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गुरुवार, 28 सितंबर 2017

hindi ke naye chhand 8- abhiyan chhand

हिंदी के नए छंद ८
पाँच मात्रिक याज्ञिक जातीय अभियान छंद 
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प्रात: स्मरणीय जगन्नाथ प्रसाद भानु रचित छंद प्रभाकर के पश्चात हिंदी में नए छंदों का आविष्कार लगभग नहीं हुआ। पश्चातवर्ती रचनाकार भानु जी के ग्रन्थ को भी आद्योपांत कम ही कवि पढ़-समझ सके। २-३ प्रयास भानु रचित उदाहरणों को अपने उदाहरणों से बदलने तक सीमित रह गए। कुछ कवियों ने पूर्व प्रचलित छंदों के चरणों में यत्किंचित परिवर्तन कर कालजयी होने की तुष्टि कर ली। संभवत: पहली बार हिंदी पिंगल की आधार शिला गणों को पदांत में रखकर छंद निर्माण का प्रयास किया गया है। माँ सरस्वती की कृपा से अब तक ३ मात्रा से दस मात्रा तक में २०० से अधिक नए छंद अस्तित्व में आ चुके हैं। इन्हें सारस्वत सदन में प्रस्तुत किया जा रहा है। आप भी इन छंदों के आधार पर रचना करें तो स्वागत है। शीघ्र ही हिंदी छंद कोष प्रकाशित करने का प्रयास है जिसमें सभी पूर्व प्रचलित छंद और नए छंद एक साथ रचनाविधान सहित उपलब्ध होंगे।भवानी, राजीव, साधना, हिमालय, आचमन, ककहरा व तुहिनकण के पश्चात प्रस्तुत है अभियान छंद।
छंद रचना सीखने के इच्छुक रचनाकार इन्हें रचते चलें तो सहज ही कठिन छंदों को रचने की सामर्थ्य पा सकेंगे।
अभियान छंद
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विधान:
प्रति पद ५ मात्राएँ।
पदांत: जगण।
सूत्र: ल ज, लघु + जगण, लघु जभान, १ १२१।
उदाहरण:
गीत-
अठ याम  
कर काम।  
मत हार  
वर नाम।    
सपना न 
तज यार।  
तजना न 
मन प्यार।  
दिल को न    
झट वार। 
गर वार  
मत हार। 
बिसरा न  
परिणाम। 
अठ याम  
कर काम। 
करना न  
अभिमान। 
तजना न 
सम मान। 
मँगना न 
वरदान।  
कर पूर्ण  
अभियान।  
बन ख़ास  
मत आम।    
अठ याम  
कर काम। 
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salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
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