स्मृति गीत
प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई।
उद्योगों से नव उन्नति की राह देश को दिखलाई...
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भू-सुत एम.व्ही. खुद बाढ़ों की विभीषिका से जूझे थे।
जलप्लावन का किया सामना, दृढ़ निर्माण अबूझे थे॥
'बाढ़-द्वार' से बाढ़ नियंत्रण कर जनहित की अगुआई
प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...
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जल-प्रदाय का किया प्रबंधन, बाधाओं से टकराए।
आंग्ल यंत्रियों की प्रभुता से कभी न किंचित घबराए।।
जन्म जात प्रतिभा-क्षमता का लोहा जग माना की पहुनाई
प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...
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कार-वस्त्र-उद्योग-नीतियाँ बना क्रियान्वय करवाया।
पचसाला योजना बनाकर जग में झन फहराया।।
कर्मवीर ने कर्मयोग की विजय दुंदुभि गुंजाई
प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...
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बापू से आदेश मिल तो कोसी नद की बाढ़ से।
बचने के उपाय बतलाए, देश बच यम-दाढ़ से ।।
अंग्रेजों ने भेजी निधि तो ग्रहण न कार थी लौटाई
प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...
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सजग रेल यात्राओं में रह टूटी पटरी पहचानी।
सेतु-खंब की तिरछाई भी, दूर कराने की ठानी।।
शासकीय सुविधाएँ न लेकर, नैतिकता थी दर्शाई
प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...
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सीख एम.व्ही. की भूले हम कच्चे पर्वत खोद दिए।
सेतु-सुरंगें-मार्ग बनाकर संकट अनगिन खड़े किए।।
घिरे श्रमिक जन गण विपदा में हुई देश की रुसवाई
प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...
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अभियंता मिल आज शपथ लें, प्रकृति को माँ समझेंगे।
तदनुसार निर्माण नए कर गुणवत्ता को परखेँगे ।।
'सलिल' एम.व्ही. के पथ पर अब चले देश की तरुणाई
प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...
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संपर्क- ९४२५१८३२४४
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