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रविवार, 16 जनवरी 2011

अवधी हाइकु सलिला: संजीव वर्मा 'सलिल'

अवधी हाइकु सलिला:  

संजीव वर्मा 'सलिल'

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सुखा औ दुखा
रहत है भइया
घर मइहाँ.
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घाम-छांहिक
फूला फुलवारिम
जानी-अंजानी.
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कवि मनवा
कविता किरनिया
झरझरात.
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प्रेम फुलवा
ई दुनियां मइहां
महकत है.
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रंग-बिरंगे
सपनक भित्तर
फुलवा हन.
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नेह नर्मदा
हे हमार बहिनी
छलछलात.
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अवधी बोली
गजब के मिठास
मिसरी नाई.
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अवधी केर
अलग पहचान
हृदयस्पर्शी.
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बेरोजगारी
बिखरा घर-बार
बिदेस प्रवास.
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बोली चिरैया
झरत झरनवा
संगीत धारा.
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