लघु कथा
अस्मिता का मंत्रोच्चार
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उसे एकाकी कार चलाते देख रात के सन्नाटे में मनमानी का सुनहरा अवसर जान हमलावर हुए कुत्सित मनोवृत्ति के दो नेता पुत्रों को गिरफ्तार कराकर अस्मिता ने चैन की साँस ली। सुबह समाचार सुने तो पता चला कि पुलिस ने गैर जमानती धाराएँ बदल कर दोनों को न केवल थाने से ही रिहा कर दिया अपितु उनकी खातिरदारी कर माफी भी माँगी क्योंकि वे नेता पुत्र थे।
उसने हार न मानते हुए थाणे में ही इसका विरोध किया। सुराग मिलते ही पत्रकारगण एकत्र हो गए।
पूरा प्रकरण खबरिया चैनलों के आकर्षण का केंद्र बन गया। विपक्षी नेताओं को सता पक्ष की बखिया उधेड़ने का सुनहरा मौक़ा मिला। सत्ता दल की महिला प्रवक्ता ने अपने दल को नारी-हितों का रक्षक बताया तो चारों ओर से घेर ली गयीं। जन भावनाओं का सम्मान करते हुए सपूतों की करतूत के कारण नेताजी को त्यागपत्र देना पड़ा।
लोकतंत्र के मंदिर में गूँजने लगा अस्मिता का मंत्रोच्चार।
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