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गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

गले मिले दोहा-यमक भोग लगा प्रभु को प्रथम --संजीव 'सलिल

गले मिले दोहा-यमक
भोग लगा प्रभु को प्रथम
संजीव 'सलिल
*
सर्व नाम हरि के 'सलिल', है सुंदर संयोग.
संज्ञा के बदले हुए, सर्वनाम उपयोग.. 
*
भोग लगा प्रभु को प्रथम, फिर करना सुख-भोग.
हरि को अर्पण किये बिन बनता भोग कुरोग..
*
कहें दूर-दर्शन किये, दर्शन बहुत समीप.
चाहा था मोती मिले, पाई खाली सीप..
*
जी! जी! कर जीजा करें, जीजी का दिल शांत.
जी, जा जी- वर दे रहीं, जीजी कोमल कांत..
*
वाहन बिना न तय किया, सफ़र किसी ने मीत.
वाह न की जिसने- भरी, आह गँवाई प्रीत..
*
बटन न सोहे काज बिन, हो जाता निर्व्याज.
नीति- कर्म कर फल मिले, मत कर काज अकाज.
*
मन भर खा भरता नहीं, मन- पर्याप्त छटाक.
बरसों काम रुका रहा, पल में हुआ फटाक..
*
बाटी-भरता से नहीं, मन भरता भरतार.
पेट फूलता बाद में, याद आये करतार..
*                                                                                                            
उसका रण वह ही लड़े, किस कारण रह मौन.
साथ न देते शेष क्यों, बतलायेगा कौन??
*
ताज महल में सो रही, बिना ताज मुमताज.
शिव-मंदिर को मकबरा, बना दिया बेकाज.                                                    .
*
योग कर रहे सेठ जी, योग न कर कर जोड़.
जोड़ सकें सबसे अधिक, खुद से खुद कर होड़..
*******

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in

3 टिप्‍पणियां:

अचल वर्मा ने कहा…

achal verma ✆ achalkumar44@yahoo.com

२३ दिसम्बर

बटन न सोहे काज बिन, हो जाता निर्व्याज.
नीति-कर्म कर फल मिले, मत कर काज अकाज.

Mine :

काज काज में फर्क है फल और फल में फर्क

कुछ एक काजके फल नियत करो तो मिलता नरक

आपके दिलचस्प यमक पढ़ने और गुनने पर सदा ही कुछ नई बात सिखा देते हैं |

सन्तोष कुमार सिंह ने कहा…

ksantosh_45@yahoo.co.in


आ० सलिल जी
अति सुन्दर है सभी दोहे जिसमें यह बहुत सुन्दर है। बधाई।
ताज महल में सो रही, बिना ताज मुमताज.
शिव-मंदिर को मकबरा, बना दिया बेकाज.

सन्तोष कुमार सिंह


--- Sat, 24/12/11

sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com ने कहा…

sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com द्वारा yahoogroups.com

२४ दिसम्बर


आ० आचार्य जी ,
सुन्दर यमक दोहों के सुधारस पान कराने हेतु साधुवाद |
विशेष -

बटन न सोहे काज बिन, हो जाता निर्व्याज.
नीति- कर्म कर फल मिले, मत कर काज अकाज.

कमल