कर दर्शन मंत्र हिन्दी पद्यानुवाद
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले च शक्ति: प्रभाते करदर्शनम्॥
अर्थ: उंगलियों के पोरों में लक्ष्मी जी निवास करती हैं, हथेली के मध्य भाग में सरस्वती जी और हथेली के मूल में देवी शक्ति। सवेरे-सवेरे इनका दर्शन करना पुण्यप्रद है।
विधि: प्रात:काल उठते ही दोनों हाथ खोलकर उनके दर्शन करने चाहिए।
लाभ: दिनभर चित्त प्रसन्न रहता है और कार्यो में सफलता मिलती है।
हिन्दी भावानुवाद
द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध
लक्ष्मी ,सरस्वती ,शक्ति के ," कर" में हैं स्थान
करिये प्रातः हथेली का , प्रिय दर्शन-ध्यान !!
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
रविवार, 6 सितंबर 2009
कर दर्शन मंत्र हिन्दी पद्यानुवाद

सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
2 टिप्पणियां:
nice
continue such mantras.
एक टिप्पणी भेजें