कुल पेज दृश्य

शनिवार, 12 सितंबर 2009

मेघदूतम् हिन्दी पद्यानुवाद श्लोक १ से ५ पद्यानुवादक .. प्रो.सी. बी. श्रीवास्तव "विदग्ध "

मेघदूतम् हिन्दी पद्यानुवाद
महा कवि कालिदास कृत संस्कृत ..मेघदूतम्

हिन्दी पद्यानुवादक .. प्रो.सी. बी. श्रीवास्तव "विदग्ध "
संपर्क ओबी ११ , विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर म.प्र. ४८२००८
मोबा. ०९४२५८०६२५२, फोन ०७६१२६६२०५२



पूर्वमेघः


कश्चित कान्ताविरहगुरुणा स्वाधिकारात प्रमत्तः
शापेनास्तंगमितमहिमा वर्षभोग्येण भर्तुः
यक्षश चक्रे जनकतनयास्नानपुण्योदकेषु
स्निग्धच्चायातरुषु वसतिं रामगिर्याश्रमेषु॥१.१॥

पदच्युत , प्रिया के विरहताप से
वर्ष भर के लिये , स्वामिआज्ञाभिशापित
कोई यक्ष सीतावगाहन सलिलपूत
घन छांह वन रामगिरि में निवासित




तस्मिन्न अद्रौ कतिचिद अबलाविप्रयुक्तः स कामी
नीत्वा मासान कनकवलयभ्रंशरिक्तप्रकोष्ठः
आषाढस्य प्रथमदिवसे मेघम आश्लिष्टसानुं
वप्रक्रीडापरिणतगजप्रेक्षणीयं ददर्श॥१.२॥

बिताते कई मास दौर्बल्य के वश
कनकवलय शोभा रहित हस्तवाला
प्रथम दिवस आषाढ़ के अद्रितट
वप्रक्रीड़ी द्विरद सम लखी मेघमाला




तस्य स्थित्वा कथम अपि पुरः कौतुकाधानहेतोर
अन्तर्बाष्पश चिरम अनुचरो राजराजस्य दध्यौ
मेघालोके भवति सुखिनो ऽप्य अन्यथावृत्ति चेतः
कण्ठाश्लेषप्रणयिनि जने किं पुनर दूरसंस्थे॥१.३॥

हुआ स्तब्ध , चिंतित , प्रिया स्व्पन में रत
उचित जिन्हें लख विश्व चांच्ल्य पाता
उन आषाढ़घन के सुखद दर्शनो से
प्रियालिंगनार्थी हृदय की दशा क्या ?



प्रत्यासन्ने नभसि दयिताजीवितालम्बनार्थी
जीमूतेन स्वकुशलमयीं हारयिष्यन प्रवृत्तिम
स प्रत्यग्रैः कुटजकुसुमैः कल्पितार्घाय तस्मै
प्रीतः प्रीतिप्रमुखवचनं स्वागतं व्याजहार॥१.४॥

पर धैर्य धारे शुभेच्छुक प्रिया का
कुशल वार्ता भेजने मेघ द्वारा
गिरि मल्लिका के नये पुष्प से...
पूजकर , मेघ प्रति बोल , सस्मित निहारा

2 टिप्‍पणियां:

Divya Narmada ने कहा…

सरस सरल मनहर हुआ, सत्य कहूँ अनुवाद.
सार-सार को गह लिया, शब्द-शब्द संवाद.

साधुवाद है आपको, कार्य किया करणीय.
पंक्ति-पंक्ति में छिपे हैं, कथ्य-तथ्य मननीय..

anchit nigam ने कहा…

achachha anuvad, pathneeya.