डा. बी. एन. श्रीवास्तव द्वारा अपनी सहधर्मिणी स्वर्गीया श्रीमती श्रीमती शरणदुलारी श्रीवास्तव की पुण्य स्मृति में संस्कारधानी में वृद्धजनो हेतु ''निशुल्क जेरियोट्रिक क्लीनिक'' का शुभारम्भ
अनुभव प्रवण वृद्धजनाः विद्गोषा महत्वपूर्ण तेषां सेवा
पुण्यप्रदा आयु वृद्धसुश्रूषा उपचार तेषां शुभ पुण्य कर्मः।
प्रो.सी बी श्रीवास्तव -'विदग्ध'
हमारी संस्कृति में सदा से बुजुर्गों का विशेष महत्व रहा है . वानप्रस्थ व सन्यास आश्रमो की व्यवस्था भारतीय समाज का हिस्सा रही है . किन्तु भौतिकवादी , आत्मकेंद्रित , पाश्चात्य , आपाधापी के वर्तमान सामाजिक ताने बाने में वृद्धजन समाज की मूलधारा से कटते जा रहे हैं , व स्वयं को उपेक्षित अनुभव कर रहे हैं . वृद्धावस्था जीवन का ऐसा हिस्सा है जब हम जिंदगी के विविध अनुभवों से तो सराबोर होते हैं , किन्तु शारीरिक रूप से अपेक्षाकृत अशक्त हो जाते हैं .यह समझते हुये भी कि ऐसा एक दिन सबके साथ होना ही है , युवा पीढ़ी शायद चाहकर भी बुजुर्गों को अपेक्षित समय नही दे पा रही है . मनुष्य सदा से अमरत्व की खोज में लगा रहा है . जिस तरह से आज कृत्रिम खून के निर्माण , मानव अंगो के प्रत्यारोपण आदि क्षेत्रों में चिकित्सा जगत को आशातीत सफलता मिली है , निश्चित है कि आने वाले समय में दिन पर दिन और भी बेहतर स्वास्थ्य सेवायें सुलभ होंगी . डा. बी एन. श्रीवास्तव जबलपुर मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के सेवानिवृत डीन हैं . चिकित्सा जगत के लगातार बदलते परिवेश में विभिन्न स्वयं को सतत सक्रिय बनाये रखते हुये वे लगातार जन सेवा की मूल भावना के साथ लायंस क्लब जैसी अनेक सामाजिक संस्थाओ से जुड़े हुये हैं . उन्होने नर्मदा तट पर स्थित गीता धाम में भी भवन निर्माण करवा कर जनहित हेतु लोकार्पित किया है . उनकी पत्नी स्वर्गीया श्रीमती श्रीमती शरणदुलारी श्रीवास्तव सदैव विभिन्न चिकित्सकीय सेमीनार आदि यात्राओ में उनके साथ रहती थीं , वे न केवल उनकी जीवन संगिनी थीं वरन सच्चे अर्थों में सहधर्मिणी , उनकी आध्यात्मिक प्रेरणा स्त्रोत , व यथार्थ में मित्र थीं . विगत वर्ष एक चिकित्सकीय सेमीनार से डाक्टर साहब के साथ ही लौटते हुये ट्रेन में ही उनका दुखद देहावसान हृदयाघात से हो गया . डा. बी. एन. श्रीवास्तव ने उनकी स्मृति में जेरियोट्रिक सोसायटी ऑफ इंण्डिया द्वारा मान्यता प्राप्त सर्व सुविधा संपन्न अस्पताल वृद्धजनो हेतु स्थापित करने का निर्णय लिया है , और संस्कारधानी में इस तरह का यह पहला चिकित्सालय १० अगस्त २०१० को , डा. बी. एन. श्रीवास्तव के निवास के उपर प्रथम तल पर गुलाटी पैत्रोल पंप के निकट , प्रेमनगर , मदनमहल जबलपुर में किया गया. उद्घाटन स्वामी श्यामदास जी महाराज के कर कमलों से हुआ . कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ट शिक्षाविद व साहित्यकार प्रो चित्रभूषण श्रीवास्तव जी ने की . . कार्यक्रम का संचालन श्रीमती प्रार्थना अर्गल ने किया . उल्लेखनीय है कि जेरियाट्रिक सोसायटी आफ इण्डिया के सचिव डा. ओम प्रकाश शर्मा ने नगर के वरिष्ठतम चिकित्सक डा. बी एन. श्रीवास्तव को भीष्म पितामह निरूपित करते हुये उन्हें जेरियाट्रिक सोसायटी आफ इण्डिया के सर्वोच्च सम्मान से विभूषित किया है .इस अवसर पर स्वामी श्यामदास जी महाराज जी ने कहा कि रोगियो के रूप में परमात्मा की सेवा का ही अवसर इस वृद्ध चिकित्सालय में मिलेगा .
जेरियोट्रिक मेडीसिन चिकित्सा जगत की वह शाखा है जो वरिष्ठ नागरिकों (६० वर्ष के ऊपर आयु के स्त्री पुरूष) की विभिन्न बीमारियों के उपचार से संबंधित है। हमारे देश में सन् २००१ में वृद्धों की संख्या कुल जनसंखया का ६.८ प्रतिशत थी जो अगले २५ वर्षो में १२ प्रतिशत हो जाने की संभावना है। १९६१ से आने वाले १०० वर्षो में जहॉं हमारे देश की जनसंख्या पांचगुना हो जाना अनुमानित है वहीं वृद्धों की संख्या भी १३ गुना बढ जाने की संभावना है।
जेरियोट्रिक मेडीसिन जनरल मेडीसिन से भिन्न है क्योकि वृद्धो की समस्यायें युवाजन की समस्याओं से भिन्न होती है। आयु की वृद्धि के साथ शरीर के अंग शिथिल होते है और उनकी क्रियाओं में भी शिथिलता आ जाती है। इससे बुजुर्गो हेतु सामान्य से भिन्न दवाओं की आवश्यकता होती है। वृद्धो के स्वास्थ्य के लिये नियमित परीक्षण डाक्टरी सलाह और उपचार आवश्यक होता है। पति या पत्नि में से किसी एक की मृत्यु से वियोग का दुख होना और सूनापन आने से मानसिक निर्बलता की समस्यायें भी वृद्धजनो में होती है , जिसके निदान हेतु आध्यात्मिक संबल की आवश्यकता होती है . ।
वास्तव में वृद्धावस्था अभिशाप नहीं है ,यह तो जीवन का वह पडाव है जब आदमी अपने अनुभवों से परिपक्व होकर नई पीढ़ी को सही राह दिखा सकता है। समाज को कुछ सिखा सकता है और समाज सेवा कर सकता है पर इसके लिये मनोबल बनाये रखे जाने की जरूरत होती है ।इस दृष्टि से जेरियोट्रिक चिकित्सालय बुजुर्गो हेतु महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकता है .
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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बुधवार, 11 अगस्त 2010
अनुभव प्रवण वृद्धजनाः विद्गोषा महत्वपूर्ण तेषां सेवा ,पुण्यप्रदा आयु वृद्धसुश्रूषा उपचार तेषां शुभ पुण्य कर्मः।..प्रो.सी बी श्रीवास्तव -'विदग्ध'

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1 टिप्पणी:
प्रशंसनीय कार्य ।
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