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बुधवार, 5 मई 2021

स्त्री

मुखपुस्तकी गपशप
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- पायल शर्मा
women are like vehicles, everyone appreciate the outside beauty, but the inner beauty is embraced by her owner
*
संजीव
'स्त्री वाहन नहीं, पुरुष की चालक है.
मानव मूल्यों की स्त्री ही वाहक है..
वाहन की चाबी कोई ले सकता है.
चाबी लगा घुमा नैया खे सकता है.
स्त्री नखरे दिखा पुरुष को बहलाती.
जब जी चाहे रोके, तोके भटकाती.
विधि-हरि-हर पर शारद-रमा-उमा हावी.
नव दुर्गा बन पुजती स्त्री ही भावी'
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नवीन चतुर्वेदी, मुम्बई
आपकी भाषा जानी पहचानी सी लगती है |
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राज भाटिया
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स्त्री सदा 'नवीन' है, पुरुष सदा प्राचीन.
'राज' करे नाराज हो, यह उँगली वह बीन..
कौन 'चतुर्वेदी' जिसे, यह चतुरा न नचाय.
भाट बने जो 'भाटिया', का ख़िताब वह पाय..
नाच इशारों पर 'सलिल', तभी रहेगी खैर.
देव न दानव बच सके, स्त्री से कर बैर..
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नवींन चतुर्वेदी
बात करें यूँ सार की, लगती मगर अजीब |
उनका ही तो नाम है, वर्मा सलिल संजीव ||
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बात सार की चाहता, करता जगत असार.
मतभेदों को पोसते, 'सलिल' न पालें प्यार..
है 'नवीन' जो आज वह, कल होता प्राचीन.
'राज' स्वराज विराजता, पर जनगण है दीन..
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५.५.२०१०

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