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मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016

muktak

कार्यशाला 
प्रश्नोत्तरी मुक्तक-
माँ की मूरत सजीं देख भी आइये। 
कर प्रसादी ग्रहण पुण्य भी पाइये।। 
मन में झाँकें विराजी हैं माता यहीं 
मूँद लीजै नयन, क्यों कहीं जाइये?
*
उसे पढ़िए, समझिये और प्रश्नोत्तरी मुक्तक रचिए। कव्वाली में सवाल-जवाब की परंपरा रही है। याद करें सुपर हिट कव्वाली 'इशारों को अगर समझो राज़ को राज़ रहने दो'
***
मुक्तक-
आस माता, पिता श्वास को जानिए 

साथ दोनों रहे आप यदि ठानिए
रास होती रहे, हास होता रहे -
ज़िन्दगी का मजा रूठिए-मानिए
***

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