीक, मिस्र अदि महान सभ्यताओं के विकास का एक कारण श्रेष्ठ यातायात प्रबन्धन था। दूसरी ओर नाग, रक्ष, असुर, वानर, ऋक्ष, उलूक, किन्नर, गन्धर्व आदि सभ्यताओं के विनाश और पतन के पीछे एक मुख्य कारण यातायात प्रणाली का विकास न कर पाना था। यहाँ तक कि वर्तमान युद्धों तथा आम चुनावों में भी यातायात-प्रणाली तथा प्रबंधन जय-पराजय का निर्णय करने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
विकास के चरण:
ऋग्वेद में महामार्ग, विष्णुपुराण तथा अग्निपुराण आदि ग्रंथों में मार्ग निर्माण प्रविधि-मानकों-प्रबंधन आदि का वर्णन, में अयोध्या, जनकपुरी तथा लंका में नगरीय मार्ग, श्री राम द्वारा सेतुबंध का निर्माण, कृष्ण के समय में मथुरा में रथ दौड़ाने योग्य राज्यमार्ग तथा गोकुल आदि ग्रामों में ग्राम्य सड़क,  राजगीर, पटना में ई.पू. 600 की 7.5 मीटर चौड़ी पत्थर निर्मित सड़क, कौटिल्य के अर्थशास्त्र में सड़कों का विस्तृत उल्लेख, चन्द्रगुप्त मौर्य ई.पू.300, सम्राट अशोक ई.पू. 269, बाबर 1500 ई., शेरशाह सूरी 1540-45 ई. तथा पश्चातवर्ती अनेक शासकों ने मार्ग निर्माण, संधारण तथा प्रबंधन के महत्त्व को समझा। केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (लार्ड डलहौजी द्वारा 1865 में स्थापित), केन्द्रीत सड़क संस्था 1930, भारतीय सड़क कोंग्रेस 1934, परिवहन सलाहकार समिति 1935, नागपुर सड़क योजना 1943, केन्द्रीय सड़क अनुसन्धान संस्था 1950 आदि भारत में सड़क निर्माण तथा यातायात प्रबंधन के क्षेत्र में मील के पत्थर की तरह महत्वपूर्ण है।
यातायात संसाधनों का क्रमिक विकास:
यातायात के प्रकार:
1. थलयान: हाथ गाडी, पशु (बैल, घोडा, भैंसा, हाथी) गाडी, साइकिल, स्कूटर, मोटर साइकिल, कार, ट्रक, बस, टैंक आदि।
2. जलयान: डोंगी, नाव, बज्र, शिकार, जहाज, पनडुब्बी, जलपोत आदि।
3. वायुयान: गुब्बारा, हवाई जहाज, ग्लाइडर, हेलिकोप्टर, रोकेट, अंतरिक्षयान आदि।

थल यातायात के साधन:
1. प्रारम्भिक चरण: पैदल (रेंगना, चलना, दौड़ना, कूदना, फिसलना, तैरना आदि।) 
2. पशु आधारित: घोडा, बैल, भैंस, खच्चर, गधा, शेर, चूहा आदि की सवारी।
3. पक्षी आधारित: मयूर, उल्लू, गरुड़ आदि की सवारी।
4. चक्राधारित: 2 चके- हाथगाड़ी, तांगा, बैलगाड़ी, रथ आदि,  3 चके- हाथगाड़ी, रिक्शा, 4- चके ठेला, कार, ट्रक आदि। 5. बहुचक्र- ट्रोले, ट्रक, टैंकर, रेलगाड़ी आदि।
5. चालनप्रणाली: मनुष्य- स्वयं, हाथठेला, रिक्शा, साइकिल आदि। पशु- स्वयं, तांगा, बैलगाड़ी, रथ आदि।
6. ईंधन चालित: स्कूटर, कार, मोपेड, बस, ट्रक, ऑटोरिक्शा, रेलगाड़ी आदि। 
उक्त में से केवल रेलगाड़ी पटरियों पर चलती है, शेष सभी सड़क पर चलते हैं।
यातायात प्रबन्धन:
यातायात प्रबंधन की दृष्टि से यातायात को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है-
1. स्वतंत्र / निजी यातायात।
2. स्वायत्त संस्था नियंत्रित यातायात।
3. राज्य शासन नियंत्रित यातायात।
4. केंद्र शासन नियंत्रित यातायात।
5. अंतर्राष्ट्रीय यातायात।
6. अंतरिक्षीय यातायात।
अनुज्ञप्ति (लाइसेंसिंग) प्रणाली-
निरंतर बढ़ते यातायात तथा परिवहन संबंधी गतिविधियों के सुचारू सञ्चालन, सम्यक संपादन, प्रभावी नियंत्रण, समुचित सुरक्षा आदि के प्रबंधन हेतु किसी अधिकारी अथवा संस्था की विधिपूर्वक स्थापना, उसके कर्तव्यों, दायित्वों, अधिकारों एवं कार्य विधि का निर्धारण आवश्यक है। ऐसा प्राधिकारी यातायातीय अराजकता को अवरुद्धकर विधि सम्मत गतिविधियों के सम्यक सञ्चालन हेतु अनुमति-पत्र (अनुज्ञप्ति, लाइसेंस, परवाना, पास, टिकिट, टोकन आदि) देकर अथवा न देकर व्यवस्था कायम करता है। व्यवस्था भंग किये जाने पर सम्बंधित को दंड देने का भी उसे अधिकार होता है। वर्तमान में प्रचलित थल यातायात व्यवस्था में निजी, स्थानीय, प्रांतीय, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुज्ञप्ति प्रणाली के स्तर निम्न हैं:
   यातायात का प्रकार        -   अनुज्ञप्ति का अधिकार
1. अन्तरिक्षीय / अंतर्राष्ट्रीय -   अंतर्राष्ट्रीय संगठन, राष्ट्रीय सरकार ।
2. वायु यातायात             -    अंतर्राष्ट्रीय संगठन, राष्ट्रीय सरकार वायुपत्तन प्राधिकरण ।
3. जल यातायात             -    अंतर्राष्ट्रीय संगठन, राष्ट्रीय सरकार- जलपत्तन प्राधिकरण, जिला प्रशासन, ग्राम पंचायत।
4. थल यातायात             -     राष्ट्रीय सरकार, प्रांतीय सरकार, जिला प्रशासन, नगर पालिका / निगम, ग्राम पंचायत, संगठन, व्यक्तिगत।
थल यातायात हेतु विविध स्तरों पर विविध अनुज्ञप्ति प्रदाता अधिकारी निम्नानुसार हैं-
   सड़क हेतु अनुज्ञप्ति का प्रकार              प्राधिकृत अधिकारी                        शैक्षणिक योग्यता
1.सड़क की उपयुक्तता               कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग          सिविल यांत्रिकी  स्नातक
2.वाहन की उपयुक्तता              क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आर.टी.ओ.)           सामान्य स्नातक
3.चालक की उपयुक्तता             क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आर.टी.ओ.)           सामान्य स्नातक
4.ईंधन की उपयुक्तता                   खाद्य नियंत्रक / प्रदूषण अधिकारी            सामान्य स्नातक / प्रदूषण यांत्रिकी
5.प्रवेश हेतु अनुमति                राष्ट्रीय, प्रांतीय, जिला प्रशासन, ग्राम              सामान्य स्नातक
                              
            पंचायत, प्राधिकरण, मंडी आदि।
अनुज्ञप्ति प्रणाली के बिना सुव्यवस्थित यातायात प्रणाली की कल्पना भी नहीं की जा सकती हर देश-काल में सर्वाधिक यातायात सड़क-मार्ग से ही होता है किन्तु यातायात प्रबंधन की दृष्टि से सर्वाधिक अव्यवस्था, लापरवाही, कुप्रबंध, अराजकता, भ्रष्टाचार तथा दुर्घटनाएं इसी क्षेत्र में हैं। आश्चर्य तथा दुःख का विषय है कि सड़क यातायात संबंधी अराजकता के मूल कारण की पहचान करने का कोई प्रयास ही अब तक नहीं किया गया, उपाय खोजना तथा निराकरण तो दूर की बात है।
सड़क यातायात प्रबंधन की असफलता का कारण  
वस्तुतः  सड़क यातायात प्रबंधन की असफलता का दोष पंगु और अक्षम अनुज्ञप्ति प्रणाली को है इसे आमूल-चूल बदले बिना सुप्रबंधन संभव ही नहीं है। सड़क निर्माण तथा संधारण प्राविधि, सड़क निर्माण सामग्री का चयन, सड़क की मोती में विविध परतों का निर्धारण, सड़क की भार धारणक्षमता (लोड बिअरिंग केपेसिटी) का अनुमान, तदनुसार वाहनों को आवागमन की अनुमति देना या न देना, वाहन के इंजिन का प्रकार, प्रयोग किया जा रहा ईंधन, ब्रेक प्रणाली तथा उसके द्वारा व्युत्पन्न धक्के (शाक, जर्क, थ्रस्ट) के बल का अनुमान, चकों की संख्या तथा उनके द्वारा सड़क सतह पर डाले जा रहे भार की गणना, गति तथा गतिजनित बलों की गणना, गति-अवरोधकों (स्पीड ब्रेकरों) का स्थान व आकार, मोड़ों तथा घुमावों का निर्धारण, प्रकाश व्यवस्था, संकेत चिन्हों का प्रकार तथा स्थान निर्धारण आदि कार्य पूरी तरह यांत्रिकी एवं तकनीक से सम्बंधित है किन्तु सड़क निर्माण तथा संधारण को छोड़कर शेष कार्य गैर तकनीकी शिक्षा प्राप्त अधिकारियों द्वारा किये जाते हैं। तकनीकी जानकारीविहीन अधिकारियों के हाथों में सञ्चालन तथा नियंत्रण होना ही अव्यवस्था, अराजकता तथा सड़कों के टूटने का कारण है।
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आर.टी.ओ.) की वर्तमान कार्य प्रणाली
वर्तमान में सड़क यातायात नियंत्रण पूरी तरह गैर तकनीकी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आर.टी.ओ.) तथा यातायात पुलिस के हाथों में है। आर.टी.ओ. ही वाहन-चालन हेतु अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) जारी करते हैं जबकि उन्हें वाहन-चालक हेतु आवश्यक तत्वों (तकनीकी शिक्षा ताकि विविध यंत्रों की कार्यविधि समझ सके, देखने की क्षमता ताकि मार्ग संकेत, मार्ग का किनारा, आते-जाते वाहनों की स्थिति व् गति का अनुमान कर सके, मानसिकता ताकि संकेतों और नियमों का पालन करे आदि) की न तो कोई जानकारी होती है, न किसी जानकार से परामर्श लिया जाता है। सर्वविदित है की आर.टी.ओ.कार्यालय दलालों के अड्डे हैं जहाँ धन व्यय कर कोई भी अनुज्ञप्ति प्राप्त कर सकता है। इस प्रणाली को तत्काल पूरी तरह बदलकर तकनीकी रूप से सक्षम बमय जाना आवश्यक है तभी मार्गों का जीवनकाल बढ़ेगा तथा दुर्घटनाएं कम होंगीं।
1.सड़क की उपयुक्तता:
भारत शासन के भूतल मंत्रालय का सड़क प्रकोष्ठ तथा भारतीय सड़क कोंग्रेस सडक निर्माण की प्रविधियों, गुणवत्ता नियंत्रण आदि के मानक निर्धारित करती हैं। केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग, सीमा सुरक्षा बल, रेल पथ यांत्रिकी सेवा, सीमा सड़क संगठन, प्रांतीय लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, सैन्य अभियांत्रिकी सेवा, नगर निगम / पालिका, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, ग्रामीण सड़क प्राधिकरण, नगर विकास प्राधिकरण, सिंचाई विभाग, कृषि उपज मण्डी, ग्राम पंचायत, वन विभाग आदि विविध शासकीय / अर्ध शासकीय संरचनाएं सड़क निर्माण कार्यों में संलग्न हैं। विस्मय है कि अधिकांश सड़क कार्यों का निष्पादन बिना किसी अभियांत्रिकी मार्गदर्शन के कर रहे हैं। संभवतः यह मान लिया गया है सड़क-निर्माण में किसी विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है तथा कोइ भी यह कार्य कर और करा सकता है। इसका परिणाम गुणवत्ताहीन सड़कों के रूप में सामने है।
यातायात के घनत्व, प्रकार तथा आवृत्ति और उपलब्ध निर्माण सामग्री के आधार पर सड़क का प्रकार जलबंधीय मैकेडम सड़क, डामरी सड़क, सीमेंट कांक्रीट सड़क या  सीमेंट कांक्रीट सड़क तय कर और निर्माण प्रविधि का निर्धारण किया जाता है। यातायात के घनत्व के आधार पर सड़क की चौड़ाई (एक पथीय, दो पथीय, पथीय, चार पथीय या अधिक) का निर्णय किया जाता है। यातायात के घनत्व, चौड़ाई, गति, उपयोग तथा महत्त्व के आधार पर द्रुत महामार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग, प्रांतीय महामार्ग, जिला मार्ग, ग्रामीण मार्ग, पहुँच मार्ग आदि श्रेणी निर्धारित कर तदनुसार निर्माण सामग्री (मिट्टी, मुरम, गिट्टी, डामर मिश्रित गिट्टी, सीमेंट कांक्रीट आदि) की सतह के संदाबन, मोटाई आदि का निर्धारण किया जाता है। गुणवत्ता के लिए सामग्री को विविध परीक्षण कर मानक अनुरूप होने पर ही प्रयोग किया जाता है। सड़क के विविध अंगों (मोटाई, चौड़ाई, ढाल, चढ़ाव, कटाव, भराव, किनाराबंदी (एजिंग), स्कन्ध (बर्म)आदि, संकेत पटल, गति अवरोधक, घर्षण पृष्ठ (विअरिंग कोट), जोड़, फॉर्म वर्क, अधः स्तर (सब ग्रेड), अधः आधार (सब बेस), संदाब (कोम्पैक्शन) आदि के मानकों का पालन आवश्यक है।
2.वाहन की उपयुक्तता:
वाहन कारखानों में निर्माण के समय निर्धारित मानकों का पालन होने पर भी सड़क पर वाहन उतारे जाते समय उसमें कोई त्रुटि तो नहीं है, वाहन के आवागमन के लिए सड़क पर्याप्त मजबूत है या नहीं, सड़क की हालत वाहन के भार सहन करने योग्य है या नहीं देखे बिना ही लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। अनुज्ञप्ति अधिकारी तथा वाहन स्वामी / चालाक की अनभिज्ञता के कारण सड़क तथा वाहन दोनों शीघ्र ख़राब होते हैं तथा दुर्घटनाओं में जन-धन की हानि होती है। अनुज्ञप्ति प्रदाय समिति में सिविल तथा मैकेनिकल इंजीनियर हों तो यह स्थिति सुधर सकती है।
3.चालक की उपयुक्तता:
वर्तमान में निर्धारित शुल्क तथा अतिरिक्त राशी का भुगतान कर अनुज्ञप्ति कोई भी प्राप्त कर सकता है। अकुशल चालक दुर्घटनाओं का कारण होता है। चालाक को अनुज्ञप्ति दिए जाने के पूर्व उसे वाहन के विविध हिस्सों तथा यंत्रों के नाम-कार्य विधि-उपयोग करने संबंधी जानकारी, यातायात चिन्हों की समझ, वाहन चालन में दक्षता, नियम पालन की प्रवृत्ति रंगों को देख-पहचानने की क्षमता, एनी वाहनों के हार्न सुन पाने और उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की क्षमता, त्वरित निर्णय लेकर क्रियांवित करने की क्षमता का परीक्षण चिकित्सक द्वारा किया जाना जरूरी है।
4.ईंधन की उपयुक्तता: वाहन चालन में जलाये गये ईधन से उत्सर्जित धुआँ तथा इंजिन व वाहन की ध्वनि से क्रमशः धूम्र तथा ध्वनि प्रदूषण होता है। ईंधन की गुणवत्ता की जांच खाद्य अधिकारी / निरीक्षक द्वारा की जाती है जो तकनीक तथा जानकारीविहीन होते हैं। म. प्र. प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अनुसार वाहन जनित प्रदूषण की सीमा निम्नानुसार होनी चाहिए-

वाहन की श्रेणी    कार्बन मोनो ऑक्साइड सल्फर डाई ऑक्साइड  हाइड्रोकार्बन   नाइट्रस ऑक्साइड
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पेट्रोल चलित           3.5 प्रतिशत                0.2प्रतिशत      13.8प्रतिशत       6.0प्रतिशत
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डीजल चलित           0.2 प्रतिशत                0.1प्रतिशत        0.4प्रतिशत       0.5प्रतिशत
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यूरो 1 ग्राम/कि.मी.    2.72                          0.97                                      0.97
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दुष्प्रभाव               रक्तसंचार में बाधा     श्वसन क्रिया में बाधा       नजला
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5.प्रवेश हेतु अनुमति:
 सड़क, सेतु आदि पर प्रवेश के पूर्व शुल्क संग्रहण से निर्माण लागत वापिस प्राप्त करना अपरिहार्यता के बाद भी न्यूनतम तथा सीमित समय के लिए होता है। लागत तथा संधारण तकनीकी विभाग द्वारा किया जाता है। अतः, वसूली का निर्धारण भी तकनीकी अभियंता द्वारा किया जाना चाहिए। सडक, वाहन, वाहन पर लड़ा भार आदि का सड़क पर पड़नेवाला प्रभाव अभियंता ही जान सकता है। मौसम भी सड़क की भारवहन क्षमता को प्रभावित करता है।
वर्षाकाल तथा हिमपात के समय सड़क के नीचे की सतह गीली तथा नर्म होने से भारवहन क्षमता कम हो जाना स्वाभाविक है।          
सक्षम क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आर.टी.ओ.) समिति हेतु आवश्यकताएँ
उक्त से स्पष्ट है कि वर्तमान अक्षम क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आर.टी.ओ.) के स्थान पर निम्नानुसार एक सक्षम-कार्य कुशल अनुज्ञप्ति प्रदाता समिति सड़क, वाहन तथा चालक की जांच करे तथा उपयुक्तता के आधार पर ही यातायात की अनुमति दे। समिति में निम्न का होना अनिवार्य किया जाए-
1. स्नातक सिविल अभियंता:
वाहन चालक अनुज्ञप्ति प्रदाता समिति का प्रमुख एक स्नातक सिविल इंजीनियर हो जो सड़क निर्माण की सामग्री, प्रविधि, मानकों, रूपांकन आदि का जानकर हो ताकि सड़क की मजबूती और भार वहन क्षमता का सही आकलन कर सके। उसे यातायात संकेतों के प्रकार और स्थान, प्रकाश की मात्रा और विद्युत खम्भों के स्थान, गति अवरोधकों के आकार-प्रकार तथा स्थान निर्धारण, पुल-पुलियों की निर्माण विधि, भारवहन क्षमता, भार वितरण, चालित भार से उत्पन्न बेन्डिंग मोमेंट्स, बलों आदि की जानकारी होना आवश्यक है।
2. स्नातक यांत्रिकी अभियंता:
वाहन चालक अनुज्ञप्ति प्रदाता समिति का सदस्य एक स्नातक मेकेनिकल इंजीनियर हो जो वाहन के इंजिन के रूपांकन व कार्य प्रणाली, ईंधन के प्रभाव, उससे उत्पन्न होनेवाले धूम्र-ध्वनि प्रदूषण तथा कम्पनजनित प्रभावों का जानकार हो। वह चढ़ावों-उतारों, आकस्मिक ब्रेक लगाने आदि स्थितियों में वाहन के व्यवहार का पूर्वानुमान कर उपयुक्त होने पर ही वहां को अनुज्ञप्ति दिए जाने की अनुशंसा करे। उसे चालक द्वारा वाहन को संचालित तथा नियंत्रित करने की क्षमता का भी आकलन करना होगा। वह वाहन में उपलब्ध हैड लाइटों, सड़क पर उपलब्ध प्रकाश व्यवस्था आदि का अनुमान कर सड़क पर वाहन के चलने के समय का अनुमान कर तदनुसार निर्देश देगा ताकि प्रकाश का अभाव दुर्घटना का कारण न बने।
3. स्नातक चिकित्सक:
वाहन चलन अनुज्ञप्ति डाटा समिति में तीसरा सदस्य एक स्नातक चिकित्सक हो जो वाहन चालक के देखने-सुनने तथा प्रतिक्रिया करने की क्षमता का आकलन करेगा ताकि वह वाहन चलते समय अपने व अन्य वाहनों की स्थिति, गति आदि अनुमान कर अथवा मार्ग संकेत को देखकर या मार्ग पर कोई आपदा (दुर्घटना, बाढ़ का पानी, अग्नि, दरार आदि) होने की स्थिति में वाहन की गति नियंत्रित कर सके या रोक सके। चिकित्सक को मनोविज्ञान की भी सामान जानकारी होना आवश्यक है ताकि वह चालक को अनुज्ञप्ति की अनुशंसा करने के पूर्व उसमें रंगों व् मार्ग संकेतों को पहचानने, नियम पालन करने, संकटग्रस्त को मदद करने, धैर्य-सहिष्णुता आदि की परख कर सके।
उक्त अनुसार परिवर्तन किये जाने पर ही सडक, वाहन त्तथा पुल-पुलियों की उम्र बढ़ेगी दुर्घटनाएं घटेंगी तथा जन-गन सुरक्षित होगा।
भवन, सड़क, पुल देश की, उन्नति के सोपान,
सतत करें उपयोग पर, रखिये यह भी ध्यान।
रखिये यह भी ध्यान, प्रदूषण फ़ैल न पाए।
वाहन चालन का अधिकार योग्य ही पाए।।
पौधारोपण कर घटाइये, दूषण-संकुल-
'सलिल' कहानी कहें प्रगति की, भवन-सड़क-पुल।।

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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
D.C.E., B.E., M.A. (Economics, Philosophy), LL-B., Dip. Journalism.
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in.divyanarmada
094251 83244 / 0761 2411131
AND
Rakesh Rathaor
B.E., M.E.
Chairman IEI jabalpur Centre.

गीत: प्रिये तुम्हारा रूप ... संजीव 'सलिल'

गीत:
प्रिये! तुम्हारा रूप ...
संजीव 'सलिल'
*
प्रिये! तुम्हारा रूप,
झलक जो देखे वह हो भूप।
बंकिम नयन-कटाक्ष
देव की रचना नव्य अनूप।
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प्रिये! तुम्हारा रूप,
भरे अंजुरी में क्षितिज अनूप।
सौम्य उषा सा शांत
लालिमा सात्विक रूप अरूप।
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प्रिये! तुम्हारा रूप,
देख तन सोचे कौन अरूप।
रचना इतनी रम्य
रचे जो कैसा दिव्य स्वरूप।
*
प्रिये! तुम्हारा रूप,
कामनाओं का काम्य स्तूप।
शीतल छाँह समेटे
आँचल में ज्यों आये धूप।
*
प्रिये! तुम्हारा रूप,
करे बिम्बित ज्यों नभ को कूप।
श्वेत-श्याम-रतनार
गव्हर-शिख, थिर-चंचला सुरूप।
*  

विशेष रचना: विजयादशमी ...? राकेश खंडेलवाल

विशेष गीत:










विजयादशमी ...?
राकेश खंडेलवाल 
  *
विजयादशमी विजय पर्व है विजयी कौन हुआ है लेकिन
 
जाने कितने दिन बीते हैं एक प्रश्न को लेकर फ़िरते
कभी धूप में तपे , ओढ़ कर कभी गगन पर बादल घिरते
चट्टानों के दृढ़ सीने से लौटा है सवाल टकराकर
और बह गया बिन उत्तर के नदिया की धारा में तिरते
 
रहा कौंधता यही प्रश्न इक हर इक प्रहर और हर पल छिन
विजयादशमी विजय पर्व है, विजयी कौन हुआ है लेकिन
 
रामकथा ने बतलाया था हुआ अस्त इस दिन दशकन्धर
जिसकी खातिर अनायास ही बन्धन में था बँधा समन्दर
थी अस्त्य पर विजय सत्य की, तना न्याय का गर्वित सीना
एक तीर ने सोख लिया था आर्यावर्त पर टँका ववंडर
 
रातें हुईं चाँदनी तब से,मढ़े स्वर्ण से थे सारे दिन
विजयादशमी विजय पर्व है, विजयी कौन हुआ है लेकिन
 
पर वो तब की बातें थीं जो मन को तो बहला देती हैं
किन्तु उदर की यज्ञाग्नि में आहुति एक नहीं देती हैं
सपनों के खींचे चित्रों से टकराता है स्थिति का पत्थर
तो मुट्ठी में शेष रही बस जमना के तट की रेती है
 
आशवासन चुभते हैं मन में जैसे चुभती हो तीखी पिन
विजयादशमी विजय पर्व है, विजयी कौन हुआ है लेकिन
 
कल के स्वर्णिम आश्वासन में रँगते हुये बरस बीते हैं
मेहमां एक निशा का है तम गाते गाते दिन बीते हैं
इन्द्रधनुष के परे स्वर्ण मुद्राओं की बातों में उलझे
जितने कलश खोल; कर देखे पाये सब के सब रीते हैं
 
नवजीवन की आंखें खुलती हैं तो अब आशाओं के बिन
विजयादशमी विजय पर्व है, विजयी कौन हुआ है लेकिन
 
अपना बस इतिहास लगाये सीने से कब तक जीना है
कब तक उगी प्यास को आंखों का ही गंगाजल पीना है
जीवन की चौसर पर बाजी कब कब किसके साथ रहे एहै
मा फ़लेषु को छोड़ अधूरा ही श्लोक  गया बीना है
 
जिन खोजा तिन पाया सुनते आये, दिखता कहीं नहीं तिन
विजयादशमी विजय पर्व है, विजयी कौन हुआ है लेकिन
 
नहीं जीत का नहीं पराजय का ही पल हासिल हो पाया
इस यात्रा में कितना हमने खोया और भला क्या पाया
क्षणिक भ्रमों में अपनी जय का कर लेते उद्गोष भले ही
लेकिन सांझ ढले पर एकाकीपन महज साथ दे पाया
 
चुकता नहीं सांस की पूंजी का धड़कन दे देकर भी ॠन
विजयादशमी विजय पर्व है, विजयी कौन हुआ है लेकिन
 
विजयी कौन? अराजकता के दिन प्रतिदिन बढ़ते शासन में
विजयी कौन? एक वह जिसको सांसें मिलती हैं राशन में
जयश्री का अपहरण किये बैठे हैं सामन्तों के वंशज
विजयी कौन?विजय के होते नये नये नित अनुवादन में
 
सत्यमेव जयते का नारा, काट रहा अपने दिन गिन गिन
विजयादशमी विजय पर्व है, विजयी कौन हुआ है लेकिन
 
विजयी वह को हिन्दी का सम्मेलन करता है विदेश में
विजयी वह जो लक्ष्मी ढूँढ़ा करता आयातित गणेश में
विजयी वह जो फ़टी गूदड़ी भी तन से उतार लेता है
विजयी वह जो दोनों हाथों से संचय करता प्रदेश में
 
विजयी नहीं सपेरा, बजवाती जो बीन वही इक नागिन
विजयादशमी विजय पर्व है विजयी कौन हुआ है लेकिन
 
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