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मंगलवार, 20 मई 2014

chhand salila: roopmala chhand -sanjiv


छंद सलिला:   ​​​

रूपमाला  छंद ​

संजीव
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छंद-लक्षण: जाति अवतारी, प्रति चरण मात्रा २४ मात्रा, यति चौदह-दस, पदांत गुरु-लघु (जगण) 


लक्षण छंद:
  रूपमाला रत्न चौदह, दस दिशा सम ख्यात
  कला गुरु-लघु रख चरण के, अंत उग प्रभात
  नाग पिंगल को नमनकर, छंद रचिए आप्त 
  नव रसों का पान करिए, ख़ुशी हो मन-व्याप्त 
 
उदाहरण: 
१. देश ही सर्वोच्च है- दें / देश-हित में प्राण 
    जो- उन्हीं के योग से है / देश यह संप्राण
    करें श्रद्धा-सुमन अर्पित / यादकर बलिदान
    पीढ़ियों तक वीरता का / 'सलिल'होगा गान

२. वीर राणा अश्व पर थे, हाथ में तलवार 
    मुगल सैनिक घेर करते, अथक घातक वार
    दिया राणा ने कई को, मौत-घाट उतार 

    पा न पाये हाय! फिर भी, दुश्मनों से पार 
    ऐंड़ चेटक को लगायी, अश्व में थी आग 
    प्राण-प्राण से उड़ हवा में, चला शर सम भाग 
    पैर में था घाव फिर भी, गिरा जाकर दूर 
    प्राण त्यागे, प्राण-रक्षा की- रुदन भरपूर 
    किया राणा ने, कहा: 'हे अश्व! तुम हो धन्य 
    अमर होगा नाम तुम हो तात! सत्य अनन्य। 
                  
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, शोभन, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

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