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रविवार, 9 अगस्त 2009

हर पहर ...

हर पहर ...
राजीव शर्मा
उमरिया म.प्र.

सुबह है तेरे
पांव की पायल
शाम है तेरे
आंख का काजल
और दोपहर
ऐसे जैसे
तूने ली हो अंगड़ाई