दोहा सलिला :
शक्ति रहित शिव शव बने, प्रकृति-पुरुष मिल ईश
बिना लक्ष्मी चाहता, कौन मिले जगदीश
*
अनिल अनल भू नभ सलिल, पंचतत्व मय देह
पंचतत्व में मिल मिले,इससे सदा विदेह
*
धारण करने योग्य जो, शुभ सार्थक वह धर्म
जाति कुशलता कर्म की, हैं जीवन का मर्म
*
शक्ति न काया मात्र है, शक्ति अनश्वर तत्व
काया बन-मिटती रहे, शक्ति ईश का सत्व
*
शक्ति रहित शिव शव बने, प्रकृति-पुरुष मिल ईश
बिना लक्ष्मी चाहता, कौन मिले जगदीश
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अनिल अनल भू नभ सलिल, पंचतत्व मय देह
पंचतत्व में मिल मिले,इससे सदा विदेह
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धारण करने योग्य जो, शुभ सार्थक वह धर्म
जाति कुशलता कर्म की, हैं जीवन का मर्म
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शक्ति न काया मात्र है, शक्ति अनश्वर तत्व
काया बन-मिटती रहे, शक्ति ईश का सत्व
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