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शनिवार, 11 नवंबर 2023

जबलपुर के प्रमुख साहित्यकार,

लेख-
जबलपुर के श्रेष्ठ कलमकार
गीतिका श्रीव, बरेला
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                     संस्कारधानी जबलपुर पुरातन नगरी है। सत्य-शिव-सुंदर का इस नगरी से अद्भुत संबंध है। एक ओर शिव द्वारा दिव्य शक्ति का उपयोग कर अमरकंटक में वंशलोचन वन-सरोवर का अमृतमय जल कालजयी कलकल निनादिनी नर्मदा के रूप में इस नगर को प्राप्त है दूसरी ओर त्रिपुरी ग्राम में त्रिपुरासुर की तीन पूरियों को क्षण मात्र में ध्वंस कर देने की कथा भी पुराणों में वर्णित है। भगवती गौरी की तपस्थली गौरीघाट और चौंसठ योगिनी के मंदिर भी इस नगरी की महत्त प्रतिपादित करते हैं। इस नगरी की महत्ता विद्या और कला के अधिष्ठाता शिव के साथ-साथ शब्द ब्रह्म उपासक कलमकारों से भी है। भारतीय नाट्य शास्त्र को नांदी पाठ की विरासत देने वाले आचार्य नंदिकेश्वर समीपस्थ बरगी ग्राम के निवासी थे। भृगु, जाबालि, अगस्त्य आदि ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है जबलपुर।

                     आधुनिक हिंदी के उद्भव काल से अब तक महत्व पूर्ण दिवंगत रचनाकारों में विनायक राव, जगमोहन सिंह, रघुवर प्रसाद द्विवेदी, सुखराम चौबे 'गुणाकर', राय देवी प्रसाद 'पूर्ण', गंगा प्रसाद अग्निहोत्री, कामता प्रसाद गुरु, लक्ष्मण सिंह चौहान, महादेव प्रसाद 'सामी', बाल मुकुंद त्रिपाठी, सेठ गोविंद दास, तोरण देवी लली, रामानुज श्रीवास्तव 'ऊँट बिलहरीवी', ब्योहार राजेन्द्र सिंह, द्वारका प्रसाद मिश्र, झलकनलाल वर्मा 'छैल', हरिहर शरण मिश्र, सुभद्रा कुमारी चौहान, केशव प्रसाद पाठक, शांति देवी वर्मा, रामकिशोर अग्रवाल 'मनोज', भवानी प्रसाद तिवारी, नर्मदा प्रसाद खरे, रामेश्वर प्रसाद गुरु, माणिकलाल चौरसिया 'मुसाफिर', जीवन लाल वर्मा 'विद्रोही', पन्नालाल श्रीवास्तव 'नूर', डॉ. पूरन चंद श्रीवास्तव, डॉ. चंद्र प्रकाश वर्मा, शकुंतला खरे, श्री बाल पांडेय, डॉ. मलय, इन्द्र बहादुर खरे, रामकृष्ण श्रीवास्तव, रास बिहारी पाण्डेय, ब्रजेश माधव, जवाहर लाल चौरसिया 'तरुण, ललित श्रीवास्तव, डॉ. रामशंकर मिश्र, डॉ. गार्गी शरण मिश्र, डॉ. चित्रा चतुर्वेदी कार्तिका', श्रीराम ठाकुर 'दादा', श्याम श्रीवास्तव, मोइनुद्दीन अतहर, पूर्णिमा निगम 'पूनम', इं. भवानी शंकर मालपाणी, इं. गोपाल कृष्ण चौरसिया 'मधुर',इं. कोमल चंद जैन, इं. राम राज फौजदार, आशुतोष विश्वकर्मा 'असर' आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

                     समकालीन सृजनरत रचनाकार भी हिंदी भाषा के सारस्वत कोश की श्रीवृद्धि करने में महती भूमिका निभा रहे हैं। जिन महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों के अवदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता उनमें से कुछ हैं- 

आचार्य कृष्णकान्त चतुर्वेदी- संस्कृत, पाली प्राकृत साहित्य शास्त्र तथा बौद्ध दर्शन के विद्वान चतुर्वेदी जी कालिदास अकादमी मध्य प्रदेश के निदेशक, आचार्य एवं अध्यक्ष संसकरु-पालि-प्राकृत विभाग रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय जबलपुर आदि पदों पर प्रतिष्ठित रहे हैं। अथातो  ब्रह्म जिज्ञासा, द्वैत वेदान्त तत्व समीक्षा, भारतीय परंपरा एवं अनुशीलन, वेदान्त दर्शन की पीठिका, मध्य प्रदेश में बुद्ध दर्शन, क्रस्न-विलास, राधाभाव सूत्र, अनुवाक्, आगत का स्वागत तथा क्षण के साथ चलाचल आपकी कृतियाँ हैं। 

डॉ. सुरेश कुमार वर्मा- नगर के श्रेष्ठ-ज्येष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश कुमार वर्मा का जन्म २० दिसंबर १९३८ को हुआ। आपने  हिंदी में पी-एच. डी., डी. लिट. की उपाधि प्राप्त कर, मध्य ऑरदेश के शासकीय महाविद्यालयों में प्राध्यापक, विभागाध्यक्ष, प्राचार्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय तथा अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा के महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया। आपकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं- उपन्यास: मुंतहमहल, रेसमान, सबका मालिक एक, महाराजा छत्रसाल, नीले घोड़े का सवार आदि, नाटक: निम्नमार्गी, दिशाहीन, कहानी संग्रह: जंग के बारजे पर, मंदिर एवं अन्य कहानियाँ, आलोचना: डॉ. रामकुमार वर्मा की नाट्य कला, निबंध संग्रह: करमन की गति न्यारी, मैं तुम्हारे हाथ का लीला कमल हूँ, भाषा विज्ञान: हिंदी अर्थान्तर।

आचार्य भगवत दुबे- 
१८ अगस्त १९४३ को जन्मे आचार्य जी संस्कारधानी ही नहीं समस्त भारत के समकालिक साहित्यकारों में बहुचर्चित हैं। आचार्य जी ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्हें पाकर सम्मान सम्मानित होते हैं। आपने हिंदी साहित्य की अधिकांश विधाओं कहानी, लघुकथा, निबंध, संस्मरण, समीक्षा, गीत, ग़ज़ल, हाइकू, तांका, बांका, फाग, गेट, नवगीत, कुंडलिया, सवैया, घनाक्षरी, मुक्तक आदि में विपुल लेखन। ५० से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा साहित्य भूषण अलंकरण (दो लाख रुपए नगद) सहित असंख्य सम्मान व पुरस्कार। भारत की ३ भाषाओँ में रचनाएँ अनुदित। आपके सृजन पर अनेक शोध कार्य संपन्न हुए।

डॉ. इला घोष- संस्कृत वांग्मय में शिल्प कलाएँ, संस्कृत वांग्मये कृषि विज्ञानं, ऋग्वैदिक ऋषिकाएँ: जीवन एवं दर्शन, वैदिक संस्कृति संरचना, नारी योगदान विभूषित, सफलता के सूत्र- वैदिक दृष्टि, व्यक्तित्व विकास में वैदिक वांग्मय का योगदान, तमसा तीरे तथा महीयसी आदि कृतियों के द्वारा अपने पांडित्य की पताका फहरानेवाली इला जी शसकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में प्राध्यापक तथा प्राचार्य रही हैं।  

डॉ. निशा तिवारी- शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक तथा प्राचार्य पदों पर श्रेष्ठ कार्य हेतु ख्यात निशा जी का जन्म २५ अक्टूबर १९४४ को हुआ। आपकी महत्वपूर्ण कृतियाँ मूल्य और मूल्यांकन, विमर्श विविधा, पाश्चात्य काव्य शास्त्र, भारतीय काव्य शास्त्र, पाश्चात्य साहित्य शास्त्र, आज कविता अवधारणा और सृजन, सिलसिले को तोड़ती राजेन्द्र मिश्र की कविताएँ आदि है।  

इं. अमरेन्द्र नारायण- २१ नवम्बर १९४५, मटुकपुर, भोजपुर,बिहार में जन्में अमरेन्द्र नारायण जी ने बी.एस-सी. इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की। आप भारतीय दूर संचार सेवा और एशिया फैसिफिक टेलीकम्युनिटी के महासचिव पद से सेवानिवृत्त हैं। आपकी कृतियाँ-  उपन्यास- संघर्ष, एकता और शक्ति, Unity and Strength,The Smile of Jasmine, Fragrance Beyond Borders काव्य- श्री हनुमत् श्रद्धा सुमन, सिर्फ एक लालटेन जलती है, अनुभूति, जीवन चरित:पावन चरित-डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद आदि हैं। आपको असाधारण उत्कृष्ठ सेवा हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ से स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ है। 

राम सेंगर- भारतीय रेलवे में जनवरी २००५ तक कार्यालय अधीक्षक (कार्मिक) के पद पर कार्यरत रहे सेंगर जी का जन्म २ जनवरी  १९४५ को हुआ। शेष रहने के लिए, जिरह फिर कभी होगी तथा एक गैल अपनी भी आपके बहुचर्चित नवगीत संग्रह हैं। आप नवगीत दशक २ तथा नवगीत अर्ध शती में सहभागी रहे हैं। आप कई पुरस्कारों से अलंकृत किए जा चुके हैं। 

डॉ. सुमनलता श्रीवास्तव- संगीताधिराज हृदयनारायण देव, सरे राह तथा जिजीविषा आदि कृतियों की रचयिता सुमन लता श्रीवास्तव नगर की विदुषियों में अग्रगण्य हैं, ग्रहणी रहते हुए भी आपने पी-एच. डी., डी. लिट. आदि उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा बहुचर्चित कृतियों द्वारा ख्याति पाई।  

इं. उदयभानु तिवारी 'मधुकर'- आपने डी.सी.ई., एम.बी.ई.एच., डी. एच. एम. एस., आयुर्वेदरत्न आदि उपढ़ियाँ की हैं। आप जल संसाधन विभाग मध्य प्रदेश में उप अभियंता के पद पर कार्यरत रहे। १८ अगस्त १९४६ को जन्मे मधुकर जी की कृतियाँ गीता मानस, मधुकर काव्य कलश, मधुकर भाव सुमन, रासलीला पंचाध्यायी आदि हैं।   

जयप्रकाश श्रीवास्तव- नरसिंहपुर में ९ मई १९५१ को जन्मे जयप्रकाश जी हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कर केन्द्रीय विद्यालय में शिक्षक रहे हैं। हिंदी नवगीत के सशक्त स्तंभ जयप्रकाश जी की कृतियाँ हैं- मन का साकेत, परिंदे संवेदना के, शब्द वर्तमान, रेत हुआ दिन, बीच बहस में, धूप खुलकर नहीं आती, चल कबीरा लौट चल। समकालीन गीतकोश तथा नवगीत में मानवतावाद में आपका उल्लेख है।     

आचार्य इं. संजीव वर्मा 'सलिल'- २० अगस्त १९५२ को मण्डला मध्य प्रदेश में जन्मे सलिल जी लोक निर्माण विभाग में संभागीय परियोजना अभियंता पद पर कार्य कर चुके हैं। अंतर्जाल पर हिंदी पिंगल (रस-छंद-अलंकार) शिक्षण का श्रीगणेश करने तथा ५०० से अधिक नए छंदों के आविष्कार हेतु आपकी ख्याति है। आपने तकनीकी शिक्षा के हिंदीकरण हेतु सुदीर्घ संघर्ष किया है। आपके अथक प्रयास से जबलपुर विश्व का एकमात्र नगर बन सका है जहाँ भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की ९ मूर्तियाँ स्थापित हैं। आप हिंदी सोनेट छंद के प्रवर्तक हैं। आपकी प्रकाशित कृतियाँ कलम के देव, भूकंप के साथ जीना सीखें, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, सौरभ:, कुरुक्षेत्र गाथा, काल है संक्रांति का, सड़क पर, आदमी अब भी जिंदा है,  

मीना भट्ट- श्रीमती मीना भट्ट संस्कारधानी के साहित्यकारों में विशिष्ट स्थान रखती हैं। आप हिंदी छंद तथा गजल में अधिक सक्रिय हैं। ३० अप्रैल १९५३ को जन्मी मीना जी जिला एवं सत्र न्यायाधीश रही हैं। 'पंचतंत्र में नारी' आपकी उल्लेखनीय कृति है।    

इं. सुरेन्द्र सिंह पवार- जल संसाधन विभाग से कार्यपालन यंत्री के पद से सेवा निवृत्त पवार जी का जन्म २५ जून १९५७ को हुआ। आपने बी. ई., एम.बी.ए., तथा पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। आपकी कृति परख पुस्तक समीक्षा संग्रह है। आप साहित्य संस्कार त्रैमासिकी के संपादक हैं। 

बसंत कुमार शर्मा-  आपकी जन्म तिथि ५ मार्च १९६६ है। संस्कारधानी जबलपुर में रहकर नवगीत, दोहा, गजल, गीत आदि विविध विधाओं में अपनी कलम का लोहा मनवाने वाले बसंत कुमार शर्मा आई,आर.टी.एस. में चयनित होकर भारतीय रेलवे में सेवारत हैं। अपनी सहजता-सरलता से लोकप्रिय शर्मा जी बोनसाई कला में निपुण हैं। आपकी प्रकाशित कृतियाँ नवगीत संग्रह बुधिया लेता टोह, दोहा संग्रह ढाई आखर तथा गजल संग्रह शाम हँसी पुरवाई में हैं। नवगीत संग्रह बुधिया लेता टोह को भारतीय रैलवे विभाग द्वारा ...   पुरस्कार प्रदान किया गया है।    

हरि सहाय पांडे- आपका जन्म १० जून १९६६ को हुआ। छंदबद्ध काव्य में विशेष रुचि रखनेवाले हरि सहाय पांडे जी स्नातकोत्तर (कृषि) शिक्षा प्राप्त कार  पश्चिम मध्य रेलवे में ------------------ पद पर जबलपुर में पदस्थ है। आपकी रुचि छंदबद्ध काव्य लेखन में है। दोहा, चौपाई, गीत, सोनेट आदि विधाओं में आप सिद्धहस्त हैं। मिलनसार स्वभाव के पांडे जी हमेशा परोपकार हेतु तत्पर रहते हैं। 'हिंदी सोनेट सलिला' में आपके सोनेट संकलित हैं। आपकी रचनाओं में सात्विक सनातन मूल्यों का प्रतिपादन होता है। 

अविनाश ब्योहार- २८ अक्टूबर १९६६ को जन्मे अविनाश जी ने बी.एस-सी. तथा स्टेनोग्राफी की उपाधि प्राप्त की है। आप मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में महाधिवक्ता कार्यालय में व्याकतीसहायक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी कृतियाँ अंधे पीसे कुत्ते कहानी, पोखर ठोके दावा, कोयल करे मुनादी, तथा मौसम अंगार आदि हैं। 

                     संस्कारधानी जबलपुर में ५०० से अधिक साहित्यकार सृजनरत हैं। नदी की अपार जलराशि में से कुछ बूँदें लेकर अभिषेक किया जाता है, उसी भाव से कुछ सरस्वती पुत्रों का उल्लेख यहाँ किया गया है। सबका उल्लेख करने पर ग्रंथ ही बन जाएगा। शेष सभी सरस्वती सुतों के व्यक्तित्व-कृतित्व को सादर प्रणाम है। 
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विनोद नयन-  


कृष्ण कुमार चौरसिया 'पथिक' (५ मई १९३७)  रका

मनोरमा तिवारी (२८ अगस्त १९३८)

डॉ. राज कुमार तिवारी सुमित्र (२५-१०-१९३८)

साधना उपाध्याय (८ अप्रैल आ १९४१)

इं. सुरेश 'सरल' (१ अगस्त १९४२)

वीणा तिवारी (३० जुलाई १९४४)

राज सागरी (१ अप्रैल १९५४)

अभय तिवारी (१ फरवरी १९५५)

इं. सुरेन्द्र सिंह पवार

अंबर प्रियदर्शी (२१ सितंबर १९५५)

संध्या जैन 'श्रुति' (१ अक्टूबर १९६०)

डॉ. जयश्री जोशी, कुँवर प्रेमिल, डॉ. अपरा तिवारी, डॉ. स्मृति शुक्ल, डॉ. नीना उपाध्याय, अखिलेश खरे, मनीषा  सहाय,










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