चैट चर्चा :
आजकल चैट बातचीत का खूब चलन है. विविध पृष्ठ भूमियों के साथी मित्रता का आग्रह करते हैं. फिर वार्ता का दौर… आजकल दूरदर्शन, फिल्म और पत्रकारिता ने समाज को 'सादा जीवन उच्च विचार' पर 'मौज-मस्ती' मंत्र दे दिया है. खुली हवा ने त्याग-परिश्रम के सिक्कों को खोटा घोषित कर भोग का वातावरण बना दिया है. बहुधा फेसबुक मित्र इसी दिशा के आग्रही होते हैं. कुछ जिज्ञासु, कुछ लती. जिज्ञासा को उचित समाधान न मिले तो वह समाज के लिए घातक होती है. लती को सिर्फ कानून ही सुधार सकता है. चैट मित्रों में पुरुष-महिला और किशोर-वयस्क सभी हैं. बहुधा ये दैहिक सम्बन्ध की सम्भावना तलाशते संपर्क करते हैं. विस्मय है कि किशोरियों से लेकर प्रौढ़ायें तक सीधे आमंत्रण देने में संकोच नहीं करतीं. सच कहूँ तो आरम्भ में मुझे भय लगता था. फिर विचार आया कि भागना समाधान नहीं है. कुछ सकारात्मक प्रयास किया जाए.
आज एक महिला से हुई चैट चर्चा आपके समक्ष प्रस्तुत है. आप इस सम्बन्ध में क्या सोचते हैं?
संकेत: - मित्र, = मैं
- g m ji
= शुभ प्रभात.
आजकल चैट बातचीत का खूब चलन है. विविध पृष्ठ भूमियों के साथी मित्रता का आग्रह करते हैं. फिर वार्ता का दौर… आजकल दूरदर्शन, फिल्म और पत्रकारिता ने समाज को 'सादा जीवन उच्च विचार' पर 'मौज-मस्ती' मंत्र दे दिया है. खुली हवा ने त्याग-परिश्रम के सिक्कों को खोटा घोषित कर भोग का वातावरण बना दिया है. बहुधा फेसबुक मित्र इसी दिशा के आग्रही होते हैं. कुछ जिज्ञासु, कुछ लती. जिज्ञासा को उचित समाधान न मिले तो वह समाज के लिए घातक होती है. लती को सिर्फ कानून ही सुधार सकता है. चैट मित्रों में पुरुष-महिला और किशोर-वयस्क सभी हैं. बहुधा ये दैहिक सम्बन्ध की सम्भावना तलाशते संपर्क करते हैं. विस्मय है कि किशोरियों से लेकर प्रौढ़ायें तक सीधे आमंत्रण देने में संकोच नहीं करतीं. सच कहूँ तो आरम्भ में मुझे भय लगता था. फिर विचार आया कि भागना समाधान नहीं है. कुछ सकारात्मक प्रयास किया जाए.
आज एक महिला से हुई चैट चर्चा आपके समक्ष प्रस्तुत है. आप इस सम्बन्ध में क्या सोचते हैं?
संकेत: - मित्र, = मैं
- g m ji
= शुभ प्रभात.
- kis diparment me the aap?
= लोक निर्माण विभाग
= लोक निर्माण विभाग
- pwd ?
- जी
- जी
- fir acha paisa banaya hoga
= यही नहीं किया. कविता लिखता रहा और खुश होकर इज्जत से जीता रहा. सरस्वती पुत्र के पास लक्ष्मी नहीं आती.
= यही नहीं किया. कविता लिखता रहा और खुश होकर इज्जत से जीता रहा. सरस्वती पुत्र के पास लक्ष्मी नहीं आती.
- subah kitane baje uth jate hai?
= ६-६.३० बजे.
= ६-६.३० बजे.
- us ke bad kaya2 karte hai?
= प्रात: भ्रमण, स्नान, पूजन और लेखन
= प्रात: भ्रमण, स्नान, पूजन और लेखन
- kitana bhamad karte hai?
= लगभग ३-४ किलोमीटर
= लगभग ३-४ किलोमीटर
- v good
= kitane salo se ye bharmad kar rahe hai?aur regular hai?
= kitane salo se ye bharmad kar rahe hai?aur regular hai?
- कोशिश करता हूँ. कभी-कभी नहीं भी जा पता
= आपकी क्या दिनचर्या है?
= आपकी क्या दिनचर्या है?
- mai subah 6 se 7 baje tak uthti hoon, thoda yoga, aur kuch nahii
= योग तो शुभ ही शुभ है.
= योग तो शुभ ही शुभ है.
- haa
= गरल-पान कर जो करे,सतत सुधा का दान
उसको सब जग पूजता, कह शंकर भगवान
= गरल-पान कर जो करे,सतत सुधा का दान
उसको सब जग पूजता, कह शंकर भगवान
- app kaun se bhagwan ki pooja karte hai?
= सभी की.
= सभी की.
- shankar bhagwan ka?
= शिव-शक्ति, राम-सीता, कृष्ण-राधा, गणेश, चित्रगुप्त जी, हनुमान जी आदि
= शिव-शक्ति, राम-सीता, कृष्ण-राधा, गणेश, चित्रगुप्त जी, हनुमान जी आदि
- shiv shakti ji ke bare me kuch bataye
= शक्ति श्रद्धा है, और विश्वास शंकर. श्रद्धा औरों का शुभ करने की प्रेरणा देती है और विश्वास औरों से अपनी रक्षा करने की सामर्थ्य देता है. माँ के प्रति श्रृद्धा होती है और प्रति विश्वास इसलिए पारवती को जगजननि और शिव को है.
शिव को जगतपिता कहा गया है।
= शक्ति श्रद्धा है, और विश्वास शंकर. श्रद्धा औरों का शुभ करने की प्रेरणा देती है और विश्वास औरों से अपनी रक्षा करने की सामर्थ्य देता है. माँ के प्रति श्रृद्धा होती है और प्रति विश्वास इसलिए पारवती को जगजननि और शिव को है.
शिव को जगतपिता कहा गया है।
- ohhhh aur bataye
= खुद पर विश्वास हो तो मनुष्य टेढ़े-मेढ़े रस्ते से भी निकल आता है. शिव विश्वास हैं अत: वे योग और भोग, शुभ और अशुभ दोनों के साथ रहकर भी सदा प्रसन्न रहते हैं. हम अपने मन को ऐसा बना सकें तो कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
= खुद पर विश्वास हो तो मनुष्य टेढ़े-मेढ़े रस्ते से भी निकल आता है. शिव विश्वास हैं अत: वे योग और भोग, शुभ और अशुभ दोनों के साथ रहकर भी सदा प्रसन्न रहते हैं. हम अपने मन को ऐसा बना सकें तो कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
- bhog kaya hai?
= शरीर को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए जिन वस्तुओं को ग्रहण करना आवश्यक है वह भोग है. भोग को छोड़ कर जिया नहीं जा सकता और अत्यधिक भोग कर भी जिया नहीं जा सकता। स्वस्थ्य जीवन के लिए संयमित भोग आवश्यक है. जैसे बिना खाए भी नहीं जी सकते और अत्यधिक खाकर भी नहीं जी सकते. सीमित मात्रा में खाना जरूरी है.
= शरीर को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए जिन वस्तुओं को ग्रहण करना आवश्यक है वह भोग है. भोग को छोड़ कर जिया नहीं जा सकता और अत्यधिक भोग कर भी जिया नहीं जा सकता। स्वस्थ्य जीवन के लिए संयमित भोग आवश्यक है. जैसे बिना खाए भी नहीं जी सकते और अत्यधिक खाकर भी नहीं जी सकते. सीमित मात्रा में खाना जरूरी है.
- ji, mughe laga bhog means sex
= भोग कई तरह का होता है. देह की कई आवश्यकताएं हैं. यौन सम्बन्ध प्रजनन हेतु आवश्यक है.
= भोग कई तरह का होता है. देह की कई आवश्यकताएं हैं. यौन सम्बन्ध प्रजनन हेतु आवश्यक है.
- deh ki kaya2 awashaktaye hai?
= आप स्वयं देहधारी हैं. जिन वस्तुओं के बिना देह की सुरक्षा न हो सके वे प्राथमिक अनिवार्यताएं हैं. इन्हें सामान्य भाषा में रोटी, कपड़ा और मकान कह सकते हैं.
= आप स्वयं देहधारी हैं. जिन वस्तुओं के बिना देह की सुरक्षा न हो सके वे प्राथमिक अनिवार्यताएं हैं. इन्हें सामान्य भाषा में रोटी, कपड़ा और मकान कह सकते हैं.
- ji ab bat bataye kya sahi hai? kya aacha sex se shiv ji prapti hoti hai?
= पूर्व में निवेदन किया है कि शिव विश्वास हैं. मनुष्य अपने जीवन में कोई भी कार्य श्रेष्ठता से करे तो उसका विश्वास बढ़ता है. जैसे कोई विद्यार्थी प्रथम आये, कोई खिलाड़ी बहुत अच्छा खेले, कोई गायक मधुरता से गाये. कोई अभिनेता जीवंत अभिनय करे तो उसका विश्वास बढ़ता है. यही शिवत्व की प्राप्ति है. ऐसा ही अन्य क्रियाओं के सम्बन्ध में है. शिव तत्व गुणवत्ता से सम्बंधित है मात्रा से नहीं
और कोई जिज्ञासा?
= पूर्व में निवेदन किया है कि शिव विश्वास हैं. मनुष्य अपने जीवन में कोई भी कार्य श्रेष्ठता से करे तो उसका विश्वास बढ़ता है. जैसे कोई विद्यार्थी प्रथम आये, कोई खिलाड़ी बहुत अच्छा खेले, कोई गायक मधुरता से गाये. कोई अभिनेता जीवंत अभिनय करे तो उसका विश्वास बढ़ता है. यही शिवत्व की प्राप्ति है. ऐसा ही अन्य क्रियाओं के सम्बन्ध में है. शिव तत्व गुणवत्ता से सम्बंधित है मात्रा से नहीं
और कोई जिज्ञासा?
- bahut hi insperation bataya aap ne. bahut गyan hai aap me sabhi chij ka
maha dev aap ko swath n lambi aau de
= आप जैसे मित्रों से सीखता रहता हूँ और यथावसर बाँट लेता हूँ. तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा। आपकी सद्भावनाएँ मुझे संबल देंगी।
maha dev aap ko swath n lambi aau de
= आप जैसे मित्रों से सीखता रहता हूँ और यथावसर बाँट लेता हूँ. तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा। आपकी सद्भावनाएँ मुझे संबल देंगी।
- sukriya ji
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