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बुधवार, 12 सितंबर 2012

व्यंग चित्र cartoon :

व्यंग चित्र cartoon : 


आभार:  दीप्ति गुप्ता 

: नर्मदा जल से साबरमती का कायाकल्प :

: नर्मदा जल से साबरमती का कायाकल्प :

कुछ वर्ष पूर्व अहमदाबाद गया था. निर्जल साबरमती नदी की सुनहरी रेत देखकर मायूसी हुई थी. सूनापन, और गन्दगी के साथ कहीं कहीं डबरों में मैला पानी. चतुर्दिक निर्माण कार्य गति पर थे.


स्थानीय मित्रों से ज्ञात हुआ कि एक महत्वाकांक्षी योजना मूर्त रूप ले रही है जिसमें १३६ मील दूर बह रही नर्मदा नदी का पानी लाया जायेगा. एक सिविल इंजीनियर होते हुए भी मैं इस योजना के उस भव्य-दिव्य रूप की कल्पना नहीं कर सका था जो आज सामने है. 


आज नर्मदा जल से लबालब भरी साबरमती नदी के दर्शन कर आँखों को सुकून, मन को शांति और रूह को करार मिलता है. साबरमती के तट पर यहीं बापू का वह आश्रम है जहाँ स्वाधीनता-सत्याग्रह की अनेक स्मृतियाँ आज तक जीवंत हैं. 


गंगा, यमुना, सरयू, गोमती बागमती (पशुपतिनाथ मंदिर, नेपाल) आदि नदियाँ अत्यधिक प्रदूषण और जलाभाव के कारण दम तोड़ने की कगार पर हैं। सनातन सलिला नर्मदा के जल से गुजरात की नदियों को पुनर्जीवन मिलते देखना सुखद है.




साबरमती नहरों के तट सौर ऊर्जा की पैनलों से सज्जित हैं जिनसे विद्युत उत्पादन के साथ-साथ जल के वाष्पीकरण को रोकने का कार्य भी किया जा रहा है.


कभी जवाहरलाल नेहरु ने भाखरा बांध को भारत का नया तीर्थ कहा था. आज साबरमती का यह तट भारत का अधुनातन तीर्थ कहे जाने के दावा करे तो अतिशयोक्ति न होगी.
 

नर्मदा तट से मात्र १२ कि.मी. पर जबलपुर का वासी मैं सनातन सलिला नर्मदा के प्रति शहरवासियों, अधिकारियों, नेताओं, पत्रकारों और साधु-संतों की उदासीनता का साक्षी हूँ.
 

क्या साबरमती नदी के ये दृश्य हमें अपने आस-पास की नदियों को इस रूप में लाने की प्रेरणा देंगे? क्या हम जनगण के सुप्त जनमत को जागृत करने की दिशा में सक्रिय होंगे?




जब जागें तभी सवेरा... इन दृश्यों के फ्लेक्स बोर्ड नदियों के तटों पर टाँग कर जानता का आव्हान किया जाए. अख़बारों में लेख लिखे जाएँ. हर नदी को माता मानकर सुबह-शाम उसकी आरती हो. नदी में स्नान ना  कर नदी के तट पर स्नानागार बनवाकर उनमें स्नान हो ताकि मलिन जल शुद्ध कर पुनः नदी में डाला जा सके.


नदी में मूर्तियाँ, पूजन सामग्री तथा अंतिम क्रिया की सामग्री विसर्जित न की जाए. नदी के समीप विसर्जन कुंड  बनाकर उनमें तर्पण विसर्जन आदि क्रियाएँ हों. नदी के तटों पर सुरम्य उद्यान, पक्षी विहार आदि हों.

 

परिवर्तन का कोई भी कार्य कठिन ही होता है पर असंभव नहीं होता. एक छोटी शुरुआत हो तो भी कुछ न कुछ परिणाम तो देती ही है.


 नमन साबरमती को, गुजरात के जननायक नरेंद्र मोदी के संकल्प को, नमन संकल्प को मूर्तित करनेवाले अभियंताओं को, नमन जनता जनार्दन को.

*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
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0761 2411131 / 94251 83244



जीवन: द्विपदी

जीवन: द्विपदी
नहीं खास की उपस्थिति, बिन जीवन हो व्यर्थ।
दे अनुभूति विशिष्ट ही, जीवन को नव-अर्थ।।

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Acharya Sanjiv verma 'Salil'

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पौधे लगाइए - पेड़ बचाइए

पौधे लगाइए - पेड़  बचाइए

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हिंदी दोहा hindi doha english couplets अंगरेजी द्विपदियाँ

हिंदी दोहा hindi doha 
Poem: couplets   अंगरेजी द्विपदियाँ 
सहज-सरल सकता बदल, वर्तमान की चाह।
सुलभ-सुगम बदलाव कर, दे सकता नव राह।।
मत दिमाग- दिल से करें, अपने निर्णय आप।
अंतर्मन में सकेगा, शुभ-मंगल तब व्याप।।
मत विस्मृत करिए कभी, अपना मूल स्वरूप।
देख दमकता सितारा, नील गगन का भूप।।

parivartan kar asdgee, 

मंगलवार, 11 सितंबर 2012

आज का विचार / thought of the day:

आज का विचार:
 thought of the day:

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जीवन का विस्तार न्यून है ...
*
प्रातः उठकर पछताओ मत,
सद्व्यवहार करें जो तुमसे,
उनको मन से बिसराओ मत। 
और करें व्यवहार बुरा जो-
उनसे बोलो बिना हिचक यह-
याद कभी हमको आओ मत।
 *
नहीं अकारण, कुछ भी होता,
जो होता होते रहने दो,मिलता अवसर कोई न खोता।
खुद को विहँस बदल लेने दो,
किसने कहा सरल परिवर्तन?
देखो, उन्नति पथ गहने दो।
*
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कविता: आस्था बीनू भटनागर

कविता:
आस्था

बीनू भटनागर



*
मेरी आस्था मेरी पूजा का नाता मन मस्तिष्क से है,
और है आत्मा से।

मेरी पूजा मे ना पूजा की थाली है,
ना अगरबत्ती का सुगन्धित धुँआ है,
प्रज्वलित दीप भी नहीं है इसमे,
फल फूल प्रसाद से भी है ख़ाली,
क्योंकि,
मेरी आस्था मे  प्रार्थना व  ,शुकराना  है,
और है समर्पण भी।

मेरी आस्था मे न है सतसंग कीर्तन,
ना ही कोई समुदाय है ना संगठन,
मेरी आस्था तो केवल आस्था है,
ये तो है मुक्त है और है बंधन रहित
क्योंकि
मेरी आस्था मे ना कोई दिखावा है।
और है न प्रपंच कोई
मेरे ईश को अर्पण कर सकूं ऐसा,
मेरे पास नहीं है कुछ वैसा
वो दाता है जो भी देदे वो,
हर पल उसका शुकराना है,
क्योंकि,,
मेरी आस्था का नाता है विश्वास और विवेक से
जुड़े निर्णय मे ओर अनुभव मे




ए-104 अभयन्त अपार्टमैन्ट
वसुन्धरा एनक्लेव
दिल्ली-110096
फ़ोन-01147072765
मो.9891468905

कविता: 'दुलारते शब्द' दीप्ति गुप्ता

कविता:
'
दुलारते शब्द'         
 दीप्ति गुप्ता
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 शब्द तुम्हारे अथाह प्यार में  सीझे
 मुझे दुलारते, हौले से छूते, पूछते
 ‘कैसी  हो....ठीक तो हो न.......?’
 अपना खूब ख्याल रखना...!’
 ये शब्द मेरे जीने का कितना बड़ा सहारा है
 कोई मुझसे जाने, कोई मुझसे  पूछे
 मैं तुम्हारे शब्दों  से झरते प्यार में तर,
 मिठास में डुबक, निशब्द
 मुस्कुरा के रह जाती हूँ
 मेरी उस मगन खामोशी को
 तुम पास  हो या दूर  हो,,
  न जाने कैसे पढ़ लेते हो...!
 और समझ लेते हो मेरे महीन से महीनतर
 सुकुमार से सुकुमारतर मदिर, मधुर एहसासों को
 सहमती हूँ, डरती हूँ कि इन्हें
 न लग जाए मेरी ही नज़र  !
 मेरे मन में बसी प्यार की 'मनस-झील'
 तुम्हारे एकनिष्ठ लाड-दुलार से भरती जाती है
 पल-पल  छिन-छिन, टुप-टुप, टिप-टिप
 प्यार में खोई - मौन साधना में लीन
 उस सघन झील में तुम कभी भी
 हरहरा कर बहते अपने प्यार का छींटा  
 कहीं से भी इस तेज़ी से उछाल देते हो कि
 अपनी  दुनिया में खोई निशब्द, निस्पंद 
 वो  मनस-झील सिहर उठती है
 और कम्पायमान रहती है, बहुत लम्बे समय तक
 तुम्हारे प्यार का छींटा इतना ऊर्जित और सशक्त है
 इस झील को गहरे तक तरंगायित करने के लिए
 गर, किसी दिन तुमने ढेर प्यार एकसाथ उड़ेल दिया तो
 ये अपने कूल तोड कर ओर-छोर  न बह निकले....
 तब मैं कैसे सम्हालूंगी  ‘इसे ’,  ‘अपने को’ और
 तुम  पर  उमड़े  अपने  ‘प्यार को.......!.
 मैं अक्सर सोचती हूँ और सोचती रह जाती हूँ
 और तुम्हारे  प्यार  में  डूबती  जाती हूँ........!!
 
१०.९.२०१२

Thoughts of the Day:

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तुलसी वंदन दीप्ति गुप्ता / संजीव 'सलिल'


तुलसी वंदन 



'तुलसी  के बिरवे तले'




-- दीप्ति गुप्ता



तुलसी  के छोटे बिरवे तले
देखे   है  शांत  रौशन  दिये
नन्हे से,छोटे से, हों वे भले
दिव्यता  से  हैं   होते   भरे



मन्नतें घर-भर   की  लिये
अपनी दमकती लौ  में  धरे
पहुंचाते  प्रभु को  सांझ ढले
सबकी अरज  आस पूरी करें



मन में उगाओ तुलसी का बिरवा
और जलाओ  एक  नेह का दिया
देखो  फिर,  कैसा   उजाला  भरे
मन   में   भरा   तम    दूर   करे



दोहा सलिला:
तुलसी वंदन 
संजीव 'सलिल'
 

तुलसी वंदन कर मिला, शांति-सौख्य अनमोल.
कौन तराजू कर सके, जग में इसका तोल..




रामा तुलसी से कहे, श्यामा तुलसी सत्य.
मन का नाता सत्य है, तन का मोह असत्य..

 

तुलसी हुलसी तो लिया, तुलसी ने अवतार.
राम-भक्ति से तर गया, दिया जगत को तार..


 

तुलसी चौरे पर दिया, देता दीप्ति अनूप.
करें प्रणव-उच्चार नित, किंकर के सँग भूप..


 

अमल कमल सम हो 'सलिल', रहो पंक से दूर.
लहर-लहर कहती हहर, ठहर न होना सूर..






tulsi = ocemumsanctum -kraphao, holy basil

LIFE'S CHALLANGES

Life's Challenges

सोमवार, 10 सितंबर 2012

ASTROLOGICAL COMPATIBILITY TABLE:


ASTROLOGICAL COMPATIBILITY TABLE:
Your Sign Compatible Signs Incompatible Signs Opposite Sign
Aries Gemini Leo Sagittarius Aquarius Cancer Capricorn Libra
Taurus Cancer Virgo Capricorn Pisces Leo Aquarius Scorpio
Gemini Aries Leo Libra Aquarius Virgo Pisces Sagittarius
Cancer Taurus Virgo Scorpio Pisces Aries Libra Capricorn
Leo Aries Gemini Libra Sagittarius Taurus Scorpio Aquarius
Virgo Taurus Cancer Scorpio Capricorn Gemini Sagittarius Pisces
Libra Gemini Leo Sagittarius Aquarius Cancer Capricorn Aries
Scorpio Cancer Virgo Cap