छंद सलिला:
चौपइया
छंद
संजीव
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छंद लक्षण: जाति महातैथिक, प्रति पद ३० मात्रा, यति १०-८-१२, पदांत गुरु (य, म ,र, स, गण)।
लक्षण छंद:
कवि रच चौपइया, ता ता थैया, गाओ झूमो नाचो
दस-आठ-सुबारह, यति-गति रखकर, छंद पत्रिका बाँचो
पद-अंत करे गुरु, संत भजे प्रभु, सत-शिव-सुन्दर गुनना
सत-चित-आनंदी, परमानंदी, नाद अनाहद सुनना
दस-आठ-सुबारह, यति-गति रखकर, छंद पत्रिका बाँचो
पद-अंत करे गुरु, संत भजे प्रभु, सत-शिव-सुन्दर गुनना
सत-चित-आनंदी, परमानंदी, नाद अनाहद सुनना
उदाहरण:
१. शोषित मत होना, धैर्य न खोना, बदलो सरकारों को
गणतंत्र नदी में, नाव न डूबे, थामो पतवारों को
जन प्रतिनिधि चेतो, गला न रेतो, जनता-मतदाता का
रिश्वत मत लेना, घूस न देना, फहरा सत्य-पताका
जो धन विदेश में, जमा न भूलो, वापिस ले आना है
जन गण मन गाकर, विहँस तिरंगा, नभ में फहराना है
२. कोशिश मत छोड़ो, मुँह मत मोड़ो, मुश्किल से मत डरना
पथ पर रख पग दृढ़, बढ़ गिर उठ चढ़, नित नव मंज़िल वरना
ले हाथ-हाथ में, कदम साथ में, धूप-छाँव संग सहना
अरि-दल-दिल दहला, फेंको दहला, हर अवसर जय करना
पथ पर रख पग दृढ़, बढ़ गिर उठ चढ़, नित नव मंज़िल वरना
ले हाथ-हाथ में, कदम साथ में, धूप-छाँव संग सहना
अरि-दल-दिल दहला, फेंको दहला, हर अवसर जय करना
३. नभ-बादल छाये, द्युति धमकाये, मिटा नहीं हरियाली
ले पानी लाई, करूँ सफाई, भू पर हो खुशहाली
जंगल मत काटो, गिरि मत खोदो, मत खो दो नदियों को
कहकर विकास मत, कर विनाश क्यों, शाप बनो सदियों को
गहरी कर नदियाँ, तट पर जंगल, घना खूब बढ़ने दो
पंछी कलरव कल,कल जल-रव तरु,विटप लता चढ़ने दो
मृग शावक उछलें, नाहर गरजें, गज मस्ती में झूमें
सीताफल जामुन, बेर फलें खा, वानर हूहें-लूमें
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अनुगीत, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामरूप, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गीता, गीतिका, गंग, घनाक्षरी, चुलियाला, चौपइया, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, धारा, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मदनाग, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मरहठा, मरहठा माधवी, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, रोला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विद्या, विधाता, विरहणी, विशेषिका, विष्णुपद, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, शोभन, शुद्धगा, शंकर, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हरिगीतिका, हेमंत, हंसगति, हंसी)
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
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