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रविवार, 28 जून 2020

शारद वंदना

शारद वंदना
*
शारद मैया! कैंया लेओ

पल पल करता मन कुछ खटपट
चाहे सुख मिल जाए झटपट
भोला चंचल भाव अँजोरूँ
हूँ संतान तुम्हारी नटखट
आपन किरपा दैया! देओ
शारद मैया! कैंया लेओ

मो खों अच्छर ग्यान करा दे
परमशक्ति सें माँ मिलवा दे
इकनी एक, अनादि अजर 'अ'
दिक् अंबर मैया! पहना दे
किरपा पर कें नीचें सेओ
शारद मैया! कैंया लेओ

अँगुली थामो, राह दिखाओ
कंठ बिराजो, हृदै समाओ
सुर-सरगम-स्वर दे प्रसाद माँ
मत मोखों जादा अजमाओ
नाव 'सलिल' की भव में खेओ
शारद मैया! कैंया लेओ
*

शारद वंदना


शारद वंदना
श्वास शारदा माँ बसीं, हैं प्रयास में शक्ति
आस लक्ष्मी माँ मिलीं, कर मन नवधा भक्ति

त्रिगुणा प्रकृति नमन स्वीकारो,
तीन देव की जय बोलो
तीन काल का आत्म मुसाफिर,
कर्म-धर्म मति से तोलो

नमन करो स्वीकार शारदे! नमन करो स्वीकार
सब कुछ तुम पर वार शारदे आया तेरे द्वार

तुम आद्या हो, तुम अनंत हो
तुम्हीं अंत मेरी माता
ध्यान तुम्हारे में खोता जो, वही आप को पा पाता

पाती मन की कोरी इस पर, ॐ लिखूँ झट सिखला दो
सलिल बिंदु हो नेह नर्मदा, झलक पुनीता विख्याता

ग्यान तारिका! कला साधिका!
मन मुकुलित पुष्पा दो माँ!
'मावस को कर शरत् पूर्णिमा,
मैया! वरदा प्रख्याता

शुभदा सुखदा मातु वर्मदा,
देवि धर्मदा जगजननी
वीणा झंकृत कर दो मन की,
जीवन अर्पित हे प्राता

जड़ है जीव करो संजीवित, चेतन हो सत् जान सके
शिव-सुंदर का चित्र गुप्त लख
रहे सदा तुमको ध्याता
*
संजीव
१०-६-२०२०

शारद वंदन

शारद वंदन
*
बीना लेकर प्रगट हों, बीनावादिनी साथ
कृपा कोर कर हो सदय, रखो सीस पै हाथ

मोरी मति चकरानी है, ऐ मैया! मोए बचा लइयो
मो खों गैल भुलानी है, ऐ मैया! पार लगा दइयो

जनम-जनम की मैली चादर
रीती सत करमन की गागर
सदय नईं नटराज हो रए
दया नईँ कर रए नटनागर
प्रभु की कृपा करानी है, रमा-उमा लै आ जइयो

तनक न जानौं पूजन-वंदन
नईँ जुट रए अच्छत्-चंदन
प्रगट नें होते चित्रगुप्त जू
सदय नें होते गिरिजानंदन
दरसन की जिद ठानी है, ऐ मैया! दरस दिला दइयो

सारद! हंसबाहिनी माता
सकल भुवन तुमरे जस गाता
नीर-छीर मति दो ममतामई!
कलम लए कर रऔ जगराता
अलंकार रस छंद न जानूँ,  भगतें सुझा लिखा लइयो
*
संजीव
११-६-२०२०

शारद वंदना


शारद वंदना
श्वास शारदा माँ बसीं, हैं प्रयास में शक्ति
आस लक्ष्मी माँ मिलीं, कर मन नवधा भक्ति

त्रिगुणा प्रकृति नमन स्वीकारो,
तीन देव की जय बोलो
तीन काल का आत्म मुसाफिर,
कर्म-धर्म मति से तोलो

नमन करो स्वीकार शारदे! नमन करो स्वीकार
सब कुछ तुम पर वार शारदे आया तेरे द्वार

तुम आद्या हो, तुम अनंत हो
तुम्हीं अंत मेरी माता
ध्यान तुम्हारे में खोता जो, वही आप को पा पाता

पाती मन की कोरी इस पर, ॐ लिखूँ झट सिखला दो
सलिल बिंदु हो नेह नर्मदा, झलक पुनीता विख्याता

ग्यान तारिका! कला साधिका!
मन मुकुलित पुष्पा दो माँ!
'मावस को कर शरत् पूर्णिमा,
मैया! वरदा प्रख्याता

शुभदा सुखदा मातु वर्मदा,
देवि धर्मदा जगजननी
वीणा झंकृत कर दो मन की,
जीवन अर्पित हे प्राता

जड़ है जीव करो संजीवित, चेतन हो सत् जान सके
शिव-सुंदर का चित्र गुप्त लख
रहे सदा तुमको ध्याता
*
संजीव
१०-६-२०२०

शारद वंदना,सरस्वती

सरस्वती वंदना
शारद मैया! शत शत वंदन
अक्षर अक्षर सुमन समर्पित,
शब्द शब्द है अक्षत चंदन।
शारद मैया! शत शत वंदन।।

श्वास श्वास तुम, अास तुम्हीं हो
अंकुर-पल्लव हास तुम्हीं हो।
तुम्हीं तिमिर हो, तुम उजास भी-
आशा सुषमा लास तुम्हीं हो।
तुम ही शब्द शक्ति अभिनंदन
शारद मैया! शत शत वंदन।।

ऊषा प्राची सूरज हो तुम
भू नभ दस दिश कण रज हो तुम।
नीरज नीरद नीर तुम्हीं हो
शौर्य पताका, श्रम-ध्वज हो तुम।
हमें हर्ष दो, हर हर क्रंदन
शारद मैया! शत शत वंदन।।

रचना रचनाकार अमर तुम
मिथ्याहारी सत्य समर तुम।
साध्य साधना हो साधक भी-
युग पाखी हो, पल का पर तुम।
मरुथल समुद तुम्हीं वन नंदन
शारद मैया! शत शत वंदन
*
१५-६-२०२०

शारद वंदना

शारद वंदना
पद
(यौगिक जातीय सार छंद)
*
शारद सुर-ध्वनि कंठ सजावै।
स्वर व्यंजन अक्षर लिपि भाषा,  पल-पल माई सिखावै।।
कलकल कलरव लोरी भगतें, भजन आरती गावै।
कजरी बम्बुलिया चौकड़िया, आल्हा राई सुनावै।।
सोहर बन्ना बन्नी गारी, रास बधावा भावै।
सुख में दुख में संबल बन कें, अँगुरी पकरि चलावै।।
रसानंद दै मैया मोरी, ब्रह्मानंद लुटावै।
भवसागर की भीति मिटा खें, नैया पार लगावै।।
*
१४-६-२०२०

शारद वंदना

शारद वंदना
पौराणिक जातीय शारदा छंद
विधान : न न म ज ग
यति : ८ - १०
*
नित पुलक करें दीदार शारदा!
हँस अभय करो दो प्यार शारदा!
*
विधि हरि हर को जन्मा सुपूज्य हो
कर जन जन का उद्धार शारदा!
*
कण-कण प्रगटाया भाव-सृष्टि की
लय गति यति गूँजा नाद शारदा!
*
सुर-सरगम है आवास देवि का
मम मन बस जा आ मातु शारदा!
*
भव समुद फँसी है नाव मातु! आ
झटपट कर बेड़ा पार शारदा!
*
तुम हर रचना में आप आ बसो
हर धड़कन हो झंकार शारदा!
*
नव रस रसना में मातु! दो बसा
जस-भजन करूँ मैं नित्य शारदा!
*
सर पर कर हो तो हार ना सकूँ
तव शरण करी स्वीकार शारदा!
*
नित सलिल तुम्हारे पैर धो रहा
कर कलम लिए गा गान शारदा!
*
१४/१५ जून २०२०

शारद वंदना

शारद वंदना
*
शारद मैया शस्त्र उठाओ,
हंस छोड़ सिंह पर सज आओ...

सीमा पर दुश्मन आया है, ले हथियार रहा ललकार।
वीणा पर हो राग भैरवी, भैरव जाग भरें हुंकार।।

रुद्र बने हर सैनिक अपना, चौंसठ योगिनी खप्पर ले।
पिएँ शत्रु का रक्त तृप्त हो,
गुँजा जयघोषों से जग दें।।

नव दुर्गे! सैनिक बन जाओ
शारद मैया! शस्त्र उठाओ...

एक वार दो को मारे फिर, मरे तीसरा दहशत से।
दुनिया को लड़ मुक्त कराओ, चीनी दनुजों के भय से।।

जाप महामृत्युंजय का कर, हस्त सुमिरनी हाे अविचल।
शंखघोष कर वक्ष चीर दो,
भूलुंठित हों अरि के दल।।

रणचंडी दस दिश थर्राओ,
शारद मैया शस्त्र उठाओ...

कोरोना दाता यह राक्षस,
मानवता का शत्रु बना।
हिमगिरि पर अब शांति-शत्रु संग, शांति-सुतों का समर ठना।।

भरत कनिष्क समुद्रगुप्त दुर्गा राणा लछमीबाई।
चेन्नम्मा ललिता हमीद सेंखों सा शौर्य जगा माई।।

घुस दुश्मन के किले ढहाओ,
शारद मैया! शस्त्र उठाओ...
*
१७-६-२०२०

शारदा वंदन

शारदा वंदन
गीत
आलोक दो माँ शारदे!
*
तम-तोम से दुनिया घिरी है
भीड़ एकाकी निरी है
अजब माया, आप छाया
अकेलेपन से डरी है
लेने न चिंता चैन देती
आमोद दो माँ शारदे!
*
सननसन बह पवन बनकर
छूम छनननन बज सके मन
कलल कलकल सलिल निर्मल
करे कलरव नाचकर तन
सुन सकूँ पल पल अनाहद
नाद नित माँ शारदे!
*
बरस टप टप तृषा हर लूँ
अंकुरित हो आँख खोलूँ
पल्लवित कर हरी धरती
पुलक पुष्पित धन्य हो लूँ
झुकूँ चरणों में फलित हो
पग-लोक दो माँ शारदे!
*
१९-६-२०२०

शारद वंदना पद्मावती/कमलावती छंद

शारद वंदना
लाक्षणिक जातीय पद्मावती/कमलावती छंद
*
शारद छवि प्यारी, सबसे न्यारी, वेद-पुराण सुयश गाएँ।
कर लिए सुमिरनी, नाद जननि जी, जप ऋषि सुर नर तर जाएँ।।

माँ मोरवाहिनी!, राग-रागिनी नाद अनाहद गुंजाएँ।
सुर सरगमदात्री, छंद विधात्री, चरण - शरण दे मुसकाएँ।।

हे अक्षरमाता! शब्द प्रदाता! पटल लेखनी लिपि वासी।अंजन जल स्याही, वाक् प्रवाही, रस-धुन-लय चारण दासी।।

हो ॐ व्योम माँ, श्वास-सोम माँ, जिह्वा पर पर आसीन रहें।
नित नेह नर्मदा, कहे शुभ सदा, सलिल लहर सम सदा बहें।।

कवि काव्य कामिनी, संग सुनाए, भजन-कीर्तन यश गाए।
कर दया निहारो, माँ उपकारो, कवि कुल सारा तर जाए।।
*
२०-६-२०२०

शारद वंदना

शारद वंदना
छंद : चौपाई
*
अमल विमल निर्मल मनभावन। शुभ्र श्वेत वसना माँ पावन।
कल की कल को भेंट अनुपमा। आप सृज रहीं मातु उत्तमा।।
पल-पल करतीं कर्म निरंतर। धर्म-मर्म शोभित अभ्यंंतर।।
सत्-शिव-सुंदर सब हितकारी। सत्-चित्-आनँद कुंज विहारी।।
व्याप्त नर्मदा की कलकल में। सिंधु-गंग-कावेरी जल में।।
पवन प्रवह तव कीर्ति सुनाता। अर्णव लहर-लहर जय गाता।
गर्जन करते मेघ हुलसकर, कलकल सलिल सुशांति प्रदाता।
कलरव कर खग तुम्हें मनाते।
वीणा-तार निनाद गुँजाते।।
भ्रमरवृंद नित करें वंदना। रस-भावित अर्चना प्रार्थना।। भोर भक्ति भावित हो जगती। दोपहरी श्रम कर भव तरती।।
संध्या नमित प्रार्थना गाती। रजनी मौन मंत्र दुहराती।।
छनन छनन छन नूपुर बजते। सरगम स्वर कंठों में सजते।।
कवि कर कागज कलम उठाते। शब्द ब्रह्म की जय गुंजाते।।
पग-कर, मुखमुद्रा मिल जाते। चित्र गुप्त साकार बनाते।
आराधक कर थाम सुमिरिनी।
सुमिर तुम्हें तरते वैतरणी।।
यंत्र-मंत्र तुम, तंत्र तुम्हीं हो। गुण गुणेश गुणवान गुणी हो।।
तुम्हीं शौर्य ममता करुणा हो। माया मोहमयी ममता हो।।
लास रास रस हास तुम्हीं हो। प्रापक प्राप्ति प्रयास तुम्हीं हो।।
इड़ा-पिंगला ऋद्धि-सिद्धि हे!, रमा-उमा हो शुद्धि-बुद्धि हे!!
सलिल करे अभिषेक धन्य हो। प्राण ऊर्जा तुम अनन्य हो।
विधि प्रेरक, हरि बल, शिव पूजा। तुम सम कहीं न कोई दूजा।।
शून्य अनंता दिशा-दिगंता। ऋषि-मुनि ध्याते माते! कंता।।
संजीवित मम आत्म करो माँ। सहज सुलभ परमात्म करो माँ।।
*
२३-६-२०२०

शतदल कमल छंद


शारद वंदना
सतमात्रिक नवान्वेषित शतदल कमल छंद
सूत्र : ननल।
*
सुर सति नमन
नित कर अमन
*
मुख छवि प्रखर
स्वर-ध्वनि मधुर
अविचल अजर
अविकल अमर
कर नव सृजन
सुरसति नमन
*
पद दल असुर
रच पद स-सुर
कर जननि घर
मम हृदयपुर
कर गह सु मन
सुरसति नमन
*
रस बन बरस
नित धरणि पर
शुभ कर मुखर
सुख रच प्रचुर
शुभ मृदु वचन
सुरसति नमन
*

शारद वंदन

शारद वंदन
🕉️
अमले! अर्पित नम्र प्रणाम

मन मंदिर में रहो प्रतिष्ठित
स्वीकारो माँ अक्षर-अक्षत
शब्द-सुमन शत सुरभि समर्पित
छंद अगरु ले आया तव सुत
विमले! मम हृद करो अकाम

ब्रह्माशीष गगन बरसाए
स्नेह सलिल से हरि नहलाए
कंकर में शंकर छवि भाए
रमा-उमा रस-राग सुहाए
धवले! सृजन करा अविराम

दस दिश तेरा यश गुंजाऊँ
हर ध्वनि में तुझको ही पाऊँ
पल पर भी तेरे मन भाऊँ
माँ! तव पग रज पा तर जाऊँ
सुमने! तव चाकर बेदाम
*
२४-६-२०२०

शारद वंदन

शारद वंदन
संजीव
🕉️
अक्षरस्वामिनी आप इष्ट, ईश्वरी उजालावाही,
ऊपर एकल ऐश्वर्यी ओ!, औसरदाई अंबे।
अ: कर कृपा कविता करवा, छंद सिखा जगदंबे!!
*
सलिल करे अभिषेक धन्य हो, मैया! चरण पखार।
हृदयानंदित बसा मातु छवि, आप पधारें द्वार।।

हंसवाहिनी! स्वर-सरगम दे, कीर्ति-कथा कह पाऊँ।
तार बनूँ वीणा का शारद!, तुम छेड़ो तर जाऊँ।।

निर्मलवसने! मीनाक्षी हे! पद्माननी दयाकर।
ममतामयी! मृदुल अनुकंपा कर सुत को अपनाकर।।

ढाई आखर पोथी पढ़कर भाव साधना साधूँ।
रास-लास आवास हृदय को करें, तुम्हें आराधूँ।।

ध्यान धरूँ नित नयन मूँदकर, रूप अरूप निहारूँ।
सुध-बुध खोकर विश्वमोहिनी अपलक खुद को वारूँ।।

विधि-हरि-हर की कृपा मिले, हर चित्र गुप्त चुप देखूँ।
जो न अन्य को दिखे, वही लख, अक्षर-अक्षर लेखूँ।।

भवसागर तर आ पाए सुत, अहं भूल तव द्वार।
अविचल मति दे मैया मोरी शब्द ब्रह्म-सरकार।।

नमन स्वीकार ले, कृपा कर तार दे।
बिसर अपराध मम, जननि अँकवार ले।।

शारद वंदन आशाकिरण छंद

शारद वंदन
(मात्रिक लौकिक जातीय
वर्णिक सुप्रतिष्ठा जातीय
नवाविष्कृत आशाकिरण छंद)
सूत्र - त ल ल।
*
मैया नमन
चाहूँ अमन...
   ऊषा विहँस
   आ सूर्य सँग
   आकाश रँग
   गाए यमन...
पंछी हुलस
बोलें सरस
झूमे धरणि
नाचे गगन...
   माँ! हो सदय
   संतान पर
   दो भक्ति निज
   होऊँ मगन...
माते! दरश
दे आज अब
दीदार बिन
माने न मन...
   वीणा मधुर
   गूँजे सतत
   आनंदमय
   हो शांत मन...
*
२५-६-२०२०

शारद वंदना

शारद वंदना
मात्रिक लौकिक जातीय
वर्णिक प्रतिष्ठा जातीय
महामाया छंद
सूत्र - य ला।
*
सुनो मैया
पड़ूँ पैंया

बजा वीणा
हरो पीड़ा
महामाया
करो छैंया

तुम्हीं दाता
जगत्त्राता
उबारो माँ
थमा बैंया

मनाऊँ मैं
कहो कैसे
नहीं जानूँ
उठा कैंया

तुम्हारा था
तुम्हारा हूँ
न डूबे माँ
बचा नैया

भुलाओ ना
बुलाओ माँ
तुम्हें ही मैं
भजूँ मैया
*
२७-६-२०२० 

शारद वंदना

शारद वंदना
🕉️
मात्रिक लौकिक जातीय
वर्णिक प्रतिष्ठा जातीय
महामाया छंद
सूत्र - य ला।
*
सुनो मैया
पड़ूँ पैंया

बजा वीणा
हरो पीड़ा
महामाया
करो छैंया

तुम्हीं दाता
जगत्त्राता
उबारो माँ
थमा बैंया

मनाऊँ मैं
कहो कैसे
नहीं जानूँ
उठा कैंया

तुम्हारा था
तुम्हारा हूँ
न डूबे माँ
बचा नैया

भुलाओ ना
बुलाओ माँ
तुम्हें ही मैं
भजूँ मैया
*
२७-६-२०२०

शारद वंदना

शारद वंदना
मात्रिक लौकिक जातीय छंद
वर्णिक सुप्रतिष्ठा जातीय छंद
महाभारत छंद
सूत्र - यलल।
ध्वनिखंड - ल ला ला ल ल।
*
हमें माँ! हँस
दुलारा कर...
   तुम्हारे सुत
   अजाने त्रुटि
   रहे जो कर
   सुधारा कर...
भले दण्डित
करो जी भर
न रोएँ, झट
चुपाया कर...
   कभी लिखना
   कभी पढ़ना
   कभी गायन
   सिखाया कर...
सुना गायन
दिखा नर्तन
करें चिंतन
बताया कर...
    बना मूरत
    गढ़ें सूरत
    करें चित्रण
    निहारा कर...
कभी हर्षित
कभी गर्वित
गले से हँस
लगाया कर...
*
संजीव

दोहा मुक्तिका

दोहा मुक्तिका:
काम न आता प्यार
काम न आता प्यार यदि, क्यों करता करतार।।
जो दिल बस; ले दिल बसा, वह सच्चा दिलदार।।
*
जां की बाजी लगे तो, काम न आता प्यार।
सरहद पर अरि शीश ले, पहले 'सलिल' उतार।।
*
तूफानों में थाम लो, दृढ़ता से पतवार।
काम न आता प्यार गर, घिरे हुए मझधार।।
*
गैरों को अपना बना, दूर करें तकरार।
कभी न घर में रह कहें, काम न आता प्यार।।
*
बिना बोले ही बोलना, अगर हुआ स्वीकार।
'सलिल' नहीं कह सकोगे, काम न आता प्यार।।
*
मिले नहीं बाज़ार में, दो कौड़ी भी दाम।
काम न आता प्यार जब, रहे विधाता वाम।।
*
राजनीति में कभी भी, काम न आता प्यार।
दाँव-पेंच; छल-कपट से, जीवन हो निस्सार।।
*
काम न आता प्यार कह, करें नहीं तकरार।
कहीं काम मनुहार दे, कहीं काम इसरार।।
*
२८.६.२०१८, ७९९९५५९६१८

दोहा संवाद

दोहा संवाद:
बिना कहे कहना 'सलिल', सिखला देता वक्त।
सुन औरों की बात पर, कर मन की कमबख्त।।
*
आवन जावन जगत में,सब कुछ स्वप्न समान।
मैं गिरधर के रंग रंगी, मान सके तो मान।। - लता यादव
*
लता न गिरि को धर सके, गिरि पर लता अनेक।
दोहा पढ़कर हँस रहे, गिरिधर गिरि वर एक।। -संजीव
*
मैं मोहन की राधिका, नित उठ करूँ गुहार।
चरण शरण रख लो मुझे, सुनकर नाथ पुकार।। - लता यादव
*
मोहन मोह न अब मुझे, कर माया से मुक्त।
कहे राधिका साधिका, कर मत मुझे वियुक्त।। -संजीव
*
ना मैं जानूँ साधना, ना जानूँ कुछ रीत।
मन ही मन मनका फिरे,कैसी है ये प्रीत।। - लता यादव
*
करे साधना साधना, मिट जाती हर व्याध।
करे काम ना कामना, स्वार्थ रही आराध।। -संजीव
*
सोच सोच हारी सखी, सूझे तनिक न युक्ति ।
जन्म-मरण के फेर से, दिलवा दे जो मुक्ति।। -लता यादव
*
नित्य भोर हो जन फिर, नित्य रात हो मौत।
तन सो-जगता मन मगर, मौन हो रहा फौत।। -संजीव
*
वाणी पर संयम रखूँ, मुझको दो आशीष।
दोहे उत्तम रच सकूँ, कृपा करो जगदीश।। -लता यादव
*
हरि न मौन होते कभी, शब्द-शब्द में व्याप्त।
गीता-वचन उचारते, विश्व सुने चुप आप्त।। -संजीव
*
२८-६-२०१८, ७९९९५५९६१८