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शनिवार, 13 जून 2009

श्री प्राण शर्मा को जन्म दिन की बधाई

प्राण बिन निष्प्राण सी लगती गजल.

प्राण पा सम्प्राण हो सजती गजल.


बहर में कह रहे बातें अनकही-

अलंकारों से सजी रुचती गजल.


गुजारिश है दिन-ब-दिन रहिये जवां

और कहिये रोज ही महती गजल.


जन्मदिन की शत बधाई लीजिये.

दीजिये बिन कुछ कहे कहती गजल.


'सलिल' शैदा आपके फन पर हुआ-

नर्मदा की लहर सी बहती गजल.



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6 टिप्‍पणियां:

vijay kumar sappatti ने कहा…

aacharaya ji ,namaskar..narmada ji ka chitr lagakar aapne mere man ko jo prasanta di hai ,wo main kah nahi sakta ...main narmda ji se bahut prem karta hoon aur jab bhedaghat me unhe dekha to man abhibhoot ho gaya .

aaj aapne pran ji ke upar me bi itni achi gazal kahi hai ..

aapko pranam aur naman.

dhanyawad.

vijay
pls read my new poem :
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html

vijay kumar sappatti ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी ;

मैंने एक छोटी सी रचना लिखी है आदरणीय प्राण जी के जन्मदिन पर..
मेरे परिवार के ओर से उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं !!! ..... ये एक छोटी सी
गुरुदाक्षिणा है चरण स्पर्श के साथ.........

नमस्कार
आपका

विजय

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जन्मदिन

आज कुल जहान की खुशियाँ सिर्फ आपको मिले
आज आपको सारी दुनिया की बहुत सी दुआ मिले
यही प्रार्थना है प्रभु से की आपको लम्बी उम्र मिले
आपके जन्मदिन से हर बरस आपको सुख मिले !!!

जीवन की राहो में आपके ,सदा फूल खिले मिले
बीते बरसो के अनुभव से आपको सिर्फ प्यार मिले
कायनात से भी झुककर आपको बहुत से सलाम मिले
आपके जन्मदिन से हर बरस आपको सुख मिले !!!

साहित्य जगत को सदा आपका मार्गदर्शन मिले
हम जैसे बन्दों को सदा आपका आर्शीवाद मिले
आपकी नयी गज़लों का स्वाद हमेशा चखने को मिले
आपके जन्मदिन से हर बरस आपको सुख मिले !!!

हमें नाज़ है आप पर , कि आप हमें इस रूप में मिले
उस प्रभु के शुक्रगुजार है की आपके आर्शीवाद हमें मिले
आपके चरणस्पर्श के साथ मेरी ये छोटी सी भेंट आपको मिले
आपके जन्मदिन से हर बरस आपको सुख मिले !!!

महावीर ने कहा…

इस रचना में बहुत ही सुंदर शब्दों में श्री प्राण शर्मा को जन्म दिन की बधाई दी है.
आपको भी ऐसी सुन्दर रचना के लिए बधाई.
महावीर शर्मा

अर्चना श्रीवास्तव ने कहा…

अभी तक आपके गीत औए दोहे पढ़े थे पर आप तो ग़ज़ल भी बढ़िया लिख लेते हैं. बधाई.

प्राण शर्मा ने कहा…

आदरणीय "सलिल" जी ,

हिंदी के पीयूष वर्ष छंद (बहरे-ऐ-रमल) में आपकी शुभ कामनाओं ने मेरे ह्रदय में अपार खुशियाँ भर दी हैं.आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.

आप भी ग़ज़ल अच्छी कह लेते हैं.आपके शेरों ने मन मोह लिया है.

शेर कहना ज़ारी रखिये.शेर और दोहा में कोई विशेष अंतर नहीं है.

आशा है कि आप सानंद हैं.
मेरी शुभ कामनाएं स्वीकार कीजिये.
प्राण शर्मा

दिव्य नर्मदा divya narmada ने कहा…

आत्मीय!

वन्दे मातरम.

इस विधा में ५०० से अधिक रचनाओं के बाद भी संकीर्ण दृष्टिवाले मठाधीशों से निरर्थक विवाद न हो इस दृष्टि से मैं इन्हें गीतिका या मुक्तिका ही कहता हूँ. यथा अवसर आप जैसे श्रेष्ठ-ज्येष्ठ कवी के सामने इन्हें प्रस्तुत करने का सौभाग्य मले तो धन्यता अनुभव होगी.

-सलिल

दिव्यनर्मदा@जीमेल.कॉम पर.

-संजीव 'सलिल'

शुभेच्छु

सलिल