कार्यशाला १६
प्रश्नोत्तरी मुक्तक-
माँ की मूरत सजीं देख भी आइये।
कर प्रसादी ग्रहण पुण्य भी पाइये।।
मन में झाँकें विराजी हैं माता यहीं
मूँद लीजै नयन, क्यों कहीं जाइये?
*
इसे पढ़िए, समझिये और प्रश्नोत्तरी मुक्तक रचिए। कव्वाली में सवाल-जवाब की परंपरा रही है। याद करें सुपर हिट कव्वाली 'इशारों को अगर समझो राज़ को राज़ रहने दो'
प्रश्नोत्तरी मुक्तक-
माँ की मूरत सजीं देख भी आइये।
कर प्रसादी ग्रहण पुण्य भी पाइये।।
मन में झाँकें विराजी हैं माता यहीं
मूँद लीजै नयन, क्यों कहीं जाइये?
*
इसे पढ़िए, समझिये और प्रश्नोत्तरी मुक्तक रचिए। कव्वाली में सवाल-जवाब की परंपरा रही है। याद करें सुपर हिट कव्वाली 'इशारों को अगर समझो राज़ को राज़ रहने दो'
***
दूर कर वो पूछते हैं आ रहे?
फेरकर मुँह जा रहे पर भा रहे
आँख दिखलाकर भले धमका रहे
गीत मेरे मन ही मन में गा रहे
*
दूर कर वो पूछते हैं आ रहे?
फेरकर मुँह जा रहे पर भा रहे
आँख दिखलाकर भले धमका रहे
गीत मेरे मन ही मन में गा रहे
*
ज्योति तिमिर की जब कुण्डी खटकाती है
तब निशांत हो, उषा सुनहरी आती है
गौरैया-स्वर में कलरव कर हँसती है
सलिल-धार में रूप अरूप दिखाती है
*
तब निशांत हो, उषा सुनहरी आती है
गौरैया-स्वर में कलरव कर हँसती है
सलिल-धार में रूप अरूप दिखाती है
*
आस माता, पिता श्वास को जानिए
साथ दोनों रहे आप यदि ठानिए
रास होती रहे, हास होता रहे -
ज़िन्दगी का मजा रूठिए-मानिए
***
साथ दोनों रहे आप यदि ठानिए
रास होती रहे, हास होता रहे -
ज़िन्दगी का मजा रूठिए-मानिए
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें