धरs माया पs हात तू, होवे बड़ा पार.
हात थाम कदि साथ दे, सरग लगे संसार..
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सोन्ना को अंबर लगs, काली माटी म्हांर.
नेह नरमदा हिय मंs, रेवा की जयकार..
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वउ -बेटी गणगौर छे, संझा-भोर तिवार.
हर मइमां भगवान छे, दिल को खुलो किवार..
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'सलिल' अगाड़ी दुखों मंs, मन मं धीरज धार.
और पिछाड़ी सुखों मंs, मनख रहां मन मार..
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सिंगा की सरकार छे, ममता को दरबार.
'सलिल' नित्य उच्चार ले, जय-जय-जय ओंकार..
*
लीम-बबुल को छावलो, सिंगा को दरबार.
शरत चाँदनी कपासी, खेतों को सिंगार..
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मतवाला किरसाण ने, मेहनत मन्त्र उचार.
सरग बनाया धरा को, किस्मत घणी सँवार..
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नाग जिरोती रंगोली, 'सलिल' निमाड़ी प्यार.
घट्टी ऑटो पीसती, गीत गूंजा भमसार..
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रयणो खाणों नाचणो, हँसणो वार-तिवार.
गीत निमाड़ी गावणो, चूड़ी री झंकार..
*
कथा-कवाड़ा वाsर्ता, भरसा रस की धार.
हिंदी-निम्माड़ी 'सलिल', बहिनें करें जगार..
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--- दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 18 मार्च 2010
निमाड़ी दोहा ग़ज़ल : संजीव 'सलिल'
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6 टिप्पणियां:
सारे शब्द तो नहीं समझ पाई, फिर भी जितना समझ पाई हूँ बस इतना ही कह पाउंगी अति सुन्दर !!
nimaadi samajh nahin aayi lekin kavitaai poori samajh aayi.........
isliye meri bhi badhai !
मुश्किल हुआ समझना!
ब्लॉगर Udan Tashtari …
फिर भी समझ आ गई, बधाई..
लोकभाषाओं को समझने के लिए बार-बार पढना पड़ता है. मेरे लिए तो भोजपुरी, निमाड़ी, अवधी सभी अपरिचित हैं पर मैं प्रयास करता हूँ कि इन्हें पढूँ, लिखूं और संभव हो हो तो बोलने का प्रयास करूँ. राष्ट्रीय भाषिक एकता ऐसे ही हो सकती है. आप भी इसमें सहभागी हों.
भाई गिरीश बिल्लोरे मूलतः निमाड़ के ही हैं. उनसे आग्रह है कि इंन दोहों के अर्थ खड़ी बोली हिंदी में कर दें ताकि भाई अलबेला खत्री जी की कठिनाई दूर हो सके.
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