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शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

chhand salila: gang chhand -sanjiv

छंद सलिला:
नौ मात्रिक छंद गंग
संजीव
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संजीव
(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रा वज्रा, उपेन्द्र वज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी, प्रेमा, वाणी, शक्तिपूजा, सार, माला, शाला, हंसी, दोधक, सुजान, छवि)

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९ वसुओं के आधार पर नौ मात्राओं के छंदों को वासव छंद कहा गया है. नवधा भक्ति,  नौ रस, नौ अंक, अनु गृह, नौ निधियाँ भी नौ मात्राओं से जोड़ी जा सकती हैं. नौ मात्राओं के ५५ छंदों को ५ वर्गों में विभाजित किया जा सकता है.
१. ९ लघु मात्राओं के छंद                  १
२. ७ लघु + १ गुरु मात्राओं के छंद       ७
३. ५ लघु + २ गुरु मात्राओं के छंद     २१
४. ३ लघु + ३ गुरु मात्राओं के छंद     २०
५. १ लघु + ४ गुरु मात्राओं के छंद      ५

नौ मात्रिक छंद गंग
नौ मात्रिक गंग छंद के अंत में २ गुरु मात्राएँ होती हैं.
उदाहरण:
१. हो गंग माता / भव-मुक्ति-दाता
   हर दुःख हमारे / जीवन सँवारो
   संसार चाहे / खुशियाँ हजारों
   उतर आसमां से / आओ सितारों
   जन्नत जमीं पे, नभ से उतारो
   शिव-भक्ति दो माँ / भाव-कष्ट-त्राता
२. दिन-रात जागो / सीमा बचाओ
   अरि घात में है / मिलकर भगाओ
   तोपें चलाओ / बम भी गिराओ
​   ​
​सेना लड़ेगी / सब साथ आओ ​


​३. बचपन हमेशा / चाहे कहानी ​

​   है साथ लेकिन / दादी न नानी ​

​   हो ज़िंदगानी / कैसे सुहानी ​

​   सुने न किस्से, न / बातें बनानी

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