सलिल सृजन ८ दिसंबर
सॉनेट
शक्ति
●
आत्म चेतना परम शक्ति है
तंत्र शक्ति अर्जन की विधि है
यंत्र सुनिर्मित अक्षय निधि है
शक्ति न साध्य मात्र साधन है
शक्तिमान को जगत पूजता
कार्य-सिद्धि हित आराधन है
पंथ न कोई अन्य सूझता
शक्ति आत्म-परमात्म मिलाए
मिटा स्वार्थ सर्वार्थ लक्ष्य वर
श्वास-आस सह रास रचाए
इसकी टोपी उसके सिर न धर
शक्ति-भक्ति कर; मुक्ति-युक्ति कर
अनहद में लय कर अपना स्वर
संजीव
८-१२-२०२२
रॉयल डे कासा, गुवाहाटी
•••
सॉनेट
सच
*
अपनी कहे, न सुने और की।
कुर्सी बैठा अति का स्याना।
करुण कथा लिख रहा दौर की।।
बौने कहते खुद को ऊँचा।
सागर को बतलाते मीठा।
गत पर थूक हो रहा नीचा।।
कुकुर चाटे दौना जूठा।।
गर्दभ बाघांबर धारण कर।
सीना ताने रेंक रहा है।
हर मुद्दे पर मुँह की खाकर।।
ऊँची-ऊँची फेंक रहा है।।
जिसने हाँ में हाँ न मिलाई।
उसकी समझो शामत आई।।
८-१२-२०२१
***
मुक्तिका
*
बैठ अँगना में ताकिए अंबर
भोर की हवा संग जी जाएँ
*
क्या मिला तुमको कैसे बतलाएँ
*
गौर करिए दिख रही गौरैया
दूर हमसे न फिर ये हो पाएँ
*
काश कोविद बिना ही हम इंसां
खुद पे अंकुश लगा, सुधर जाएँ
*
साथ संजीव के उठा पुस्तक
पढ़ सकें, क्या मिला बता पाएँ
८-१२-२०२०
***
भारत की प्रमुख जनजातियाँ
आंध्र प्रदेश: चेन्चू, कोचा, गुड़ावा, जटापा, कोंडा डोरस, कोंडा कपूर, कोंडा रेड्डी, खोंड, सुगेलिस, लम्बाडिस, येलडिस, येरुकुलास, भील, गोंड, कोलम, प्रधान, बाल्मिक।
असम व नगालैंड: बोडो, डिमसा गारो, खासी, कुकी, मिजो, मिकिर, नगा, अबोर, डाफला, मिशमिस, अपतनिस, सिंधो, अंगामी।
महाराष्ट्र: भील, गोंड, अगरिया, असुरा, भारिया, कोया, वर्ली, कोली, डुका बैगा, गडावास, कामर, खडिया, खोंडा, कोल, कोलम, कोर्कू, कोरबा, मुंडा, उरांव, प्रधान, बघरी।
पश्चिम बंगाल: होस, कोरा, मुंडा, उरांव, भूमिज, संथाल, गेरो, लेप्चा, असुर, बैगा, बंजारा, भील, गोंड, बिरहोर, खोंड, कोरबा, लोहरा।
हिमाचल प्रदेश: गद्दी, गुर्जर, लाहौल, लांबा, पंगवाला, किन्नौरी, बकरायल।
मणिपुर: कुकी, अंगामी, मिजो, पुरुम, सीमा।
मेघालय: खासी, जयन्तिया, गारो।
त्रिपुरा: लुशाई, माग, हलम, खशिया, भूटिया, मुंडा, संथाल, भील, जमनिया, रियांग, उचाई।
कश्मीर: गुर्जर।
गुजरात: कथोड़ी, सिद्दीस, कोलघा, कोटवलिया, पाधर, टोडिय़ा, बदाली, पटेलिया।
उत्तर प्रदेश: बुक्सा, थारू, माहगीर, शोर्का, खरवार, थारू, राजी, जॉनसारी।
उत्तरांचल: भोटिया, जौनसारी, राजी।
केरल: कडार, इरुला, मुथुवन, कनिक्कर, मलनकुरावन, मलरारायन, मलावेतन, मलायन, मन्नान, उल्लातन, यूराली, विशावन, अर्नादन, कहुर्नाकन, कोरागा, कोटा, कुरियियान,कुरुमान, पनियां, पुलायन, मल्लार, कुरुम्बा।
छत्तीसगढ़: कोरकू, भील, बैगा, गोंड, अगरिया, भारिया, कोरबा, कोल, उरांव, प्रधान, नगेशिया, हल्वा, भतरा, माडिया, सहरिया, कमार, कंवर।
तमिलनाडु: टोडा, कडार, इकला, कोटा, अडयान, अरनदान, कुट्टनायक, कोराग, कुरिचियान, मासेर, कुरुम्बा, कुरुमान, मुथुवान, पनियां, थुलया, मलयाली, इरावल्लन, कनिक्कर,मन्नान, उरासिल, विशावन, ईरुला।
कर्नाटक: गौडालू, हक्की, पिक्की, इरुगा, जेनु, कुरुव, मलाईकुड, भील, गोंड, टोडा, वर्ली, चेन्चू, कोया, अनार्दन, येरवा, होलेया, कोरमा।
उड़ीसा: बैगा, बंजारा, बड़होर, चेंचू, गड़ाबा, गोंड, होस, जटायु, जुआंग, खरिया, कोल, खोंड, कोया, उरांव, संथाल, सओरा, मुन्डुप्पतू।
पंजाब: गद्दी, स्वागंला, भोट।
राजस्थान: मीणा, भील, गरसिया, सहरिया, सांसी, दमोर, मेव, रावत, मेरात, कोली।
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह: औंगी आरबा, उत्तरी सेन्टीनली, अंडमानी, निकोबारी, शोपन।
अरुणाचल प्रदेश: अबोर, अक्का, अपटामिस, बर्मास, डफला, गालोंग, गोम्बा, काम्पती, खोभा मिसमी, सिगंपो, सिरडुकपेन।
विश्व की प्रमुख जनजातियाँ
एस्किमों – एस्कीमों जनजाति उत्तरी अमेरिका के कनाड़ा, ग्रीनलैण्ड और साइबेरिया क्षेत्र में पाई जाती है !
यूकाधिर – यह साइबेरिया में रहने वाली जनजाति है। यह मंगोलाइड प्रजाति से संबंधित जनजाति है, इनकी आँखें आधी खुली होती है और रंग पीला होता है !
ऐनू – यह ‘जापान’ की जनजाति है !
बुशमैन – यह दक्षिण अफ्रीका और अफ्रीका के कालाहारी मरूस्थल में पाई जाने वाली जनजाति है !
अफरीदी – पाकिस्तान !
माओरी – न्यूजीलैण्ड, आॅस्टेलिया।
मसाई – अफ्रीका के कीनिया में पाई जाने वाली जनजाति है !
जुलू – दक्षिण अफ्रीका के नेटाल प्रांत में !
बद्दू – अरब के मरूस्थल में पाई जाने वाली जनजाति है !
पिग्मी – कांगो बेसिन (अफ्रीका) !
पापुआ – न्यूगिनी !
रेड इण्डियन – दक्षिण अमेरिका !
लैप्स – फिनलैण्ड और स्काॅटलैण्ड !
खिरगीज – मध्य एषिया के स्टेपी क्षेत्र !
बोरो – अमेजन बेसिन !
बेद्दा – श्रीलंका !
सेमांग – मलेशिया !
माया – मेक्सिको !
फूलानी – अफ्रीका के नाइजीरिया में !
बांटू – दक्षिणी एवं मध्य अफ्रीका !
बोअर – दक्षिणी अफ्रीका !
८.१२.२०१८
***
छंद सलिला :
माया छंद
*
छंद विधान: मात्रिक छंद, दो पद, चार चरण, सम पदांत,
दूसरा तीसरा चरण : लघु गुरु लघु-गुरु गुरु लघु-लघु गुरु लघु-गुरु गुरु।
उदाहरण:
१. आपा न खोयें कठिनाइयों में, न हार जाएँ रुसवाइयों में
रुला न देना तनहाइयों में, बोला अबोला तुमने कहो क्यों?
२. नादानियों का करना न चर्चा, जमा न खोना कर व्यर्थ खर्चा
सही नहीं जो मत आजमाओ, पाखंडियों की करना न अर्चा
३. मौका मिला तो न उसे गँवाओ, मिले न मौक़ा हँस भूल जाओ
गिरो न हारो उठ जूझ जाओ, चौंके ज़माना बढ़ लक्ष्य पाओ
***
दोहा-दोहा शिव बसे
.
शिव न जोड़ते श्रेष्ठता, शिव न छोड़ते त्याज्य.
.
शिव सत् के पर्याय हैं, तभी सती के नाथ.
अंग रमाते असुंदर, सुंदर धरते माथ.
.
शिव न असल तजते कभी, शिव न नकल के साथ.
शिव न भरोसे भाग्य के, शिव सच्चे जग-नाथ.
.
शिव नअशिव से दूर हैं, शिव न अशिव में लीन.
दंभ न दाता सा करें कभी न होते दीन.
.
शिव ही मंगलनाथ हैं शिव ही जंगलनाथ.
जंगल में मंगल करें, विष-अमृत ले साथ.
.
शिव सुरारि-असुरारि भी, शिव त्रिपुरारि अनंत.
शिव सचमुच कामरि हैं, शिव रति-काम सुकंत.
.
शिव माटी के पूत हैं, शिव माटी के दूत.
माटी-सुता शिवा वरें, शिव अपूत हो पूत.
.
शिव असार में सार हैं, शिव से है संसार.
सलिल शीश पर धारते, सलिल शीश पर धार.
.
शिव न साधना लीन हों, शिव न साधना-मुक्त.
शिव न बाह्य अन्तर्मुखी, शिव संयुक्त-विमुक्त.
८.१२.२०१७
...
मुक्तक
माँ
माँ की महिमा जग से न्यारी, ममता की फुलवारी
संतति-रक्षा हेतु बने पल भर में ही दोधारी
माता से नाता अक्षय जो पाले सुत बडभागी-
नारी
नर से दो-दो मात्रा भारी, हुई हमेशा नारी
अबला कभी न इसे समझना, नारी नहीं बिचारी
माँ, बहिना, भाभी, सजनी, सासु, साली, सरहज भी
सखी न हो तो समझ जिंदगी तेरी सूखी क्यारी
*
पत्नि
पति की किस्मत लिखनेवाली पत्नि नहीं है हीन
भिक्षुक हो बारात लिए दर गए आप हो दीन
करी कृपा आ गयी अकेली हुई स्वामिनी आज
कद्र न की तो किस्मत लेगी तुझसे सब सुख छीन
*
दीप प्रज्वलन
शुभ कार्यों के पहले घर का अँगना लेना लीप
चौक पूर, हो विनत जलाना, नन्हा माटी-दीप
तम निशिचर का अंत करेगा अंतिम दम तक मौन
आत्म-दीप प्रज्वलित बन मोती, जीवन सीप
*
परोपकार
अपना हित साधन ही माना है सबने अधिकार
परहित हेतु बनें समिधा, कब हुआ हमें स्वीकार?
स्वार्थी क्यों सुर-असुर सरीखा मानव होता आज?
नर सभ्यता सिखाती मित्रों, करना पर उपकार
*
एकता
तिनका-तिनका जोड़ बनाते चिड़वा-चिड़िया नीड़
बिना एकता मानव होता बिन अनुशासन भीड़
रहे-एकता अनुशासन तो सेना सज जाती है-
देकर निज बलिदान हरे वह, जनगण कि नित पीड़
*
असली गहना
असली गहना सत्य न भूलो
धारण कर झट नभ को छू लो
सत्य न संग तो सुख न मिलेगा
भोग भोग कर व्यर्थ न फूलो
६.१२.२०१६
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें