








मुक्तिका
हुआ अमावस सा मन









बह्र 
22 22 22


फ़ैलुन फ़ैलुन फ़ैलुन
काफ़िया
अन 


रदीफ़
ग़ैर मुरद्दफ़ 


***
हुआ अमावस सा मन
तुझ बिन मेरे साजन
तेरी राह निहारे
पल पल होकर उन्मन
बाँहों में बँध झूमे
होकर फागुन-सावन
अपलक झलक निहारे
गुपचुप बाँकी चितवन
रजनी में हो सजनी
पुलकित; मन वृंदावन
द्वैत न किंचित भाए
अद्वैती हर्षित तन
दीवाली को होली
करे प्रीत मन भावन
१३-११-२३
***
इसी बह्र पर फ़िल्मी गीत








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