पुण्य स्मरण: स्व. प्रो. नरेंद्र कुमार वर्मा
सिएटल अमेरिका में भारी हृदयाघात तथा शल्य क्रिया पश्चात ६ सितंबर २०१५ (कृष्ण जन्माष्टमी) को आदरणीय नरेंद्र भैया के निधन के समाचार से शोकाकुल हूँ। वे बहुत मिलनसार थे। हमारे कुनबे को एक दूसरे के समाचार देने में सूत्रधार होते थे वे। प्रभु उनकी आत्मा को शांति और बच्चों को धैर्य प्रदान करें। भाभी जी आपके शोक में हम सब सहभागी हैं।
बचपन में नरेंद्र भैया की मधुर वाणी में स्व. महेश प्रसाद सक्सेना 'नादां' की गज़लें सुनकर साहित्य से लगाव बढ़ा। वे अंग्रेजी के प्राध्यापक थे। १९६०-७० के दौर में भारतीय इंटेलिजेंस सर्विस में चीन सीमा पर भी रहे थे।
उनकी जीवन संगिनी श्रीमती रजनी वर्मा नरसिंहपुर के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सत्याग्रही परिवार से थी जो तेलवाले वर्मा जी के नाम से अब तक याद किया जाता है। उनके बच्चे योगी, कपिल तथा बिटिया प्रगति (निक्की) उनकी विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
नरेंद्र भैया रूघ रहते हुए भी कुछ दिनों पूर्व ही वे डॉ. हेडगेवार तथा स्वातंत्र्यवीर सावरकर के वंशजों से पुणे में मिले थे तथा अल्प प्रवास में जबलपुर आकर सबसे मिलकर गए थे। बचपन में जबलपुर में बिठाये दिनों की यादें उनके लिये जीवन-पाथेय थीं।
भैया के पिताजी स्व. जगन्नाथप्रसाद वर्मा १९३०-४० के दौर में डॉ. हेडगेवार, कैप्टेन मुंजे आदि के अभिन्न साथी थे तथा माताजी स्व. लीलादेवी वर्मा (१९१२ - २८-८-१९८४) जबलपुर के प्रसिद्ध सुंदरलाल तहसीलदार परिवार से थीं। महीयसी महादेवी वर्मा जी की माताजी स्व. हेमावती देवी भी इसी परिवार से थीं। स्व. जगन्नाथप्रसाद वर्मा अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री तथा अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के संगठन सचिव भी थे। वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक दल के समर्पित कार्यकर्ता थे । उन्होंने राम सेना तथा शिव सेना नामक दो सशस्त्र दल बनाये थे जो मुसलमानों द्वारा अपहृत हिंदू स्त्रियों को संघर्ष कर वापिस लाकर यज्ञ द्वारा शुद्ध कर हिन्दू युवकों से पुनर्विवाह कराते थे। वे सबल शरीर के स्वामी, ओजस्वी वक्ता तथा निर्भीक स्वभाव के धनी थे। उन्होंने १९३४ में नागपुर में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा का राष्ट्रीय सम्मलेन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। कांग्रेस की अंतरिम सरकार के समय में उन्हें कारावास में विषाक्त भोजन दिया गया जिससे वे गंभीर बीमार और अंतत: दिवंगत हो गये थे। विश्व हिन्दू परिषद के आचार्य धर्मेन्द्र के पिताश्री स्वामीरामचन्द्र शर्मा 'वीर' ने अपनी पुस्तक में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए यह विवरण दिया है। कठिन आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनके बड़े पुत्र स्व. कृष्ण कुमार वर्मा (सुरेश भैया दिवंगत २१-५-२०१४) को सावरकर जी ने विशेष छात्रवृत्ति प्रदान कर अध्ययन में सहायता दी थी।
नरेंद्र भैया अमेरिका जाने के पहले और बाद अपनी वार्ताओं में नागपुर में अपनी पैतृक भूमि के प्राप्त अंश पर हिंदी भाषा-शिक्षा-साहित्य से जुडी कोई संस्था खड़ी करने के इच्छुक थे, इसके रूपाकार पर विमर्श कर रहे थे पर नियति ने समय ही नहीं दिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें