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गुरुवार, 28 सितंबर 2017

hindi ke naye chhand 7- tuhinkan chhand

हिंदी के नए छंद ७
पाँच मात्रिक याज्ञिक जातीय तुहिनकण छंद
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पहली बार हिंदी पिंगल की आधार शिला गणों को पदांत में रखकर छंद निर्माण का प्रयास है। माँ सरस्वती की कृपा से अब तक ३ मात्रा से दस मात्रा तक में २०० से अधिक नए छंद अस्तित्व में आ चुके हैं। भानु जी के अनुसार छंद रचना हेतु कम से कम ७ मात्रा की पंक्तियाँ आवश्यक हैं। माँ सरस्वती की कृपा से यहाँ ५ मात्राओं की पंक्तियों से बनानेवाले १० छंद क्रमश: प्रस्तुत किये जा रहे हैं। छंद रचना सीखने के इच्छुक रचनाकार इन्हें रचते चलें तो सहज ही कठिन छंदों को रचने की सामर्थ्य पा सकेंगे। ५ मात्रिक भवानी, राजीव, साधना, हिमालय, आचमन, ककहरा छंदों के बाद प्रस्तुत है तुहिनकण छंद
तुहिनकण छंद
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विधान:
प्रति पद ५ मात्राएँ।
पदादि: नगण।
पदांत: नगण।
सूत्र: न ल ल = १११ ११।
ल ल न = ११ १११।
उदाहरण:
मुक्तिका-
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यक-ब-यक
चल, न रुक
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मत अकड़
अड़, न झुक
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जल अगर
मर, न बुझ
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चल सतत
थक, न रुक
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कवि 'सलिल'
तज न तुक
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#हिंदी_ब्लॉगर
salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
http://divyanarmada.blogspot.com
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