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रविवार, 7 जनवरी 2018

दोहा सप्तक

१. भ्रमर- २२ गुरु, ४ लघु=४८, श्रृंगार रस, 
सांसें सांसों में समा, दो हो पूरा काज,
मेरी ही तो हो सखे, क्यों आती है लाज?
 

२. शरभ- २० गुरु, ८ लघु=४८, शांत रस 
हँसे अंगिका-बज्जिका, बुन्देली के साथ.मिले मराठी-मालवी, उर्दू दोहा-हाथ.. 
३. मंडूक- १८ गुरु, १२ लघु, वीभत्स रस 
हा, पशुओं की लाश को, नोचें कौए गिद्ध ‌
हा, जनता का खून पी, नेता अफसर सिद्ध
४. करभ दोहा- १६ गुरु, १६ लघु, वात्सल्य रस 
छौने को दिल से लगा, हिरनी चाटे खाल ‌
पान करा पय मनाती, चिरजीवी हो लाल
५. पान- १० गुरु, २८ लघु, रौद्र रस  शिखर कारगिल पर मचल, फड़क रहे भुजपाश ‌
जान हथेली पर लिये, अरि को करते लाश 

६. व्याल ४ गुरु, ४० लघु, भक्ति रस 
पल-पल निशि-दिन सुमिर मन, नटवर गिरिधर नाम।
तन-मन-धन जड़ जगत यह, 'सलिल' न आते काम॥
७. विडाल- ३ गुरु, ४२ लघु, भक्ति रस 
निश-दिन शत-शत नमन कर, सुमिर-सुमिर गणराज.
चरण-कमल धरकर ह्रदय, प्रणत- सदय हो आज.
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आचार्य संजीव वर्मा सलिल 
विश्व वाणी हिंदी संस्थान 
४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन जबलपुर ४८२००१ 

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