माहिया गीत
मौसम के कानों में
संजीव 'सलिल'
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(माहिया:पंजाब का त्रिपदिक मात्रिक छंद है. पदभार 12-10-12, प्रथम-तृतीय पद सम तुकांत, विषम पद तगण+यगण+2 लघु = 221 122 11, सम पद 22 या 21 से आरंभ, एक गुरु के स्थान पर दो गुरु या दो गुरु के स्थान पर एक लघु का प्रयोग किया जाता है, पदारंभ में 21 मात्रा का शब्द वर्जित।)
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मौसम के कानों में
कोयलिया बोले,
खेतों-खलिहानों में।
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आओ! अमराई से
आज मिल लो गले,
भाई और माई से।
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आमों के दानों में,
गर्मी रस घोले,
बागों-बागानों में---
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होरी, गारी, फगुआ
गाता है फागुन,
बच्चा, बब्बा, अगुआ।
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प्राणों में, गानों में,
मस्ती है छाई,
दाना-नादानों में---
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संजीव वर्मा 'सलिल' ७९९९५५९६१८
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शुक्रवार, 7 मई 2021
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