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रविवार, 22 सितंबर 2019

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना
रजनी शर्मा 


















जन्म - १५ मार्च ६७, जगदलपुर।  
आत्मजा - स्व. सीता देवी-स्व. चुम्मन धर दुबे।  
जीवन साथी - श्री अजय कुमार शर्मा।  
शिक्षा - बी. एससी., एम. ए. (अंग्रेजी, राजनीति) एम. एड.
संप्रति - व्याख्याता अंग्रेजी सुरजन विद्यालय।
प्रकाशन - बस्तर पर १४ किताबें प्रकाशित। बस्तर पर सर्वाधिक किताब लिखने का कीर्तिमान। 
उपलब्धि - बस्तर के समाधि स्तंभ एवं भित्ति चित्र, पंच शिल्प व बस्तर, अनोखा बस्तर, अनोखे पर्व, बस्तर के लोक नृत्य अलंकार एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर द्वारा स्कूली शिक्षा हेतु चयनित। सिकल सेल पर किताब साक्षरता विभाग द्वारा नव साक्षर हेतु चयनित।
छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य मंडल उत्कृष्ट लेखन के लिए पुर्ननवा पुरस्कार २०१६, उतराखंड द्वारा एन.एम.यू.आई. साहित्य पुरस्कार २०१७, सायलेंट वर्कर छत्तीसगढ़ २०१७, संभाग स्तरीय शिक्षा श्री २०१९, राज्य शिक्षक स्मृति सम्मान २०१९, राज्यपाल उईके छत्तीसगढ़ द्वारा प्रशस्ति पत्र व ५०,००० रु. प्राप्त। वोकेशनल छात्रों को धान  व कांच के गहने बनाने का सघन प्रशिक्षण देने हेतु माननीय मंत्री श्री राजेश मूणत द्वारा ५०,००० रु का पुरस्कार।  कैरम राष्ट्रीय खिलाडी, जिला स्तरीय कैरम प्रतियोगिता (एकल, युगल) २ स्वर्ण पदक विजेता।
संपर्क - ११६ सोनिया कुंज, देशबंधु प्रेस के सामने, रायपुर (छ.ग.)
चलभाष -  ९३०१८३६८११।  
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छत्तीसगढ़ी
परनाम के लेवईय्या तै हस
* परनाम के लेवईय्या तै हस। आसीस मंगईय्या हो माॅ मैं।। आखर ज्ञान देवईया तै हस। माॅ तोर सीस नवावथंव मैं।।
लईका हम हन माता तै हस। ज्ञान के पियास धरे हँव मैं।। जगत के पार लगैय्या तै हस। ये जुग में अज्ञानी हँव मैं।।
इंद्रावती कस पोसइय्या तै हस। चिरिया, चुनमुन कस परानी मैं।। ठोलकल गणेश संग बिराजे तै हस। शंकनी, डंकनी कस हाॅवव मैं।। उज्जर अँजोर मुख के तैं हस। तम के करिया कोठरी हो मैं।। वाणी, वीणा के धरईय्या तै हस। सप्तक पंचम सुर के पियासुहँव मैं।। भारत में जुग -जुग से तै हस। तोर पाँव पखारहुँ जीयत भर मैं।। *

हल्बी
ऐ आया, ऐ आया तुके जोहार
* ऐ आया, ऐ आया तुके जोहार। तुचो किरिया खाऊन से हजार।। आमी जम्माय आसु तुमचो पिला। पढ़बा काजे जम्माय हों इला।। नुम्को गोठ अऊर रोसरोसा बानी। तूचो परभाव के दुनिया हे जानी।। बस्तर चो प्रस्तर आमचो हे किला। जानुआय सियान नोनी अऊ पिला।। मोहरी, तुड़बुड़ी संग बाजे से बाजा। अक्षर संग मसि नाचेसे नाचा।। जम्माय झन के देऊआस तुमी ज्ञान। ऐ आया, ऐ आया तुके परनाम।। *
११६, सोनिया कुञ्ज, देशबनधु प्रेस के सामने रायपुर छग , चलभाष ९३०१८३६८११।

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विनत जन करते हैं मैया

विनत जन करते हैं मैया 
नित तेरी ही आराधना
जीवन बीते करते-करते 
सदा तेरी ही उपासना 

हम तो हैं निर्बाेध प्राणी,
तुम हो विद्या-दायिका 
युगल कर संग धवल मन से 
करते है नित याचना  

तुम हो वाणी, तुम कल्याणी 
तुम हो वीणा धारिका
सुता लड़ैती पुष्करपति की
पूरी कर दो कामना 

फैले जब तम का गरल
तू कर वरद से इसे विरल
विनय का अमिय हमेशा बरसे
शेष न देना-पावना 

वाणी की वीणा झंकृत कर   
रजनी पूनम बन जाए
गाए नित यश गान तुम्हारा 
हो निर्मल मन-भावना 
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