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मंगलवार, 29 सितंबर 2009

शिवानन्द वाणी

शिवानन्द वाणी


सावधानी और अन्तरावलोकन द्वारा सदा मानसिक
परिस्थितियों का ध्यान रखना चाहिए। मन में किसी
प्रकार का निषेधात्मक या अनिश्चित भाव प्रकट नहीं
होने देना चाहिए। कलुषित भावना को शुद्ध भावना
में बदल देना चाहिए।


YOU SHOULD BE EVER WATCHING THE
MENTAL STATES THROUGH CAREFUL AND
VIGILANT INTROSPECTION, AND SHOULD NOT
ALLOW ANY NEGATIVE AND UNDESIRABLE
BHAVA TO MANIFEST. YOU MUST
IMMEDIATELY CHANGE THE EVIL BHAVA
BY THINKING OF THE OPPOSITE BHAVA.
(Swami Sivananda)

अंतर अवलोकन करें, कलुषित तजें विचार.
शुद्ध-सुनिश्चित भाव से, हरि के हों दीदार. दोहानुवाद-सलिल


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SERVE ALL CREATURES OF GOD. THE SERVICE OF SERVANTS OF GOD IS HIS REAL WORSHIP

2 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

आपकी रचनाओं पर टिप्पणै करने की सामर्थ्य तो मेरी कलम मे नहीं है बस सादर नमन ही कर सकती हूँ बहुत बहुत बधाई

Shanno Aggarwal ने कहा…

सबके लिये कितना सुंदर सन्देश दिया है इन पंक्तियों में. धन्यबाद!