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मंगलवार, 6 अगस्त 2024

दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ : परिणाम

*- : विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर : -*
समन्वय प्रकाशन अभियान जबलपुर
दिव्य नर्मदा अलंकरण
संयोजक- आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', संयोजक, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१
चलभाष : ९४२५१८३२४४, ईमेल salil.sanjiv@gmail.com
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दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ - अलंकरण राशि १,१२,०००/- नगद तथा ५० हजार रु. का साहित्य वितरित

            संस्थान वर्ष २००२४-२५ में तकनीकी-विज्ञान परक लेखन हेतु ५०,००० रुपए नगद व ५०,००० रुपए का निशुल्क साहित्य तथा साहित्यिक लेखन हेतु ५०,००० रुपए नगद व ५०,००० रुपए का निशुल्क साहित्य रचनाकारों को दिया जाएगा। इस हेतु किताब की २ प्रतियाँ, सहभागिता निधि ३००/-, अपना संक्षिप्त जीवन परिचय आधा पृष्ठ, हाई रिजोल्यूशन चित्र तथा किताब का संक्षिप्त परिचय आधा पृष्ठ तथा संस्थान द्वारा निर्धारित नियम व निर्णय मान्य होने का सहमति पत्र 'आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', संयोजक, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१' के पते पर प्राप्त होना अनिवार्य है।
अलंकरण स्थापना
       वर्ष २०२४-२५ हेतु अभियांत्रिकी, चिकित्सा, पशु चिकित्सा, कृषि, कंप्यूटर, भू तकनीक, फार्मेसी, मेनेजमेंट, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, विधि, आध्यात्म, ग्राम विकास, जन जागरण तथा अन्य विधाओं में अपने पूज्यजन /प्रियजन की स्मृति में अलंकरण स्थापना हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। अलंकरणदाता अलंकरण निधि के साथ ११००/- (सहभागिता निधि), ११००/- वार्षिक सदस्यता निधि, अपना नाम, पूरा पता, जिनकी स्मृति में अलंकरण है उनका चित्र व संक्षिप्त परिचय आदि वाट्स एप क्रमांक ९४२५१८३२४४, पर स्नैप शाॅट सहित भेजें। अलंकरण प्रणेताओं, प्रदाताओं था ग्रहीताओं की जानकारी संस्था की वार्षिक स्मारिका में प्रकाशित की जाएगी।

विश्व कीर्तिमान प्रमाण पत्र

संस्थान द्वारा हिंदी भाषा, साहित्य आदि से संबंधित कीर्तिमान स्थापित करने के प्रमाण पत्र प्रदान किए जाते हैं। इस हेतु आपके द्वारा किए गए कार्य का पूर्ण विवरण, कीर्तिमान संबंधी जानकारी के साथ अवदान मिलने पर निर्धारित शुल्क जमा करने पर संस्था अपने संसाधनों से दावे का परीक्षण करेगी। दावा सही पाया जाने पर तत्संबंधी कीर्तिमान प्रमाण पत्र जररी किया जाएगा। ऐसे कीर्तिमान विश्व, देश, प्रांत, जिला या स्थानीय स्तर के हो सकते हैं। ऐसे समस्त कीर्तिमानों का विवरण संस्था की वार्षिक स्मारिका में प्रकाशित किया जाएगा।
पुस्तक प्रकाशन
            कृति प्रकाशित कराने, भूमिका/समीक्षा लेखन हेतु पांडुलिपि सहित संपर्क करें। चयनित पांडुलिपियों का प्रकाशन संस्था न्यूनतम लागत पर कराती है। ऐसी पुस्तकों की सूची संस्था की स्मारिकाओं में प्रकाशित की जाती है।
     संस्था की संरक्षक सदस्यता (सहयोग निधि १ लाख रु.) ग्रहण करने पर  १५० पृष्ठ तक की एक पांडुलिपि का तथा आजीवन सदस्यता (सहयोग निधि २५ हजार रु.) ग्रहण करने पर ६० पृष्ठ तक की एक पांडुलिपि का प्रकाशन समन्वय प्रकाशन, जबलपुर द्वारा किया जाएगा। संरक्षकों का वार्षिकोत्सव में सम्मान किया जाएगा।
           संस्था के वार्षिक सदस्य (शुल्क ११००/-) पुस्तक भेजकर भूमिका / समीक्षा निशुल्क लिखवा सकते हैं। सदस्यों की पांडुलिपियों पर संशोधन/परिवर्धन/परिवर्तन हेतु सुझाव निशुल्क दिए जाते हैं।
पुस्तक विमोचन
        कृति विमोचन हेतु कृति की १० प्रतियाँ, सहयोग राशि ५००० रु., रचनाकार तथा किताब संबंधी जानकारी आमंत्रित है। विमोचित कृति की संक्षिप्त चर्चा कर, कृतिकार का सम्मान किया जाएगा। इन पुस्तकों की जानकारी स्मारिका में प्रकाशित की जाएगी।

सारस्वत आयोजन
       वार्षिकोत्सव, ईकाई स्थापना दिवस, साहित्यकार जयंती/षष्ठि पूर्ति, साहित्यिक कार्यशाला, संगोष्ठी अथवा अन्य सारस्वत अनुष्ठान करने हेतु इच्छुक ईकाइयाँ / सहयोगी सभापति से मार्गदर्शन ले सकेंगी।
नई ईकाई
        संस्था की नई ईकाईयाँ आरंभ करने हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। नई ईकाई हेतु कम से कम ११ सदस्य होना अनिवार्य है। वार्षिक सदस्यता- सहयोग निधि ११००/- देकर ईकाई के वार्षिक सदस्य बन सकेंगे। हर ईकाई १००/- प्रति वर्ष प्रति सदस्य केंद्र को भेजेगी। केंद्र ईकाई द्वारा वार्षिकोत्सव या अन्य कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु केन्द्रीय पदाधिकारी भेजेगा। केन्द्रीय समिति के कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु ईकाई से प्रतिनिधि आमंत्रित किए जाएँगे। वार्षिकोत्सव में ईकाईयों की गतिविधि का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा। श्रेष्ठ ईकाई के प्रतिनिधि को सम्मानित किया जाएगा।
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समन्वय प्रकाशन जबलपुर
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वार्षिकोत्सव समीक्षा बैठक संपन्न 
            जबलपुर २७.८.२०२४. विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर की समीक्षा बैठक संरक्षक इं. अमरेन्द्र नारायण  के मुख्यातिथ्य तथा सभापति आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' की अध्यक्षता में स्थानीय घंटाघर कॉफी हाउस में संपन्न हुई। कोषाध्यक्ष डॉ. अरुणा पांडे ने संस्था की वित्तीय स्थिति की जानकारी देते हुए नव सत्र में अधिकाधिक सदस्य बनाने हेतु आह्वान किया। मुख्यालय सचिव छाया सक्सेना, कार्यालय सचिव डॉ. मुकुल तिवारी, डॉ. शोभा सिंह, डॉ. सुरेन्द्र लाल साहू, मृगेंद्र नारायण सिंह, राकेश मालवीय आदि ने वार्षिकोत्सव कार्यक्रम पर आगंतुकों तथा नगरीय साहित्यकारों की प्रतिक्रिया की जानकारी देते हुए नीर-क्षीर विवेचन किया। 
            अनुष्ठान में अपनी बहुमूल्य पुस्तकें उपलब्ध कराने हेतु प्रविष्टिकारों, आयोजन में पधार कर शोभा वृद्धि करने हेतु सभी आगंतुकों तथा नगर के सहभागियों, विमर्श में सहभागी बनने के लिए वक्ताओं (डॉ. सुरेश कुमार वर्मा ख्यात भाषा शास्त्री, उपन्यास-कहानी-निबंधकार , श्रेष्ठ दूरसंचार सेवाओं हेतु संयुक्त राष्ट्र से स्वर्ण पदक प्राप्त इं.अमरेन्द्र नारायण जबलपुर, संस्कृतज्ञ विदुषी डॉ. इला घोष पूर्व प्राचार्य, डॉ. रोहित मिश्रा दंत रोग विशेषज्ञ, डीन हितकारिणी दंत चिकित्सामहाविद्यालय जबलपुर, डॉ. रश्मि कौशल इलेक्ट्रोनिक इंजीनियर दिल्ली, मनोहर बाथम महानिरीक्षक पूर्व सीमा सुरक्षा बल नोएडा, डॉ. सुरेन्द्र लाल साहू नेत्र रोग विशेषज्ञ जबलपुर, ब्रिगेडियर विपिन त्रिवेदी जबलपुर अध्यक्ष इंटीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स लोकल चैप्टर जबलपुर, डॉ. अनामिका तिवारी वरिष्ठ वनस्पति वैज्ञानिक आदि), विमोचन हेतु सद्य रचित पुस्तकें उपलब्ध कराने हेतु अविनाश ब्योहार नवगीतकार, डॉ. सुरेन्द्र लाल साहू तथा कविवर श्री चंद्रशेखर लोहुमी, पुस्तकों की समीक्षा करने हेतु डॉ. अरुण पाण्डे, अस्मिता शैली व उमेश सक्सेना लखनऊ आदि के प्रति आभार व्यक्त किया गया। 
            सर्व सम्मति से वार्षिकोत्सव २०२५ का आयोजन करने के भोपाल ईकाई के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया। इस हेतु स्थल चयन कर कार्यक्रम की प्रारंभिक रूप रेखा प्राप्त करने हेतु भोपाल ईकाई संयोजक सरला वर्मा जी से संपर्क करने का निर्णय लिया गया। सभापति ने वार्षिकोत्सव से अनुपस्थित रहे प्रविष्टिकारों को सम्मान निधि, अलंकरण / सम्मान पत्र तथा पुस्तकोपहार आदि वाट्स ऐप द्वारा पहुँचाने की सूचना दी। कुमुद वर्मा जी तथा विजय राठौर जी द्वारा सम्मान निधि संस्था-कार्यों हेतु दिए जाने हेतु उन्हें धन्यवाद दिया गया। इं. अमरेन्द्र नारायण जी द्वारा अभियांत्रिकी सेवा संबंधी संस्मरण, डॉ. रोहित मिश्रा द्वारा दंत शल्य क्रिया, डॉ. अनामिका तिवारी द्वारा वानस्पतिक  अनुसंधान, डॉ. सुरेन्द्र लाल साहू द्वारा नेत्र शल्य क्रिया विषयक किताबें हिंदी में लिखे जाने के संकल्प के प्रति साधुवाद व्यक्त किया गया। वार्षिकोत्सव २०२५ संबंधी प्रविष्टि सूचना यथा शीघ्र जारी करने का निर्णय लिया गया। 
            स्व. सुशील वर्मा जी, स्व. कृष्णकांत चतुर्वेदी जी, स्व. माया त्रिपाठी जी तथा स्व. प्रदीप श्रीवास्तव के निधन पर श्रद्धांजलि व्यक्त कार बैठक समाप्त की गई। 



*- : विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर : -*
समन्वय प्रकाशन जबलपुर
*- : अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ : -*

प्रतिष्ठार्थ-                                                                                                                                                                 जबलपुर 
                माननीय अविनाश ब्योहार जी,                                                                                                            २०.८.२०२४ 
                                                जबलपुर।                                                                      
। अभिनंदन पत्र ।  

।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार। सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार ।।

                सम सामयिक व्यंग्य काव्य रचनाओं, नवगीतों, दोहों और कुंडलिओं के द्वारा विश्ववाणी हिंदी के सारस्वत कोश को हास्य-व्यंग्य रचना संग्रह 'अंधी पीसें कुत्ते खाएँ' तथा नवगीत संग्रह 'मौसम अंगार है', 'पोखर ठोंके दावा', 'कोयल करे मुनादी', 'ओस नहाई भोर' की रचना कर समृद्ध कर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के लिए आपका अभिनंदन है। 

                 संस्थान के वार्षिकोत्सव में  'ओस नहाई भोर' के लोकार्पण पर आपको ''हिंदी गौरव'' अलंकरण से अलंकृत किया जाता है। 

                                   बसंत शर्मा                                                                                   आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'                         

                                     अध्यक्ष                                                                                                  सभापति 

      अमरेन्द्र नारायण, डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, डॉ. इला घोष, डॉ. साधना वर्मा, डॉ. अनामिका तिवारी, आशा वर्मा, डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी 

मीना भट्ट, जय प्रकाश श्रीवास्तव, अश्विनी चौबे, छाया सक्सेना, मुकुल तिवारी, अरुणा पांडे, अस्मिता शैली, हरि सहाय पांडे, दिनेश गुप्ता 

।। हिंदी आटा माढ़िए, देशज मोयन डाल। सलिल संस्कृत सान दे, पूड़ी बने कमाल ।।   

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०१ डॉ. रामकुमार घोटड़ ९४१४०८६८००/९६६०४२७३७८   रु. १०००/-

०२ नूरी खान ९९२६२७५१५२/९९२६२७५१५२     रु. २५००/-

०३ दिनेश माली ९४३७०५९९७९      रु. २५००/-

०४ डॉ. दीप्ति गुप्ता ९९२२९१४३९५    रु. २५००/-

०५ कुमुद वर्मा ९८९८६३३३५९         रु. १०००/-

०६ नासिर अली 'नदीम' जालौन (उत्तर प्रदेश)    रु. २५००/-

Account no. 20752326187

IFSC code IDIB000J541

MICR Code 226019165

धारक का नाम- नासिर अली।

इंडियन बैंक जालौन

०७ के.एल.शर्मा, ( किशोर शर्मा 'सारस्वत') रु.२५००/-

Union Bank of India Account Number: 238610100037481

IFSC: UBIN 0823864

Branch: 23864 Ishar Nagar

०८ सुनीता सिंह, 9454418120  रु. ५०००/-

०९ अरुण कुमार पाठक     रु. १०००/-

९९९७८९७३३४ गूगल पे

१० नरेंद्र पाल जैन ९७८५२०५६९४  रु. १०००/-

११ ब्रजेंद्र नाथ मिश्र  ७५४१०८२३५४  रु. १०००/-

१२ शालिनी श्रीवास्तव G Pay - 9880343299 रु. १०००/-

१३ डाॅ. अखिलेश पालरिया 9610540526  रु. १०००/-

१४ डॉ.अरविंद श्रीवास्तव फोनपे --9425726907  रु. १०००/-

१५ डॉ. सुशीला ओझा (माधुरी मिश्रा फोन पे 8210107384)   रु. १०००/-

१६ डॉ. अनुसुइया अग्रवाल 9425515019  रु. १०००/-

१७  Dr Anita Mehta (Mobile:- 9838266227)   रु. ५०००/-

SB A/C No:- 628801009578

IFSC Code: - ICIC0006288

Branch:- JS Towers, The Mall, Kanpur - 208001

१८ ॐ प्रकाश यति 

१९ डॉ. प्रकाश चंद्र फुलोरिया 

२० हेमंत कुमार 

२१ विजय राठोर

२२ डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'

२३ डॉ. सुधा जगदीश गुप्त

२४ प्रियंका सोनी 'प्रीत'

२५. आशा त्रिपाठी   

*- : विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर : -*
समन्वय प्रकाशन जबलपुर
*- : अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ : -*

प्रतिष्ठार्थ-                                                                                                                                                                 जबलपुर 
                माननीय सुरेन्द्र लाल साहू निर्विकार,                                                                                                   २०.८.२०२४ 
                                                         जबलपुर।                                                                      
। अभिनंदन पत्र ।  

।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार। सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार ।।

                युग बोध संपन्न काव्य रचना संग्रहों धूप भई बैरागन, सुन सको यदि, जाल चौकड़ी काअ तथा प्रकृति से प्रणय तक  के द्वारा विश्ववाणी हिंदी के सारस्वत कोश को समृद्ध कर सम सामयिक विसंगतियों को उद्घाटित करने के लिए आपका अभिनंदन है। नेत्र  रोग विशेषज्ञ के रूप में आपने समाज के दृष्टि-दोष को दूर किया तथा साहित्य द्वारा नव दृष्टि प्रदान की। 

                 संस्थान के वार्षिकोत्सव में  'प्रकृति से प्रणय तक' के लोकार्पण पर आपको ''हिंदी गौरव'' अलंकरण से अलंकृत किया जाता है। 

               बसंत शर्मा                                                                                   आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'                         

                अध्यक्ष                                                                                                       सभापति 

      अमरेन्द्र नारायण, डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, डॉ. इला घोष, डॉ. साधना वर्मा, डॉ. अनामिका तिवारी, आशा वर्मा, डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी 

मीना भट्ट, जय प्रकाश श्रीवास्तव, अश्विनी चौबे, छाया सक्सेना, मुकुल तिवारी, अरुणा पांडे, अस्मिता शैली, हरि सहाय पांडे, दिनेश गुप्ता 

।। हिंदी आटा माढ़िए, देशज मोयन डाल। सलिल संस्कृत सान दे, पूड़ी बने कमाल ।।   

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*- : विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर : -*
समन्वय प्रकाशन जबलपुर
*- : अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ : -*

प्रतिष्ठार्थ-                                                                                                                                                                 जबलपुर 
                माननीय चंद्र शेखर लोहुमी ,                                                                                                              २०.८.२०२४ 
                                            जबलपुर।                                                                      
। अभिनंदन पत्र ।  

।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार। सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार ।।

                हिमगिरि के नैसर्गिक ग्राम्य वैभव  को महानगरीय नीरसता के वातावरण में अपनी रचनाओं के माध्यम से जीने के लिए आपका अभिनंदन है। आयुध निर्माणी में कार्यरत रहते हुए देश की सुरक्षा में योगदान देने के साथ साथ विश्ववाणी हिंदी तथा कुमाऊनी में अपनी मनोभावनाएँ व्यक्त कर आपने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।  । 

                 संस्थान के वार्षिकोत्सव में  आपकी कृति'पहाड़ के स्वर' के लोकार्पण पर आपको ''हिंदी श्री'' अलंकरण से अलंकृत किया जाता है। 

               बसंत शर्मा                                                                                   आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'                         

                अध्यक्ष                                                                                                       सभापति 

      अमरेन्द्र नारायण, डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, डॉ. इला घोष, डॉ. साधना वर्मा, डॉ. अनामिका तिवारी, आशा वर्मा, डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी 

मीना भट्ट, जय प्रकाश श्रीवास्तव, अश्विनी चौबे, छाया सक्सेना, मुकुल तिवारी, अरुणा पांडे, अस्मिता शैली, हरि सहाय पांडे, दिनेश गुप्ता 

।। हिंदी आटा माढ़िए, देशज मोयन डाल। सलिल संस्कृत सान दे, पूड़ी बने कमाल ।।   

                              *- : अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ : -*

प्रतिष्ठार्थ-                                                                                                                                                                 जबलपुर 
                माननीय आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी ,                                                                                           २०.८.२०२४ 
                                            जबलपुर।                                                                      
। अभिनंदन पत्र ।  

।। जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्योहार। सलिल बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार ।।

                विश्ववाणी हिंदी के वाङमय को छंद शिक्षण, संपादन, समालोचना तथा अपनी कृतियों कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, सौरभ:, कुरुक्षेत्र गाथा, काल है संक्रांति का, सड़क पर, ओ मेरी तुम, इक्कीस बुंदेली लोक कथाएँ, इक्कीस आदिवासी लोक कथाएँ तथा जंगल में जनतंत्र द्वारा समृद्ध करने के लिए आपका अभिनंदन है। समन्वय, इंजीनियर्स फोरम, विकास, अभियान तथा विश्ववाणी हिंदी संस्थाओं आदि संस्थाओं के माध्यम से अपने पर्यावरण सुधार, जन जागरण, बाल, महिला व प्रौढ़ शिक्षा, दहेज निवारण तथा अंध श्रद्धा उन्मूलन आदि क्षेत्रों में व्यापक कार्य किया है। हिंदी में तकनीकी शिक्षा तथा तकनीकी साहित्य के विकास हेतु आप गत ५ दशकों से सतत प्रयत्न कर रहे हैं। 

                 संस्थान के वार्षिकोत्सव में  आपकी कृति 'जंगल में जनतंत्र' के लोकार्पण पर आपको ''हिंदी विभूषण'' अलंकरण से सहर्ष अलंकृत किया जाता है। 

                                                                                                                                                           बसंत शर्मा                                                                                                                                                                                                अध्यक्ष                                    

      अमरेन्द्र नारायण, डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, डॉ. इला घोष, डॉ. साधना वर्मा, डॉ. अनामिका तिवारी, आशा वर्मा, डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी 

मीना भट्ट, जय प्रकाश श्रीवास्तव, अश्विनी चौबे, छाया सक्सेना, मुकुल तिवारी, अरुणा पांडे, अस्मिता शैली, हरि सहाय पांडे, दिनेश गुप्ता 

।। हिंदी आटा माढ़िए, देशज मोयन डाल। सलिल संस्कृत सान दे, पूड़ी बने कमाल ।। 




*- : विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर : -*

समन्वय प्रकाशन जबलपुर 

 *- : अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ परिणाम : -*
[*सकल अलंकरण राशि १ लाख  ८ हजार  रुपए *]
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वार्षिकोत्सव २०२४, २०.०८.२०२४, स्वामी दयानंद सभागार, बराट मार्ग, नेपियर टाउन, जबलपुर
प्रस्तावित कार्यक्रम विवरण
९.३० : स्वल्पाहार-चाय।  
प्रात: १०.०० : वंदना सत्र- उद्घोषक- हरिसहाय पाण्डेय जी, अध्यक्ष- आचार्य संजीव वर्मा सलिल, सभापति। मुख्य अतिथि- मृदुला श्रीवास्तव, जोधपुर। 
गणेश वंदना (), अतिथि स्वागत, कार्यकारिणी/ईकाई प्रतिवेदन, नव कार्यकारिणी घोषणा।
आभार- छाया सक्सेना, मुख्यालय सचिव।
प्रात: ११.०० : कृति लोकार्पण सत्र- उद्घोषक- अस्मिता शैली जी, अध्यक्ष- डॉ. सुरेश कुमार वर्मा जी, मुख्य अतिथि- अनिल अनवर जी जोधपुर। विशिष्ट अतिथि- , कुमुद वर्मा अहमदाबाद।
(समय सीमा प्रत्येक कृति १० मिनिट)। 
१. “प्रकृति से प्रणय तक” काव्य संग्रह- डॉ. सुरेन्द्र लाल साहू 'निर्विकार' जी।
२. “ओस नहाई भोर” नवगीत संग्रह- अविनाश ब्योहार जी। 
३. जंगल में जनतंत्र, लघुकथा संग्रह- आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी।
४. पहाड़ों का स्वर, काव्य संग्रह- चंद्र शेखर लोहुमी जी।  
आभार- डॉ. मुकुल तिवारी जी।
अपराह्न १२.०० : विमर्श सत्रविषय: हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा- दशा और दिशा। 
उद्घोषक- डॉ. अरुणा पांडे जी, अध्यक्ष- डॉ. इला घोष जी, मुख्य अतिथि- मनोहर बाथम जी, भोपाल। 
(प्रत्येक वक्ता १० मिनिट) 
विषय प्रवर्तन : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'।  
१. जमुना कृष्णराज जी चेन्नई।
२. रघुराज सिंह कर्मयोगी, कोटा (मैकेनिकल)। 
३. इं. ओम प्रकाश यती, नोएडा (सिविल)। 
४. इं. रश्मि कौशल दिल्ली (इलेक्ट्रॉनिक्स)।   
५. ब्रिगेडियर बिपिन त्रिवेदी जी, सैन्य विशेषज्ञ।  
६. डॉ. रोहित मिश्रा जी, दंत विशेषज्ञ।   
७. डॉ. सुरेन्द्र लाल साहू 'निर्विकार' जी नेत्र विशेषज्ञ।  
८. डॉ. आशीष तिवारी जी, बाल रोग विशेषज्ञ। 
९. डॉ. नमिता तिवारी, स्त्री रोग विशेषज्ञ।
आभार- ।      
अपराह्न २ बजे : विराम ।
अपराह्न ३ बजे : अलंकरण सत्र : उद्घोषक: छाया सक्सेना, अध्यक्ष- इं अमरेन्द्र नारायण जी, मुख्य अतिथि- डॉ. सुरेश कुमार वर्मा जी, विशेष अतिथि- डॉ. इला घोष जी।
हिन्दी रत्न अलंकरण
०१. शांतिराज हिन्दी रत्न अलंकरण, ११,००० रु. (आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'), जीवनोपलब्धि सम्मान- पूर्णिमा बर्मन, लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
०२. परम ज्योति देवी हिन्दी रत्न अलंकरण, ११,००० रु. (इं. ओमप्रकाश यती, नोएडा), समग्र साहित्यिक अवदान- 
(अ)  अनिल अनवर, जोधपुर (कला-साहित्य सेतु, संपादन, सृजन)।  एवं (आ) जमुना कृष्ण राज, अडयार, चेन्नै (तमिल-हिंदी भाषा सेतु, कला-साहित्य सृजन)। प्रत्येक ५५००/- । 
हिंदी भूषण
०३. आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी हिंदी भूषण अलंकरण (दर्शन) ५०००/- (डॉ. इला घोष, जबलपुर),  ऋषिका वर्मा, श्री नगर, गढ़वाल (सांख्य दर्शन एवं शांकर वेदान्त का तुलनात्मक अध्ययन)। 
०४. डॉ. दिनेश खरे स्मृति हिंदी  भूषण अलंकरण (यांत्रिकी), ५०००/- (श्रीमती निशा खरे, जबलपुर), रघुराज सिंह कर्मयोगी, कोटा (पेसेन्जर कोच मेंटेनेंस टेक्नोलॉजी) तथा डॉ. मीनू पांडे, भोपाल (पुस्तकालय स्वचालन एवं सूचना नेटवर्क) - प्रत्येक २५००/- ।
०५. राजधर जैन 'मानस हंस' अलंकरण  (मीमांसा), ५००० रु. (डॉ. अनिल जैन दमोह), सुनीता सिंह, लखनऊ, उत्तर प्रदेश (भक्ति काव्य का अस्ति बोध )।
०६. जवाहर लाल चौरसिया 'तरुण' हिंदी भूषण अलंकरण (संस्मरण, डायरी, रेखा चित्र आदि), ५००० रु. (अस्मिता शैली, जबलपुर), मनोहर बाथम, भोपाल, मध्य प्रदेश (दरमियान)।
०७. धीरेन्द्र खरे स्मृति हिंदी भूषण अलंकरण, (उपन्यास), ५०००/- (वसुधा-रचित-विभोर खरे, मुंबई), किशोर शर्मा सारस्वत (जीवन एक संघर्ष), पंचकूला तथा दीप्ति गुप्ता, कानपुर (देवयानी) उत्तर प्रदेश- प्रत्येक २५००/-
०८. इं. देवनाथ सिंह आनंद गौतम हिंदी भूषण अलंकरण, (समालोचना),५०००/- (इं. हेमेन्द्र नाथ सिंह, रीवा), दिनेश कुमार माली, हंडीधुआ, अनुगुल उड़ीसा (अनाद्य सूक्त विज्ञानाध्यात्मिक दार्शनिक काव्य का अणु चिंतन) तथा डॉ. भारती सिंह नोएडा (नयी कहानी : संदर्भ - शिल्प)।  प्रत्येक २५००/-।
०९.  कमला शर्मा स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण (गजल), ५००० रु. (बसंत शर्मा, इलाहाबाद), नासिर अली नदीम , जालौन उत्तर प्रदेश (शाश्वत संवाद) तथा ओम प्रकाश यती, नोएडा, (कब तक चलता पीछे-पीछे) - प्रत्येक २५००/-।
१०. कृष्ण बिहारी 'नूर' स्मृति अलंकरण (जीवन दर्शन), ५०००/- (इं. देवकी नंदन शांत, लखनऊ), नूरी खान, बड़वानी, म.प्र. (आपका जीवन आपका व्यक्तित्व) तथा प्रतुल श्रीवास्तव (मौन) - प्रत्येक २५००/-।
११. किशोरी लाल सेठी कृष्ण प्रज्ञा अलंकरण (कृष्ण चिंतन), ५०००/- (पवन सेठी मुंबई), रश्मि कौशल, दिल्ली (मैं प्रेम हूँ) तथा (कृष्ण काव्य) नीलिमा रंजन, भोपाल, म. प्र. (नैरंतर्य) - प्रत्येक २५००/-। 
१२. सुमन तेलंग स्मृति चित्रलेखा अलंकरण (कला-साहित्य), ५०००/- (रत्ना पानवलकर, भोपाल), डॉ. प्रीति श्रीवास्तव, जबलपुर म.प्र., ( भारतीय संगीत और सूफी संत)।
१३. पंडित शरद तेलंग स्मृति शब्द-राग अलंकरण (संगीत-साहित्य) ५०००/- (राग तेलंग, भोपाल), डॉ. अनीता मेहता, पुणे महाराष्ट्र (राग सौन्दर्य और रस)।
हिंदी गौरव
१४. डॉ. अचल श्रीवास्तव हिंदी गौरव अलंकरण (हिंदी विमर्श) २०००/- (अर्जिता सिन्हा, सरगुजा), प्रकाश चंद्र फुलोरिया, फरीदाबाद, उ. प्र. (हिंदी का शुद्ध प्रयोग) तथा आशा त्रिपाठी, नई दिल्ली (एक माँ यह भी)- प्रत्येक १०००/-। 
१५. राष्ट्र गौरव अलंकरण (शहीद साहित्य) २०००/- (मनोहर बाथम, भोपाल), रंजीता श्रीवास्तव, भोपाल (हमारे परम वीर) तथा हेमंत कुमार, लखनऊ उ. प्र. (कारगिल युद्ध के अमर बलिदानी नायक अशोक कुमार) - प्रत्येक १०००/-।
१६. सिद्धार्थ भट्ट स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण (लघु कथा), २०००/- (मीना भट्ट, जबलपुर), रामकुमार घोटड़, सादुलपुर, चुरु राजस्थान (मेरी २० वी सदी की लघुकथाएँ) तथा अखिलेश पालरिया अजमेर राजस्थान (पीर पराई) - प्रत्येक १०००/-।
१७. डाॅ. शिवकुमार मिश्र स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण (छंद), २०००/- (डॉ. अनिल बाजपेई, जबलपुर), विजय राठौर, जांजगीर छत्तीसगढ़,  (छंदानुशासन) तथा भाऊराव महंत, बालाघाट म. प्र. (अंकुर हुआ दरख्त)  - प्रत्येक १०००/-।
१८. सुरेन्द्रनाथ सक्सेना स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण (गीत), २०००/- (मनीषा सहाय, रांची), गोविंद श्रीवास्तव कानपुर (बूँद-बूँद चाँदनी) तथा अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम', दतिया (खेमों में बँटे लोग)  - प्रत्येक १०००/-।
१९. डॉ. अरविन्द गुरु स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण (काव्य), २०००/- (डॉ. मंजरी गुरु, रायपुर), शालिनी श्रीवास्तव बेंगलुरु, (अनहद) तथा नरेंद्र पाल जैन उदयपुर, राजस्थान (कविताओं की इच्छा मृत्यु)  - प्रत्येक १०००/-।
२०. विजय कृष्ण शुक्ल स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण (व्यंग्य), २०००/- (डॉ. संतोष शुक्ला, गुजरात), सतीश चंद्र श्रीवास्तव भोपाल (मतलब अपना साध रे बंदे) तथा अशोक व्यास, भोपाल (टिकाऊ चमचाओं की वापिसी)  - प्रत्येक १०००/-।
२१. शिवप्यारी देवी-बेनी प्रसाद पांडे स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण (बाल साहित्य), २०००/- (डॉ. मुकुल तिवारी जबलपुर), अनुसुइया अग्रवाल, महासमुंद, छत्तीसगढ़ (छत्तीसगढ़ी बाल साहित्य परंपरा) तथा मधु प्रधान कानपुर (नमन तुम्हें मेरे भारत)  - प्रत्येक १०००/-।
२२. हृदयेश्वरी पाण्डे स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण (नाटक), २०००/- (डॉ. अरुण पाण्डे, जबलपुर), नवीन चतुर्वेदी, जबलपुर (शंकराचार्य) तथा विवेकरंजन श्रीवास्तव 'विनम्र' भोपाल (जलनाद)  - प्रत्येक १०००/-। 
२३. सत्याशा हिंदी गौरव अलंकरण (राम काव्य), १०००/- (डॉ. साधना वर्मा, जबलपुर), सीता स्वयंवर, गोकुल सोनी, भोपाल। 
२४. रायबहादुर माताप्रसाद सिन्हा हिंदी गौरव, अलंकरण (कथा साहित्य), १०००/- (सुश्री आशा वर्मा, जबलपुर), निर्मला तिवारी, जबलपुर, (जो राम रची राखा)।
२५. कवि राजीव वर्मा  हिंदी गौरव अलंकरण (प्रथम कृति), १०००/- (पूनम वर्मा, जबलपुर), श्रद्धा निगम, बाँदा, (जीवन की खिड़कियाँ)। 
२६. डॉ. कृष्ण मोहन निगम हिंदी गौरव अलंकरण (राष्ट्रीय भाव धारा), १०००/- (सुषमा निगम, जबलपुर), मनोहर चौबे 'आकाश', जबलपुर (चलो आज आजादी को हम घर ले आएँ)। 
२७. स्वतंत्रता सत्याग्रही ज्वाला प्रसाद वर्मा हिंदी गौरव अलंकरण (लोक भाषा- भोजपुरी कहानी संग्रह), १०००/- (देवेन्द्र वर्मा, जबलपुर), डॉ. सुशीला ओझा, श्री नगर, बेतिया, चंपारण बिहार (गोदिया मे चनरमा)।
२८. स्वतंत्रता सत्याग्रही जगन्नाथ प्रसाद-लीला देवी वर्मा  हिंदी गौरव अलंकरण (राम साहित्य उपन्यास), १०००/- (सलिल, जबलपुर), शांति तिवारी जगदलपुर बस्तर, छत्तीसगढ़,  (रावणान्तक)।
२९. जगदीश किंजल्क हिंदी गौरव अलंकरण (छांदस गीत), १०००/- (सलिल, जबलपुर), डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल', कोटा, राजस्थान, (गीत संजीवनी)  
३०. सुशील वर्मा हिंदी गौरव अलंकरण (बुंदेली साहित्य), १०००/- (सरला वर्मा, भोपाल), डॉ. रेणु श्रीवास्तव, भोपाल, (ठाकुर नवल सिंह प्रधान कृत रामचन्द्र विलास में राम रास : पाठालोचन एवं मूल्यांकन)।
३१. अतुल श्रीवास्तव हिंदी गौरव अलंकरण (कहानी), १०००/- (तनुजा श्रीवास्तव, रायगढ़), ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र, जमशेदपुर, (तुम्हारे झूठ से प्यार है)।
३२. प्रभु दयाल खरे 'व्यथित' हिंदी गौरव अलंकरण (बाल विमर्श), १०००/- (मंजूषा मन, बलौदा बाजार), कुमुद वर्मा, (बच्चों को सफल कैसे बनाएँ)।
३३.  मेधराज सिंह हिंदी गौरव अलंकरण (पर्यावरण, कृषि, वानिकी), १०००/- (सुभाष सिंह, कटनी), डी. कुमार जोधपुर, राजस्थान (कृषि काव्यका : धरातलीय ज्ञान व तकनीकें)।
३४.  राजकुमारी सिंह हिंदी गौरव अलंकरण (शैक्षिक नवाचार), १०००/- (डॉ। तरुण कुमार सिंह, जबलपुर), डॉ. वंदना दुबे, जबलपुर म. प्र. (माँ फिट, तो बच्चे हिट)।  
३५. कलावती-मुरलीधर लोहुमी हिंदी गौरव (समाज कल्याण),  १०००/- (चंद्र शेखर लोहुमी, जबलपुर), डॉ. शोभा सिंह, जबलपुर म. प्र. (वृद्ध विमर्श)।
३६. माया-हरिकृष्ण त्रिपाठी हिंदी गौरव अलंकरण, (शैक्षिक नवाचार) १०००/-, (डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर), डॉ. सुधा जगदीश गुप्ता 'अमृता' कटनी (राहों के दिए)। 
३७. जीजी बाई-गंगा प्रसाद अग्निहोत्री हिंदी गौरव अलंकरण, (पर्यटन) १०००/-, (डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर), गोवर्धन यादव, छिंदवाड़ा (पातालकोट जहाँ धरती बाँचती है आसमान)।
३८. गोकुल प्रसाद-बाल मुकुंद त्रिपाठी हिंदी गौरव अलंकरण, (क्रांतिकारी स्मरण) १०००/-, (डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर), अरुण पाठक हरिद्वार (आजादी के परवाने)।
३९. निर्मला वर्मा हिंदी गौरव अलंकरण, () १०००/-, (डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर), प्रियंका सोनी 'प्रीत', जलगाँव  (कुकुरमुत्ता)।
आभार -  ।
टीप - समय पालन प्रार्थनीय।
***
पूर्णिमा बर्मन जी- पूर्णिमा वर्मन (जन्म २७ जून १९५५, पीलीभीत, उत्तर प्रदेश), वेब पर हिंदी की स्थापना करने वालों में अग्रगण्य हैं। उन्होंने प्रवासी तथा विदेशी हिंदी लेखकों को प्रकाशित कर महत्वपूर्ण काम किया है। माइक्रोसॉफ़्ट का यूनिकोडित हिंदी फॉण्ट आने से बहुत पहले हर्ष कुमार द्वारा निर्मित सुशा फॉण्ट में उनके द्वारा संचालित-संपादित जाल पत्रिकाएँ 'अभिव्यक्ति' तथा 'अनुभूति' अंतर्जाल पर प्रतिष्ठित-लोकप्रियता थीं। वेब पर हिंदी को लोकप्रिय बनाने के निरंतर प्रयत्नों के लिए उन्हें २००६ में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, साहित्य अकादमी तथा अक्षरम के संयुक्त अलंकरण अक्षरम प्रवासी मीडिया सम्मान, २००८ में सृजन संस्था  रायपुर द्वारा हिंदी गौरव सम्मान, दिल्ली की संस्था जयजयवंती द्वारा जयजयवंती सम्मानतथा केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के पद्मभूषण डॉ॰ मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से विभूषित किया गया। उनके तीन कविता संग्रह "पूर्वा", "वक्त के साथ" और "चोंच में आकाश" प्रकाशितहैं। शारजाह, संयुक्त अरब इमारात तथा अब लखनऊ निवासी पूर्णिमा वर्मन अभिव्यक्ति विश्वम, नवगीत महोत्सव तथा प्राथमिक विद्यालय के माध्यम से हिंदी के विकास हेतु अहर्निश समर्पित हैं। उन्हें शांति राह हिंदी रत्न अलंकरण तथा ११,००० रु.  की सम्मान निधि समर्पित कर हम गौरवान्वित हैं। अपने ९४ वर्षीय पिताश्री की सेवा में रत रहने के कारण वे आज उपस्थित नहीं हैं।
अनिल अनवर, जोधपुर- 


*- : विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर : -*

 अनुकरणीय 

विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर की सचिव डॉ. मुकुल तिवारी की पूज्य माताजी का दिनाँक  अगस्त २०१४ को देहावसान हो गया। कर्म परायण मुकुल जी स्वयं दुर्घटना में घायल होने और चिकित्सक द्वारा पूर्ण विश्राम की सलाह दिए जाने के बाद भी न केवल मातु श्री की सेवा करती रहीं अपितु उन्होंने मातुश्री की प्रेरणा से ११०० रु. के तीन अलंकरण आरंभ कर इसी वार्षिकोत्सव समारोह में वितरित करने का निर्णय लिया है। ये तीन अलंकरण श्रीमती माया-हरिकृष्ण त्रिपाठी अलंकरण, श्रीमती जीजी बाई-गंगा प्रसाद अग्निहोत्री अलंकरण तथा श्री गोकुल प्रसाद त्रिपाठी-बालमुकुंद त्रिपाठी अलंकरण (प्रत्येक ११००/-) हैं। मुकुल जी इसके पूर्व शिवप्यारी देवी-बेनी प्रसाद पांडे स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१००/- प्रायोजित कर चुकी हैं। मुकुल जी की शुभेच्छा का समादर करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ हेतु प्राप्त शेष कृतियों में से ३ का गुणवत्ता के आधार पर चयन कर पुरस्कृत किया जाए। मुकुल जी को इस अनुकरणीय कदम हेतु साधुवाद। पूर्वजों का सारस्वत तर्पण करने की इस परंपरा का अनुकरण सभी को करना चाहिए।    


*- : विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर : -*

 *- : अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ परिणाम : -*
[*सकल अलंकरण राशि १ लाख  ८ हजार  रुपए *]

            विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर के तत्वावधान में अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ हेतु प्राप्त प्रविष्टियों का मूल्यांकन निर्णायक मण्डल (स्व. आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी, डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, सुश्री आशा वर्मा, डॉ. इला घोष, डॉ. साधना वर्मा, डॉ. अनामिका तिवारी, बसंत शर्मा, डॉ. अरुणा पाण्डे, डॉ. मुकुल तिवारी, मनीषा सहाय, गीतिका श्रीव तथा आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल') ने सर्व सहमति से किया। तदनुसार प्राप्त अनुमान से अधिक संख्या में प्राप्त प्रविष्टियों में अधिसंख्य की श्रेष्ठ गुणवत्ता ने निर्णायक मण्डल के समक्ष समान गुणवत्ता की कृतियों में से किसी एक का चयन करने की चुनौती उपस्थित की। फलत:, कई विधाओं में अलंकरण राशि एक से अधिक कृतियों में विभक्त की गई तथा अन्य उत्तम कृतियों के कृतिकारों को पुस्तकोपहार से सम्मानित करने का विचार किया गया। सभी ५१ अलंकृत महानुभावों और सहभागियों को हार्दिक बधाई एवं शुभ कामना।  

               इस वर्ष भी अलंकरण समारोह संस्था के स्थापना दिवस २० अगस्त को जबलपुर मध्य प्रदेश में होगा। 

            आयोजन स्थल - महर्षि दयानंद सरस्वती सभागार, आर्य समाज भवन, डॉ. बराट मार्ग, समदड़िया होटल के सामने, समीप रसल चौक, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१ ।   

            सभी सहभागी प्रविष्टिकार तथा अन्य रचनाकार इस सारस्वत अनुष्ठान में सादर आमंत्रित हैं। इस सारस्वत कुम्भ में अवगाहन कर पारस्परिक स्नेह-सौहार्द्र बढ़ाना तथा रचनात्मक विमर्श करना ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। अपने आगमन की सूचना श्री हरि सहाय पांडे ९७५२४ १३०९६ अथवा आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ९४२५१ ८३२४४ को यथाशीघ्र दीजिए। २० अगस्त को सुबह-शाम स्वल्पाहार तथा दोपहर भोजन व्यवस्था की जा रही है। आवागमन तथा प्रवास की शेष व्यवस्था आपकी अपनी होंगी। जबलपुर सनातन सलिला नर्मदा तट पर स्थित महत्वपूर्ण नगर है। आयोजन स्थल शहर के मध्य में रेलवे स्टेशन से लगभग ३ किलो मीटर दूर है। लगभग एक किलोमीटर की परिधि में कई होटल हैं। बरसात को देखते हुए छाता या बरसाती साथ रखना चाहिए। जबलपुर में कई दर्शनीय स्थल हैं।   

             इस अवसर पर 'हिंदी में तकनीकी लेखन : दशा और दिशा' तथा -हिंदी का भविष्य और भविष्य की हिंदी' विषयों पर विमर्श और नव लिखित कृतियों का विमोचन भी होगा। विमोचन हेतु कृतियाँ १५ अगस्त के पश्चात स्वीकार नहीं की जा सकेंगी। 

अलंकरण हेतु चयनित विभूतियाँ   
सर्व सम्माननीय   
हिन्दी रत्न अलंकरण
०१. शांतिराज हिन्दी रत्न अलंकरण, ११,००० रु. (आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'), जीवनोपलब्धि सम्मान- पूर्णिमा बर्मन, लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
०२. परम ज्योति देवी हिन्दी रत्न अलंकरण, ११,००० रु. (इं. ओमप्रकाश यती, नोएडा), समग्र साहित्यिक अवदान- 
(अ)  अनिल अनवर, जोधपुर (कला-साहित्य सेतु, संपादन, सृजन)।  एवं (आ) जमुना कृष्ण राज, अडयार, चेन्नै (तमिल-हिंदी भाषा सेतु, कला-साहित्य सृजन)। प्रत्येक ५५००/- । 
हिंदी भूषण
०३. आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी हिंदी भूषण अलंकरण (दर्शन) ५०००/- (डॉ. इला घोष, जबलपुर),  ऋषिका वर्मा, श्री नगर, गढ़वाल (सांख्य दर्शन एवं शांकर वेदान्त का तुलनात्मक अध्ययन)। 
०४. डॉ. दिनेश खरे स्मृति हिंदी  भूषण अलंकरण (यांत्रिकी), ५०००/- (श्रीमती निशा खरे, जबलपुर), रघुराज सिंह कर्मयोगी, कोटा (पेसेन्जर कोच मेंटेनेंस टेक्नोलॉजी) तथा डॉ. मीनू पांडे, भोपाल (पुस्तकालय स्वचालन एवं सूचना नेटवर्क) - प्रत्येक २५००/- ।
०५. राजधर जैन 'मानस हंस' अलंकरण  (मीमांसा), ५००० रु. (डॉ. अनिल जैन दमोह), सुनीता सिंह, लखनऊ, उत्तर प्रदेश (भक्ति काव्य का अस्ति बोध )।
०६. जवाहर लाल चौरसिया 'तरुण' हिंदी भूषण अलंकरण (संस्मरण, डायरी, रेखा चित्र आदि), ५००० रु. (अस्मिता शैली, जबलपुर), मनोहर बाथम, भोपाल, मध्य प्रदेश (दरमियान)।
०७. धीरेन्द्र खरे स्मृति हिंदी भूषण अलंकरण, (उपन्यास), ५०००/- (वसुधा-रचित-विभोर खरे, मुंबई), किशोर शर्मा सारस्वत (जीवन एक संघर्ष), पंचकूला तथा दीप्ति गुप्ता, कानपुर (देवयानी) उत्तर प्रदेश- प्रत्येक २५००/-
०८. इं. देवनाथ सिंह आनंद गौतम हिंदी भूषण अलंकरण, (समालोचना),५०००/- (इं. हेमेन्द्र नाथ सिंह, रीवा), दिनेश कुमार माली, हंडीधुआ, अनुगुल उड़ीसा (अनाद्य सूक्त विज्ञानाध्यात्मिक दार्शनिक काव्य का अणु चिंतन) तथा डॉ. भारती सिंह नोएडा (नयी कहानी : संदर्भ - शिल्प)।  प्रत्येक २५००/-।
०९.  कमला शर्मा स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण (गजल), ५००० रु. (बसंत शर्मा, इलाहाबाद), नासिर अली नदीम , जालौन उत्तर प्रदेश (शाश्वत संवाद) तथा ओम प्रकाश यती, नोएडा, (कब तक चलता पीछे-पीछे) - प्रत्येक २५००/-।
१०. कृष्ण बिहारी 'नूर' स्मृति अलंकरण (जीवन दर्शन), ५०००/- (इं. देवकी नंदन शांत, लखनऊ), नूरी खान, बड़वानी, म.प्र. (आपका जीवन आपका व्यक्तित्व) तथा प्रतुल श्रीवास्तव (मौन) - प्रत्येक २५००/-।
११. किशोरी लाल सेठी कृष्ण प्रज्ञा अलंकरण (कृष्ण चिंतन), ५०००/- (पवन सेठी मुंबई), रश्मि कौशल, दिल्ली (मैं प्रेम हूँ) तथा (कृष्ण काव्य) नीलिमा रंजन, भोपाल, म. प्र. (नैरंतर्य) - प्रत्येक २५००/-। 
१२. सुमन तेलंग स्मृति चित्रलेखा अलंकरण (कला-साहित्य), ५०००/- (रत्ना पानवलकर, भोपाल), डॉ. प्रीति श्रीवास्तव, जबलपुर म.प्र., ( भारतीय संगीत और सूफी संत)।
१३. पंडित शरद तेलंग स्मृति शब्द-राग अलंकरण (संगीत-साहित्य) ५०००/- (राग तेलंग, भोपाल), डॉ. अनीता मेहता, पुणे महाराष्ट्र (राग सौन्दर्य और रस)।
हिंदी गौरव
१४. डॉ. अचल श्रीवास्तव हिंदी गौरव अलंकरण (हिंदी विमर्श) २०००/- (अर्जिता सिन्हा, सरगुजा), प्रकाश चंद्र फुलोरिया, फरीदाबाद, उ. प्र. (हिंदी का शुद्ध प्रयोग) तथा आशा त्रिपाठी, नई दिल्ली (एक माँ यह भी)- प्रत्येक १०००/-। 
१५. राष्ट्र गौरव अलंकरण (शहीद साहित्य) २०००/- (मनोहर बाथम, भोपाल), रंजीता श्रीवास्तव, भोपाल (हमारे परम वीर) तथा हेमंत कुमार, लखनऊ उ. प्र. (कारगिल युद्ध के अमर बलिदानी नायक अशोक कुमार) - प्रत्येक १०००/-।
१६. सिद्धार्थ भट्ट स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण (लघु कथा), २०००/- (मीना भट्ट, जबलपुर), रामकुमार घोटड़, सादुलपुर, चुरु राजस्थान (मेरी २० वी सदी की लघुकथाएँ) तथा अखिलेश पालरिया अजमेर राजस्थान (पीर पराई) - प्रत्येक १०००/-।
१७. डाॅ. शिवकुमार मिश्र स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण (छंद), २०००/- (डॉ. अनिल बाजपेई, जबलपुर), विजय राठौर, जांजगीर छत्तीसगढ़,  (छंदानुशासन) तथा भाऊराव महंत, बालाघाट म. प्र. (अंकुर हुआ दरख्त)  - प्रत्येक १०००/-।
१८. सुरेन्द्रनाथ सक्सेना स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण (गीत), २०००/- (मनीषा सहाय, रांची), गोविंद श्रीवास्तव कानपुर (बूँद-बूँद चाँदनी) तथा अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम', दतिया (खेमों में बँटे लोग)  - प्रत्येक १०००/-।
१९. डॉ. अरविन्द गुरु स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण (काव्य), २०००/- (डॉ. मंजरी गुरु, रायपुर), शालिनी श्रीवास्तव बेंगलुरु, (अनहद) तथा नरेंद्र पाल जैन उदयपुर, राजस्थान (कविताओं की इच्छा मृत्यु)  - प्रत्येक १०००/-।
२०. विजय कृष्ण शुक्ल स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण (व्यंग्य), २०००/- (डॉ. संतोष शुक्ला, गुजरात), सतीश चंद्र श्रीवास्तव भोपाल (मतलब अपना साध रे बंदे) तथा अशोक व्यास, भोपाल (टिकाऊ चमचाओं की वापिसी)  - प्रत्येक १०००/-।
२१. शिवप्यारी देवी-बेनी प्रसाद पांडे स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण (बाल साहित्य), २०००/- (डॉ. मुकुल तिवारी जबलपुर), अनुसुइया अग्रवाल, महासमुंद, छत्तीसगढ़ (छत्तीसगढ़ी बाल साहित्य परंपरा) तथा मधु प्रधान कानपुर (नमन तुम्हें मेरे भारत)  - प्रत्येक १०००/-।
२२. हृदयेश्वरी पाण्डे स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण (नाटक), २०००/- (डॉ. अरुण पाण्डे, जबलपुर), नवीन चतुर्वेदी, जबलपुर (शंकराचार्य) तथा विवेकरंजन श्रीवास्तव 'विनम्र' भोपाल (जलनाद)  - प्रत्येक १०००/-। 
२३. सत्याशा हिंदी गौरव अलंकरण (राम काव्य), १०००/- (डॉ. साधना वर्मा, जबलपुर), सीता स्वयंवर, गोकुल सोनी, भोपाल। 
२४. रायबहादुर माताप्रसाद सिन्हा हिंदी गौरव, अलंकरण (कथा साहित्य), १०००/- (सुश्री आशा वर्मा, जबलपुर), निर्मला तिवारी, जबलपुर, (जो राम रची राखा)।
२५. कवि राजीव वर्मा  हिंदी गौरव अलंकरण (प्रथम कृति), १०००/- (पूनम वर्मा, जबलपुर), श्रद्धा निगम, बाँदा, (जीवन की खिड़कियाँ)। 
२६. डॉ. कृष्ण मोहन निगम हिंदी गौरव अलंकरण (राष्ट्रीय भाव धारा), १०००/- (सुषमा निगम, जबलपुर), मनोहर चौबे 'आकाश', जबलपुर (चलो आज आजादी को हम घर ले आएँ)। 
२७. स्वतंत्रता सत्याग्रही ज्वाला प्रसाद वर्मा हिंदी गौरव अलंकरण (लोक भाषा- भोजपुरी कहानी संग्रह), १०००/- (देवेन्द्र वर्मा, जबलपुर), डॉ. सुशीला ओझा, श्री नगर, बेतिया, चंपारण बिहार (गोदिया मे चनरमा)।
२८. स्वतंत्रता सत्याग्रही जगन्नाथ प्रसाद-लीला देवी वर्मा  हिंदी गौरव अलंकरण (राम साहित्य उपन्यास), १०००/- (सलिल, जबलपुर), शांति तिवारी जगदलपुर बस्तर, छत्तीसगढ़,  (रावणान्तक)।
२९. जगदीश किंजल्क हिंदी गौरव अलंकरण (छांदस गीत), १०००/- (सलिल, जबलपुर), डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल', कोटा, राजस्थान, (गीत संजीवनी)  
३०. सुशील वर्मा हिंदी गौरव अलंकरण (बुंदेली साहित्य), १०००/- (सरला वर्मा, भोपाल), डॉ. रेणु श्रीवास्तव, भोपाल, (ठाकुर नवल सिंह प्रधान कृत रामचन्द्र विलास में राम रास : पाठालोचन एवं मूल्यांकन)।
३१. अतुल श्रीवास्तव हिंदी गौरव अलंकरण (कहानी), १०००/- (तनुजा श्रीवास्तव, रायगढ़), ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र, जमशेदपुर, (तुम्हारे झूठ से प्यार है)।
३२. प्रभु दयाल खरे 'व्यथित' हिंदी गौरव अलंकरण (बाल विमर्श), १०००/- (मंजूषा मन, बलौदा बाजार), कुमुद वर्मा, (बच्चों को सफल कैसे बनाएँ)।
३३.  मेधराज सिंह हिंदी गौरव अलंकरण (पर्यावरण, कृषि, वानिकी), १०००/- (सुभाष सिंह, कटनी), डी. कुमार जोधपुर, राजस्थान (कृषि काव्यका : धरातलीय ज्ञान व तकनीकें)।
३४.  राजकुमारी सिंह हिंदी गौरव अलंकरण (शैक्षिक नवाचार), १०००/- (डॉ। तरुण कुमार सिंह, जबलपुर), डॉ. वंदना दुबे, जबलपुर म. प्र. (माँ फिट, तो बच्चे हिट)।  
३५. कलावती-मुरलीधर लोहुमी हिंदी गौरव (समाज कल्याण),  १०००/- (चंद्र शेखर लोहुमी, जबलपुर), डॉ. शोभा सिंह, जबलपुर म. प्र. (वृद्ध विमर्श)।
३६. माया-हरिकृष्ण त्रिपाठी हिंदी गौरव अलंकरण, (शैक्षिक नवाचार) १०००/-, (डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर), डॉ. सुधा जगदीश गुप्ता 'अमृता' कटनी (राहों के दिए)। 
३७. जीजी बाई-गंगा प्रसाद अग्निहोत्री हिंदी गौरव अलंकरण, (पर्यटन) १०००/-, (डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर), गोवर्धन यादव, छिंदवाड़ा (पातालकोट जहाँ धरती बाँचती है आसमान)।
३८. गोकुल प्रसाद-बाल मुकुंद त्रिपाठी हिंदी गौरव अलंकरण, (क्रांतिकारी स्मरण) १०००/-, (डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर), अरुण पाठक हरिद्वार (आजादी के परवाने)।
३९. निर्मला वर्मा हिंदी गौरव अलंकरण, () १०००/-, (डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर), प्रियंका सोनी 'प्रीत', जलगाँव  (कुकुरमुत्ता)।
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अलंकरण स्थापना
            वर्ष २०२४-२५ हेतु विधि, आध्यात्म, ग्राम विकास, जन जागरण तथा अन्य विधाओं में अपने पूज्यजन /प्रियजन की स्मृति में अलंकरण स्थापना हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। अलंकरणदाता अलंकरण निधि के साथ ११००/- (सहभागिता निधि), ११००/- वार्षिक सदस्यता निधि, अपना नाम, पूरा पता व वाट्स एप क्रमांक ९४२५१८३२४४ पर स्नैप शाॅट सहित भेजें।

पुस्तक प्रकाशन
            कृति प्रकाशित कराने, भूमिका/समीक्षा लेखन हेतु पांडुलिपि सहित संपर्क करें। चयनित पांडुलिपियों का प्रकाशन संस्था न्यूनतम लागत पर कराती है। 
          संस्था की संरक्षक सदस्यता (सहयोग निधि १ लाख रु.) ग्रहण करने पर  १५० पृष्ठ तक की एक पांडुलिपि का तथा आजीवन सदस्यता (सहयोग निधि २५ हजार रु.) ग्रहण करने पर ६० पृष्ठ तक की एक पांडुलिपि का प्रकाशन समन्वय प्रकाशन, जबलपुर द्वारा किया जाएगा। संरक्षकों का वार्षिकोत्सव में सम्मान किया जाएगा।
            संस्था के वार्षिक सदस्य (शुल्क ११००/-) पुस्तक भेजकर भूमिका / समीक्षा निशुल्क लिखवा सकते हैं। सदस्यों की पांडुलिपियों पर संशोधन/परिवर्धन/परिवर्तन हेतु सुझाव निशुल्क दिए जाते हैं।  

पुस्तक विमोचन
            कृति विमोचन हेतु कृति की ५ प्रतियाँ, सहयोग राशि २५०० रु. रचनाकार तथा किताब संबंधी जानकारी १५  अगस्त तक आमंत्रित है। विमोचित कृति की संक्षिप्त चर्चा कर, कृतिकार का सम्मान किया जाएगा।
वार्षिकोत्सव, ईकाई स्थापना दिवस, किसी साहित्यकार की षष्ठि पूर्ति, साहित्यिक कार्यशाला, संगोष्ठी अथवा अन्य सारस्वत अनुष्ठान करने हेतु इच्छुक ईकाइयाँ / सहयोगी सभापति से संपर्क करें।

नई ईकाई
            संस्था की नई ईकाई आरंभ करने हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। नई ईकाई हेतु कम से कम ११ सदस्य होना अनिवार्य है। वार्षिक सदस्यता सहयोग निधि ११००/- देकर ईकाई के वार्षिक सदस्य बन सकेंगे। हर ईकाई १००/- प्रति वर्ष प्रति सदस्य केंद्र को भेजेगी। केंद्र ईकाई द्वारा वार्षिकोत्सव या अन्य कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु केन्द्रीय पदाधिकारी भेजेगा। केन्द्रीय समिति के कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु ईकाई से प्रतिनिधि आमंत्रित किए जाएँगे। वार्षिकोत्सव में ईकाईयों की गतिविधि का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा। श्रेष्ठ ईकाई के प्रतिनिधि को सम्मानित किया जाएगा।
*सभापति- आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'*
*अध्यक्ष- बसंत शर्मा *
*उपाध्यक्ष- जय प्रकाश श्रीवास्तव, मीना भट्ट, अश्विनी पाठक*
*सचिव - अनिल बाजपेई, मुकुल तिवारी, छाया सक्सेना*
*कोषाध्यक्ष - डॉ. अरुणा पांडे*
*प्रकोष्ठ प्रभारी - अस्मिता शैली, मनीषा सहाय*
जबलपुर, ५.८.२०२४
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*- : विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर : -*

 *- : अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ : -*
[सकल अलंकरण राशि १ लाख  रुपए* से अधिक]

            विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर द्वारा अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ हेतु प्रविष्टियाँ आमंत्रित की जा रही हैं। निम्नानुसार प्रविष्टियाँ (गत ५ वर्षों में प्रकाशित पुस्तक की २ प्रतियाँ, पुस्तक तथा लेखक संबंधी संक्षिप्त विवरण, संस्थान का निर्णय मान्य होने का सहमति पत्र पृथक कागज पर तथा सहभागिता निधि ३०० रु., संयोजक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', सभापति, विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान, ४०१, विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१, वाट्सऐप ९४२५१ ८३२४४ पर आमंत्रित हैं। अचयनित प्रविष्टिकारों को सम्मान पत्र वाट्स एप से भेजें जाएँगे। प्रविष्टि प्राप्ति हेतु अंतिम तिथि ३० जुलाई २०२४ है। सहभागिता निधि वाट्सऐप ९४२५१८३२४४ पर भेज कर अपने नाम व वाट्स एप क्रमांक सहित स्नैप शॉट भेजिए।

अलंकरण और प्रविष्टियाँ 

०१. शांतिराज हिन्दी रत्न अलंकरण, ११,००० रु., जीवनोपलब्धि सम्मान। सौजन्य : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', जबलपुर।
०२. परम ज्योति देवी हिन्दी रत्न अलंकरण, ११,००० रु. समग्र साहित्यिक अवदान। सौजन्य : इं. ओमप्रकाश यती, नोएडा।

०३. राजधर जैन 'मानस हंस' अलंकरण, ५००० रु., समीक्षा, मीमांसा। सौजन्य : डाॅ. अनिल जैन जी, दमोह।
०४. जवाहर लाल चौरसिया 'तरुण' हिंदी भूषण अलंकरण,५००० रु., निबंध, संस्मरण, रेखाचित्र, यात्रावृत्त, पर्यटन, साक्षात्कार, पत्र। सौजन्य : सुश्री अस्मिता शैली जी, जबलपुर।
०५. धीरेन्द्र खरे स्मृति हिंदी भूषण अलंकरण, ५०००/-., उपन्यास। सौजन्य : श्रीमती वसुधा वर्मा मुंबई, श्री रचित खरे, श्री विभोर खरे।
०६. डॉ. दिनेश खरे स्मृति हिंदी भूषण अलंकरण, ५०००/-, तकनीकी लेखन (यांत्रिकी, चिकित्सा, आयुर्वेद, आई.टी., ए.आई. आदि), सौजन्य : श्रीमती निशा खरे जबलपुर।
०७. इं. देवनाथ सिंह आनंद गौतम स्मृति अलंकरण, ५०००/-, महाकाव्य / खंड काव्य / प्रबंध काव्य, सौजन्य : इं. हेमेंद्रनाथ सिंह आनंदगौतम, रीवा।
०८.  कमला शर्मा स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, ५१०० रु., हिंदी गजल (मुक्तिका, गीतिका, तेवरी, सजल, पूर्णिका आदि)। सौजन्य : श्री बसंत कुमार शर्मा जी, बिलासपुर।
०९. कृष्ण बिहारी 'नूर' स्मृति अलंकरण, ५१००/-, आध्यात्म, योग आदि, सौजन्य इं. देवकी नंदन 'शांत', लखनऊ।
१०. किशोरी लाल सेठी कृष्ण प्रज्ञा अलंकरण, ५१००/-, श्री कृष्ण साहित्य, सौजन्य : पवन सेठी, मुंबई। 

डॉ. अचल श्रीवास्तव राजनान्दगाँव द्वारा अर्जिता सिन्हा, अंबिकापुर, २१००/- 
११. सिद्धार्थ भट्ट स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१००/-., लोक कथा (बोध कथा, बाल कथा, दृष्टांत कथा, लघुकथा, पर्व कथा आदि)। सौजन्य : श्रीमती मीना भट्ट जी, जबलपुर।
१२. डाॅ. शिवकुमार मिश्र स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१००/-, हिंदी छंद। सौजन्य : डाॅ. अनिल वाजपेयी जी, जबलपुर।
१३. सुरेन्द्रनाथ सक्सेना स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१००/-, गीत, नवगीत। सौजन्य : श्रीमती मनीषा सहाय जी, जबलपुर।
१४. डॉ. अरविन्द गुरु स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१००/-, कविता संग्रह। सौजन्य : डॉ. मंजरी गुरु जी, रायगढ़।
१५. विजय कृष्ण शुक्ल स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१००/-, व्यंग्य लेख संग्रह। सौजन्य : डॉ. संतोष शुक्ला।
१६. शिवप्यारी देवी- बेनी प्रसाद पांडे स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१००/-, बाल साहित्य (गद्य, पद्य, एकांकी, अन्य), सौजन्य : डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर।
१८. हृदयेश्वरी पाण्डे स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१००/-, एकांकी, नाटक, प्रहसन संग्रह। सौजन्य- डॉ. अरुणा पाण्डे, जबलपुर। 

१९. सत्याशा प्रकृति श्री अलंकरण, ११००/-,  पर्यावरण, कृषि, वानिकी, उद्यानिकी संबंधी। सौजन्य : डा. साधना वर्मा जी, जबलपुर।
२०. रायबहादुर माताप्रसाद सिन्हा शिक्षा श्री अलंकरण, ११००/-, शैक्षिक नवाचार कृति। सौजन्य : सुश्री आशा वर्मा जी, जबलपुर।
२१. कवि राजीव वर्मा कला श्री अलंकरण, ११००/-, कला (गायन-वादन-नर्तन, चित्रकारी) आदि। सौजन्य : आर्किटेक्ट मयंक वर्मा, जबलपुर।
२२. डॉ. कृष्ण मोहन निगम साहित्य श्री अलंकरण, ११००/-,  अन्य विधाएँ। सौजन्य : सुषमा निगम, जबलपुर। 
२३. सुशील वर्मा लोक श्री अलंकरण, ११००/-, बुंदेली साहित्य। सौजन्य : श्रीमती सरला वर्मा भोपाल।
२४. अतुल श्रीवास्तव स्मृति भाषा श्री अलंकरण, ११००/-, अहिंदी भारतीय भाषा साहित्य / अनुवाद साहित्य । सौजन्य : श्रीमती तनुजा श्रीवास्तव, रायगढ़।
२५. प्रभु दयाल खरे 'व्यथित' छंद श्री अलंकरण, ११००/-, लघु छंद (माहिया, कहमुकरी, रुबाई, सॉनेट, हाइकु, ताँका, बाँका आदि)। सौजन्य: मंजूषा मन, बलौदा बाजार, छत्तीसगढ़।
२६.  मेधराज सिंह सृजन श्री अलंकरण, ११००/-,  संपादन पत्रिका/साझा संकलन। सौजन्य: सुभाष सिंह जी कटनी ।
२७.  राजकुमारी सिंह शांति श्री अलंकरण, ११००/-,  विधि, न्याय, समाज सेवा। सौजन्य: डॉ. तरुण सिंह जबलपुर।
२८. कलावती-मुरलीधर लोहुमी साहित्य श्री अलंकरण, ११००/-, प्रथम कृति पर नवांकुर अलंकरण, सौजन्य: चंद्र शेखर लोहुमी।  
प्रस्तावित 
२९. विदुषी सुमन तेलंग स्मृति चित्रलेखा अलंकरण, ५१००/- चित्रकला, पेंटिंग शिक्षण-प्रशिक्षण हेतु, सौजन्य; रत्ना पानवलकर, भोपाल।

३०. पंडित शरद तेलंग स्मृति शब्द-राग अलंकरण ५१००/-, संगीत-साहित्य दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय अवदान, सौजन्य : राग तेलंग, भोपाल।

            उक्त के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों की श्रेष्ठ कृतियों पर सम्मान पत्र तथा पुस्तकोपहार प्रदान किए जाएँगे। टीप : उक्त अनुसार किसी अलंकरण हेतु प्रविष्टि न आने अथवा प्रविष्टि स्तरीय न होने पर वह अलंकरण अन्य विधा में दिया अथवा स्थगित किया जा सकेगा। अंतिम तिथि के पूर्व तक नए अलंकरण जोड़े जा सकेंगे। 
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अलंकरण स्थापना
            विधि, आध्यात्म, ग्राम विकास, जन जागरण तथा अन्य विधाओं में अपने पूज्यजन /प्रियजन की स्मृति में अलंकरण स्थापना हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। अलंकरणदाता अलंकरण निधि के साथ ११००/- (सहभागिता निधि), ११००/- वार्षिक सदस्यता निधि, अपना नाम, पूरा पता व वाट्स एप क्रमांक ९४२५१८३२४४ पर स्नैप शाॅट सहित भेजें।
टीप : उक्त अनुसार किसी अलंकरण हेतु प्रविष्टि न आने अथवा प्रविष्टि स्तरीय न होने पर वह अलंकरण अन्य विधा में दिया अथवा स्थगित किया जा सकेगा। अंतिम तिथि के पूर्व तक नए अलंकरण जोड़े जा सकेंगे।
पुस्तक प्रकाशन
            कृति प्रकाशित कराने, भूमिका/समीक्षा लेखन हेतु पांडुलिपि सहित संपर्क करें। चयनित पांडुलिपियों का प्रकाशन संस्था न्यूनतम लागत पर करती है। 
          संस्था की संरक्षक सदस्यता (सहयोग निधि १ लाख रु.) ग्रहण करने पर एक १५० पृष्ठ तक की एक पांडुलिपि का तथा आजीवन सदस्यता (सहयोग निधि २५ हजार रु.) ग्रहण करने पर ६० पृष्ठ तक की एक पांडुलिपि का प्रकाशन समन्वय प्रकाशन, जबलपुर द्वारा किया जाएगा। संरक्षकों का वार्षिकोत्सव में सम्मान किया जाएगा।
            संस्था के वार्षिक सदस्य (शुल्क ११००/-) पुस्तक भेजकर भूमिका / समीक्षा निशुल्क लिखवा सकते हैं। सदस्यों की पांडुलिपियों पर संशोधन/परिवर्धन/परिवर्तन हेतु सुझाव निशुल्क दिए जाते हैं।  
पुस्तक विमोचन
            कृति विमोचन हेतु कृति की ५ प्रतियाँ, सहयोग राशि २५०० रु. रचनाकार तथा किताब संबंधी जानकारी ३० जुलाई तक आमंत्रित है। विमोचित कृति की संक्षिप्त चर्चा कर, कृतिकार का सम्मान किया जाएगा।
वार्षिकोत्सव, ईकाई स्थापना दिवस, किसी साहित्यकार की षष्ठि पूर्ति, साहित्यिक कार्यशाला, संगोष्ठी अथवा अन्य सारस्वत अनुष्ठान करने हेतु इच्छुक ईकाइयाँ / सहयोगी सभापति से संपर्क करें।
नई ईकाई
            संस्था की नई ईकाई आरंभ करने हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। नई ईकाई हेतु कम से कम ११ सदस्य होना अनिवार्य है। वार्षिक सदस्यता सहयोग निधि ११००/- देकर ईकाई के वार्षिक सदस्य बन सकेंगे। हर ईकाई १००/- प्रति वर्ष प्रति सदस्य केंद्र को भेजेगी। केंद्र ईकाई द्वारा वार्षिकोत्सव या अन्य कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु केन्द्रीय पदाधिकारी भेजेगा। केन्द्रीय समिति के कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु ईकाई से प्रतिनिधि आमंत्रित किए जाएँगे। वार्षिकोत्सव में ईकाईयों की गतिविधि का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा। श्रेष्ठ ईकाई के प्रतिनिधि को सम्मानित किया जाएगा।
*सभापति- आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'*
*अध्यक्ष- बसंत शर्मा *
*उपाध्यक्ष- जय प्रकाश श्रीवास्तव, मीना भट्ट, अश्विनी पाठक*
*सचिव - अनिल बाजपेई, मुकुल तिवारी, छाया सक्सेना*
*कोषाध्यक्ष - डॉ. अरुणा पांडे*
*प्रकोष्ठ प्रभारी - अस्मिता शैली, मनीषा सहाय*
जबलपुर, १५.७.२०२४
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान : समन्वय प्रकाशन जबलपुर
वनमाली सृजन पीठ : जबलपुर इकाई
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वार्षिकोत्सव २०२३, २०.०८.२०२३, स्वामी दयानंद सभागार, बराट मार्ग, नेपियर टाउन, जबलपुर
कार्यक्रम विवरण
प्रात: १०.०० : वंदना सत्र- संचालक हरिसहाय पाण्डेय जी, अध्यक्ष बसंत शर्मा जी।
गणेश वंदना अर्चना गोस्वामी जी, अतिथि स्वागत (अमरनाथ जी लखनऊ , डॉ. अरविंद श्रीवास्तव 'असीम' जी दतिया, डॉ. अवधी हरि जी लखनऊ, नीलम कुलश्रेष्ठ जी - मधुर कुलश्रेष्ठ जी गुना), कार्यकारिणी प्रतिवेदन, शपथ ग्रहण।
आभार - छाया सक्सेना जी।
प्रात: ११.०० : कृति विमोचन सत्र - संचालक अस्मिता शैली जी, अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, मुख्य अतिथि : इं. अमरनाथ जी लखनऊ। विशिष्ट अतिथि - डॉ. अरविंद श्रीवास्तव जी 'असीम' जी दतिया, डॉ. अवधी हरि जी लखनऊ, नीलम कुलश्रेष्ठ जी - मधुर कुलश्रेष्ठ जी गुना।
(समय सीमा प्रत्येक वक्ता ७ मिनिट)
१. “क्षण के साथ चला चल” काव्य संग्रह - आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी जी - डॉ, सुमन लता श्रीवास्तव जी।
२. “हिंदी सॉनेट सलिला” सामूहिक सोनेट संग्रह - सं. आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’जी - छाया सक्सेना जी।
३. चल कबीरा लौट चल, नवगीत संग्रह - जय प्रकाश श्रीवास्तव जी : बसंत शर्मा जी ।
आभार - डॉ. मुकुल तिवारी जी।
अपराह्न १२.०० : कृति चर्चा सत्र - (प्रत्येक वक्ता ७ मिनिट) संचालक अस्मिता शैली जी, अध्यक्ष डॉ. इला घोष जी,
१. “संगीताधिराज ह्रदयनारायण देव” शोध - डॉ. सुमनलता श्रीवास्तव जी - डॉ. वीणा धमणगाँवकर जी ।
२. “ढाई आखर” दोहा संग्रह - बसंत कुमार शर्मा जी - डॉ. अनामिका तिवारी जी।
३. “शूर्पणखा” नाटक - डॉ. अनामिका तिवारी जी - आचार्य हरिशंकर दुबे जी ।
४. “आभासी दुनिया के नवगीत” समीक्षा - डॉ. रामसनेहीलाल शर्मा ‘यायावर’ जी - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी।
५. “नित्यकल्पा तुलसी” उपन्यास डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी जी - डॉ. स्मृति शुक्ला जी।
६. “माण्डवी” उपन्यास आचार्य हरिशंकर दुबे जी - इं. सुरेन्द्र सिंह पवार जी।
आभार - प्रो. शोभित वर्मा जी।
अपराह्न १ बजे : विराम ।
अपराह्न २ बजे : अलंकरण सत्र : संचालन: छाया सक्सेना, अध्यक्ष - आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी, मुख्य अतिथि - डॉ. अनिल जैन।
०१. स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरी अलंकरण ५०००रु. (सौजन्य : आचार्य कृष्णकान्त चतुर्वेदी) - इं. अमरेन्द्र नारायण जी ।
०२. शांति-राज हिंदी रत्न अलंकरण ५००० रु. - (सौजन्य : संजीव वर्मा 'सलिल'), - इं. अमरनाथ जी, लखनऊ।
०३. राजधर जैन 'मानसहंस' अलंकरण ५००० रु. (सौजन्य : डॉ. अनिल जैन), - डॉ. सुरेश कुमार वर्मा जी, जबलपुर।
०४. ... स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण २१०० रु. - (सौजन्य :बसंत शर्मा जी), - डॉ. निशा तिवारी जी, जबलपुर।
०५. सत्यार्थ भट्ट स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण २१०० रु. - (सौजन्य : मीना भट्ट जी), - डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम', दतिया।
०६. डॉ. शिव कुमार मिश्र स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण २१०० रु. (सौजन्य :डॉ. अनिल बाजपेयी जी), - डॉ. अवधी हरि लखनऊ।
०७. सुरेन्द्र नाथ सक्सेना स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण २१०० रु. (सौजन्य : मनीषा सहाय जी) - डॉ.अनिल जैन, दमोह।
०८. सत्याशा नवांकुर अलंकरण, ११०० रु. - (सौजन्य :डॉ. साधना वर्मा जी) ११०० रु., - सरला वर्मा जी, भोपाल।
०९. कवि राजीव वर्मा स्मृति हिंदी श्री अलंकरण ११०० रु. - (सौजन्य :सुश्री आशा वर्मा जी) - नीलम कुलश्रेष्ठ जी, गुना। आभार - प्रेम प्रकाश मिश्र ।
अपराह्न ३ बजे : विमर्श सत्र : संचालन : अध्यक्ष - डॉ. निशा तिवारी, मुख्य अतिथि - डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम' जी।
विषय - वक्ता ( समय - प्रत्येक वक्ता ७ मिनिट)
१. हिंदी और आजीविका / रोजगार - डॉ. जयश्री जोशी जी, डॉ. मुकुल तिवारी जी।
२. हिंदी और विज्ञान : शिक्षा, लेखन और शोध के संदर्भ में - इं. अमरनाथ जी, इं. संजय वर्मा जी, नीलम कुलश्रेष्ठ जी।
३. हिंदी का भविष्य : भविष्य की हिंदी - डॉ. इला घोष जी, डॉ. अवधी हरि जी, मधुर कुलश्रेष्ठ जी।
आभार - हरि सहाय पाण्डेय जी ।
अपराह्न ५.०० बजे : रचना पाठ सत्र (समय सीमा ३ मिनिट)
अध्यक्ष : मधुर कुलश्रेष्ठ, मुख्य अतिथि - डॉ. अवधी हरि (हरि फ़ैजाबादी), संचालक - श्री बसंत शर्मा।
आभार - श्री अजय मिश्र जी, प्रचार सचिव।
टीप - समय पालन प्रार्थनीय।
***

अगस्त ६, नवगीत, संसद, बाल गीत, वर्षा

सलिल सृजन अगस्त ६
*
नवगीत :
*
संसद की दीवार पर
दलबन्दी की धूल
राजनीति की पौध पर
अहंकार के शूल
*
राष्ट्रीय सरकार की
है सचमुच दरकार
स्वार्थ नदी में लोभ की
नाव बिना पतवार
हिचकोले कहती विवश
नाव दूर है कूल
लोकतंत्र की हिलाते
हाय! पहरुए चूल
*
गोली खा, सिर कटाकर
तोड़े थे कानून
क्या सोचा था लोक का
तंत्र करेगा खून?
जनप्रतिनिधि करते रहें
रोज भूल पर भूल
जनगण का हित भुलाकर
दे भेदों को तूल
*
छुरा पीठ में भोंकने
चीन लगाये घात
पाक न सुधरा आज तक
पाकर अनगिन मात
जनहित-फूल कुचल रही
अफसरशाही फूल
न्याय आँख पट्टी, रहे
ज्यों चमगादड़ झूल
*
जनहित के जंगल रहे
जनप्रतिनिधि ही काट
देश लूट उद्योगपति
खड़ी कर रहे खाट
रूल बनाने आये जो
तोड़ रहे खुद रूल
जैसे अपने वक्ष में
शस्त्र रहे निज हूल
*
भारत माता-तिरंगा
हम सबके आराध्य
सेवा-उन्नति देश की
कहें न क्यों है साध्य?
हिंदी का शतदल खिला
फेंकें नोंच बबूल
शत्रु प्रकृति के साथ
मिल कर दें नष्ट समूल
[प्रयुक्त छंद: दोहा, १३-११ समतुकांती दो पंक्तियाँ,
पंक्त्यान्त गुरु-लघु, विषम चरणारंभ जगण निषेध]
६.८.२०१५
***
बाल गीत:
बरसे पानी
*
रिमझिम रिमझिम बरसे पानी.
आओ, हम कर लें मनमानी.
बड़े नासमझ कहते हमसे
मत भीगो यह है नादानी.
वे क्या जानें बहुतई अच्छा
लगे खेलना हमको पानी.
छाते में छिप नाव बहा ले.
जब तक देख बुलाये नानी.
कितनी सुन्दर धरा लग रही,
जैसे ओढ़े चूनर धानी.
काश कहीं झूला मिल जाता,
सुनते-गाते कजरी-बानी.
'सलिल' बालपन फिर मिल पाये.
बिसराऊँ सब अकल सयानी.
६.८.२०११
***

सोमवार, 5 अगस्त 2024

अगस्त ५, सॉनेट, दोहा गीत, मुक्तिका, लघुकथा, राखी, सुरेश कुमार वर्मा, हास्य, लालू,

सलिल सृजन अगस्त ५
*
सॉनेट
भू सुता

हम भू सुता धरित्री माता,
इस युग की हम ही हैं सीता,
सास-बहू का स्नेहिल नाता,
हमने मिल हर संकट जीता।
श्रम-कोशिश दो हाथ हमारे,
चिंता हो भविष्य की क्यों फिर,
हाथ न हमने कभी पसारे,
चाहे मुश्किल मेघ रहे घिर।
भीख न चाहें अनुदानों की,
हमें बेचना वोट न अपना,
चिंता हमें न सम्मानों की,
हम न देखते झूठा सपना।
बहा पसीना फसल उगाएँ।
खिला और को तब हम खाएँ।।
५-८-२०२३
•••
सॉनेट

ई डी, क्रय-विक्रय, निष्कासन
तंत्र लोक पर हावी दिन-दिन
मार पटखनी मिले अगिन-गिन
अंधभक्ति, बुलडोजर, भाषण
लगा रहे दम, निकल जाए दम
जो वे नहीं शत्रु, हैं हमदम
सोचें राज करेंगे हरदम
सुनें न आहें, जनता को गम
हर दिन करते नया तमाशा
फूट डालते खिला बताशा
मिटा रहे हर मूल्य तराशा
सद्भावों की थामे थाती
बनो ध्वंस के मत बाराती
नीर-क्षीर सम हो संगाती
५-८-२०२२
●●●
आज विशेष
करवट ले इतिहास
*
वंदे भारत-भारती
करवट ले इतिहास
हमसे कहता: 'शांत रह,
कदम उठाओ ख़ास
*
दुनिया चाहे अलग हों, रहो मिलाये हाथ
मतभेदों को सहनकर, मन रख पल-पल साथ
देश सभी का है, सभी भारत की संतान
चुभती बात न बोलिये, हँस बनिए रस-खान
न मन करें फिर भी नमन,
अटल रहे विश्वास
देश-धर्म सर्वोच्च है
करा सकें अहसास
*
'श्यामा' ने बलिदान दे, किया देश को एक
सीख न दीनदयाल की, तज दो सौख्य-विवेक
हिमगिरि-सागर को न दो, अवसर पनपे भेद
सत्ता पाकर नम्र हो, न हो बाद में खेद
जो है तुमसे असहमत
करो नहीं उपहास
सर्वाधिक अपनत्व का
करवाओ आभास
*
ना ना, हाँ हाँ हो सके, इतना रखो लगाव
नहीं किसी से तनिक भी, हो पाए टकराव
भले-बुरे हर जगह हैं, ऊँच-नीच जग-सत्य
ताकत से कमजोर हो आहात करो न कृत्य
हो नरेंद्र नर, तभी जब
अमित शक्ति हो पास
भक्ति शक्ति के साथ मिल
बनती मुक्ति-हुलास
(दोहा गीत: यति १३-११, पदांत गुरु-लघु )
***
मुक्तिका
*
बिन सपनों के सोना क्या
बिन आँसू के रोना क्या
*
वह मुस्काई, मुझे लगा
करती जादू-टोना क्या
*
नहीं वफा जिसमें उसकी
खातिर नयन भिगोना क्या
*
दाने चार न चाँवल के
मूषक तके भगोना क्या
*
सेठ जमीनें हड़प रहे
जानें फसलें बोना क्या
*
गिरती हो जब सर पर छत
सोच न घर का खोना क्या
*
जीव न यदि 'संजीव' रहे
फिर होना-अनहोना क्या
५-८-२०१९
***
लघुकथा
पहल
*
''आपके देश में हर साल अपनी बहिन की रक्षा करने का संकल्प लेने का त्यौहार मनाया जाता है फिर भी स्त्रियों के अपमान की इतनी ज्यादा घटनाएँ होती हैं। आइये! हम सब अपनी बहिन के समान औरों की बहनों के मान-सम्मान की रक्षा करने का संकल्प इस रक्षाबंधन पर लें।''
विदेशी पर्यटक से यह सुझाव आते ही सांस्कृतिक सम्मिलन के मंच पर छा गया मौन, अपनी-अपनी कलाइयों पर रक्षा सूत्रों का प्रदर्शन करते नेताओं, अफ्सरों और धन्नासेठों में कोई भी नहीं कर सका यह पहल।
***
रक्षा बंधन के दोहे:
*
चित-पट दो पर एक है, दोनों का अस्तित्व.
भाई-बहिन अद्वैत का, लिए द्वैत में तत्व..
.
दो तन पर मन एक हैं, सुख-दुःख भी हैं एक.
यह फिसले तो वह 'सलिल', सार्थक हो बन टेक..
.
यह सलिला है वह सलिल, नेह नर्मदा धार.
इसकी नौका पार हो, पा उसकी पतवार..
.
यह उसकी रक्षा करे, वह इस पर दे जान.
'सलिल' स्नेह' को स्नेह दे, कर निसार निज जान ..
.
बहिना नदिया निर्मला, भाई घट सम साथ .
नेह नर्मदा निनादित, गगन झुकाये माथ.
.
कुण्डलिनी ने बांध दी, राखी दोहा-हाथ.
तिलक लगाकर गीत को, हँसी मुक्तिका साथ..
.
राखी की साखी यही, संबंधों का मूल.
'सलिल' स्नेह-विश्वास है, शंका कर निर्मूल..
.
सावन मन भावन लगे, लाये बरखा मीत.
रक्षा बंधन-कजलियाँ, बाँटें सबको प्रीत..
.
मन से मन का मेल ही, राखी का त्यौहार.
मिले स्नेह को स्नेह का, नित स्नेहिल उपहार..
.
आकांक्षा हर भाई की, मिले बहिन का प्यार.
राखी सजे कलाई पर, खुशियाँ मिलें अपार..
.
राखी देती ज्ञान यह, स्वार्थ साधना भूल.
स्वार्थरहित संबंध ही, है हर सुख का मूल..
.
मेघ भाई धरती बहिन, मना रहे त्यौहार.
वर्षा का इसने दिया, है उसको उपहार..
.
हम शिल्पी साहित्य के, रखें स्नेह-संबंध.
हिंदी-हित का हो नहीं, 'सलिल' भंग अनुबंध..
.
राखी पर मत कीजिये, स्वार्थ-सिद्धि व्यापार.
बाँध- बँधाकर बसायें, 'सलिल' स्नेह संसार..
.
भैया-बहिना सूर्य-शशि, होकर भिन्न अभिन्न.
'सलिल' रहें दोनों सुखी, कभी न हों वे खिन्न..
...
मुक्तक सलिला-
*
कौन पराया?, अपना कौन?
टूट न जाए सपना कौन??
कहें आँख से आँख चुरा
बदल न जाए नपना कौन??
*
राह न कोई चाह बिना है।
चाह अधूरी राह बिना है।।
राह-चाह में रहे समन्वय-
पल न सार्थक थाह बिना है।।
*
हुआ सवेरा जतन नया कर।
हरा-भरा कुछ वतन नया कर।।
साफ़-सफाई रहे चतुर्दिक-
स्नेह-प्रेम, सद्भाव नया कर।।
*
श्वास नदी की कलकल धड़कन।
आस किनारे सुन्दर मधुवन।।
नाव कल्पना बैठ शालिनी-
प्रतिभा-सलिल निहारे उन्मन।।
*
मन सावन, तन फागुन प्यारा।
किसने किसको किसपर वारा?
जीत-हार को भुला प्यार कर
कम से जग-जीवन उजियारा।।
*
मन चंचल में ईश अचंचल।
बैठा लीला करे, नहीं कल।।
कल से कल को जोड़े नटखट-
कर प्रमोद छिप जाए पल-पल।।
*
आपको आपसे सुख नित्य मिले।
आपमें आपके ही स्वप्न पले।।
आपने आपकी ही चाह करी-
आप में व्याप गए आप, पुलक वाह करी।।
*
समय से आगे चलो तो जीत है।
उगकर हँस ढल सको तो जीत है।।
कौन रह पाया यहाँ बोलो सदा?
स्वप्न बनकर पल सको तो जीत है।।
*
शालिनी मन-वृत्ति हो, अनुगामिनी हो दृष्टि।
तभी अपनी सी लगेगी तुझे सारी सृष्टि।।
कल्पना की अल्पना दे, काव्य-देहरी डाल-
भाव-बिम्बों-रसों की प्रतिभा करे तब वृष्टि।।
*
स्वाति में जल-बिंदु जाकर सीप में मोती बने।
स्वप्न मधुरिम सृजन के ज्यों आप मृतिका में सने।।
जो झुके वह ही समय के संग चल पाता 'सलिल'-
वाही मिटता जो अकारण हमेशा रहता तने।।
*
सीने ऊपर कंठ, कंठ पर सिर, ऊपरवाला रखता है।
चले मनचला. मिले सफलता या सफलता नित बढ़ता है।।
ख़ामोशी में शोर सुहाता और शोर में ख़ामोशी ही-
माटी की मूरत है लेकिन माटी से मूरत गढ़ता है।।
*
तक रहा तकनीक को यदि आम जन कुछ सोचिए।
ताज रहा निज लीक को यदि ख़ास जन कुछ सोचिए।।
हो रहे संपन्न कुछ तो यह नहीं उन्नति हुई-
आखिरी जन को मिला क्या?, निकष है यह सोचिए।।
*
चेन ने डोमेन की, अब मैन को बंदी किया।
पीया को ऐसा नशा ज्यों जाम साकी से पीया।।
कल बना, कल गँवा, कलकल में घिरा खुद आदमी-
किया जाए किस तरह?, यह ही न जाने है जिया।।
*
किस तरह स्मार्ट हो सिटी?, आर्ट है विज्ञान भी।
यांत्रिकी तकनीक है यह, गणित है, अनुमान भी।।
कल्पना की अल्पना सज्जित प्रगति का द्वार हो-
वास्तविकता बने ऐपन तभी जन-उद्धार हो।।
५-८-२०१७
***
कृति विवेचन-
संजीव वर्मा ‘सलिल’ की काव्य रचना और सामाजिक विमर्श
- डॉ. सुरेश कुमार वर्मा
*
हिंदी जगत् मे साहित्यकार के रूप में संजीव 'सलिल' की पहचान बन चुकी है। यह उनके बहुआयामी स्तरीय लेखन के कारण संभव हो सका है। उन्होंने न केवल कविता, अपितु गद्य लेखन की राह में भी लम्बा रास्ता पार किया है। इधर साहित्यशास्त्र की पेचीदी गलियों में भी वे प्रवेश कर चुके हैं, जिनमें क़दम डालना जोखिम का काम है। यह कार्य आचार्यत्व की श्रेणी का है और 'सलिल' उससे विभूषित हो चुके हैं।
‘काल है संक्रान्ति का’ शीर्षक संकलन में उनकी जिन कविताओं का समावेश है, विषय की दृष्टि से उनका रेंज बहुत व्यापक है। उन्हें पढ़ने से ऐसा लगता है, जैसे एक जागरूक पहरुए के रूप में 'सलिल' ने समाज के पूरे ओर-छोर का मूल्यांकन कर डाला है। उन्होंने जो कुछ लिखा है, वह सब व्यक्ति की मनोवृत्तियों एवं प्रवृत्तियों के साक्ष्य पर लिखा है और जो कुछ कहा है, वह समाज के विघटनकारी घटकों का साक्षात अवलोकन कर कहा है। वे सब आँखिन देखी बातें हैं। इसीलिए उनकी अभिव्यंजाओं में विश्वास की गमक है। और जब कोई रचनाकार विश्वास के साथ कहता है, तो लोगों को सुनना पड़ता है। यही कारण है कि 'सलिल' की रचनाएँ पाठकों की समझ की गहराई तक पहुँचती है और पाठक उन्हें यों ही नहीं ख़ारिज कर सकता।
'सलिल' संवेदनशील रचनाकार हैं। वे जिस समाज में उठते-बैठते हैं, उसकी समस्त वस्तुस्थितियों से वाक़िफ़ हैं। वहीं से अपनी रचनाओं के लिए सामग्री का संचयन करते हैं। उन्हें शिद्दत से एहसास है कि यहाँ सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पूरे कुँए ही में भाँग पड़ी है। जिससे जो अपेक्षा है, वह उससे ठीक विपरीत चल रहा है। आम आदमी बुनियादी जरूरतों से महरूम हो गया है -
‘रोजी रोटी रहे खोजते / बीत गया
जीवन का घट भरते-भरते/रीत गया।’
-कविता ‘कब आया, कब गया’
‘मत हिचक’ कविता में देश की सियासती हालात की ख़बर लेते हुये नक्लसवादी हिंसक आंदोलन की विकरालता को दर्शाया गया है -
‘काशी, मथुरा, अवध / विवाद मिटेंगे क्या?
नक्सलवादी / तज विद्रोह / हटेंगे क्या?’
‘सच की अरथी’ एवं ‘वेश संत का’ रचनाओं में तथाकथित साधुओं एवं महन्तों की दिखावटी धर्मिकता पर तंज कसा गया है।
'सलिल' की रचनाओं के व्यापक आकलन से यह बात सामने आयी है कि उनकी खोजी और संवेदनशाील दृष्टि की पहुँच से भारतीय समाज और देश का कोई तबका नहीं बचा है और अफसोस कि दुष्यन्त कुमार के ‘इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीके जुर्म हैं ’ की तर्ज पर उन्हें भी कमोबेश इसी भयावह परिदृश्य का सामना करना पड़ा। इस विभाषिका को ही 'सलिल' ने कभी सरल और सलीस ढंग से, कभी बिम्ब-प्रतिबिम्ब शैली में और कभी व्यंजना की आड़ी-टेढ़ी प्रणालियों से पाठकों के सामने रखा, किन्तु चाहे जिस रूप में रखा, वह पाठकों तक यथातथ्य सम्प्रेषित हुआ। यह 'सलिल' की कविता की वैशिष्ट्य है, कि जो वे सोचते हैं, वैसा पाठकों को भी सोचने को विवश कर देते हैं।
अँधेरों से दोस्ती नहीं की जाती, किन्तु आज का आदमी उसी से बावस्ता है। उजालों की राह उसे रास नहीं आती। तब 'सलिल' की कठिनाई और बढ़ जाती है। वे हज़रत ख़िज्र की भाँति रास्ता दिखाने का यत्न करते तो हैं, किन्तु कोई उधर देखना नहीं चाहता-
‘मनुज न किंचित् चेतते / श्वान थके हैं भौंक’।
इतना ही नहीं, आदमी अपने हिसाब से सच-झूठ की व्याख्या करता है और अपनी रची दुनिया में जीना चाहता है - ‘मन ही मन मनमाफ़िक / गढ़ लेते हैं सच की मूरत’। ऐसे आत्मभ्रमित लोगों की जमात है सब तरफ।
'सलिल' की सूक्ष्मग्राहिका दृष्टि ने ३६० डिग्री की परिधि से भारतीय समाज के स्याह फलक को परखा है, जहाँ नेता हों या अभिनेता, जहाँ अफसर हो या बाबू, पूंजीपति हों या चिकित्सक, व्यापारी हों या दिहाड़ी -- सबके सब असत्य, बेईमानी, प्रमाद और आडंबर की पाठशाला से निकले विद्यार्थी हैं, जिन्हें सिर्फ अपने स्वार्थ को सहलाने की विद्या आती है। इन्हें न मानव-मूल्यों की परवाह है और न अभिजात जीवन की चाह। ‘दरक न पाएँ दीवारें’, ‘जिम्मेदार नहीं है नेता’, ‘ग्रंथि श्रेष्ठता की’, ‘दिशा न दर्शन’ आदि रचनाएँ इस बात की प्रमाण हैं।
यह ज़रूर है कि सभ्यता और संस्कृति के प्रतिमानों पर आज के व्यक्ति और समाज की दशा भारी अवमूल्यन का बोध कराती है, किन्तु 'सलिल' पूरी तरह निराश नहीं हैं। वे आस्था और सम्भावना के कवि हैं। वे लम्बी, अँधेरी सुरंग के दूसरे छोर पर रोशनी देखने के अभ्यासी हैं। वे जानते हैं कि मुचकुन्द की तरफ शताब्दियों से सोये हुये लोगों को जगाने के लिए शंखनाद की आवश्यकता होती है। 'सलिल' की कविता इसी शंखनाद की प्रतिध्वनि है।
‘काल है संक्रान्ति का’ कविता संग्रह ‘जाग उठो, जाग उठो’ के निनाद से प्रमाद में सुप्त लोगों के कर्णकुहरों को मथ देने का सामर्थ्य रखती है। अँधेरा इतना है कि उसे मिटाने के लिए एक सूर्य काफी नहीं है और न सूर्य पर लिखी एक कविता। इसीलिए संजीव 'सलिल' ने अनेक कविताएँ लिखकर बार-बार सूर्य का आह्नान किया है। ‘उठो सूरज’, ‘जगो! सूर्य आता है’, ‘आओ भी सूरज’, ‘उग रहे या ढल रहे’, ‘छुएँ सूरज’ जैसी कविताओं के द्वारा जागरण के मंत्रों से उन्होंने सामाजिक जीवन को निनादित कर दिया है।
सामाजिक सरोकारों को लेकर 'सलिल' सदैव सतर्क रहते हैं। वे व्यवस्था की त्रुटियों, कमियों और कमज़ोरियों को दिखाने में क़तई गुरेज नहीं करतेे। उनकी भूमिका विपक्ष की भूमिका हुआ करती है। अपनी कविता के दायरे में वे ऐसे तिलिस्म की रचना करते हैं, जिससे व्यवस्था के आर-पार जो कुछ हो रहा है, साफ-साफ दिखाई दे। वे कहीं रंग-बदलती राजनीति का तज़किरा उठाते हैं -
‘सत्ता पाते / ही रंग बदले / यकीं न करना किंचित् पगले / काम पड़े पीठ कर देता / रंग बदलता है पल-पल में ’।
राजनीति का रंग बदलना कोई नयी बात नहीं, किंतु कुछ ज़्यादा ही बदलना 'सलिल' को नागवार गुजरता है। यदि साधुओं में कोई असाधु कृत्य करता दिखाई देगा, तो 'सलिल' की कविता उसका पीछा करते दिखाई देगी ‘वेश संत का / मन शैतान’।
‘राम बचाये’ कविता व्यापक संदर्भों में अनेक परिदृश्यों को सामने रखती है। नगर से गाँव तक, सड़क से कूचे तक, समाज के विविध वर्णों, वर्गों और जातियों और जमातों की विसंगतियों को उजागर करती करती उनकी कविता ‘राम बचाये’ पाठकों के हृदय को पूरी तरह मथने में समर्थ है। यह उनके सामर्थ्य की पहचान कराती कविता ही है, जो बहुत बेलाग तरीक़े से, क्या कहना चाहिये और क्या नहीं कहना चाहिये, इसका भेद मिटाकर अपनी अभिव्यक्ति और अभिव्यंजना की बाढ़ में सबको बहाकर ले जाती है।
................................
समीक्षक संपर्क- डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, ८१० विजय नगर, जबलपुर, चलभाष ९४२५३२५०७२।
***
नवगीत:
.
हमने
बोये थे गुलाब
क्यों
नागफनी उग आयी?
.
दूध पिलाकर
जिनको पाला
बन विषधर
डँसते हैं,
जिन पर
पैर जमा
बढ़ना था
वे पत्त्थर
धँसते हैं.
माँगी रोटी,
छीन लँगोटी
जनप्रतिनिधि
हँसते हैं.
जिनको
जनसेवा
करना था,
वे मेवा
फँकते हैं.
सपने
बोने थे जनाब
पर
नींद कहो कब आयी?
.
सूत कातकर
हमने पायी
आज़ादी
दावा है.
जनगण
का हित मिल
साधेंगे
झूठा हर
वादा है.
वीर शहीदों
को भूले
धन-सत्ता नित
भजते हैं.
जिनको
देश नया
गढ़ना था,
वे निज घर
भरते हैं.
जनता
ने पूछा हिसाब
क्यों
तुमने आँख चुरायी?
.
हैं बलिदानों
के वारिस ये
जमी जमीं
पर नजरें.
गिरवी
रखें छीन
कर धरती
सेठों-सँग
हँस पसरें.
कमल कर रहा
चीर हरण
खेती कुररी
सी बिलखे.
श्रम को
श्रेय जहाँ
मिलना था
कृषक क्षुब्ध
मरते हैं.
गढ़ ही
दे इतिहास नया
अब
‘आप’ न हो रुसवाई.
२६-२-२०१५
***
एक गीति रचना:
*
द्रोण में
पायस लिये
पूनम बनी,
ममता सनी
आयी सुजाता,
बुद्ध बन जाओ.
.
सिसकियाँ
कब मौन होतीं?
अश्रु
कब रुकते?
पर्वतों सी पीर
पीने
मेघ रुक झुकते.
धैर्य का सागर
पियें कुम्भज
नहीं थकते.
प्यास में,
संत्रास में
नवगीत का
अनुप्रास भी
मन को न भाता.
युद्ध बन जाओ.
.
लहरियां
कब रुकीं-हारीं.
भँवर
कब थकते?
सागरों सा धीर
धरकर
मलिनता तजते.
स्वच्छ सागर सम
करो मंथन
नहीं चुकना.
रास में
खग्रास में
परिहास सा
आनंद पाओ
शुद्ध बन जाओ.
२१-२-२०१५
***
नवगीत:
.
जन चाहता
बदले मिज़ाज
राजनीति का
.
भागे न
शावकों सा
लड़े आम आदमी
इन्साफ मिले
हो ना अब
गुलाम आदमी
तन माँगता
शुभ रहे काज
न्याय नीति का
.
नेता न
नायकों सा
रहे आम आदमी
तकलीफ
अपनी कह सके
तमाम आदमी
मन चाहता
फिसले न ताज
लोकनीति का
(रौद्राक छंद)
१४-२-२०१५
***
हाइकु नवगीत :
.
टूटा विश्वास
शेष रह गया है
विष का वास
.
कलरव है
कलकल से दूर
टूटा सन्तूर
जीवन हुआ
किलकिल-पर्याय
मात्र संत्रास
.
जनता मौन
संसद दिशाहीन
नियंता कौन?
प्रशासन ने
कस लिया शिकंजा
थाम ली रास
.
अनुशासन
एकमात्र है राह
लोक सत्ता की.
जनांदोलन
शांत रह कीजिए
बढ़े उजास
१३-२-२०१५
***
दिल्ली दंगल एक विश्लेषण:
.
- सत्य: आप व्यस्त, बीजेपी त्रस्त, कोंग्रेस अस्त.
= सबक: सब दिन जात न एक समान, जमीनी काम करो मत हो संत्रस्त.
- सत्य: आम चुनाव के समय किये वायदों को राजनैतिक जुमला कहना.
= सबक: ये पब्लिक है, ये सब जानती है. इसे नासमझ समझने के मुगालते में मत रहना.
- सत्य: गाँधी की दुहाई, दस लखटकिया विदेशी सूट पहनकर सादगी का मजाक.
= सबक: जनप्रतिनिधि की पहचान जन मत का मान, न शान न धाक.
- सत्य: प्रवक्ताओं का दंभपूर्ण आचरण और दबंगपन.
= सबक: दूरदर्शनी बहस नहीं जमीनी संपर्क से जीता जाता है अपनापन.
- सत्य: कार्यकर्ताओं द्वारा अधिकारियों पर दवाब और वसूली.
= सबक: जनता रोज नहीं टकराती, समय पर दे ही देती है सूली.
- सत्य: संसदीय बहसों के स्थान पर अध्यादेशी शासन.
= सबक: बंद न किया तो जनमत कर देगा निष्कासन.
- सत्य: विपक्षियों पर लगातार आघात.
= सबक: विपक्षी शत्रु नहीं होता, सौजन्यता न निबाहें तो जनता देगी मात.
- सत्य: आधाररहित व्यक्तित्व को थोपना, जमीनी कार्यकर्ता की पीठ में छुरा घोंपना.
= सबक: नेता उसे घोषित करें जिसका काम जनता के सामने हो, केवल नाम नहीं. जो अपने साथियों के साथ न रहे उसपर मतदाता क्यों भरोसा करे?
- सत्य: संसद ही नहीं टी.व्ही. पर भी बहस से भागना.
= सबक: अध्यादेशों में तानाशाही की आहात होती है. संसद में बहस न करना और दूरदर्शन पर उमीदवार का बहस से बचना, प्रवक्ताओं की अहंकारी और खुद को अंतिम मानने की प्रवृत्ति होती है बचकाना.
- सत्य: प्रवक्ताओं का दंभपूर्ण आचरण और दबंगपन.
= सबक: दूरदर्शनी बहस नहीं जमीनी संपर्क से जीता जाता है अपनापन.
- सत्य: आर एस एस की बैसाखी नहीं आई काम.
= सबक: जनसेवा का न मोल न दाम, करें निष्काम.
- सत्य: पूरा मंत्रीमंडल, संसद, मुख्यमंत्री तथा प्रधान मंत्री को उताराकर अत्यधिक ताकत झोंकना.
= सबक: नासमझी है बटन टाँकने के लिये वस्त्र में सुई के स्थान पर तलवार भोंकना.
- सत्य: प्रधानमंत्री द्वारा दलीय हितों को वरीयता देना, विकास के लिए अपने दल की सरकार जरूरी बताना.
= सबक: राज्य में सरकार किसी भी दल की हो, जरूरी है केंद्र का सबसे समानता जताना. अपना खून औरों का खून पानी मानना सही नहीं.
- सत्य: पूरा मंत्रीमंडल, संसद, मुख्यमंत्री तथा प्रधान मंत्री को उताराकर अत्यधिक ताकत झोंकना.
= सबक: नासमझी है बटन टाँकने के लिये वस्त्र में सुई के स्थान पर तलवार भोंकना.
- सत्य: हर प्रवक्ता, नेता तथा प्रधान मंत्री का केजरीवाल पर लगातार आरोप लगाना.
= सबक: खुद को खलनायक, विपक्षी को नायक बनाना या कंकर को शंकर बनाकर खुद बौना हो जाना.
- सत्य: चुनावी नतीजों का आकलन-अनुमान सत्य न होना.
= सबक: प्रत्यक्ष की जमीन पर अतीत के बीज बोना अर्थात आँख देमने के स्थान पर पूर्व में घटे को अधर बनाकर सोचना सही नहीं, जो देखिये कहिए वही.
- सत्य: आप का एकाधिकार-विपक्ष बंटाढार.
= सबक: अब नहीं कोई बहाना, जैसे भी हो परिणाम है दिखाना. केजरीवाल ने ठीक कहा इतने अधिक बहुमत से डरना चाहिए, अपेक्षा पर खरे न उतरे तो इतना ही विरोध झेलना होगा.
१०-२-२०१५
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हास्य सलिला:
लाल गुलाब
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लालू जब घर में घुसे, लेकर लाल गुलाब
लाली जी का हो गया, पल में मूड ख़राब
'झाड़ू बर्तन किये बिन, नाहक लाये फूल
सोचा, पाकर फूल मैं जाऊंगी सच भूल
लेकिन मुझको याद है ए लाली के बाप!
फूल शूल के हाथ में देख हुआ संताप
फूल न चौका सम्हालो, मैं जाऊं बाज़ार
सैंडल लाकर पोंछ दो जल्दी मैली कार.'
९-२-२०१५
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