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शुक्रवार, 15 मई 2020

अभियान स्मृति पर्व : १५-५-२०२०


विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर
स्मृति पर्व : १५-५-२०२०
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर का स्मृति पर्व वीणापाणी माँ शारदा की वंदना "जय जयति वीणा वादिनी, शब्द शक्ति स्वरूपिणी जय, सृजन राग विधायिनी जय" की सस्वर प्रस्तुति मिनाक्षी शर्मा 'तारिका' ने की। अभियान की सचिव कुशल दोहा-गीतकार मिथलेश बड़गैया की अध्यक्षता तथा नवगीतकार विजय वागड़ी के मुख्यातिथ्य में आरम्भ सारस्वत अनुष्ठान का विषय प्रवर्तन करते हुए विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान के संयोजक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने वर्तमान संक्रांति काल में सकारात्मक भावनाओं के प्रसार हेतु प्रिय जनों की स्मृति को विटामिन बताया। एसिया पैसिफिक टेलीकॉम एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष इंजी. अमरेंद्र नारायण ने राष्ट्र निर्माण में प्राणप्रण से समर्पित अभियंताओं का समुचित मूल्यांकन न हो पाने पर खेद व्यक्त करते हुए  ९४ वर्षीय युवा इंजी. संतोष कुमार गुप्ता के अवदान को याद किया। हिंदी भाषा विज्ञान के ख्यात विद्वान, उपन्यासकार, नाटककार डॉ. सुरेश कुमार वर्मा ने कालिदास अकादमी उज्जैन के पूर्व निदेशक अपने बाल मित्र आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी के साथ लंबे सान्निध्य को याद करते हुए इस मित्रता पर गर्व व्यक्त किया। आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी ने अभियान के इस सारस्वत अनुष्ठान को आशीषित करते हुए इंजी. अमरेंद्र नारायण द्वारा अपने अभूतपूर्व कार्य से भारत को दूरसंचारीय प्रगति हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण पदक मिलने का उल्लेख करते हुए हिंदी-उर्दू-अंग्रेजी में उनकी काव्य कृतियों व् उपन्यासों को समय की उपलब्धि बताया। 

विदुषी उपन्यासकार डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी जी ने हिंदी गद्य-पद्य के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर आचार्य भगवत दुबे से जुडी स्मृतियों को साझा किया। समालोचना के क्षेत्र में सिद्धहस्त  डॉ. स्मृति शुक्ल ने भाषा विज्ञानी डॉ. सुरेश कुमार वर्मा के व्यक्तित्व-कृतित्व को स्मरण करते हुए उन्हें अपना प्रेरणास्रोत बताया। प्रसिद्ध वनस्पति शास्त्री डॉ. अनामिका तिवारी ने अपनी अग्रजा श्रीमती साधना उपाध्याय पूर्व प्राचार्य के शैक्षणिक, साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, सांगीतिक क्षेत्रों में गतिविधियों के उल्लेख करते हुए अपने पिताश्री रामानुजलाल श्रीवास्तव 'ऊँट बिलहरीवी' के अवदान का स्मरण किया। शासकीय मानकुंवर बाई महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. नीना उपाध्याय ने प्रसिद्द पत्रकार-साहित्यकार डॉ. राजकुमार 'सुमित्र' के व्यक्तित्व-कृतित्व को याद किया। संस्कृत साहित्य में डी. लिट्. अर्जित कर चुकी कथाकार-कवयित्री डॉ. सुमनलता श्रीवास्तव ने सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. इला घोष के असाधारण गुणों का वर्णन किया। हिंदी गद्य-पद्य के शिखर हस्ताक्षर आचार्य भगवत दुबे ने  अभियंता-कवि -समीक्षक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' के अवदान की चर्चा करते हुए अंतरजाल पर हिंदी शिक्षण और १५०० से अधिक छंद निर्माण का उल्लेख करते हुए उनके कार्य को कालजयी बताया। विश्ववाणी हिंदी अभियान के संयोजक आचार्य संजीव वर्मा सलिल' ने अपने शिक्षक सुकवि सुरेश उपाध्याय से जुड़ी स्मृतियों को साझा किया। डॉ. मुकुल तिवारी ने पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. गोकर्णनाथ शुक्ल के व्यक्तित्व की विशेषताओं को याद किया। अभियान के अध्यक्ष नवगीतकात बसंत शर्मा ने ख्यात पत्रकार मोहन शशि के अवदान को स्मरण करते हुए उन्हें प्रेरक बताया। आशुतोष तिवारी नव हिंदी-बुंदेली के चरचिर हस्ताक्षर राज सागरी के अवदान को याद किया। मुख्य अतिथि विजय बागरी ने विश्ववाणी हिंदी संस्थान के आयोजनों को अभूतपूर्व बताते हुए, निरंतरता की कामना की। अध्यक्ष मिथलेश बड़गैयाँ ने विश्ववाणी हिंदी संसथान के संयोजक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' की संकल्पनाओं को हिंदी भाषा, साहित्य और साहित्यकारों के लिए उपयोगी बताते हुए, भावी आयोजनों के लिए शुभकामनाएं दीं। आभार प्रदर्शन वीर रस के ओजस्वी कवि श्री अभय तिवारी ने किया। बड़ी संख्या में श्रोतागण इस आयोजन को अपने घरों में रहकर सुनते और प्रतिक्रिया व्यक्त करते रहे।    

वंदन मैया शारदा, गाते गीत सुरेश
कृष्ण कांत सुमिरें तुम्हें, शरणागत मिथिलेश
विजय दिला संतोष को, कर देतीं अमरेंद्र
मीनाक्षी हे! मातु तुम, हो चंद्रा ज्ञानेंद्र
भगवत स्मृति कर सलिल, हो जाता संजीव
सफल साधना करो माँ, तुम हो करुणासींव
अनामिका की मुद्रिका, नीना नग है भव्य
जो सुमित्र उसका सृजन, सत-शिव-सुन्दर दिव्य 
सुमन लता की सुरभि पा, होतीं इला प्रसन्न 
सलिल करे अभिषेक हो, धन्य न कभी विपन्न 
मन मुकुलित हो तो 'सलिल', हो सुरेश सा आप 
मोहन मोह न ले तुम्हें, मोहे बनो बसंत 
खिलो मंजरी सदृश हँस, अन्य न किंचित तंत 
आशुतोष का राज है, हिंदी की जय बोल 
जगवाणी हिंदी बने, गूंजे सकल खगोल 
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर
स्मृति पर्व : १५-५-२०२०
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अध्यक्ष : श्रीमती मिथलेश बड़गैया
मुख्य अतिथि :
विषय प्रवर्तक : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
उद्घोषक : डॉ. मुकुल तिवारी
०१. सरस्वती वंदना - मीनाक्षी शर्मा 'तारिका'
०२. विषय प्रवर्तन - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
०३. अमरेंद्र नारायण जी - कर्मठ अभियंता इंजी. संतोष कुमार गुप्ता
०४. डॉ. सुरेश कुमार वर्मा - मेरे बाल मित्र आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी
०५. आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी -  सहज-सरल व्यक्तित्व के धनी अमरेंद्र नारायण
०६. डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी - हिंदी साहित्य के शिखर आचार्य भगवत दुबे
०७. प्रो. स्मृति शुक्ल - साधुपुरुष डॉ. सुरेश कुमार वर्मा 
०८. डॉ. अनामिका तिवारी - सतत साधना की पर्याय साधना उपाध्याय
०९. डॉ. नीना उपाध्याय - साहित्यिक उत्सवधर्मिता के पर्याय सुमित्र जी
१०. डॉ. सुमन लता श्रीवास्तव - हिंदी-संस्कृत सेतु निर्मात्री विदुषी इला घोष
११. आचार्य भगवत दुबे - प्रयोगधर्मी साहित्यकार संजीव वर्मा 'सलिल'
१२. डॉ. मुकुल तिवारी - विद्वता के पर्याय डॉ. गोकर्णनाथ शुक्ल
१३. बसंत शर्मा - सह्रदय साहित्य शिल्पी-पत्रकार मोहन शशि
१४. आशुतोष तिवारी - हिंदी-बुंदेली साहित्य के उन्नायक राज सागरी
आभार : श्री अभय तिवारी

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