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बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

विशेष: क्या है ये अंक 786 और क्यूँ मानते हैं इसको शुभ -- आदिल रशीद

विशेष:

क्या है ये अंक 786 और क्यूँ मानते हैं इसको शुभ
    आदिल रशीद

याद कीजिये फिल्म दीवार का वो मंज़र अमिताभ के सीने पर गोली लगती और उन्हें कुछ नहीं होता गोली उनके बिल्ला नम्बर 786 से टकरा कर बेकार हो चुकी है अमिताभ उस बिल्ले को कोट की जेब से निकाल कर चूमते हैं फिर फिल्म कूली मे वही चमत्कारी बिल्ला नंबर 786 लगाते है कूली मे घायल होते है जिंदगी और मौत की जंग मे जीत ज़िन्दगी की होती है और वो रुपहले परदे पर भी और वास्तविक जीवन मे भी अंक 786 के कायल हो जाते हैं और आज भी उसको अपने लिए शुभ मानते हैं

क्या है ये अंक 786 और क्यूँ मानते हैं इसको शुभ

एक अरबी शब्द है "अबजद" जिसका एक मतलब होता हैं किसी बिद्या को सीखने की सब से पहली स्तिथि यानि अलिफ़,बे,ते (A.B.C.D.) सीखना जो दूसरा मतलब है वो अपने आप मे एक विद्या हैं किसी भी शब्द के नंबर निकालना ये अरबी की विद्या है इसलिए अरबी के तरीके से ही चलती है इसमें अरबी के हर अक्षर को एक गिनती दी हुई है किसी शब्द मे जो जो अक्षर प्रयोग होते हैं उन को गिन कर जोड़ कर जो अंकफल निकलता है वही उस शब्द के अंक होते है आदिल को उर्दू मे लिखेंगे عادل رشید इसमें प्रयोग हुआ ऐन. अलिफ़ ,दाल, लाम, तो इस में
ऐन के . =70 अलिफ़ के =1 दाल के =4 लाम के =30 टोटल = 105
इसी तरह रशीद रे के =200 शीन के =300 ये के =10 दाल के =4 टोटल=314
आदिल रशीद के हुए 105 +314=419
इसी हिसाबे अबजद से बिस्मिल्लाह हिर रहमानिर रहीम जिसके अर्थ हुए शुरू करता हूँ उस अल्लाह के नाम से जो बेहद रहम वाला है
अगर पुरे वाक्य "बिस्मिल्लाह हिर रहमानिर रहीम" के अंक अबजद से नंबर निकालें तो बनेगे 786 इसी लिए मुस्लिम्स में इसको लकी माना जाता है बहुत से लोग इसको नहीं भी मानते.
इस में हिन्दू मुस्लिम्स एकता का भी एक मन्त्र छुपा है अगर हम इसी तरह से " हरे रामा हरे कृष्णा" के निकालें तो भी निकलेंगे 786 दोनों के बिलकुल एक काश ये हमारे कुछ नेता गण समझ जाएँ इश्वर एक है उसका सन्देश एक है मानवता सब से बड़ा धर्म है.

अरबी के सभी अक्षरों के नम्बर इस प्रकार हैं,
अलिफ़ =1,बे=2,जीम=3,दाल=4,हे=5,=वाओ=6, ज़े=7,बड़ी हे =8,तूए के =9,ये =10
छोटा काफ =20,लाम=30,मीम=40,नून के =50,सीन=60,ऐन =70,फे=80,स्वाद =90,
बड़े काफ =100,रे =200,शीन =300,ते =400,से=500,खे=600,जाल -700,जवाद =800
जोए =900,गैन=1000,

अबजद के खेल में ताश जिसे इल्मी ताश कहा जाता है बच्चे इल्मी ताश खेलते है और आये हुए पत्तों से शब्द बनाते हैं इस से उनका शब्द ज्ञान बढ़ता है
हाज़िर है एक ग़ज़ल के चन्द शेर

सब तो बैठे हुए हैं मसनद पर
हम ही ठहरे हुए हैं अबजद पर

कल ही मिटटी से सर निकाला है
आज ऊँगली उठा दी बरगद पर

आँख सोते मे भी खुली रखना
सब की नज़रें लगीं हैं मसनद पर

आज के दिन बटा था इक आँगन
आज मेला लगेगा सरहद पर

पहले उसने मेरे कसीदे पढ़े
घूम फिर कर वो आया मकसद पर

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