दोहा दुनिया
दिन-दिन बेहतर हो सृजन, धीरज है अनिवार्य
सधते-सधते ही सधें, जीवन में सब कार्य *
दिन-दिन बेहतर हो सृजन, धीरज है अनिवार्य
सधते-सधते ही सधें, जीवन में सब कार्य *
तन मिथिला मिथलेश मन, बिंब सिया सुकुमार
राम कथ्य संजीव हो, भाव करे भाव-पार
*
काव्य-कामिनी-कांति को, कवि निरखे हो मुग्ध
श्यामल दिलवाले भ्रमर, हुए द्वेष से दग्ध
*
कमी न हो यदि शब्द की, तो भी खर्चें सोच
दृढ़ता का मतलब नहीं, गँवा दीजिए लोच
*
शब्द-शब्द में निहित हो, शुभ-सार्थक संदेश
मुक्तक
*
जय शारदा मनाऊँ आपको?
छंद-प्रसाद चढ़ाऊँ आपको
करूँ कल्पना, मिले प्रेरणा
नयनारती सुनाऊँ आपको।।
*
जय शारदा मनाऊँ आपको?
छंद-प्रसाद चढ़ाऊँ आपको
करूँ कल्पना, मिले प्रेरणा
नयनारती सुनाऊँ आपको।।
*
बाल मुक्तक
जगा रही आ सुबह चिरैया
फुदक-फुदक कर ता-ता-थैया
नहला, करा कलेवा भेजे
सदा समय पर शाला मैया
*
फुदक-फुदक कर ता-ता-थैया
नहला, करा कलेवा भेजे
सदा समय पर शाला मैया
*
मुक्तक
मुक्त हुआ मन बंधन तजकर मुक्त हुआ
युक्त हुआ मन छंदों से संयुक्त हुआ
दूर-दूर तन रहे, न देखा नयनों ने
धन्य हुआ मैं हिंदी हेतु प्रयुक्त हुआ
*
मुक्त हुआ मन बंधन तजकर मुक्त हुआ
युक्त हुआ मन छंदों से संयुक्त हुआ
दूर-दूर तन रहे, न देखा नयनों ने
धन्य हुआ मैं हिंदी हेतु प्रयुक्त हुआ
*
सपने में भी फेसबुक दिखती सारी रात
चलो, कार्य शाला चलो नाहक करो न बात
इसको मुक्तक सीखना, उसे पूछना छंद
मात्रा गिनते जागकर ज्यों निशिचर की जात
*
चलो, कार्य शाला चलो नाहक करो न बात
इसको मुक्तक सीखना, उसे पूछना छंद
मात्रा गिनते जागकर ज्यों निशिचर की जात
*
षट्पदी
*
नत मस्तक है है हर कवि लेता बिम्ब उधार
बिना कल्पना कब हुआ कवियों का उद्धार?
कवियों का उद्धार, कल्पना पार लगाती
जिससे हो नाराज उसे ठेंगा दिखलाती
रहे 'सलिल' पर सदय, तभी कविता दे दस्तक
धन्य कल्पना होता है हर कवि नतमस्तक
*
*
नत मस्तक है है हर कवि लेता बिम्ब उधार
बिना कल्पना कब हुआ कवियों का उद्धार?
कवियों का उद्धार, कल्पना पार लगाती
जिससे हो नाराज उसे ठेंगा दिखलाती
रहे 'सलिल' पर सदय, तभी कविता दे दस्तक
धन्य कल्पना होता है हर कवि नतमस्तक
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें