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शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

दोहा सलिला- यमक का रंग दोहे के सँग: घट ना जाए मूल -- संजीव 'सलिल'

गले मिले दोहा यमक
*
घट ना फूटे सम्हल जा, घट ना जाए मूल.
घटना जब घट जाए तो, चुभती शूल बबूल..
घट= घड़ा, कम हो, काम होना. 
*
चमक कैमरे ले रहे, जहाँ-तहाँ तस्वीर.
दुर्घटना में कै मरे?, फ़िक्र न कर धर धीर..
कैमरे=चित्र उतरने का यंत्र, कितने मरे.
*
मिले अजनबी पर नहीं, रहे अजनबी मीत.
सब सज-धज तज अज नबी, गाते प्रभु के गीत..
अजनबी=अपरिचित, अज=अजन्मा, ईश, नबी=ईश्वर का दूत.
*
तिल-तिलकर जलता रहा, तिल भर सका न त्याग.
तिल-घृत की चिंताग्नि की, सहे सुयोधन आग..
तिल=अल्प, एक खाद्यान्न.
*
माँग भरें वर माँगकर, गौरा हुईं प्रसन्न..
बौरा पूरी माँगकर, हुए अधीन न खिन्न..
माँग=विवाहित स्त्रियों के केशों के मध्य रेखा, इच्छा.
*
टाँग न सकती टाँग को, हर खूँटी बेकाम.
टाँगा टाँगा ही नहीं, लेकिन पाया नाम..
टाँग=पैर, टाँगना. टाँगा=टाँग लिया, घोड़े द्वारा खींचे जानेवाला वाहन.
*
नाम न पूछें नाम से, जाना जाता व्यक्ति.
बिना नाम का काम कर, तजें मोह-आसक्ति..
नाम=व्यक्ति का संबोधन, यश, श्रेय.
*******
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

8 टिप्‍पणियां:

sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita ने कहा…

आ० आचार्य जी,
यमक अलंकार से सजे धजे दोहों में अलंकृत शब्द अपने अर्थों से हमें चमत्कृत कर गये | आपकी कलम के ऐसे कौशल को बारम्बार नमन |
सादर
कमल

kusum sinha ✆ ekavita ने कहा…

priy sanjiv ji
aapke charan pakad lun to bhi kam hi hoga aapke jaisi kavitva shakti kam hi logo ke pas hai
kusum

shar_j_n ✆ ekavita ने कहा…

ये मर्मस्पर्शी आचार्य जी !

चमक कैमरे ले रहे, जहाँ-तहाँ तस्वीर.
दुर्घटना में कै मरे?, फ़िक्र न कर धर धीर..

सादर शार्दुला

sanjiv 'salil' ने कहा…

कुसुम देव-सिर पर चढ़े, पग छू क्यों दे पाप.
शब्दराधन कर सकूँ, शुभाशीष दें आप..

Amitabh Tripathi ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी

अच्छे लगे आपके यमकीय प्रयोग
सादर
अमित

--
अमिताभ

shriprakash shukla ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी,
रुचिकर लगे यह सभी दोहे | बधाई
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल

- उद्धृत पाठ दिखाएं -
Web:http://bikhreswar.blogspot.com/

Amitabh Tripathi ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी

अच्छे लगे आपके यमकीय प्रयोग
सादर
अमित

--
अमिताभ

shriprakash shukla ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी,
रुचिकर लगे यह सभी दोहे | बधाई
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल