कुण्डलिया - पुस्तक
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पुस्तक मानव सभ्यता, संस्कृति की पहचान
पृष्ठ-पृष्ठ पर समाहित, नव कोशिश अरमान
नव कोशिश अरमान, तिमिर में दीप जलाते
मानो कभी न हार, मनुज को पाठ पढ़ाते
कहे सलिल कविराय, ज्ञान दर पर दे दस्तक
राह दिखाती सतत, साथ तेरे यदि पुस्तक
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पुस्तक प्यारी हो जिसे, उसका है सौभाग्य
पुस्तक छोड़ न पा रहे, जो लेते वैराग्य
जो लेते वैराग्य, न जोड़ें मिथ्या माया
लेकिन भाता उन्हें, सदा पुस्तक का साया
दो को ही कर नमन, झुकाते हैं ऋषि मस्तक
पहला है हरि चरण, और दूजी है पुस्तक
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पुस्तक पुस्तक पर लिखा, है पाठक का नाम
बहुत अभागे वे मनुज, जिनका लिखा न नाम
जिनका लिखा न नाम, अपढ़ रह गए अजाने
भाग्य भरोसे जिएँ, तरीके सही न जानें
कहता कवि संजीव, बजाओ तब तुम हस्तक
जब लग जाए हाथ, तुम्हारे उत्तम पुस्तक
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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रविवार, 9 मई 2021
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