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गुरुवार, 18 जून 2009

श्रृद्धांजलि: अल्हड बीकानेरी - संजीव 'सलिल'

हिन्दी-हास्य जगत को फ़िर से आज बहाना है आँसू।

सूनापन बढ़ गया हास्य में चला गया है कवि धाँसू ।।

ऊपरवाला दुनिया के गम देख हो गया क्या हैरां?


नीचेवालों को ले जाकर दुनिया को करता वीरां।।


शायद उस से माँग-माँगकर हमने उसे रुला डाला ।


अल्हड औ' आदित्य बुलाये उसने कर गड़बड़ झाला।।


इन लोगों से तुम्हीं बचाओ, इन्हें हँसाया-मुझे हँसाओ।


दुनियावालों इन्हें पढो हँस, इनसे सदा प्रेरणा पाओ।।


ज़हर ज़िन्दगी का पीकर भी जैसे ये थे रहे हँसाते।


नीलकंठ बन दर्द मौन पी, क्यों न आज तुम हँसी लुटाते?


भाई अल्हड बीकानेरी के निधन पर दिव्य नर्मदा परिवार शोक में सहभागी है-सं.

13 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

रचना बेहद अच्छी लगी . धन्यवाद.

रितु रंजन ने कहा…

यह सच्ची श्रद्धांजलि है एक कवि को।

m.m.chatterji ने कहा…

heart touching and heartbreaking.

गीता पंडित (शमा) ने कहा… ने कहा…

आदरणीय सलिल जी,

कविता से सुंदर श्रद्धांजलि
उन्हें और क्या हो सकती है......

आभार.....

निधि अग्रवाल ने कहा… ने कहा…

श्रद्धांजलि।

अभिषेक सागर ने कहा… ने कहा…

विनम्र श्रद्धांजलि

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा… ने कहा…

बीकानेरी जी को सच्ची श्रधांजलि बहुत बहुत आभार
सादर
praveen pathik

DARSHANIK ने कहा… ने कहा…

ALHAD BIKANERI KO HAMARI OR SE SHRADDHANJALI IS KAVITA KE MADHYAM SE SAHITYA SHILPI NE ALHAD BIKANERI KO YAD KAR EK ALAKH JAGAYI HAI

sanju ने कहा… ने कहा…

विनम्र श्रद्धांजलि

अविनाश वाचस्पति ने कहा… ने कहा…

आदरणीय अल्‍हड़ जी ने हरियाणवी फीचर फिल्‍म छोटी साली की कथा, पटकथा और संवाद भी लिखे थे और हास्‍य कविताओं में अल्‍हड़पन अपनी गंभीरता के साथ उन्‍हीं की कविताओं के जरिए आया। जिसने श्रोताओं को खूब हंसाया। उनके जाने से गंभीर हो रहे हैं हम। विनम्र श्रत्रासुमन समर्पित।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

हो रहा है कवि सम्मलेन ऊपर
सुन नहीं सकते उसे भू पर

उड़नतश्तरी ने कहा…

श्रृद्धांजलि

kanishak kashyap ने कहा…

Hindi jagat ko fir se aaj bahana hai aansoon

That sounds.....
Real shriddhanjali.
Thanks Sanjeev.