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शनिवार, 4 नवंबर 2023

नरक चौदस, दोहा गीत, गणितीय दोहा मुक्तक, पैरोडी, नवगीत, एकाक्षरी श्लोक, दोही छंद नवंबर, लक्ष्मी

सॉनेट
चाँद हुआ गुस्से से लाल,
पड़ी चाँदनी भय से पीत,
तोड़ रहा मानव क्यों रीत?
अंतरिक्ष में करें धमाल।
काटे जंगल, पूरे ताल,
नहीं किसी से करता प्रीत,
लोभ-स्वार्थ को सका न जीत,
न्योत रहा खुद अपना काल।
जल-थल-नभ को कर दूषित
साँस न ले पाता है आप,
बुझे न प्यास, न भूख मिटे।
लोभ-स्वार्थ को कर पोषित,
पाप गया मानव में व्याप, 
अपने हाथों आप पिटे।
४.११.२०२३
•••
मुक्तिका
चाँद पर
गोलमाल है गोल धरा पर, चलो चाँद पर।
रहे गोल में पोल धरा पर, चलो चाँद पर।।

नहीं वहन पर काला धब्बा नेता जी! पर
कथनी-करनी मन भी काला, चलो चाँद पर।।

लोकतंत्र यह लोभतंत्र कृत शोकतंत्र है।
रोकतंत्र है, टोंकतंत्र है चलो चाँद पर।।

जनमत की जनतंत्र में नहीं, जगह जरा भी
दलित का दलतंत्र दलदली, चलो चाँद पर।। 

प्रजातंत्र में तंत्र प्रजा पर कसे शिकंजा
गन थामे गणतंत्र दल-बदल चलो चाँद पर।।

कह-मनवा, सुन-मान न तू जन-गण के सच को
वादे कर जुमला बतला, कह चलो चाँद पर।।

अपने मुँह अपना गुण गा, पर निंदा कर तू
जाए भाड़ में धरा, फेर मुँह चलो चाँद पर।।
४.११.२०२३
•••
लक्ष्मी जी के 108 नाम

1. प्रकृती, 2. विकृती, 3. विद्या, 4. सर्वभूतहितप्रदा, 5. श्रद्धा, 6. विभूति, 7. सुरभि, 8. परमात्मिका, 9. वाचि, 10. पद्मलया, 11. पद्मा, 12. शुचि, 13. स्वाहा, 14. स्वधा, 15. सुधा, 16. धन्या, 17. हिरण्मयी, 18. लक्ष्मी, 19. नित्यपुष्टा, 20. विभा, 21. आदित्य, 22. दित्य, 23. दीपायै, 24. वसुधा, 25. वसुधारिणी, 26. कमलसम्भवा, 27. कान्ता, 28. कामाक्षी, 29. क्ष्रीरोधसंभवा, क्रोधसंभवा, 30. अनुग्रहप्रदा, 31. बुध्दि, 32. अनघा, 33. हरिवल्लभि, 34. अशोका, 35. अमृता, 36. दीप्ता, 37. लोकशोकविनाशि, 38. धर्मनिलया, 39. करुणा, 40. लोकमात्रि, 41. पद्मप्रिया, 42. पद्महस्ता, 43. पद्माक्ष्या, 44. पद्मसुन्दरी, 45. पद्मोद्भवा, 46. पद्ममुखी, 47. पद्मनाभाप्रिया, 48. रमा, 49. पद्ममालाधरा, 50. देवी, 51. पद्मिनी, 52. पद्मगन्धिनी, 53. पुण्यगन्धा, 54. सुप्रसन्ना, 55. प्रसादाभिमुखी, 56. प्रभा, 57. चन्द्रवदना, 58. चन्द्रा, 59. चन्द्रसहोदरी, 60. चतुर्भुजा, 61. चन्द्ररूपा, 62. इन्दिरा, 63. इन्दुशीतला। 64. आह्लादजननी, 65. पुष्टि,66. शिवा, 67. शिवकरी, 68. सत्या, 69. विमला, 70. विश्वजननी, 71. तुष्टि, 72. दारिद्र्यनाशिनी, 73. प्रीतिपुष्करिणी, 74. शान्ता, 75. शुक्लमाल्यांबरा, 76. श्री, 77. भस्करि। 78. बिल्वनिलया, 79. वरारोहा, 80. यशस्विनी, 81. वसुन्धरा, 82. उदारांगा, 83. हरिणी, 84. हेममालिनी, 85. धनधान्यकी, 86. सिध्दि, 87. स्त्रैणसौम्या, 88. शुभप्रदा, 89. नृपवेश्मगतानन्दा, 90. वरलक्ष्मी, 91. वसुप्रदा। 92. शुभा, 93. हिरण्यप्राकारा, 94. समुद्रतनया, 95. जया, 96. मंगला देवी, 97. विष्णुवक्षस्स्थलस्थिता, 98. विष्णुपत्नी, 99. प्रसन्नाक्षी, 100. नारायणसमाश्रिता, 101. दारिद्र्यध्वंसिनी, 102. देवी, 103. सर्वोपद्रव वारिणी, 104. नवदुर्गा, 105. महाकाली, 106. ब्रह्माविष्णुशिवात्मिका, 107. त्रिकालज्ञानसम्पन्ना, 108. भुवनेश्वरी । 
***
हिंदी वैभव - समानार्थी शब्द : हाथी
कुञ्जरः,गजः,हस्तिन्, हस्तिपकः,द्विपः, द्विरदः, वारणः, करिन्, मतङ्गः, सुचिकाधरः, सुप्रतीकः, अङ्गूषः, अन्तेःस्वेदः, इभः, कञ्जरः, कञ्जारः, कटिन्, कम्बुः, करिकः, कालिङ्गः, कूचः, गर्जः, चदिरः, चक्रपादः, चन्दिरः, जलकाङ्क्षः, जर्तुः, दण्डवलधिः, दन्तावलः, दीर्घपवनः, दीर्घवक्त्रः, द्रुमारिः, द्विदन्तः, द्विरापः, नगजः, नगरघातः, नर्तकः, निर्झरः, पञ्चनखः, पिचिलः, पीलुः, पिण्डपादः, पिण्डपाद्यः, पृदाकुः, पृष्टहायनः, पुण्ड्रकेलिः, बृहदङ्गः, प्रस्वेदः, मदकलः, मदारः, महाकायः, महामृगः, महानादः, मातंगः, मतंगजः, मत्तकीशः, राजिलः, राजीवः, रक्तपादः, रणमत्तः, रसिकः, लम्बकर्णः, लतालकः, लतारदः, वनजः, वराङ्गः, वारीटः, वितण्डः, षष्टिहायनः, वेदण्डः, वेगदण्डः, वेतण्डः, विलोमजिह्वः, विलोमरसनः, विषाणकः।
(आभार - जमुना कृष्णराज)
***
कार्य शाला
छंद सलिला ;
दोही छंद
*
लक्षण छंद -
चंद्र कला पंद्रह शुभ मान, रचें विषम पद आप।
एक-एक ग्यारह सम जान, लघु पद-अंत सुमाप।।
*
उदाहरण-
स्नेह सलिल अवगाहन करे, मिट जाए भव ताप।
मदद निबल की जो नित करे, हो जाए प्रभु जाप।।
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नवंबर : कब - क्या?
०१ गुरु गोविंद सिंह पुण्यतिथि
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ दिवस
०३ संत दयाराम वाला जयंती
०४ गणितविद् शकुंतला देवी जयंती १९९९, प्रतिदत्त ब्रह्मचारी जन्म
०५ अक्षय/आँवला जयंती
०६ अभिनेता संजीव कुमार निधन
०७ भौतिकीविद् चंद्रशेखर वेंकटेश्वर रमण जन्म १८८८
०८ देव उठनी एकादशी, गन्ना ग्यारस, तुलसी विवाह, संत नामदेव जयंती, महाकवि कालिदास जयंती।
१० मिलाद-उन-नबी, महाप्रसाद अग्निहोत्री निधन।
१२ गुरु नानक देव जयंती, म. सुदर्शन जयंती, महामना मालवीय निधन १९४६।
१३ भेड़ाघाट मेला।
१४ बाल दिवस, जवाहरलाल नेहरू जयंती, विश्व मधुमेह दिवस।
१५ बिरला मुंडा जयंती, समय विनोबा दिवस, जयशंकर प्रसाद निधन १९३७।
१६ विश्व सहिष्णुता दिवस, सचिव तेंदुलकर रिटायर २०१३।
१७ लाला लाजपतराय बलिदान दिवस १९२८, बाल ठाकरे दिवंगत २०१२, तुकड़ोजी जयंती, भ. मायानंद चैतन्य जयंती।
१८ काशी विश्वनाथ प्रतिष्ठा दिवस।
१९ म. लक्ष्मीबाई जयंती १८२८, इंदिरा गाँधी जयंती १९१७, मातृ दिवस
२१- भौतिकीविद् चंद्र शेखर वेंकट रमण निधन १९७०
२२ झलकारी बाई जयंती, दुर्गादास पुण्यतिथि।
२३ सत्य साई जयंती, जगदीश चंद्र बलि निधन १९३७।
२४ गुरु तेगबहादुर बलिदान, अभिनेता महीपाल जन्म १९१९, अभिनेत्री टुनटुन निधन २००३, साहित्यकार महीप सिंह २०१५, ।
२६ डॉ. हरि सिंह गौर जयंती।
२७ बच्चन निधन १९०७।
२८ जोतीबा फूले निधन १८९०।
२९ शरद सिंह १९६३।
३० जगदीश चंद्र बसु जन्म १८५८, मायानंद चैतन्य जयंती, मैत्रेयी पुष्पा जन्म।
***
संस्कृत - चमत्कारी भाषा
*
एकाक्षरी श्लोक
महाकवि माघ ने अपने महाकाव्य 'शिशुपाल वध' में एकाक्षरी श्लोक दिया है -
दाददो दुद्ददुद्दादी दाददो दूददीददोः ।
दुद्दादं दददे दुद्दे दादाददददोऽददः ॥ १४४
अर्थ - वरदाता, दुष्टनाशक, शुद्धक, आततायियों के अंतक क्षेत्रों पर पीड़क शर का संधान करें।
विलोम पद
माघ विलोमपद रचने में भी निपुण थे।
वारणागगभीरा सा साराभीगगणारवा ।
कारितारिवधा सेना नासेधा वारितारिका ॥४४
पर्वतकारी हाथियों से सुसज्ज सेना का सामना करना अति दुष्कर है। यह विराट सेना है, त्रस्त-भयभीत लोगों की चीत्कार सुनाई दे रही है। इसने अपने शत्रुओं को मार दिया है।
विलोम काव्य
श्री राघव यादवीयं - बाएँ से दाएँ रामकथा, दाएँ से बाएँ कृष्णकथा
बाएँ से दाएँ
वन्देऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥
मैं श्री राम का वंदन करता हूँ जो सीता जी के लिए धड़कते हुए ह्रदय के साथ
रावण और उसके सहायकों का वधकर, सह्याद्रि पर्वतों को पार कर, रावण तथा उसके सहायकों का वध कर, लंबे समय बाद, सीता सहित अयोध्या वापिस आए हैं।
I pay my obeisance to Lord Shri Rama, who with his heart pining for Sita, travelled across the Sahyadri Hills and returned to Ayodhya after killing Ravana and sported with his consort, Sita, in Ayodhya for a long time.
दाएँ से बाएँ
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी मारामोरा ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देहं देवं ॥
मैं श्री कृष्ण का वंदन करता हूँ जिनका ह्रदय श्री लक्ष्मी का निवास है, जो त्याग-तप से ध्यान करने योग्य हैं, जो रुक्मिणी तथा अन्य संगणियों को दुलारते हैं, जो गोपियों द्वारा पूजित हैं तथा जगनागाते हुए रत्नों से शोभायमान हैं।
I bow to Lord Shri Krishna, whose chest is the sporting resort of Shri Lakshmi; who is fit to be contemplated through penance and sacrifice, who fondles Rukmani and his other consorts and who is worshipped by the gopis, and who is decked with jewels radiating splendour.
आभार: श्रीमती जमुना कृष्णराज
हाथी के समानार्थी शब्द:
*
समानार्थी कुञ्जरः,गजः,हस्तिन्, हस्तिपकः,द्विपः, द्विरदः, वारणः, करिन्, मतङ्गः, सुचिकाधरः, सुप्रतीकः, अङ्गूषः, अन्तेःस्वेदः, इभः, कञ्जरः, कञ्जारः, कटिन्, कम्बुः, करिकः, कालिङ्गः, कूचः, गर्जः, चदिरः, चक्रपादः, चन्दिरः, जलकाङ्क्षः, जर्तुः, दण्डवलधिः, दन्तावलः, दीर्घपवनः, दीर्घवक्त्रः, द्रुमारिः, द्विदन्तः, द्विरापः, नगजः, नगरघातः, नर्तकः, निर्झरः, पञ्चनखः, पिचिलः, पीलुः, पिण्डपादः, पिण्डपाद्यः, पृदाकुः, पृष्टहायनः, पुण्ड्रकेलिः, बृहदङ्गः, प्रस्वेदः, मदकलः, मदारः, महाकायः, महामृगः, महानादः, मातंगः, मतंगजः, मत्तकीशः, राजिलः, राजीवः, रक्तपादः, रणमत्तः, रसिकः, लम्बकर्णः, लतालकः, लतारदः, वनजः, वराङ्गः, वारीटः, वितण्डः, षष्टिहायनः, वेदण्डः, वेगदण्डः, वेतण्डः, विलोमजिह्वः, विलोमरसनः, विषाणकः।
(आभार - जमुना कृष्णराज)
छंद सलिला ;
दोही
*
लक्षण छंद -
चंद्र कला पंद्रह शुभ मान, रचें विषम पद आप।
एक-एक ग्यारह सम जान, लघु पद-अंत सुमाप।।
*
उदहारण -
स्नेह सलिल अवगाहन करे, मिट जाए भव ताप।
मदद निबल की जो नित करे, हो जाए प्रभु जाप।।
४.११.२०१९
***
नवगीत:
महका-महका
संजीव
महका-महका
मन-मंदिर रख सुगढ़-सलौना
चहका-चहका
आशाओं के मेघ न बरसे
कोशिश तरसे
फटी बिमाई, मैली धोती
निकली घर से
बासन माँजे, कपड़े धोए
काँख-काँखकर
समझ न आए पर-सुख से
हरसे या तरसे
दहका-दहका
बुझा हौसलों का अंगारा
लहका-लहका
एक महल, सौ यहाँ झोपड़ी
कौन बनाए
ऊँच-नीच यह, कहो खोपड़ी
कौन बताए
मेहनत भूखी, चमड़ी सूखी
आँखें चमकें
कहाँ जाएगी मंजिल
सपने हों न पराए
बहका-बहका
सम्हल गया पग, बढ़ा राह पर
ठिठका-ठहका
लख मयंक की छटा अनूठी
सज्जन हरषे.
नेह नर्मदा नहा नवेली
पायस परसे.
नर-नरेंद्र अंतर से अंतर
बिसर हँस रहे.
हास-रास मधुमास न जाए-
घर से, दर से.
दहका-दहका
सूर्य सिंदूरी, उषा-साँझ संग
धधका-दहका...
४.८.२०१९
***
एक गीत -एक पैरोडी
*
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा ३१
कहा दो दिलों ने, कि मिलकर कभी हम ना होंगे जुदा ३०
*
ये क्या बात है, आज की चाँदनी में २१
कि हम खो गये, प्यार की रागनी में २१
ये बाँहों में बाँहें, ये बहकी निगाहें २३
लो आने लगा जिंदगी का मज़ा १९
*
सितारों की महफ़िल ने कर के इशारा २२
कहा अब तो सारा, जहां है तुम्हारा २१
मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां हो २१
करे कोई दिल आरजू और क्या १९
*
कसम है तुम्हे, तुम अगर मुझ से रूठे २१
रहे सांस जब तक ये बंधन न टूटे २२
तुम्हे दिल दिया है, ये वादा किया है २१
सनम मैं तुम्हारी रहूंगी सदा १८
फिल्म –‘दिल्ली का ठग’ 1958
*****
पैरोडी
है कश्मीर जन्नत, हमें जां से प्यारी, हुए हम फ़िदा ३०
ये सीमा पे दहशत, ये आतंकवादी, चलो दें मिटा ३१
*
ये कश्यप की धरती, सतीसर हमारा २२
यहाँ शैव मत ने, पसारा पसारा २०
न अखरोट-कहवा, न पश्मीना भूले २१
फहराये हरदम तिरंगी ध्वजा १८
*
अमरनाथ हमको, हैं जां से भी प्यारा २२
मैया ने हमको पुकारा-दुलारा २०
हज़रत मेहरबां, ये डल झील मोहे २१
ये केसर की क्यारी रहे चिर जवां २०
*
लो खाते कसम हैं, इन्हीं वादियों की २१
सुरक्षा करेंगे, हसीं घाटियों की २०
सजाएँ, सँवारें, निखारेंगे इनको २१
ज़न्नत जमीं की हँसेगी सदा १७
४-११-२०१९
***
गणितीय दोहा मुक्तक:
*
बिंदु-बिंदु रखते रहे, जुड़ हो गयी लकीर।
जोड़ा किस्मत ने घटा, झट कर दिया फकीर।।
कोशिश-कोशिश गुणा का, आरक्षण से भाग-
रहे शून्य के शून्य हम, अच्छे दिन-तकदीर।।
*
खड़ी सफलता केंद्र पर, परिधि प्रयास अनाथ।
त्रिज्या आश्वासन मुई, कब कर सकी सनाथ।।
छप्पन इंची वक्ष का निकला भरम गुमान-
चाप सिफारिश का लगा, कभी न श्रम के हाथ।।
*
गुणा अधिक हो जोड़ से, रटा रहे तुम पाठ।
उल्टा पा परिणाम हम, आज हुए हैं काठ।।
एक गुणा कर एक से कम, ज्यादा है जोड़-
एक-एक ग्यारह हुए जो उनके हैं ठाठ।।
***
दोहा गीत:
दीपक लेकर हाथ
*
भक्त उतारें आरती,
दीपक लेकर हाथ।
हैं प्रसन्न माँ भारती,
जनगण-मन के साथ।।
*
अमरनाथ सह भवानी,
कार्तिक-गणपति झूम।
चले दिवाली मनाने,
भायी भारत-भूम।।
बसे नर्मदा तीर पर,
गौरी-गौरीनाथ।
भक्त उतारें आरती,
दीपक लेकर हाथ।।
*
सरस्वती सिंह पर हुईं,
दुर्गा सदृश सवार।
मेघदूत सम हंस उड़,
गया भुवन के पार।।
ले विरंचि को आ गया,
कर प्रणाम नत माथ।
भक्त उतारें आरती,
दीपक लेकर हाथ।।
*
सलिल लहर संजीव लख,
सफल साधना धन्य।
त्याग पटाखे, शंख-ध्वनि,
दस दिश गूँज अनन्य।।
श्रम-सीकर से स्नानकर,
मानव हुआ सनाथ।
भक्त उतारें आरती,
दीपक लेकर हाथ।।
*
४.११.२०१८
***
मुक्तक:
सह सकें जितना वही है परिधि अपनी
कह सकें जिससे विधा-विधि वही अपनी
बह सके उस अंजुरि तक जो तृषित है-
तह सके चादर अमल सिधि यही अपनी
(सिधि = सिद्धि)
४.११.२०१५
***
गीत:
उत्तर, खोज रहे...
*
उत्तर, खोज रहे प्रश्नों को, हाथ न आते।
मृग मरीचिकावत दिखते, पल में खो जाते।
*
कैसा विभ्रम राजनीति, पद-नीति हो गयी।
लोकतन्त्र में लोभतन्त्र, विष-बेल बो गयी।।
नेता-अफसर-व्यापारी, जन-हित मिल खाते...
*
नाग-साँप-बिच्छू, विषधर उम्मीदवार हैं।
भ्रष्टों से डर मतदाता करता गुहार है।।
दलदल-मरुथल शिखरों को बौना बतलाते...
*
एक हाथ से दे, दूजे से ले लेता है।
संविधान बिन पेंदी नैया खे लेता है।।
अँधा न्याय, प्रशासन बहरा मिल भरमाते...
*
लोकनीति हो दलविमुक्त, संसद जागृत हो।
अंध विरोध न साध्य, समन्वय शुचि अमृत हो।।
'सलिल' खिलें सद्भाव-सुमन शत सुरभि लुटाते...
*
जो मन भाये- चुनें, नहीं उम्मीदवार हो।
ना प्रचार ना चंदा, ना बैठक उधार हो।।
प्रशासनिक ढाँचे रक्षा का खर्च बचाते...
*
जन प्रतिनिधि निस्वार्थ रहें, सरकार बनायें।
सत्ता और समर्थक, मिलकर सदन चलायें।।
देश पड़ोसी देख एकता शीश झुकाते...
*
रोग हुई दलनीति, उखाड़ो इसको जड़ से।
लोकनीति हो सबल, मुक्त रिश्वत-झंखड़ से।।
दर्पण देख न 'सलिल', किसी से आँख चुराते...
४-११-२०१२
***
नरक चौदस / रूप चतुर्दशी पर विशेष रचना:
*
असुर स्वर्ग को नरक बनाते
उनका मरण बने त्यौहार.
देव सदृश वे नर पुजते जो
दीनों का करते उपकार..
अहम्, मोह, आलस्य, क्रोध, भय,
लोभ, स्वार्थ, हिंसा, छल, दुःख,
परपीड़ा, अधर्म, निर्दयता,
अनाचार दे जिसको सुख..
था बलिष्ठ-अत्याचारी
अधिपतियों से लड़ जाता था.
हरा-मार रानी-कुमारियों को
निज दास बनाता था..
बंदीगृह था नरक सरीखा
नरकासुर पाया था नाम.
कृष्ण लड़े, उसका वधकर
पाया जग-वंदन कीर्ति, सुनाम..
रजमहिषियाँ कृष्णाश्रय में
पटरानी बन हँसी-खिलीं.
कहा 'नरक चौदस' इस तिथि को
जनगण को थी मुक्ति मिली..
नगर-ग्राम, घर-द्वार स्वच्छकर
निर्मल तन-मन कर हरषे.
ऐसा लगा कि स्वर्ग सम्पदा
धराधाम पर खुद बरसे..
'रूप चतुर्दशी' पर्व मनाया
सबने एक साथ मिलकर.
आओ हम भी पर्व मनाएँ
दें प्रकाश दीपक बनकर..
'सलिल' सार्थक जीवन तब ही
जब औरों के कष्ट हरें.
एक-दूजे के सुख-दुःख बाँटें
इस धरती को स्वर्ग करें..
४-११-२०१०
***

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