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शुक्रवार, 14 मई 2021

लघुकथा

लघुकथा
कानून के रखवाले
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'हमने आरोपी को जमकर सबक सिखाया, उसके कपड़े तक ख़राब हो गये, बोलती बंद हो गयी। अब किसी की हिम्मत नहीं होगी हमारा विरोध करने की। हम किसी को अपना विरोध नहीं करने देंगे।'
वक्ता की बात पूर्ण होने के पूर्व हो एक जागरूक श्रोता ने पूछा- ''आपका संविधान और कानून के जानकार है और अपने मुवक्किलों को उसके न्याय दिलाने का पेशा करते हैं। कृपया, बताइये संविधान के किस अनुच्छेद या किस कानून की किस कंडिका के तहत आपको एक सामान्य नागरिक होते हुए अन्य नागरिक विचाराभिव्यक्ति से रोकने और खुद दण्डित करने का अधिकार प्राप्त है?"
अन्य श्रोता ने पूछा 'क्या आपसे असहमत अन्य नागरिक आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करे तो वह उचित होगा?'
"यदि नागरिक विवेक के अनुसार एक-दूसरे को दण्ड देने के लिए स्वतंत्र हैं तो शासन, प्रशासन और न्यायालय किसलिए है? ऐसी स्थिति में आपका पेशा ही समाप्त हो जायेगा। आप क्या कहते हैं?" चौथा व्यक्ति बोल पड़ा।
प्रश्नों की बौछार के बीच निरुत्तर-नतमस्तक खड़े थे कानून के तथाकथित रखवाले।
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१४-५-२०१६

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