
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.
चित्र पर कविता 
संजीव
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जब कविता ही सामने, कलम लिये हो हाथ
संजीव
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जब कविता ही सामने, कलम लिये हो हाथ
सलिल नहीं कविता करे, यह कैसे हो नाथ?
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प्रश्नाकुल हैं नयन पर, उत्तर हुए अशेष 
खाली प्याला चाय का, कहे कहानी शेष 
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युग कागज़ को समेटे, तरुणी बनी सवाल 
संसद या जम्हूरियत के जी का जंजाल?
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कोरे कागज़ पर लिखूँ, क्या? जो दे संतोष 
जिससे तनिक समृद्ध हो, सरस्वती का कोष 
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श्यामल कंगन हाथ का, युग की नज़र उतार 
कहे आम को ही चुनो, ख़ास तजो इस बार 
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Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
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