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सोमवार, 18 मई 2020

गीत

गीत
*
नेह नरमदा घाट नहाते
दो पंछी रच नई कहानी
*
लहर लहर लहराती आती
घुल-मिल कथा नवल कह जाती
चट्टानों पर शीश पटककर
मछली के संग राई गाती
राई- नोंन उतारे झटपट
सास मेंढकी चतुर सयानी
*
रेला आता हहर-हहरकर
मन सिहराता घहर-घहरकर
नहीं रेत पर पाँव ठहरते
नाव निहारे सिहर-सिहरकर
छूट हाथ से दूर बह चली
हो पतवार 'सलिल' अनजानी
***

नवगीत

नवगीत:
संजीव
.
धरती काँपी,
नभ थर्राया
महाकाल का नर्तन
.
विलग हुए भूखंड तपिश साँसों की
सही न जाती
भुज भेंटे कंपित हो भूतल
भू की फटती छाती
कहाँ भू-सुता मातृ-गोद में
जा जो पीर मिटा दे
नहीं रहे नृप जो निज पीड़ा
सहकर धीर धरा दें
योगिनियाँ बनकर
इमारतें करें
चेतना-कर्तन
धरती काँपी,
नभ थर्राया
महाकाल का नर्तन
.
पवन व्यथित नभ आर्तनाद कर
आँसू धार बहायें
देख मौत का तांडव चुप
पशु-पक्षी धैर्य धरायें
ध्वंस पीठिका निर्माणों की,
बना जयी होना है
ममता, संता, सक्षमता के
बीज अगिन बोना है
श्वास-आस-विश्वास ले बढ़े
हास, न बचे विखंडन
**

समाचार : विश्ववाणी हिंदी संस्थान



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कोरोना : बेमौत मरते मजूरों के नाम

कोरोना : बेमौत मरते मजूरों के नाम
*
द्रौपदी के चीर जैसे रास्ते कटते नहीं
कट रहे उम्मीद के सिर कुर्सियाँ मदहोश हैं
*
पाँव पहँचे लिये भूखे पेट की जब अर्थियाँ
कर दिया मरघट ने तालाबंद अब जाएँ कहाँ
*
वाकई दीदार अच्छे दिनों का अब हो रहा
कुर्सियों की जय बची अखबारबाजी आज कल
*
छातियाँ छत्तीस इंची और भी चौड़ी करो
मरेंगे मजदूर पूँजीपति नवाजे जाएँगे
*
कर्ज बाँटो भीख दो जिंदा नहीं गैरत रहे
काम छीनो हाथ से मौका मिला चूको नहीं
*
निकम्मी सरकार है मरकर यही हम कह गए
चीखती है असलियत टी वी पटे जयकार से
***
संजीव
१५-५-२०२०
९४२५१८३२४४

हास्य कुण्डलिया

हास्य कुण्डलिया
😃😃😃
बाल पृष्ठ पर आ गए, हम सफेद ले बाल
बच्चों के सिर सोहते, देखो काले बाल
देखो काले बाल, कहीं हैं श्वेत-श्याम संग
दिखे कहीं बेबाल, न गंजा कह उतरे रंग
कहे सलिल बेनूर, परेशां अपनी विगें सम्हाल
घूमें रँगे सियार, डाई कर अपने असली बाल
😃😃😃

पाक कला के दिवस पर, हर हरकत नापाक
करे पाक चटनी बना, काम कीजिए पाक
काम कीजिए पाक, नहीं होती है सीधी
कुत्ते की दुम रहे, काट दो फिर भी टेढ़ी
कहता कवि संजीव, जाएँ सरहद पर महिला
कविता बम फेंके, भागे दुश्मन दिल दहला

😃😃😃
नई बहुरिया आ गई, नई नई हर बात
परफ्यूमे भगवान को, प्रेयर कर नित प्रात
प्रेयर कर नित प्रात, फास्ट भी ब्रेक कराती
ब्रेक फास्ट दे लंच न दे, फिरती इठलाती
न्यून वसन लख, आँख शर्म से हरि की झुक गई
मटक रही बेचीर, द्रौपदी फैशन कर नई
😃😃😃

छंद कार्यशाला दोहा - कुंडलिया

छंद कार्यशाला
दोहा - कुंडलिया
दोहा - आशा शैली
रोला - संजीव
*
जीव जन्तु को दे रहा, जो जीवन की आस।
कण-कण व्यापक राम है, रख मनवा विश्वास। ।
रख मनवा विश्वास, मारता वही श्रमिक को
धनपति बना रहा है, वह ही कुटिल भ्रमित को
आशा पर आकाश टँगा, देखे बेबस जीव
हैं दुधमुँहे अनाथ, नाथ मूक संजीव
***
१८-५-२०२०

रविवार, 17 मई 2020

अभियान विमर्श पर्व १७-५-२०२०


विश्ववाणी हिंदी संस्थान - अभियान जबलपुर
विमर्श पर्व : राष्ट्रीय एकता  एवं शक्ति
दिनाँक : १७-५-२०२० समय सायं ४ बजे से
*
: मुखिया :
आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी, पूर्व अधिष्ठाता कालिदास विद्यापीठ उज्जैन व
विभागाध्यक्ष संस्कृत रानी दुर्गावती वि.वि. 
संचालन : इंजी. संजीव वर्मा 'सलिल', संयोजन विश्ववाणी हिंदी संस्थान 
: पाहुने :
श्री बिपिन त्रिवेदी, ब्रिगेडियर (से.नि.)
श्री चित्रभूषण श्रीवास्तव, प्राचार्य (से.नि.)
श्री आलोक श्रीवास्तव, एडी. कलेक्टर (से.नि.)
श्री विवेकरंजन श्रीवास्तव, मुख्य अभियंता, विद्युत् वितरण कंपनी
श्री बसंत शर्मा
डॉ. स्मृति शुक्ल प्राध्यापक हिंदी
इंजी। अमरेंद्र श्रीवास्तव, संयोजक एकता और शक्ति
आभार : इंजी. अरुण भटनागर   
*
सभी साथियों की उपस्थिति प्रार्थनीय
*

शनिवार, 16 मई 2020

अभियान विमर्श पर्व : १६-५-२०२०

समाचार 
ॐ 
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर 
विमर्श पर्व : १६-५-२०२० 
  कोरोना त्रासदी : तालाबंदी कितनी कारगर और कब तक  - सारगर्भित विमर्श संपन्न 
*
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर का १३ वाँ दैनिक सारस्वत अनुष्ठान "कोरोना त्रासदी : तालाबंदी कितनी कारगर और कब तक?" विषय पर विमर्श पर्व के रूप में हुआ। विमर्श की अध्यक्षता पीतांबरपीठ दतिया के अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यकार अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम' तथा मुख्य आतिथ्य भीलवाड़ा की समर्पित साहित्यकार श्रीमती पुनीता भारदवाज ने किया। विमर्श का श्री गणेश श्रीमती विनीता श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। 
विषय प्रवर्तन करते हुए साहित्यकार-चिंतक आचार्य संजीव वर्मा सलिल ने वुहान में कोरोना के प्रस्फुटन व फैलाव को देखते हुए आरंभ में विदेशों से आये यात्रियों के तापमान देखकर उन्हें समाज में मिल जाने देने  को घातक बताय और कहा की इसी समय विदेश से आनेवाले सभी यात्रियों को १४ दिन के एकांतवास हेतु अनिवार्यत: भेजे जाता तो कोरोना का प्रवेश ही नहीं हो पाता। ३० जनवरी को विदेश से आये यात्री में कर्णाटक में कोरोना मिलने के तत्काल बाद यह किया जाना था। रेल यातायात बंद करने के पूर्व रोजगार गँवा चुके मजदूरों को गाँवों की ओर भेजा जा सकता तो इतनी मौतें नहीं होतीं। मजदूरों को रोजगार देनेवाले उन्हें खाने-पीने-जीने योग्य साधन देते रहते तो वे पलायन हेतु विवश नहीं होते। इतने कष्ट झेलकर जा रहे मजदूर क्या फिर लौटेंगे? न लौटे तो व्यवसाय कैसे चलेंगे हुए वे मजदूर गाँवों में क्या करेंगे? इन सब बिंदुओं पर विचार जरूरी है। जाग्रत लोक तंत्र में लोक को चिंतन कर अपनी सरकार को सुझाव देने ही चाहिए। 
ख्यात शायर सूरज राय 'सूरज' ने अदृश्य वायरस जनित कोरोना से बचने का एकमात्र मार्ग तालाबंदी को बताया। ग्वालियर से पधारी ज्येष्ठ कवयित्री डॉ. संतोष शुक्ला से.नि. प्राचार्य ने तालाबंदी में श्रमिकों के समक्ष उपस्थित विकराल समस्या को उठाया। श्रीमती विनीता श्रीवास्तव ने तालाबंदी को कोरोना नियंत्रण में प्रभावी बताया। पलामू के प्रो. आलोक रंजन ने मरकज़, तब्लीगी जमात आदि द्वारा तालाबंदी एक पालन न किये जाने को चिंता का विषय बताया। श्री सारांश गौतम ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों की चर्चा की। 
सिरोही के वरिष्ठ साहित्यकार छगनलाल गर्ग ने समय का सदुपयोग कर आत्मबल बढ़ाने पर बल दिया।  रायपुर की रजनी शर्मा ने कोरोना के उपचारों की अनिश्चितता तथा तालाबंदी के विष को झेलने की विवशता व्यक्त की।  डॉ. मुकुल तिवारी ने तालाबंदी को सुरक्षा का उपाय बताया। प्रो. शोभित वर्मा ने सामाजिक सेवा कार्यों की प्रशंसा करते हुए उनकी निरंतरता बनाये रखने पर बल दिया। भारती नरेश पराशर तथा अन्य वकताओं ने मिलते-जुलते विचार व्यक्त किये। मुख्य अतिथि पुनीता भारद्वाज ने परिस्थिति की जटिलता के परिप्रेक्ष्य  में विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर द्वारा आयोजित विमर्श को आवश्यक और उपयोगी निरूपित किया। अध्यक्षीय वक्तव्य में श्री अरविन्द श्रीवास्तव ने वक्ताओं को  रहने और य्रत-तत्र न भटकने की सलाह देते हुए इस तरह के विमर्श को आवश्यक बताते हुए बार-बार किये जाने की आवश्यकता बताई। आभार प्रदर्शन इंजी. अरुण भटनागर ने किया।   

ॐ 
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर 
विमर्श पर्व : १७-५-२०२० 
विषय : राष्ट्रीय एकता एवं शक्ति 
सञ्चालन : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' 
वक्तागण : 
ब्रिगेडियर बिपिन त्रिवेदी 
श्री आलोक श्रीवास्तव 
श्री विवेकरंजन श्रीवास्तव 
श्री बसंत शर्मा 
डॉ. स्मृति शुक्ला 
श्री अमरेंद्र नारायण 
आप सब अवश्य सुनें और प्रतिक्रिया दें। 


द्विपदी

द्विपदी
दोस्ती की दरार छोटी पर
साँप शक का वहीं मिला लंबा।
१६-५-२०१९ 

विमोह छंद

छंद बहर का मूल है १३
*
संरचना- २१२ २१२, सूत्र- रर.
वार्णिक छंद- ६ वर्णीय गायत्री जातीय विमोह छंद.
मात्रिक छंद- १० मात्रिक देशिक जातीय छंद
*
सत्य बोलो सभी
झूठ छोडो कभी
*
रीतातई रात भी
जीतता प्रात ही
*
ख्वाब हो ख्वाब ही
आँख खोलो तभी
*
खाद-पानी मिले
फूल हो सौरभी
*
मुश्किलों आ मिलो
मात ले लो अभी
***
१३-४-२०१७
९.४५ एएम्

द्विपदियाँ

द्विपदियाँ
अजय हैं न जय कर सके कोई हमको
विजय को पराजय को सम देखते हैं
*
किस्से दिल में न रखें किससे कहें यह सोचें
गर न किस्से कहे तो ख्वाब भी मुरझाएंगे
*
सखापन 'सलिल' का दिखे श्याम खुद पर
अँजुरी में सूर्स्त दिखे देख फिर-फिर
*
दुष्ट से दुष्ट मिले कष्ट दे संतुष्ट हुए
दोनों जब साथ गिरे हँसी हसीं कहके 'मुए'
*
जो गिर-उठकर बढ़ा मंजिल मिली है
किताबों में मिला हमको लिखित है
*
रन करते जब वीर तालियाँ दुनिया देख बजाती है
रन न बनें तो हाय प्रेमिका भी आती है पास नहीं
*
घुँघरू पायल के इस कदर बजाये जाएँ
नींद उड़ जाए औ' महबूब दौड़ते आयें
*
रंज ना कर बिसारे जिसने मधुर अनुबंध
वही इस काबिल न था कि पा सके मन-रंजना
*
रूप देखकर नजर झुका लें कितनी वह तहजीब भली थी
रूप मर गया बेहूदों ने आँख फाड़के उसे तका है
*

१६-५-२०१७ 

द्विपदियाँ

द्विपदियाँ
*
तमककर जो रुक गयीं तुम
आ गया भूकम्प झट से.
*
मौन से बातचीत अच्छी है
भाप प्रेशर कुकर से निकले तो
*
सिर्फ कहना सही ही काफी नहीं है
बात कहने का सलीका है जरूरी
*
स्नेह सरोवर सुखाकर करते जो नाशाद
वे शादी कर किस तरह, हो पायेंगे शाद?
*
चित्र गुप्त जिसका वही, लेता जब आकार
ब्रम्हा-विष्णु-महेश तब, होते हैं साकार
*
ॐ जपे नीरव अगर, कट जाएँ सब कष्ट
मौन रखे यदि शोर तो, होते दूर अनिष्ट
*
१६-५-२०१५

मुक्तक

मुक्तक
तुझको अपना पता लगाना है?
खुद से खुद को अगर मिलाना है
बैठ जा आँख मूँदकर चुपचाप
दूर जाना करीब आना है
*

दाग न दामन पर लगा तो
बोल सियासत ख़ाक करी है
तीन अंगुलिया उठतीं खुद पर
एक किसी पर अगर धरी है
**
१६-५-२०१५

 

शुक्रवार, 15 मई 2020

अभियान स्मृति पर्व : १५-५-२०२०


विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर
स्मृति पर्व : १५-५-२०२०
*
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर का स्मृति पर्व वीणापाणी माँ शारदा की वंदना "जय जयति वीणा वादिनी, शब्द शक्ति स्वरूपिणी जय, सृजन राग विधायिनी जय" की सस्वर प्रस्तुति मिनाक्षी शर्मा 'तारिका' ने की। अभियान की सचिव कुशल दोहा-गीतकार मिथलेश बड़गैया की अध्यक्षता तथा नवगीतकार विजय वागड़ी के मुख्यातिथ्य में आरम्भ सारस्वत अनुष्ठान का विषय प्रवर्तन करते हुए विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान के संयोजक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने वर्तमान संक्रांति काल में सकारात्मक भावनाओं के प्रसार हेतु प्रिय जनों की स्मृति को विटामिन बताया। एसिया पैसिफिक टेलीकॉम एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष इंजी. अमरेंद्र नारायण ने राष्ट्र निर्माण में प्राणप्रण से समर्पित अभियंताओं का समुचित मूल्यांकन न हो पाने पर खेद व्यक्त करते हुए  ९४ वर्षीय युवा इंजी. संतोष कुमार गुप्ता के अवदान को याद किया। हिंदी भाषा विज्ञान के ख्यात विद्वान, उपन्यासकार, नाटककार डॉ. सुरेश कुमार वर्मा ने कालिदास अकादमी उज्जैन के पूर्व निदेशक अपने बाल मित्र आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी के साथ लंबे सान्निध्य को याद करते हुए इस मित्रता पर गर्व व्यक्त किया। आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी ने अभियान के इस सारस्वत अनुष्ठान को आशीषित करते हुए इंजी. अमरेंद्र नारायण द्वारा अपने अभूतपूर्व कार्य से भारत को दूरसंचारीय प्रगति हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण पदक मिलने का उल्लेख करते हुए हिंदी-उर्दू-अंग्रेजी में उनकी काव्य कृतियों व् उपन्यासों को समय की उपलब्धि बताया। 

विदुषी उपन्यासकार डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी जी ने हिंदी गद्य-पद्य के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर आचार्य भगवत दुबे से जुडी स्मृतियों को साझा किया। समालोचना के क्षेत्र में सिद्धहस्त  डॉ. स्मृति शुक्ल ने भाषा विज्ञानी डॉ. सुरेश कुमार वर्मा के व्यक्तित्व-कृतित्व को स्मरण करते हुए उन्हें अपना प्रेरणास्रोत बताया। प्रसिद्ध वनस्पति शास्त्री डॉ. अनामिका तिवारी ने अपनी अग्रजा श्रीमती साधना उपाध्याय पूर्व प्राचार्य के शैक्षणिक, साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, सांगीतिक क्षेत्रों में गतिविधियों के उल्लेख करते हुए अपने पिताश्री रामानुजलाल श्रीवास्तव 'ऊँट बिलहरीवी' के अवदान का स्मरण किया। शासकीय मानकुंवर बाई महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. नीना उपाध्याय ने प्रसिद्द पत्रकार-साहित्यकार डॉ. राजकुमार 'सुमित्र' के व्यक्तित्व-कृतित्व को याद किया। संस्कृत साहित्य में डी. लिट्. अर्जित कर चुकी कथाकार-कवयित्री डॉ. सुमनलता श्रीवास्तव ने सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. इला घोष के असाधारण गुणों का वर्णन किया। हिंदी गद्य-पद्य के शिखर हस्ताक्षर आचार्य भगवत दुबे ने  अभियंता-कवि -समीक्षक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' के अवदान की चर्चा करते हुए अंतरजाल पर हिंदी शिक्षण और १५०० से अधिक छंद निर्माण का उल्लेख करते हुए उनके कार्य को कालजयी बताया। विश्ववाणी हिंदी अभियान के संयोजक आचार्य संजीव वर्मा सलिल' ने अपने शिक्षक सुकवि सुरेश उपाध्याय से जुड़ी स्मृतियों को साझा किया। डॉ. मुकुल तिवारी ने पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. गोकर्णनाथ शुक्ल के व्यक्तित्व की विशेषताओं को याद किया। अभियान के अध्यक्ष नवगीतकात बसंत शर्मा ने ख्यात पत्रकार मोहन शशि के अवदान को स्मरण करते हुए उन्हें प्रेरक बताया। आशुतोष तिवारी नव हिंदी-बुंदेली के चरचिर हस्ताक्षर राज सागरी के अवदान को याद किया। मुख्य अतिथि विजय बागरी ने विश्ववाणी हिंदी संस्थान के आयोजनों को अभूतपूर्व बताते हुए, निरंतरता की कामना की। अध्यक्ष मिथलेश बड़गैयाँ ने विश्ववाणी हिंदी संसथान के संयोजक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' की संकल्पनाओं को हिंदी भाषा, साहित्य और साहित्यकारों के लिए उपयोगी बताते हुए, भावी आयोजनों के लिए शुभकामनाएं दीं। आभार प्रदर्शन वीर रस के ओजस्वी कवि श्री अभय तिवारी ने किया। बड़ी संख्या में श्रोतागण इस आयोजन को अपने घरों में रहकर सुनते और प्रतिक्रिया व्यक्त करते रहे।    

वंदन मैया शारदा, गाते गीत सुरेश
कृष्ण कांत सुमिरें तुम्हें, शरणागत मिथिलेश
विजय दिला संतोष को, कर देतीं अमरेंद्र
मीनाक्षी हे! मातु तुम, हो चंद्रा ज्ञानेंद्र
भगवत स्मृति कर सलिल, हो जाता संजीव
सफल साधना करो माँ, तुम हो करुणासींव
अनामिका की मुद्रिका, नीना नग है भव्य
जो सुमित्र उसका सृजन, सत-शिव-सुन्दर दिव्य 
सुमन लता की सुरभि पा, होतीं इला प्रसन्न 
सलिल करे अभिषेक हो, धन्य न कभी विपन्न 
मन मुकुलित हो तो 'सलिल', हो सुरेश सा आप 
मोहन मोह न ले तुम्हें, मोहे बनो बसंत 
खिलो मंजरी सदृश हँस, अन्य न किंचित तंत 
आशुतोष का राज है, हिंदी की जय बोल 
जगवाणी हिंदी बने, गूंजे सकल खगोल 
***




विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर
स्मृति पर्व : १५-५-२०२०
*
अध्यक्ष : श्रीमती मिथलेश बड़गैया
मुख्य अतिथि :
विषय प्रवर्तक : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
उद्घोषक : डॉ. मुकुल तिवारी
०१. सरस्वती वंदना - मीनाक्षी शर्मा 'तारिका'
०२. विषय प्रवर्तन - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
०३. अमरेंद्र नारायण जी - कर्मठ अभियंता इंजी. संतोष कुमार गुप्ता
०४. डॉ. सुरेश कुमार वर्मा - मेरे बाल मित्र आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी
०५. आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी -  सहज-सरल व्यक्तित्व के धनी अमरेंद्र नारायण
०६. डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी - हिंदी साहित्य के शिखर आचार्य भगवत दुबे
०७. प्रो. स्मृति शुक्ल - साधुपुरुष डॉ. सुरेश कुमार वर्मा 
०८. डॉ. अनामिका तिवारी - सतत साधना की पर्याय साधना उपाध्याय
०९. डॉ. नीना उपाध्याय - साहित्यिक उत्सवधर्मिता के पर्याय सुमित्र जी
१०. डॉ. सुमन लता श्रीवास्तव - हिंदी-संस्कृत सेतु निर्मात्री विदुषी इला घोष
११. आचार्य भगवत दुबे - प्रयोगधर्मी साहित्यकार संजीव वर्मा 'सलिल'
१२. डॉ. मुकुल तिवारी - विद्वता के पर्याय डॉ. गोकर्णनाथ शुक्ल
१३. बसंत शर्मा - सह्रदय साहित्य शिल्पी-पत्रकार मोहन शशि
१४. आशुतोष तिवारी - हिंदी-बुंदेली साहित्य के उन्नायक राज सागरी
आभार : श्री अभय तिवारी

लघुकथा


लघुकथा:
प्यार ही प्यार
*
'बिट्टो! उठ, सपर के कलेवा कर ले. मुझे काम पे जाना है. स्कूल समय पे चली जइयों।'
कहते हुए उसने बिटिया को जमीन पर बिछे टाट से खड़ा किया और कोयले का टुकड़ा लेकर दाँत साफ़ करने भेज दिया।
झट से अल्युमिनियम की कटोरी में चाय उड़ेली और रात की बची बासी रोटी के साथ मुँह धोकर आयी बेटी को खिलाने लगी। ठुमकती-मचलती बेटी को खिलते-खिलते उसने भी दी कौर गटके और टिक्कड़ सेंकने में जुट गयी। साथ ही साथ बोल रही थी गिनती जिसे दुहरा रही थी बिटिया।
सड़क किनारे नलके से भर लायी पानी की कसेंड़ी ढाँककर, बाल्टी के पानी से अपने साथ-साथ बेटी को नहलाकर स्कूल के कपडे पहनाये और आवाज लगाई 'मुनिया के बापू! जे पोटली ले लो, मजूरी खों जात-जात मोदी खों स्कूल छोड़ दइयो' मैं बासन माँजबे को निकर रई.' उसमे चहरे की चमक बिना कहे ही कह रही थी कि उसके चारों तरफ बिखरा है प्यार ही प्यार।
***

१५-५-२०१६ 

वस्तुवदनक छंद


छंद सलिला:
वस्तुवदनक छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति अवतारी, प्रति चरण मात्रा २४ मात्रा, पदांत चौकल-द्विकल
लक्षण छंद:
वस्तुवदनक कला चौबिस चुनकर रचते कवि
पदांत चौकल-द्विकल हो तो शांत हो मन-छवि
उदाहरण:
१. प्राची पर लाली झलकी, कोयल कूकी / पनघट / पर
रविदर्शन कर उड़े परिंदे, चहक-चहक/कर नभ / पर
कलकल-कलकल उतर नर्मदा, शिव-मस्तक / से भू/पर
पाप-शाप से मुक्त कर रही, हर्षित ऋषि / मुनि सुर / नर
२. मोदक लाईं मैया, पानी सुत / के मुख / में
आया- बोला: 'भूखा हूँ, मैया! सचमुच में'
''खाना खाया अभी, अभी भूखा कैसे?
मुझे ज्ञात है पेटू, राज छिपा मोदक में''
३. 'तुम रोओगे कंधे पर रखकर सिर?
सोचो सुत धृतराष्ट्र!, गिरेंगे सुत-सिर कटकर''
बात पितामह की न सुनी, खोया हर अवसर
फिर भी दोष भाग्य को दे, अंधा रो-रोकर 
*********
१५-५-२०१४ 
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सुखदा, सुगति, सुजान, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

सारस छंद


छंद सलिला:
सारस / छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति अवतारी, प्रति चरण मात्रा २४ मात्रा, यति १२-१२, चरणादि विषमक़ल तथा गुरु, चरणांत लघु लघु गुरु (सगण) सूत्र- 'शांति रखो शांति रखो शांति रखो शांति रखो'
विशेष: साम्य- उर्दू बहर 'मुफ़्तअलन मुफ़्तअलन मुफ़्तअलन मुफ़्तअलन'
लक्षण छंद:
सारस मात्रा गुरु हो, आदि विषम ध्यान रखें
बारह-बारह यति गति, अन्त सगण जान रखें
उदाहरण:
१. सूर्य कहे शीघ्र उठें, भोर हुई सेज तजें
दीप जला दान करें, राम-सिया नित्य भजें
शीश झुका आन बचा, मौन रहें राह चलें
साँझ हुई काल कहे, शोक भुला आओ ढलें
२. पाँव उठा गाँव चलें, छाँव मिले ठाँव करें
आँख मुँदे स्वप्न पलें, बैर भुला मेल करें
धूप कड़ी झेल सकें, मेह मिले खेल करें
ढोल बजा नाच सकें, बाँध भुजा पीर हरें
३. क्रोध न हो द्वेष न हो, बैर न हो भ्रान्ति तजें
चाह करें वाह करें, आह भरें शांति भजें
नेह रखें प्रेम करें, भीत न हो कांति वरें
आन रखें मान रखें, शोर न हो क्रांति करें
*********
१५-५-२०१४ 
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सुखदा, सुगति, सुजान, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

मोहन शशि : परिचय

मोहन शशि : परिचय
जन्म तिथि : १-४-१९३७।
आत्मज : स्व. छबरानी- स्व. कालीचरण यादव।
जीवन संगिनी :  श्रीमती राधा शशि। 
सम्प्रति : ५० वर्ष पत्रकार दैनिक नव भारत, दैनिक भास्कर
               संस्थापक ख्यात सांस्कृतिक संस्था मिलन
               समर्पित समाजसेवी 
प्रकाशन : सरोज १९५६
तलाश एक दाहिने हाथ की १९८३
हत्यारी रात १९८८
शक्ति साधना १९९२
दुर्ग महिमा १९९५
बेटे से बेटी भली २०११
देश है तो सुनो जान हैं बेटियाँ २०१६
जगो बुंदेला जगे बुंदेली २०१९ 

बुधवार, 13 मई 2020

अभियान पुस्तक पर्व : १३-५-२०२०

समाचार : 
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर
पुस्तक पर्व : १३-५-२०२०

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विश्ववाणी हिंदी संसथान जबलपुर द्वारा साहित्य जगत में अभिनव मापदंड स्थापित करते हुए अंतर्जाल पर राष्ट्रीय छंद पर्व, लघुकथा पर्व,  गीत पर्व, गद्य पर्व, हिंदी ग़ज़ल पर्व, विमर्श : कोरोना अभिशाप में वरदान, कला पर्व, बाल पर्व, लोक पर्व के सफल आयोजन के बाद पुस्तक पर्व का आयोजन दिनाँक १३-५-२०२० को किया गया। माँ शारदा के सम्मुख दीप प्रज्वलन के पश्चात् इंजी। दुर्गेश ब्योहार ने ललित स्वर में आचार्य संजीव  वर्मा 'सलिल' लिखित सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इस आयोजन में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली आदि  के साहित्यकारों ने अपनी मनपसंद पुस्तक पर विमर्श किया। ख्यात अभियंता-उपन्यासकार अमरेंद्र नारायण ने जो. तुलसीदास रचित महाकाव्य रामचरित मानस की चर्चा करते हुए इस कालजयी कृति के आरंभ में छंद वंदना का उल्लेख करते हुए इसे साहित्य-धर्म-अध्यात्म का संगम निरूपित किया। हिंदी वांग्मय के प्रथम नवगीतिकाव्य कुमार रविंद्र रचित 'अप्प दीपो भव' का उल्लेख करते हुए आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने टी.एस. इलियट, पोकाक,एबरकोम्बी आदि पाश्चात्य तथा डॉ. नगेंद्र,  डॉ. श्याम नाथ शर्मा,  डॉ. सिद्धनाथ कुमार आदि का उल्लेख करते हुए इस नवगीतीय कृति को नवगीत विधा को नव आयाम में प्रतिष्ठित  करने वाली कृति निरूपित किया। श्री आलोक श्रीवास्तव ने उपन्यास एकता और शक्ति लेखक अमरेंद्र नारायण पर प्रकाश डालते हुए उसे राष्ट्रीय नवनिर्माण की दिशा में सम्यक सन्देश वाही बताया।  चर्चित नवगीत-दोहाकार बसंत शर्मा में आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' के नवगीत संग्रह 'काल है संक्रांति का' की समीक्षा करते हुए उसे नवगीत में छंद-प्रयोग की प्रयोगशाला निरूपित किया। चर्चित समीक्षक सुरेंद्र पवार नेब स्व. श्यामनारायण पांडेय की कृति हल्दीघाटी महाकाव्य की सटीक समीक्षा प्रस्तुत की। टीकमगढ़ ग्रह के चर्चित साहित्यकार राजीव नामदेव राणा लिघौरी ने यदुकुलनंदन खरे के उपन्यास 'करम अभागा' में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या पर उठाये गए सवालों को सरकारों के लिए दिशादर्शक बताया। 

दिल्ली से सहभागी सुषमा शैली ने युगकवि धूमिल के काव्यसंग्रह 'संसद से सड़क तक' को हिंदी कविता को नकारात्मकता के कारागार से निकालनेवाली कृति बताया। लघुकथा लेखन पर प्रश्नोत्तरों की पुस्तक 'लघुकथा संवाद' संपादिका कल्पना भट्ट पर चर्चा करते हुए मनोरमा जैन 'पाखी' ने २० प्रश्नों ने २१ वरिष्ठ लघुकथाकारों द्वारा दिए गए उत्तरों में मतभेद को स्वाभाविक किन्तु पुस्तक को लघुकथाकारों हेतु आवश्यक बताया। दतिया के अरविन्द श्रीवास्तव असीम ने भगवती प्रसाद कुलश्रेष्ठ की काव्यकृति 'अमलतास खिल रहा' की चर्चा करते हुए कवि के काव्य कौशल के उदाहरण दिए। डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे ने रुद्राक्ष पर गोंदिया निवासी डॉ. श्रीश कुमार की शोधपरक कृति के हिंदी अनुवाद 'ईश्वरीय  किताब की चर्चा की। डॉ. मुकुल तिवारी द्वारा आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' के नवगीत संग्रह 'सड़क पर' सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत की। मशहूर शायर यूनुस अदीब ने ख्यात उपन्यासकार कमलेश्वर की कृति 'कितने पाकिस्तान' पर सटीक समीक्षा प्रस्तुत की। छंदाचार्य श्रीधर प्रसाद द्विवेदी ने रामानंद शुक्ल रचित जगजननी सीता पर केंद्रित प्रबंध काव्य 'जानकी जय' की चर्चा करते हुए इसे मानस के तुल्य लालित्य से परिपूर्ण बताया। 

प्रो। श्वेतांक किशोर अंबष्ट ने  १९ विज्ञान गल्प के संग्रह 'बीता हुआ भविष्य' संपादक कोंडके की सम्यक समीक्षा की। छाया सक्सेना ने दोहा शतक मञ्जूषा के तीन भागों दोहा सलिला निर्मला, दोहा दोहा नर्मदा तथा दोहा दिव्य दिनेश संपादक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' की समीक्षा करते हुए उन्हें संग्रहणीय तथा अभूतपूर्व बताया।  सिरोही के वरिष्ठ साहित्यकार छगनलाल गर्ग 'विज्ञ' ने  विशंभरनाथ शुक्ल रचित हिंदी ग़ज़ल संग्रह 'मन कस्तूरी हो गया',  आलोक रंजन ने कृष्ण कुमार के कहांनी संग्रह 'चूड़ी बाजार में लड़की', अरुण भटनागर ने मीनाक्षी शर्मा 'तारिका' कृत  काव्य संग्रह 'सत्व',  भारती नरेश पाराशर ने 'वृद्धावस्था में सुख', रजनी शर्मा रायपुर ने शिवानी कृत कृष्णकली, मिथलेश बड़गैया ने हरिशंकर दुबे की लघु काव्य कृति 'पाठशाला', भावना दीक्षित ने डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे के कहानी संग्रह योगिनी पर अपने विचार व्यक्त किये। पलामू के प्रो. आलोक रंजन ने कार्यक्रम का सुचारु संचालन किया। विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर की यह आयोजना साहित्यकारों में बहुचर्चित है। 

विशेष अतिथि सुरेंद्र पवार ने साहित्य के अल्पमोली किये जाने को आवश्यक बताया। मुख्य अतिथि श्रीधर प्रसाद द्विवेदी ने पुस्तक पर्व में २७ पुस्तकों की समीक्षा को अभूतपूर्व निरूपित किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष उपन्यासकार समाजसेवी श्री अमरेंद्र नारायण ने   आभार प्रदर्शन लघुकथाकार बबिता चौबे 'शक्ति' ने किया। 
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सुखदा छंद


छंद सलिला:
सुखदा छंद
संजीव
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छंद-लक्षण: जाति महारौद्र, प्रति चरण मात्रा २२ मात्रा, यति १२-१०, चरणांत गुरु (यगण, मगण, रगण, सगण)
लक्षण छंद:
सुखदा बारह-दस यति, मन की बात कहे
गुरु से करें पद-अंत, मंज़िल निकट रहे
उदाहरण:
१. नेता भ्रष्ट हुए जो / उनको धुनना है
जनसेवक जो सच्चे / उनको सुनना है
सोच-समझ जनप्रतिनिधि, हमको चुनना है
शुभ भविष्य के सपने, उज्ज्वल बुनना है
२. कदम-कदम बढ़ना है / मंज़िल पग चूमे
मिल सीढ़ी चढ़ना है, मन हँसकर झूमे
कभी नहीं डरना है / मिल मुश्किल जीतें
छंद-कलश छलकें / 'सलिल' नहीं रीतें
३. राजनीति सुना रही / स्वार्थ क राग है
देश को झुलसा रही, द्वेष की आग है
नेतागण मतलब की , रोटियाँ सेंकते
जनता का पीड़ा-दुःख / दल नहीं देखता
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१३-५-२०१४ 
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुखदा, सुगति, सुजान, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)