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गुरुवार, 24 अक्तूबर 2019

अनिल अनवर, मनोरमा जैन पाखी, Manisha Raja,


अनिल कुमार श्रीवास्तव
क़लमी नाम : अनिल अनवर
माता-पिता : स्व० श्रीमती तारा व स्व० श्री शारदा प्रसाद श्रीवास्तव
जन्म दिनांक : 27.9.1952 (वास्तविक), 20.2.1953 (प्रमाणपत्रों में)
जन्म स्थान : सीतापुर (उ०प्र०)
पैतृक ग्राम : मुंशी दरियाव लाल का पुरवा, ज़िला - सुलतानपुर (उ०प्र०)
शिक्षा : बी० एस सी०, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिप्लोमा
नौकरी : भारतीय वायु सेना में 21 वर्षों की अवधि तक
सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन
प्रकाशित पुस्तकें : आस्था के गीत (1995), गुलशन : मज़्मूआ-ए-नज़्म (2011), विमल करो मन मेरा (2014)
सम्पादन व प्रकाशन : मरु गुलशन (त्रैमासिक)अव्यावसायिक पत्रिका 20 वर्षों की अवधि तक (कुल 79 अंक)
उपलब्धियाँ : उल्लेखनीय कुछ भी नहीं मानता। साहित्य का एक सेवक या विद्यार्थी ही मानें।
डाक का पता : 33, व्यास कॉलोनी, एयर फोर्स, जोधपुर - 342 011
सम्पर्क नं० : 0291/2671917 (निवास), 7737689066 व 8764737781 (मोबाइल)
माँगता हूँ, दें मुझे अब वर यही माँ शारदे !
सीख पाऊँ मैं भी करना शाइरी माँ शारदे !
बुग़्ज़ो-नफ़रत, हिर्सो-ग़ीबत घर न दिल में कर सके,
और हो क़िरदार में भी सादगी माँ शारदे !
है बहुत मुश्किल अरूज़ी बन के कह पाना ग़ज़ल,
दूर करना मेरे शे'रों की कमी माँ शारदे !
हैं कई सिन्फ़े-सुख़न, ग़ज़लें मगर मक़बूल हैं,
बात दिल की मैंने ग़ज़लों में कही माँ शारदे !
दौर था वो भी कि ज़ुल्फ़ों में ही ग़ज़लें क़ैद थीं,
इन के मरक़ज़ में है अब आम आदमी माँ शारदे !
अब नहीं उस्ताद 'शंकर' किस तरह इस्लाह हो,
नज़्रे-सानी डालिये अब आप ही माँ शारदे !
आरज़ू 'अनवर' की है ज़िन्दा रहे एक-आध शे'र,
ख़त्म हो इस जिस्म की जब ज़िन्दगी माँ शारदे !
- अनिल अनवर,
33, व्यास कॉलोनी, एयर फोर्स,
जोधपुर - 342 011
मो० - 7737689066
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मनोरमा जैन पाखी
मनहरण छंद
हे वीणा वादिनी माता
हे कमलासिनी माता
शुभ्रवसना धारिणी
ज्ञानदायिनी माता
हमको दे ज्ञान जोति
मिटे कलुषित वृत्ति
सच के मार्ग चलें
जगजननी माता
काट दे बंधन सारे
दीया ज्ञान का जलादे
बन के हिम्मत मेरी
ज्ञान दायिनी माता
हर पल नाम जपूँ
ममता दुलार माँगू
स्नेहासिक्त नयन
उपकारिणी माता .
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SARASWATI VANDANA
Manisha Raja
*
VEDAS sing your wisdom
Puranas your hyms
Take away my darkness
Make me worthy
O Goddess of knowledge
I bow to thee
AS fair as a kunda
White as snow
Mounted on a lotus with a swan
Take my flight to the learning tree
O Goddess of beauty
I PRAY to thee
New notes, new rhythms
New soul, new voice
May we dance to your tunes divine
May all our stagnancy flee
O Goddess of music
We bow to thee
Be it poetry, prose or prayer
Inspire our thoughts everywhere
You grant us whatever we desire
Keep guiding in this wordly sea
O Goddess of creativity
We pray to thee
Bestow your wisdom
Make me divine
Your purifying presence
Makes me shine
Take away my slackness
And grant me, my real me
O Goddess of prosperity
I hail to thee.
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ब्रह्म देव 
सरस्वती वंदना (बज्जिका)
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सरस्वती मइया के जय हो
जय हो जय हो जय जय जय हो
सरस्वती मइया.....
वाल्मीकि में भाव ज ग य ल
रामकथा जग के सु न व य ल
दमित दलित के भय के क्षय हो
सरस्वती मइया.....
कालिदास के तू जितवइया
महाकवि भे गेल हे मइया
तू सहाय त केक्कर भय हो
सरस्वती मइया....
तुलसी सूर कबीर अमर जग
उपकृत रोम-रोम है रग-रग
भगवन के हर भगत अभय हो
सरस्वती मइया.....
माइ सकल अन्हरिया हर ल
बुद्धि ज्ञान इंजोरिया भर द
अब न कहंउ अनीति-अनय हो
सरस्वती मइया......
योगपीठ ई भारत भू हय
कण-कण में मां तू ही तू हय
हिय- हिय में समता के लय हो
सरस्वती मइया.....
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स्व अजयदान लखदान जी रोहड़िया।
जन्म तारीख:अग्यात,
जन्म स्थल: ग्राम: मलावा, तहसील रेवदर, जिला सिरोही, राजस्थान।
माता:मीरां कँवर
पिता:लखदान जी जगतदान जी रोहड़िया।
शिक्षा: एम ए हिन्दी साहित्य, कच्छ की महाराओ लखपत जी ब्रज भाषा के अंतिम विद्यार्थीओं में से एक।
विभिन्न साहित्यक पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ, हिन्दी , ब्रज भाषा राजस्थानी डिंगल आदि में प्रकाशित। अपने जमाने के बेहतरीन डिंगल और ब्रज भाषा के कवि।
🌸दोहा🌸
किंकर सिर पर कमल कर, कर के विघ्न विदार।
करत स्तुति कर जोर कर, सुरसती कर स्वीकार।।१
🌸छंद रेणंकी🌸
निरमल नव इन्दु बदन विलसत भल, द्रग खंजन मृग मद दलितम्।
कुम कुम वर भाल बिन्दु कल भ्राजत, तन चंदन चरचित पुनितम्।
झल़कत अरू झल़ल़ झल़ल़ चल लोलक, लसत सु श्रवण ललाम परम्।
शारद कर प्रदत सुक्ति यह सुखकर, किंकर पर नित महर करम्।।१
दमकत सिर मुकुट दिव्य दिनकर सम, मन मोहिनि उर माल लसे।
लख लख रति रम्य रूप जेहि लाजत, तडित विनिन्दित तन विलसे।
तिन पर नित नवल विमल धवलांबर, विविध तरह अरू धरत वरं।
शारद कर प्रदत सुक्ति यह सुखकर, किंकर पर नित महर करम्।।२
सरसत जिहि स्फटिक माल लिय ललितम, तरुण अरुण कर कंज अतिम्।
बिलसत पुनि बीन कलित मन हुलसत, ग्रहित पुस्तकं गहन गतिम्।
जिन कर जस विशद वरद जग व्यापक, प्रणित अमित मति देत परम्।
शारद कर प्रदत सुक्ति यह सुखकर, किंकर पर नित महर करम्।।३
हरषित जिहि चढत हंस पर मनहर, बन निज जन मन महि विहरम्।
सदगति सुख सुमति देत संपति धृति, सुरत करत तिन काज सरम्।
नव नव अरु ज्ञान भरत उर निरमल, निविड अबुधि हर तम निकरम्।
शारद कर प्रदत सुक्ति यह सुखकर, किंकर पर नित महर करम्।।४
सुमिरत जिहि सरव जिनहि सुर -सैनप, सुर-गुरु, सुर-पति सहित शचिम्।
प्रसरित गुन करत रहत सुपुनित नित, श्रुति सु स्मृति अरु शाख शुचिम्।
धनपति पद कंज मंजु मन ध्यावत, धरत 'रू ध्यान त्रिशूल धरं।
शारद कर प्रदत सुक्ति यह सुखकर, किंकर पर नित महर करम्।।५
विनवत वसु अष्ट, वरिष्ठ विनायक, बिमल बिरद जिन जग विदितम् ।
दिनकर नित नमन करत हिमकर नत, धरमराज धर्मिष्ट युतम्।
पुनरपि सह सिद्धि रिद्धि हिलमिल जिन, पुनित चरन मँह आय परम्।
शारद कर प्रदत सुक्ति यह सुखकर, किंकर पर नित महर करम्।।६
अरचन मुनि अमित मुदित मन अनुदिन, षोडस करतम् विधि सहितम्।
पुनि पुनि ॠषियन मिलि पढत स्तवन तव, किन्नर विधाधर कलितम्।
सविनय हिम शुद्ध सिद्ध गण चारण, जयति जननी जय जय उचरम्।
शारद कर प्रदत सुक्ति यह सुखकर, किंकर पर नित महर करम्।।७
परसत नर असुर नाग पद पुहुकर, लहत परम पद सह ललितम्।
बालक नवयुवक वृध्ध ब्रह्मचारी, वानप्रस्थ गृहस्थ युतम्।
मांगत यहि" अजय" मात अनुग्रह कर, मम चित मति कृति कर मधुरम्।
शारद कर प्रदत सुक्ति यह सुखकर, किंकर पर नित महर करम्।।८
🌸कलछप्पय🌸
जय जय सरस्वती जननि, भीम भय भक्त विभंजन।
जय जय सरस्वती जननि, ह्रदय निज जन नित रंजन।
जय जय सरस्वती जननि, कलुष कलि कलह निकंदन।
जय जय सरस्वती जननि, असुर, सुर, नर, मुनि वंदन।
वर बाल ब्रह्मचारिणी विदित, मोद देन मंगल करन।
कर जौरि "अजय"विनवत सही, सुबुधि देहू अशरण शरण।।
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श्रवण मानिकपुरी



जन्मतिथि :-१०/१०/१९८८
पिता:-श्री तुला दास मानिकपुरी
माता :-श्रीमती भगवती मानिकपुरी
जन्म स्थान कोंडागाँव
जिला कोंडागाँव
पता 449 ख राजापारा
बड़ेकनेरा कोंडागाँव
पिन४९४२२६
शिक्षा:-एम .ए. इतिहास ,अर्थशास्त्र, दी .एड.बी एड
उपलब्धि:-आकाशवाणी कलाकार हल्बी प्रभाग
गोटोक अचरित (हल्बी कविता) १५/१०/२०१९
गोटोक अचरित दखले दादा
गाय बैला बांधला पागा
मैं जाउ रले नेता घरे
दखले खुबे बंड
ये कसन जुग इली रे भाई
बाहरे दांत भीतरे टोंड
गोटोक अचरित दखले दादा
बोबो ने चूड़े तेल
उसरी बूटा चो मरन होली
सिंग सिंग चो मेल
गोटोक अचरित दखले दादा
मरलो मुर्दा
धरलो बडगा
गांव ने गागला नाई कोनी
जोन्दरा बाड़ी ले कोलिया पराये
जीव चो काल आय नोनी
गोटोक अचरित दखले दादा
बाग लगे छेरी चो नाट
तुय बले तो जानिस हुनके
हुंचो नाव आय पाक
गोटोक अचरित दखले दादा
तुय नी सकिस सुनुक
सड़क बाटे अमराले मैं
पांच मुंड दस पांय बीता मनुख
गोटोक अचरित दखले दादा
गोटकी सिंग चो गाय
बसलो लग ले चारा खाय
पाट बाटे पगराय
गोटोक अचरित दखले दादा
कोकोडा करलो गुरु
डूमर माला पिंधुन भाती
मंतर पडलो सुरु
सबके सांगलो गोठ के
मांस नी खाय
मछरी नी खाय
मंतर देउ आंय सबके
लघे इया रे मछरी मन
चेला करूँ आंय तुमके
श्रवण मानिकपुरी
कोंडागाँव
मोबाइल नम्बर 7974042092
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